भारत में 17वीं से 19वीं शताब्दी के बीच विकसित और फली-फूली पहाड़ी चित्रकला शैली का संक्षिप्त विवरण दीजिए।(उत्तर 200 शब्दों में दें)
वैश्विक वायुमंडलीय परिसंचरण: वैश्विक वायुमंडलीय परिसंचरण पृथ्वी के वायुमंडल में ऊर्जा, वायु और नमी के वितरण की प्रक्रिया है, जो मौसम और जलवायु को नियंत्रित करती है। इसका मुख्य स्वरूप निम्नलिखित हैं: एक्वेटोरियल जेट स्ट्रीम (Equatorial Jet Stream): विवरण: भूमध्य रेखा के आसपास गर्म वायु का प्रवाह ऊँचाRead more
वैश्विक वायुमंडलीय परिसंचरण:
वैश्विक वायुमंडलीय परिसंचरण पृथ्वी के वायुमंडल में ऊर्जा, वायु और नमी के वितरण की प्रक्रिया है, जो मौसम और जलवायु को नियंत्रित करती है। इसका मुख्य स्वरूप निम्नलिखित हैं:
- एक्वेटोरियल जेट स्ट्रीम (Equatorial Jet Stream):
- विवरण: भूमध्य रेखा के आसपास गर्म वायु का प्रवाह ऊँचाई पर तेज होता है। यह वायुदाब में अंतर के कारण बनता है।
- हाडले सर्कुलेशन (Hadley Circulation):
- विवरण: भूमध्य रेखा पर गर्म वायु ऊपर उठती है, फिर उत्तर और दक्षिण में फैलती है और 30 डिग्री अक्षांश पर ठंडी होकर नीचे आती है। यह प्रणाली ट्रॉपिकल और सबट्रॉपिकल क्षेत्र में वायुमंडलीय परिसंचरण का मूल है।
- फेरल सर्कुलेशन (Ferrel Circulation):
- विवरण: 30 से 60 डिग्री अक्षांश के बीच, वायु दक्षिण से उत्तर की ओर चलती है और फिर ऊपर उठकर पूर्व की ओर बहती है। यह पश्चिमी वायु प्रवाह उत्पन्न करता है।
- पोलर सर्कुलेशन (Polar Circulation):
- विवरण: पोलर क्षेत्र में, ठंडी वायु सतह पर लाती है और एक दबाव क्षेत्र बनाती है। यह वायु पोल्स की ओर जाती है और 60 डिग्री अक्षांश पर गर्म होती है।
- वेस्टरलीज और ट्रोपिकल ईस्टरलीज़ (Westerlies and Tropical Easterlies):
- विवरण: वेस्टरलीज पश्चिम से पूर्व की ओर बहते हैं जबकि ट्रॉपिकल ईस्टरलीज़ भूमध्य रेखा से पूर्व की ओर बहते हैं। ये वायुविज्ञान और मौसम की दिशा को प्रभावित करते हैं।
वैश्विक वायुमंडलीय परिसंचरण पृथ्वी की जलवायु और मौसम पैटर्न को समझने में महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह वायु प्रवाह, वायुदाब, और मौसम की स्थितियों को नियंत्रित करता है।
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भारत में 17वीं से 19वीं शताब्दी की पहाड़ी चित्रकला: कांगड़ा चित्रकला: स्थान: हिमाचल प्रदेश का कांगड़ा क्षेत्र। विवरण: यह शैली सिख राजाओं के संरक्षण में विकसित हुई और इसका मुख्य विषय शृंगार और कृष्णलीला था। चित्रों में नाजुक रेखाएँ, सौंदर्यपूर्ण रंग, और प्राकृतिक दृश्यों का सुंदर चित्रण देखने को मिलतRead more
भारत में 17वीं से 19वीं शताब्दी की पहाड़ी चित्रकला:
इन पहाड़ी चित्रकला शैलियों ने भारतीय चित्रकला में एक विशेष स्थान प्राप्त किया, इनकी कलात्मक विविधता और धार्मिक प्रतीकात्मकता भारतीय सांस्कृतिक धरोहर को समृद्ध करती है।
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