Trace the course of expansion of Western and technical education in Bihar between 1857-1947. [67th BPSC Main Exam 2022]
भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस की स्थापना के लिए उत्तरदायी कारक भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस (INC) की स्थापना 1885 में हुई, जिसका मुख्य उद्देश्य भारतीय जनता के हितों को ब्रिटिश सरकार के सामने रखना और एक संगठित मंच तैयार करना था। इसकी स्थापना के पीछे कई महत्वपूर्ण कारक थे: 1. ब्रिटिश शासन की दमनकारी नीतियाँRead more
भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस की स्थापना के लिए उत्तरदायी कारक
भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस (INC) की स्थापना 1885 में हुई, जिसका मुख्य उद्देश्य भारतीय जनता के हितों को ब्रिटिश सरकार के सामने रखना और एक संगठित मंच तैयार करना था। इसकी स्थापना के पीछे कई महत्वपूर्ण कारक थे:
1. ब्रिटिश शासन की दमनकारी नीतियाँ
- ब्रिटिश सरकार की दमनकारी नीतियों, जैसे कि करों में वृद्धि, सामाजिक भेदभाव, और आर्थिक शोषण, ने भारतीयों के मन में असंतोष को जन्म दिया।
- अंग्रेजों द्वारा भारतीय उद्योगों को समाप्त करना और विदेशी वस्त्रों को बढ़ावा देना भारतीय अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव डालता था।
2. आर्थिक शोषण
- ब्रिटिश शासकों द्वारा भारतीय संसाधनों का निरंतर शोषण किया गया, जिससे भारतीय अर्थव्यवस्था कमजोर हो गई। दादाभाई नौरोजी जैसे नेताओं ने “ड्रेन ऑफ वेल्थ” की अवधारणा प्रस्तुत की, जो दर्शाती थी कि कैसे भारतीय संपत्ति ब्रिटेन ले जाई जा रही थी. शैक्षिक एवं सामाजिक जागरूकता
- अंग्रेजों द्वारा स्थापित आधुनिक शिक्षा प्रणाली ने भारतीयों को राजनीतिक विचारधारा और पश्चिमी लोकतांत्रिक मूल्यों से परिचित कराया। उच्च शिक्षित भारतीय वर्ग, जैसे कि सुरेंद्रनाथ बनर्जी और गोपाल कृष्ण गोखले, भारतीय समाज में सुधार लाने और स्वतंत्रता प्राप्ति की दिशा में काम करने लगे ।
और सार्वजनिक राय**
- भारतीय प्रेस ने भी जनमत तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। अखबारों और पत्रिकाओं के माध्यम से अंग्रेजों की नीतियों की आलोचना की गई और राष्ट्रवादी भावना को प्रोत्साहन मिला। जैसे, बंबई क्रॉनिकल, अमृत बाजार पत्रिका आदि ने जनता को जागरूक किया और ब्रिटिश नीतियों का विरोध किया ।
5. राजनका अभाव
- भारत के विभिन्न प्रांतों में अलग-अलग रियासतें और समुदाय थे। इनका आपस में अधिक संपर्क नहीं था। राष्ट्रीय एकता को प्रोत्साहित करने के लिए एक राजनीतिक संगठन की आवश्यकता महसूस की गई।
प्रारम्भिक राष्ट्रवादियों के प्रति ब्रिटिश नीतियाँ
कांग्रेस की स्थापना के बाद, ब्रिटिश सरकार ने प्रारम्भिक राष्ट्रवादी नेताओं (जिन्हें नरम दल भी कहा जाता है) के प्रति मिलाजुला रवैया अपनाया।
1. समर्थन और प्रोत्साहन
- ब्रिटिश अधिकारियों में से कुछ, जैसे ए.ओ. ह्यूम, कांग्रेस की स्थापना में शामिल हुए। उनका मानना था कि भारतीयों की समस्याओं को शांतिपूर्ण तरीके से सुना जाना चाहिए ताकि असंतोष की स्थिति को बढ़ने से रोका जा सके।
2. प्रतिबंधात्मक नीति
- जैसे-जैसे कांग्रेस ने ब्रिटिश शासन की नीतियों के खिलाफ आवाज उठाना शुरू किया, ब्रिटिश सरकार ने राष्ट्रवादी नेताओं पर प्रतिबंध लगाना शुरू कर दिया। प्रेस अधिनियम (1908) के माध्यम से प्रेस पर सेंसरशिप लगाई गई, और राष्ट्रवादी नेताओं की गतिविधियों पर निगरानी रखी गई।
3. फूट डालो और राज करो नीति
- ब्रिटिश सरकार ने कांग्रेस के भीतर फूट डालने की कोशिश की। उन्होंने मुसलमानों और हिन्दुओं के बीच सांप्रदायिक तनाव को बढ़ावा दिया और अल्पसंख्यक समुदाय को विशेष प्रतिनिधित्व देने का प्रस्ताव रखा, ताकि भारतीय समाज में एकता न बन सके।
4. कांग्रेसी नेताओं का अपमान
- ब्रिटिश सरकार ने प्रारम्भिक राष्ट्रवादी नेताओं की मांगों को न केवल अनदेखा किया बल्कि उन्हें अपमानित भी किया। उनकी मांगों को अस्वीकार कर दिया जाता था और उन्हें व्यर्थ करार दिया जाता था।
निष्कर्ष
भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस की स्थापना ने भारतीय समाज में जागरूकता और एकता का संचार किया, जो बाद में स्वतंत्रता संग्राम का आधार बना। ब्रिटिश नीतियों ने पहले नरम दल को अनदेखा किया, लेकिन जब ये नेता प्रभावी होने लगे, तो सरकार ने दबाव डालने का प्रयास किया। कांग्रेस के प्रारम्भिक नेताओं ने अहिंसा और संवैधानिक माध्यम से अपने अधिकारों की माँग की, जिससे देश में स्वतंत्रता की भावना प्रबल हुई।
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Expansion of Western and Technical Education in Bihar (1857-1947) The spread of Western and technical education in Bihar between 1857 and 1947 played a significant role in transforming the social, cultural, and political landscape of the region. The introduction of Western education was primarily drRead more
Expansion of Western and Technical Education in Bihar (1857-1947)
The spread of Western and technical education in Bihar between 1857 and 1947 played a significant role in transforming the social, cultural, and political landscape of the region. The introduction of Western education was primarily driven by British colonial policies, and it was crucial in shaping modern education and providing the tools for future social reforms in Bihar. Let’s trace the major developments during this period:
1. Early Efforts in Western Education (1857-1870)
2. Development of Western Education (1870-1900)
3. Spread of Technical Education and Professional Training (1900-1947)
4. Political and Social Impact of Education
5. Challenges Faced by Education System
Key Government Schemes in Education: