Lost your password? Please enter your email address. You will receive a link and will create a new password via email.
Please briefly explain why you feel this question should be reported.
Please briefly explain why you feel this answer should be reported.
Please briefly explain why you feel this user should be reported.
"लोकतंत्र के बारे में जयप्रकाश नारायण का दृष्टिकोण समाजवाद और सर्वोदय के लक्ष्यों के साथ निकट से जुड़ा है।" इस कथन की व्याख्या कीजिए।
जयप्रकाश नारायण का लोकतंत्र के प्रति दृष्टिकोण जयप्रकाश नारायण, जो भारतीय राजनीति के एक प्रमुख विचारक और सामाजिक कार्यकर्ता थे, का लोकतंत्र के प्रति दृष्टिकोण समाजवाद और सर्वोदय के लक्ष्यों से गहराई से जुड़ा हुआ है। उनका मानना था कि असली लोकतंत्र तभी संभव है जब समाज में समानता, न्याय और मानवता का उतRead more
जयप्रकाश नारायण का लोकतंत्र के प्रति दृष्टिकोण
जयप्रकाश नारायण, जो भारतीय राजनीति के एक प्रमुख विचारक और सामाजिक कार्यकर्ता थे, का लोकतंत्र के प्रति दृष्टिकोण समाजवाद और सर्वोदय के लक्ष्यों से गहराई से जुड़ा हुआ है। उनका मानना था कि असली लोकतंत्र तभी संभव है जब समाज में समानता, न्याय और मानवता का उत्थान हो।
समाजवाद और सर्वोदय के लक्ष्य
1. समानता और न्याय
2. सर्वोदय का सिद्धांत
3. सामाजिक और आर्थिक सुधार
निष्कर्ष
जयप्रकाश नारायण का लोकतंत्र का दृष्टिकोण इस बात को दर्शाता है कि वास्तविक लोकतंत्र केवल चुनावी प्रक्रिया तक सीमित नहीं है, बल्कि यह समाज में समानता, न्याय और मानवता के मूल्यों को भी समाहित करता है। उनका विचार यह बताता है कि लोकतंत्र का उद्देश्य केवल सत्ता हासिल करना नहीं, बल्कि सभी नागरिकों के उत्थान के लिए कार्य करना है। इस प्रकार, उनका दृष्टिकोण समाजवाद और सर्वोदय के लक्ष्यों के साथ निकट से जुड़ा हुआ है।
See lessप्रतिनिधित्व का क्या अर्थ है? समानुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के विभिन्न रूपों का वर्णन कीजिए।
प्रतिनिधित्व का अर्थ प्रतिनिधित्व का अर्थ है, किसी समूह या समुदाय की ओर से चुनावी प्रक्रिया में चुनावित प्रतिनिधियों द्वारा उनके हितों का संरक्षण करना। यह प्रक्रिया लोकतंत्र का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिसमें नागरिक अपने प्रतिनिधियों को चुनते हैं, जो फिर उनकी आवश्यकताओं और आकांक्षाओं का प्रतिनिधित्वRead more
प्रतिनिधित्व का अर्थ
प्रतिनिधित्व का अर्थ है, किसी समूह या समुदाय की ओर से चुनावी प्रक्रिया में चुनावित प्रतिनिधियों द्वारा उनके हितों का संरक्षण करना। यह प्रक्रिया लोकतंत्र का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिसमें नागरिक अपने प्रतिनिधियों को चुनते हैं, जो फिर उनकी आवश्यकताओं और आकांक्षाओं का प्रतिनिधित्व करते हैं।
समानुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली
समानुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली (Proportional Representation) एक चुनावी प्रणाली है जिसमें राजनीतिक दलों को उनके वोटों के अनुपात के अनुसार सीटें मिलती हैं। इसके विभिन्न रूप निम्नलिखित हैं:
1. सूची प्रणाली (List System)
2. संसदीय प्रणाली (Parliamentary System)
3. अवस्थागत प्रणाली (Single Transferable Vote)
4. क्षेत्रीय प्रणाली (Regional System)
निष्कर्ष
समानुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली लोकतंत्र में न्याय और समानता को बढ़ावा देती है। यह सुनिश्चित करती है कि हर नागरिक की आवाज़ को सुना जाए और उनके विचारों का उचित प्रतिनिधित्व हो। इससे राजनीतिक दलों के बीच प्रतिस्पर्धा बढ़ती है और राजनीतिक विविधता को भी बढ़ावा मिलता है।
See lessकेन्द्रीय सतर्कता आयोग का कार्यात्मक क्षेत्र क्या हैं? व्हिसल ब्लोअर प्रोटेक्शन एक्ट के प्रमुख बिन्दुओं पर प्रकाश डालिए।
केन्द्रीय सतर्कता आयोग का कार्यात्मक क्षेत्र केन्द्रीय सतर्कता आयोग (CVC) भारत में भ्रष्टाचार के खिलाफ एक महत्वपूर्ण संस्था है। इसके कार्यात्मक क्षेत्र में निम्नलिखित प्रमुख बिंदु शामिल हैं: 1. भ्रष्टाचार की जांच CVC सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार की शिकायतों की जांच करता है। उRead more
केन्द्रीय सतर्कता आयोग का कार्यात्मक क्षेत्र
केन्द्रीय सतर्कता आयोग (CVC) भारत में भ्रष्टाचार के खिलाफ एक महत्वपूर्ण संस्था है। इसके कार्यात्मक क्षेत्र में निम्नलिखित प्रमुख बिंदु शामिल हैं:
1. भ्रष्टाचार की जांच
2. निर्देश और सलाह
3. सुधार प्रस्ताव
व्हिसल ब्लोअर प्रोटेक्शन एक्ट के प्रमुख बिन्दु
व्हिसल ब्लोअर प्रोटेक्शन एक्ट, 2014, उन व्यक्तियों को सुरक्षा प्रदान करता है जो भ्रष्टाचार या अनियमितताओं की सूचना देते हैं।
1. सुरक्षा सुनिश्चित करना
2. शिकायत प्रक्रिया
3. प्रतिशोध के खिलाफ संरक्षण
निष्कर्ष
केन्द्रीय सतर्कता आयोग भ्रष्टाचार की रोकथाम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, जबकि व्हिसल ब्लोअर प्रोटेक्शन एक्ट उन लोगों को सुरक्षा प्रदान करता है, जो अनियमितताओं की जानकारी देते हैं। इन दोनों संस्थाओं के माध्यम से सरकारी तंत्र में पारदर्शिता और जिम्मेदारी बढ़ती है।
See lessराजनीतिक दल की परिभाषा दीजिए तथा भारत की दलीय व्यवस्था की प्रमुख विशेषताएँ बताइए ।
राजनीतिक दल की परिभाषा राजनीतिक दल एक संगठन है जो समान राजनीतिक विचारधारा और लक्ष्य साझा करता है। इसका मुख्य उद्देश्य चुनावों में भाग लेकर सत्ता हासिल करना और अपने लक्ष्यों को लागू करना होता है। राजनीतिक दल नागरिकों के राजनीतिक मतों का प्रतिनिधित्व करते हैं और नीतियों को प्रभावित करते हैं। भारत की दRead more
राजनीतिक दल की परिभाषा
राजनीतिक दल एक संगठन है जो समान राजनीतिक विचारधारा और लक्ष्य साझा करता है। इसका मुख्य उद्देश्य चुनावों में भाग लेकर सत्ता हासिल करना और अपने लक्ष्यों को लागू करना होता है। राजनीतिक दल नागरिकों के राजनीतिक मतों का प्रतिनिधित्व करते हैं और नीतियों को प्रभावित करते हैं।
भारत की दलीय व्यवस्था की प्रमुख विशेषताएँ
1. बहुदलीय प्रणाली
2. संविधानिक आधार
3. स्थानीय, राज्य और राष्ट्रीय स्तर
4. आधिकारिक मान्यता
निष्कर्ष
भारत की दलीय व्यवस्था विविधता और लोकतंत्र को दर्शाती है। विभिन्न दल न केवल राजनीतिक प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देते हैं, बल्कि समाज के विभिन्न वर्गों की आवाज़ को भी उठाते हैं, जिससे लोकतंत्र मजबूत होता है।
See lessसंघ लोक सेवा आयोग' का क्या महत्त्व है? इसमें सुधार हेतु सुझावों का वर्णन कीजिए।
संघ लोक सेवा आयोग का महत्त्व संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) भारत में प्रशासनिक सेवाओं की चयन प्रक्रिया का प्रमुख संस्थान है। इसका मुख्य उद्देश्य योग्य व्यक्तियों का चयन करना है, जो विभिन्न सरकारी पदों पर कार्य करेंगे। 1. गुणवत्ता सुनिश्चित करना UPSC का चयन प्रक्रिया भारत के सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक हRead more
संघ लोक सेवा आयोग का महत्त्व
संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) भारत में प्रशासनिक सेवाओं की चयन प्रक्रिया का प्रमुख संस्थान है। इसका मुख्य उद्देश्य योग्य व्यक्तियों का चयन करना है, जो विभिन्न सरकारी पदों पर कार्य करेंगे।
1. गुणवत्ता सुनिश्चित करना
2. न्याय और पारदर्शिता
सुधार हेतु सुझाव
1. परीक्षा प्रणाली में बदलाव
2. प्रशिक्षण और तैयारी में सहायता
3. प्रवेश प्रक्रिया में तकनीक का उपयोग
निष्कर्ष
संघ लोक सेवा आयोग का भारत के प्रशासन में महत्त्वपूर्ण स्थान है, लेकिन इसके सुधार से चयन प्रक्रिया को और अधिक प्रभावी और समावेशी बनाया जा सकता है। ऐसे सुधार न केवल गुणवत्ता में वृद्धि करेंगे, बल्कि सरकारी सेवाओं में युवाओं की भागीदारी भी बढ़ाएंगे।
See lessराज्य के नीति निदेशक सिद्धांत और मौलिक अधिकारों में अंतर बताइए ।
राज्य के नीति निदेशक सिद्धांत और मौलिक अधिकारों में अंतर भारतीय संविधान में मौलिक अधिकार और नीति निदेशक सिद्धांत दोनों महत्वपूर्ण तत्व हैं, लेकिन इनके उद्देश्य और कार्यान्वयन में अंतर है। 1. परिभाषा और उद्देश्य मौलिक अधिकार: ये अधिकार व्यक्ति के मूलभूत मानवाधिकार हैं, जो संविधान द्वारा सुनिश्चित किएRead more
राज्य के नीति निदेशक सिद्धांत और मौलिक अधिकारों में अंतर
भारतीय संविधान में मौलिक अधिकार और नीति निदेशक सिद्धांत दोनों महत्वपूर्ण तत्व हैं, लेकिन इनके उद्देश्य और कार्यान्वयन में अंतर है।
1. परिभाषा और उद्देश्य
2. कानूनी स्थिति
निष्कर्ष
इस प्रकार, मौलिक अधिकार व्यक्ति के लिए कानूनी सुरक्षा प्रदान करते हैं, जबकि नीति निदेशक सिद्धांत समाज के समग्र विकास की दिशा में मार्गदर्शन करते हैं। दोनों का एक-दूसरे के साथ घनिष्ठ संबंध है, जिससे भारतीय लोकतंत्र मजबूत होता है।
See lessभारतीय संविधान पर एक आलोचनात्मक टिप्पणी लिखिए ।
भारतीय संविधान: एक आलोचनात्मक टिप्पणी भारतीय संविधान, जो 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ, विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र का आधार है। इसके विभिन्न पहलुओं ने देश की राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक संरचना को आकार दिया है। हालांकि, कुछ आलोचनात्मक बिंदु भी हैं जो इस संविधान की प्रकृति और कार्यान्वयन पर प्रकाश डालते हRead more
भारतीय संविधान: एक आलोचनात्मक टिप्पणी
भारतीय संविधान, जो 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ, विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र का आधार है। इसके विभिन्न पहलुओं ने देश की राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक संरचना को आकार दिया है। हालांकि, कुछ आलोचनात्मक बिंदु भी हैं जो इस संविधान की प्रकृति और कार्यान्वयन पर प्रकाश डालते हैं।
1. व्यापकता और जटिलता
2. राजनीतिक व्यवस्था
3. सामाजिक न्याय
निष्कर्ष
भारतीय संविधान ने लोकतंत्र, समानता और न्याय के सिद्धांतों को स्थापित किया है, लेकिन इसकी जटिलता और केंद्र सरकार की प्रबलता कुछ गंभीर चिंताओं को जन्म देती है। इसे सशक्त बनाने के लिए निरंतर समीक्षा और सुधार की आवश्यकता है।
See lessनव लोक प्रशासन नव लोक प्रबंधन से कैसे भिन्न है ?
नव लोक प्रशासन और नव लोक प्रबंधन में अंतर नव लोक प्रशासन और नव लोक प्रबंधन दोनों ही सार्वजनिक प्रशासन के दृष्टिकोण हैं, लेकिन उनमें कुछ प्रमुख अंतर हैं। नव लोक प्रशासन समाज केंद्रित: समाज की जरूरतों और सामाजिक न्याय पर ध्यान केंद्रित करता है। उदाहरण: गरीबों के लिए कल्याणकारी योजनाएँ। नव लोक प्रबंधनRead more
नव लोक प्रशासन और नव लोक प्रबंधन में अंतर
नव लोक प्रशासन और नव लोक प्रबंधन दोनों ही सार्वजनिक प्रशासन के दृष्टिकोण हैं, लेकिन उनमें कुछ प्रमुख अंतर हैं।
नव लोक प्रशासन
नव लोक प्रबंधन
निष्कर्ष
इस प्रकार, नव लोक प्रशासन सामाजिक मुद्दों पर ध्यान देता है, जबकि नव लोक प्रबंधन कार्यक्षमता और उत्पादकता बढ़ाने पर केंद्रित होता है।
See lessपरिबद्ध तार्किकता क्या है? निर्णय निर्माण में यह क्या भूमिका निभाती है ?
परिबद्ध तार्किकता क्या है? परिबद्ध तार्किकता (Bounded Rationality) का अर्थ है कि व्यक्ति निर्णय लेते समय सभी विकल्पों और जानकारियों को नहीं देख सकता। यह सीमित जानकारी और समय के कारण होता है। निर्णय निर्माण में भूमिका सीमित जानकारी: निर्णय प्रक्रिया में केवल उपलब्ध जानकारी का उपयोग। उदाहरण: किसी योजनRead more
परिबद्ध तार्किकता क्या है?
परिबद्ध तार्किकता (Bounded Rationality) का अर्थ है कि व्यक्ति निर्णय लेते समय सभी विकल्पों और जानकारियों को नहीं देख सकता। यह सीमित जानकारी और समय के कारण होता है।
निर्णय निर्माण में भूमिका
निष्कर्ष
इस प्रकार, परिबद्ध तार्किकता निर्णय निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, लेकिन इसकी सीमाएँ निर्णय की गुणवत्ता को प्रभावित कर सकती हैं।
See lessदीनदयाल उपाध्याय द्वारा प्रतिपादित एकात्म मानववाद की मुख्य विशेषताओं की व्याख्या कीजिए ।
एकात्म मानववाद की मुख्य विशेषताएँ दीनदयाल उपाध्याय द्वारा प्रतिपादित एकात्म मानववाद में निम्नलिखित मुख्य विशेषताएँ हैं: 1. व्यक्तिगत और सामूहिक विकास व्यक्ति और समाज का संतुलित विकास जरूरी है। उदाहरण: सामाजिक योजनाएँ जो व्यक्तिगत कल्याण के साथ-साथ सामुदायिक विकास पर ध्यान देती हैं। 2. सामाजिक समरसताRead more
एकात्म मानववाद की मुख्य विशेषताएँ
दीनदयाल उपाध्याय द्वारा प्रतिपादित एकात्म मानववाद में निम्नलिखित मुख्य विशेषताएँ हैं:
1. व्यक्तिगत और सामूहिक विकास
2. सामाजिक समरसता
निष्कर्ष
एकात्म मानववाद एक समग्र दृष्टिकोण प्रस्तुत करता है, जो व्यक्ति, समाज और राष्ट्र के विकास को एक साथ देखता है।
See less