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महत्वपूर्ण निवेश और संभावनाओं के बावजूद, भारत का जहाज निर्माण क्षेत्र अविकसित है। इसके विकास में बाधा डालने वाली प्रमुख संरचनात्मक चुनौतियों का विश्लेषण करें और इसके पुनरुद्धार के लिए प्रभावी नीति उपायों का सुझाव दें। (200 शब्द)
भारत का जहाज निर्माण क्षेत्र: वर्तमान स्थिति भारत का जहाज निर्माण क्षेत्र महत्वपूर्ण निवेश और संभावनाओं के बावजूद अविकसित है। 2023 में भारत का जहाज निर्माण क्षेत्र वैश्विक बाजार में केवल 1-2% हिस्सा रखता है, जबकि चीन और दक्षिण कोरिया का हिस्सेदारी 60% से अधिक है। प्रमुख संरचनात्मक चुनौतियाँ आवश्यकताRead more
भारत का जहाज निर्माण क्षेत्र: वर्तमान स्थिति
भारत का जहाज निर्माण क्षेत्र महत्वपूर्ण निवेश और संभावनाओं के बावजूद अविकसित है। 2023 में भारत का जहाज निर्माण क्षेत्र वैश्विक बाजार में केवल 1-2% हिस्सा रखता है, जबकि चीन और दक्षिण कोरिया का हिस्सेदारी 60% से अधिक है।
प्रमुख संरचनात्मक चुनौतियाँ
आवश्यकता से कम बुनियादी ढाँचा
भारत में जहाज निर्माण के लिए उपयुक्त बुनियादी ढाँचे की कमी है। अधिकतर डॉक्स और शिपयार्ड पुराने हैं, और आधुनिक तकनीक की कमी है।
महंगी श्रम लागत
जहाज निर्माण उद्योग में श्रमिकों की महंगी लागत एक बड़ी समस्या है। उच्च श्रम लागत अन्य देशों से प्रतिस्पर्धा में भारत को पिछाड़ देती है।
नीति और प्रशासनिक जटिलताएँ
इस क्षेत्र में कई सरकारी नियम और प्रक्रियाएँ जटिल हैं, जो निवेशकों के लिए अवरोध पैदा करती हैं।
प्रभावी नीति उपाय
बुनियादी ढाँचे में निवेश
सरकार को उन्नत शिपयार्ड और तकनीकी सुधार के लिए निवेश बढ़ाना चाहिए।
टैक्स और सब्सिडी में सुधार
जहाज निर्माण क्षेत्र में टैक्स छूट और सब्सिडी देने से वैश्विक प्रतिस्पर्धा में मदद मिल सकती है।
विशेष आर्थिक क्षेत्र (SEZ) की स्थापना
शिपयार्ड के लिए SEZs की स्थापना से वैश्विक निवेश आकर्षित किया जा सकता है।
इन उपायों के माध्यम से भारत का जहाज निर्माण क्षेत्र पुनः प्रगति की ओर बढ़ सकता है।
See lessभारत में वाणिज्यिक कोयला खनन के लाभों और उससे संबंधित चुनौतियों पर चर्चा कीजिए। (उत्तर 200 शब्दों में दें)
वाणिज्यिक कोयला खनन के लाभ आर्थिक विकास में योगदानवाणिज्यिक कोयला खनन भारत की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा कोयला उत्पादक देश है। 2024-25 के बजट में कोयला क्षेत्र को प्रोत्साहन देने के लिए 10,000 करोड़ रुपये की योजना का ऐलान किया गया है। रोजगार सृजनकोयलRead more
वाणिज्यिक कोयला खनन के लाभ
आर्थिक विकास में योगदान
वाणिज्यिक कोयला खनन भारत की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा कोयला उत्पादक देश है। 2024-25 के बजट में कोयला क्षेत्र को प्रोत्साहन देने के लिए 10,000 करोड़ रुपये की योजना का ऐलान किया गया है।
रोजगार सृजन
कोयला खनन से लाखों लोगों को रोजगार मिलता है। यह विशेष रूप से ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में विकास को बढ़ावा देता है। कोयला खनन उद्योग से जुड़े अनौपचारिक श्रमिकों की संख्या भी अधिक है।
ऊर्जा सुरक्षा
भारत की ऊर्जा जरूरतों का एक बड़ा हिस्सा कोयला से पूरा होता है, जो देश की ऊर्जा सुरक्षा को सुनिश्चित करता है। 2023 में कोयला मंत्रालय ने 1.3 बिलियन टन उत्पादन लक्ष्य निर्धारित किया था।
संबंधित चुनौतियाँ
पर्यावरणीय नुकसान
कोयला खनन के कारण पर्यावरणीय संकट बढ़ता है। वनों की कटाई, जल स्रोतों का प्रदूषण और प्रदूषण की समस्या गंभीर बन गई है। यह चुनौती सुलझाने के लिए सरकार ने “फेयर काउंसलिंग” नीति अपनाई है।
स्थानीय समुदायों पर प्रभाव
कई बार कोयला खनन से प्रभावित क्षेत्रों के आदिवासी और स्थानीय लोग विस्थापित हो जाते हैं, जिससे सामाजिक तनाव पैदा होता है। 2023 में, छत्तीसगढ़ में कोयला खनन परियोजना को लेकर स्थानीय विरोध हुआ था।
सुरक्षा समस्याएँ
खनन स्थलों पर हादसों और दुर्घटनाओं का खतरा रहता है, जिससे श्रमिकों की जान को खतरा होता है।
इन लाभों और चुनौतियों के बीच संतुलन बनाने के लिए ठोस नीति और प्रौद्योगिकी के सुधार की आवश्यकता है।
See lessभारत में चीतों को पुनः बसाने के लिए संभावित स्थलों की पहचान करते हुए इसके महत्व पर चर्चा कीजिए और इस प्रयास से संबंधित चुनौतियों का उल्लेख कीजिए। (150 शब्दों में उत्तर दें)
भारत में चीतों को पुनः बसाने के लिए उपयुक्त स्थलों की पहचान करना जैव विविधता संरक्षण और पारिस्थितिक संतुलन बहाल करने के लिए महत्वपूर्ण है। चीतों की वापसी से घास के मैदानों के पारिस्थितिकी तंत्र को पुनर्जीवित करने में मदद मिलेगी, जो कई अन्य प्रजातियों के लिए भी लाभकारी होगा। मुख्य चुनौतियाँ: आवास कीRead more
भारत में चीतों को पुनः बसाने के लिए उपयुक्त स्थलों की पहचान करना जैव विविधता संरक्षण और पारिस्थितिक संतुलन बहाल करने के लिए महत्वपूर्ण है। चीतों की वापसी से घास के मैदानों के पारिस्थितिकी तंत्र को पुनर्जीवित करने में मदद मिलेगी, जो कई अन्य प्रजातियों के लिए भी लाभकारी होगा।
मुख्य चुनौतियाँ:
इन चुनौतियों का समाधान करके ही भारत में चीतों की सफल पुनः स्थापना संभव है।
See lessस्थिरीकरण (स्टरलाइजेशन) का क्या अर्थ है? भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) बाह्य प्रभावों के खिलाफ मुद्रा आपूर्ति को कैसे स्थिर करता है? (200 शब्द)
स्थिरीकरण (स्टरलाइजेशन) एक मौद्रिक नीति उपकरण है जिसका उपयोग केंद्रीय बैंक, जैसे भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI), विदेशी मुद्रा हस्तक्षेपों के घरेलू मुद्रा आपूर्ति पर प्रभाव को निष्प्रभावी करने के लिए करते हैं। जब RBI विदेशी मुद्रा खरीदता या बेचता है, तो यह घरेलू मुद्रा आपूर्ति को प्रभावित कर सकता है। इसRead more
स्थिरीकरण (स्टरलाइजेशन) एक मौद्रिक नीति उपकरण है जिसका उपयोग केंद्रीय बैंक, जैसे भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI), विदेशी मुद्रा हस्तक्षेपों के घरेलू मुद्रा आपूर्ति पर प्रभाव को निष्प्रभावी करने के लिए करते हैं। जब RBI विदेशी मुद्रा खरीदता या बेचता है, तो यह घरेलू मुद्रा आपूर्ति को प्रभावित कर सकता है। इस प्रभाव को संतुलित करने के लिए, RBI ओपन मार्केट ऑपरेशंस (OMOs) जैसे उपकरणों का उपयोग करता है।
RBI द्वारा मुद्रा आपूर्ति को स्थिर करने के उपाय:
इन उपकरणों के माध्यम से, RBI बाहरी प्रभावों के कारण होने वाले संभावित मुद्रास्फीति या अपस्फीति के प्रभावों को निष्प्रभावी करता है, जिससे घरेलू मुद्रा आपूर्ति मौद्रिक नीति के उद्देश्यों के अनुरूप बनी रहती है।
See lessलचीली विनिमय दर क्या होती है? भारतीय रुपये के डॉलर के मुकाबले अधिमूल्यन और अवमूल्यन के कारणों की व्याख्या कीजिए। (200 शब्द)
लचीली विनिमय दर (Floating Exchange Rate) वह प्रणाली है जिसमें किसी देश की मुद्रा का मूल्य विदेशी मुद्रा बाजार में मांग और आपूर्ति के आधार पर स्वतः निर्धारित होता है, और इसमें सरकार या केंद्रीय बैंक का प्रत्यक्ष हस्तक्षेप नहीं होता। भारतीय रुपये के अमेरिकी डॉलर के मुकाबले अधिमूल्यन (Appreciation) औरRead more
लचीली विनिमय दर (Floating Exchange Rate) वह प्रणाली है जिसमें किसी देश की मुद्रा का मूल्य विदेशी मुद्रा बाजार में मांग और आपूर्ति के आधार पर स्वतः निर्धारित होता है, और इसमें सरकार या केंद्रीय बैंक का प्रत्यक्ष हस्तक्षेप नहीं होता।
भारतीय रुपये के अमेरिकी डॉलर के मुकाबले अधिमूल्यन (Appreciation) और अवमूल्यन (Depreciation) के कारण:
इन कारकों के संयोजन से भारतीय रुपये का अमेरिकी डॉलर के मुकाबले अधिमूल्यन या अवमूल्यन होता है।
See less“भारत में अत्याधुनिक कोर प्रौद्योगिकियों को विकसित करने की क्षमता है, लेकिन उनके व्यावसायीकरण में कई सारी समस्याये हैं। इसके पीछे के कारणों का विश्लेषण करें और शिक्षा, उद्योग और सरकार के बीच सहयोग को मजबूत करने के उपाय सुझाएँ” (200 शब्द)
भारत में कोर प्रौद्योगिकियों का विकास और समस्याएँ कारण शोध एवं नवाचार में कमी: भारत में अनुसंधान और विकास पर GDP का मात्र 0.7% खर्च होता है। तकनीकी हस्तांतरण की कमी: विदेशी प्रौद्योगिकियों का सीमित उपयोग। शिक्षा-उद्योग तालमेल: विश्वविद्यालय और उद्योग के बीच समन्वय की कमी। सुझाव शिक्षा-उद्योग का सहयोRead more
भारत में कोर प्रौद्योगिकियों का विकास और समस्याएँ
कारण
सुझाव
इन कदमों से भारत वैश्विक तकनीकी क्षेत्र में अग्रणी बन सकता है।
See less“भारत और चीन के बीच द्विपक्षीय संबंधों के संदर्भ में तालमेल और प्रतिद्वंद्विता के प्रमुख क्षेत्रों का विश्लेषण करें। चर्चा करें कि भारत किस प्रकार अपनी आर्थिक समुत्थानशक्ति को बढ़ावा देते हुए चीन के प्रभाव को रणनीतिक रूप से संतुलित कर सकता है’। (200 शब्द)
भारत और चीन के द्विपक्षीय संबंधों में सहयोग और प्रतिद्वंद्विता दोनों ही प्रमुख रूप से विद्यमान हैं। सहयोग के क्षेत्रों में व्यापार, जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त कार्रवाई, और बहुपक्षीय मंचों पर सहभागिता शामिल हैं। वहीं, सीमा विवाद, व्यापार असंतुलन, और भू-राजनीतिक प्रतिस्पर्धा जैसी चुनौतियाँ भी मौजूद हैRead more
भारत और चीन के द्विपक्षीय संबंधों में सहयोग और प्रतिद्वंद्विता दोनों ही प्रमुख रूप से विद्यमान हैं। सहयोग के क्षेत्रों में व्यापार, जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त कार्रवाई, और बहुपक्षीय मंचों पर सहभागिता शामिल हैं। वहीं, सीमा विवाद, व्यापार असंतुलन, और भू-राजनीतिक प्रतिस्पर्धा जैसी चुनौतियाँ भी मौजूद हैं।
भारत अपनी आर्थिक समुत्थानशक्ति को बढ़ावा देते हुए चीन के प्रभाव को संतुलित करने के लिए निम्नलिखित रणनीतियाँ अपना सकता है:
इन रणनीतियों को अपनाकर भारत अपनी आर्थिक शक्ति को सुदृढ़ करते हुए चीन के प्रभाव को संतुलित कर सकता है और क्षेत्रीय स्थिरता में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
See less“भारत गंभीर भूजल संकट का सामना कर रहा है, जो अत्यधिक दोहन, प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन के कारण और भी गंभीर हो गया है। इस संकट में योगदान देने वाले प्रमुख कारकों पर चर्चा करें और प्रभावी भूजल प्रबंधन के लिए स्थायी समाधान सुझाएँ।”
भारत गंभीर भूजल संकट से जूझ रहा है, जिसमें जलवायु परिवर्तन, अत्यधिक दोहन, और शहरीकरण की बड़ी भूमिका है। मुख्य कारण: जलवायु परिवर्तन: अनियमित वर्षा और बढ़ते तापमान के कारण जल पुनर्भरण प्रक्रिया बाधित हो रही है। उदाहरण: चेन्नई में पानी की आपूर्ति में 60% तक की कमी। अत्यधिक दोहन: बढ़ती आबादी और कृषि मेRead more
भारत गंभीर भूजल संकट से जूझ रहा है, जिसमें जलवायु परिवर्तन, अत्यधिक दोहन, और शहरीकरण की बड़ी भूमिका है।
मुख्य कारण:
समाधान:
शोध के अनुसार, ग्लोबल साउथ जलवायु परिवर्तन के प्रभाव से सबसे अधिक प्रभावित होगा, और दक्षिण एशिया इस संदर्भ में गंभीर रूप से प्रभावित क्षेत्रों में से एक होगा। विश्लेषण कीजिए।(200 शब्द)
परिचय शोध के अनुसार, ग्लोबल साउथ, विशेषकर दक्षिण एशिया, जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से गंभीर रूप से प्रभावित होगा। आर्थिक प्रभाव विकास दर में कमी: दक्षिण एशिया में जलवायु परिवर्तन के कारण कृषि उत्पादन में कमी, बाढ़, सूखा और अन्य प्राकृतिक आपदाओं के कारण सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में 22% तक की औसत हानिRead more
परिचय
शोध के अनुसार, ग्लोबल साउथ, विशेषकर दक्षिण एशिया, जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से गंभीर रूप से प्रभावित होगा।
आर्थिक प्रभाव
सामाजिक प्रभाव
पर्यावरणीय प्रभाव
निष्कर्ष
दक्षिण एशिया को जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से निपटने के लिए प्रभावी रणनीतियों की आवश्यकता है, ताकि आर्थिक, सामाजिक और पर्यावरणीय नुकसान को कम किया जा सके।
See lessगणित और विज्ञान के क्षेत्र में प्राचीन भारतीय वैज्ञानिकों द्वारा किए गए महत्वपूर्ण योगदानों पर प्रकाश डालिए।(उत्तर 200 शब्दों में दें)
प्राचीन भारतीय वैज्ञानिकों ने गणित और विज्ञान के क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान दिए हैं, जो आज भी प्रासंगिक हैं। गणित में योगदान: शून्य और दशमलव प्रणाली की खोज: वैदिक काल (1000 ईसा पूर्व तक) में भारतीय गणितज्ञों ने शून्य (शून्य) और दशमलव प्रणाली विकसित की, जो आधुनिक गणित की नींव बनी। बौधायन का शुल्Read more
प्राचीन भारतीय वैज्ञानिकों ने गणित और विज्ञान के क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान दिए हैं, जो आज भी प्रासंगिक हैं।
गणित में योगदान:
विज्ञान में योगदान:
इन योगदानों ने वैश्विक वैज्ञानिक और गणितीय विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
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