Lost your password? Please enter your email address. You will receive a link and will create a new password via email.
Please briefly explain why you feel this question should be reported.
Please briefly explain why you feel this answer should be reported.
Please briefly explain why you feel this user should be reported.
सामाजिक लोकतंत्र राजनीतिक लोकतंत्र का प्रमुख आधार है। बाबासाहेब अम्बेडकर की दृष्टि के आलोक में विवेचना कीजिए।
सामाजिक लोकतंत्र का महत्व सामाजिक लोकतंत्र राजनीतिक लोकतंत्र का आधार है, जैसा कि बाबासाहेब अम्बेडकर ने बताया। अम्बेडकर की दृष्टि समानता और न्याय: वे सामाजिक समानता को राजनीतिक स्वतंत्रता से जोड़ते थे। उदाहरण: सभी वर्गों को समान अवसर मिलने चाहिए। दलितों का अधिकार: अम्बेडकर ने दलितों और कमजोर वर्गों कRead more
सामाजिक लोकतंत्र का महत्व
सामाजिक लोकतंत्र राजनीतिक लोकतंत्र का आधार है, जैसा कि बाबासाहेब अम्बेडकर ने बताया।
अम्बेडकर की दृष्टि
निष्कर्ष
अम्बेडकर का मानना था कि बिना सामाजिक लोकतंत्र के राजनीतिक लोकतंत्र अधूरा है, जिससे असमानता और भेदभाव का अंत संभव है।
See lessराष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की मुख्य सीमाएँ क्या है ?
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की मुख्य सीमाएँ राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) की कुछ मुख्य सीमाएँ हैं: 1. निर्णय लेने की शक्ति NHRC के पास कानूनी शक्ति नहीं है। उदाहरण: आयोग केवल सिफारिशें करता है, जिन्हें लागू करना अनिवार्य नहीं है। 2. कार्रवाई की सीमा आयोग केवल सरकारी एजेंसियों के मामलों की जांच कर सRead more
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की मुख्य सीमाएँ
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) की कुछ मुख्य सीमाएँ हैं:
1. निर्णय लेने की शक्ति
2. कार्रवाई की सीमा
निष्कर्ष
इन सीमाओं के कारण NHRC के प्रभाव में कमी आती है, जिससे मानवाधिकारों की रक्षा में बाधाएँ उत्पन्न होती हैं।
See lessहिमालय के प्रादेशिक विभाजन का वर्णन कीजिए।
हिमालय के प्रादेशिक विभाजन हिमालय विश्व का सबसे ऊँचा पर्वत श्रंखला है, जो भारत के उत्तरी भाग में विस्तारित है। इसे विभिन्न भौगोलिक और सांस्कृतिक क्षेत्रों में विभाजित किया गया है। प्रमुख प्रादेशिक विभाजन पश्चिमी हिमालय: इसमें जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड शामिल हैं। यह क्षेत्र नदियों और झRead more
हिमालय के प्रादेशिक विभाजन
हिमालय विश्व का सबसे ऊँचा पर्वत श्रंखला है, जो भारत के उत्तरी भाग में विस्तारित है। इसे विभिन्न भौगोलिक और सांस्कृतिक क्षेत्रों में विभाजित किया गया है।
प्रमुख प्रादेशिक विभाजन
निष्कर्ष
हिमालय का प्रादेशिक विभाजन न केवल इसकी भौगोलिक विशेषताओं को दर्शाता है, बल्कि यह वहाँ की सांस्कृतिक विविधता और आर्थिक गतिविधियों को भी प्रकट करता है। यह क्षेत्र पर्यटन, कृषि और जल स्रोतों के लिए महत्वपूर्ण है, जिससे यह भारत की संस्कृति और अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
See lessज्वालामुखी उद्गार की प्रक्रिया से निर्मित स्थलाकृतियों का वर्णन कीजिए।
ज्वालामुखी उद्गार की प्रक्रिया से निर्मित स्थलाकृतियाँ ज्वालामुखी उद्गार एक भूगर्भीय प्रक्रिया है जिसमें magma (अर्ध-तरल चट्टान) पृथ्वी की सतह पर बाहर निकलता है। इससे विभिन्न स्थलाकृतियों का निर्माण होता है। प्रमुख स्थलाकृतियाँ ज्वालामुखी पहाड़: ये पहाड़ होते हैं जो ज्वालामुखी के उद्गार से बनते हैं।Read more
ज्वालामुखी उद्गार की प्रक्रिया से निर्मित स्थलाकृतियाँ
ज्वालामुखी उद्गार एक भूगर्भीय प्रक्रिया है जिसमें magma (अर्ध-तरल चट्टान) पृथ्वी की सतह पर बाहर निकलता है। इससे विभिन्न स्थलाकृतियों का निर्माण होता है।
प्रमुख स्थलाकृतियाँ
निष्कर्ष
ज्वालामुखी उद्गार से निर्मित स्थलाकृतियाँ न केवल भौगोलिक रूप से महत्वपूर्ण हैं, बल्कि वे पारिस्थितिकी तंत्र, जलवायु, और स्थानीय जनसंख्या पर भी गहरा प्रभाव डालती हैं। इन स्थानों पर पर्यटन और रिसर्च के अवसर भी उपलब्ध होते हैं, जिससे यह विषय और अधिक रोचक बनता है।
See lessहिमानीकृत अपरदनात्मक स्थलरूपों का वर्णन कीजिए।
हिमानीकृत अपरदनात्मक स्थलरूप हिमानीकृत अपरदनात्मक स्थलरूप वे स्थलरूप होते हैं जो बर्फ और हिम के प्रभाव से बनते हैं। ये आमतौर पर पहाड़ी क्षेत्रों में पाए जाते हैं और इनके निर्माण में बर्फ के बहाव और अपरदन की प्रक्रिया मुख्य भूमिका निभाते हैं। प्रमुख स्थलरूप ग्लेशियर: ये बर्फ की विशाल धाराएं होती हैंRead more
हिमानीकृत अपरदनात्मक स्थलरूप
हिमानीकृत अपरदनात्मक स्थलरूप वे स्थलरूप होते हैं जो बर्फ और हिम के प्रभाव से बनते हैं। ये आमतौर पर पहाड़ी क्षेत्रों में पाए जाते हैं और इनके निर्माण में बर्फ के बहाव और अपरदन की प्रक्रिया मुख्य भूमिका निभाते हैं।
प्रमुख स्थलरूप
परिणाम
इन स्थलरूपों का निर्माण बर्फ की गति और अपरदन की प्रक्रिया के कारण होता है। यह न केवल भूगोलिक विशेषताओं को प्रभावित करता है, बल्कि पर्यावरण और पारिस्थितिकी तंत्र पर भी महत्वपूर्ण प्रभाव डालता है। हिमानीकृत स्थलरूपों का अध्ययन जलवायु परिवर्तन और उसके प्रभावों को समझने में मदद करता है।
See lessभू-स्थानिक सूचना के अनुप्रयोग क्या है?
भू-स्थानिक सूचना के अनुप्रयोग भू-स्थानिक सूचना का उपयोग कई क्षेत्रों में किया जाता है। इसके प्रमुख अनुप्रयोग निम्नलिखित हैं: कृषि: फसल की वृद्धि और भूमि की गुणवत्ता का विश्लेषण। नगर योजना: शहरों में विकास और अवसंरचना का निर्माण। पर्यावरण संरक्षण: प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन की निगरानी। आपातकालीन प्रबRead more
भू-स्थानिक सूचना के अनुप्रयोग
भू-स्थानिक सूचना का उपयोग कई क्षेत्रों में किया जाता है। इसके प्रमुख अनुप्रयोग निम्नलिखित हैं:
इन अनुप्रयोगों से निर्णय लेने में सहूलियत होती है।
See less