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मानव विकास का मापन मानव विकास का मापन मानव विकास सूचकांक (Human Development Index - HDI) के माध्यम से किया जाता है, जो जीवन स्तर, शिक्षा और स्वास्थ्य के तीन प्रमुख आयामों पर आधारित है: जीवन प्रत्याशा – यह आयाम यह मापता है कि एक व्यक्ति औसतन कितने वर्षों तक जीवित रह सकता है। शिक्षा – यह शिक्षा के स्तRead more
मानव विकास का मापन
मानव विकास का मापन मानव विकास सूचकांक (Human Development Index – HDI) के माध्यम से किया जाता है, जो जीवन स्तर, शिक्षा और स्वास्थ्य के तीन प्रमुख आयामों पर आधारित है:
- जीवन प्रत्याशा – यह आयाम यह मापता है कि एक व्यक्ति औसतन कितने वर्षों तक जीवित रह सकता है।
- शिक्षा – यह शिक्षा के स्तर को मापता है, जिसमें प्राथमिक, माध्यमिक और उच्च शिक्षा के स्तर पर पहुंच और प्राप्ति को ध्यान में रखा जाता है।
- आय – यह आय के स्तर को मापता है, जो व्यक्तिगत और राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था से जुड़ा होता है।
इस सूचकांक के माध्यम से देशों और राज्यों के मानव विकास को मापने में मदद मिलती है और उन क्षेत्रों में सुधार की आवश्यकता को पहचाना जा सकता है।
बिहार सरकार की सात प्रतिबद्धताएँ
बिहार सरकार ने मानव विकास कार्य-सूची प्राप्त करने के लिए सात प्रमुख प्रतिबद्धताएँ निर्धारित की हैं। ये प्रतिबद्धताएँ निम्नलिखित हैं:
- शिक्षा का सुधार – बिहार में शिक्षा के स्तर में सुधार लाना, विशेषकर बच्चों के लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित करना।
- स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार – स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच और गुणवत्ता में सुधार करना, खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में।
- महिला सशक्तिकरण – महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए योजनाएं और कार्यक्रम शुरू करना।
- गरीबी उन्मूलन – गरीब वर्ग के जीवन स्तर को बेहतर बनाने के लिए विशेष योजनाएं।
- कृषि और ग्रामीण विकास – कृषि उत्पादन में वृद्धि और ग्रामीण क्षेत्रों में विकास को बढ़ावा देना।
- स्वच्छता और पर्यावरण संरक्षण – स्वच्छता अभियान और पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने के लिए कदम उठाना।
- आर्थिक अवसरों का सृजन – रोजगार के अवसरों का सृजन करना और व्यापारिक गतिविधियों को बढ़ावा देना।
सरकार की योजनाएँ और उनके लक्ष्यों की प्राप्ति
बिहार सरकार ने इन प्रतिबद्धताओं को हासिल करने के लिए विभिन्न योजनाएँ शुरू की हैं:
- शिक्षा में सुधार:
- मुख्यमंत्री शिक्षा समृद्धि योजना: यह योजना बिहार के सभी बच्चों को उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखती है।
- मिड-डे मील योजना: बच्चों को स्कूल में भोजन की सुविधा प्रदान करने के लिए यह योजना चलाई जा रही है, ताकि स्कूल में बच्चों की उपस्थिति बढ़े और उनकी पोषण संबंधी जरूरतें पूरी हो सकें।
- स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार:
- मुख्यमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना: यह योजना गरीब और जरूरतमंद परिवारों को स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराती है।
- आयुष्मान भारत योजना: इस योजना के तहत बिहार के गरीब परिवारों को 5 लाख रुपये तक का मुफ्त स्वास्थ्य बीमा दिया जाता है।
- महिला सशक्तिकरण:
- जेईवीका योजना (BRLPS): महिलाओं को वित्तीय और सामाजिक रूप से सशक्त बनाने के लिए यह योजना शुरू की गई है।
- मुख्यमंत्री कन्या उत्थान योजना: इस योजना का उद्देश्य बालिकाओं को शिक्षा, स्वास्थ्य, और सुरक्षा की सुविधाएं प्रदान करना है।
- गरीबी उन्मूलन:
- प्रधानमंत्री आवास योजना: इस योजना का उद्देश्य गरीब परिवारों को उनके खुद के घर उपलब्ध कराना है।
- गरीब कल्याण योजना: यह योजना खाद्य सुरक्षा, आर्थिक सहायता और अन्य सुविधाएं देने के लिए बनाई गई है।
- कृषि और ग्रामीण विकास:
- प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना: यह योजना किसानों को आर्थिक सहायता प्रदान करती है।
- मुख्यमंत्री कृषि योजना: राज्य में कृषि को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न योजनाओं का संचालन किया जा रहा है, जैसे सिंचाई सुविधाओं का विस्तार और कृषि उपकरणों की सब्सिडी।
- स्वच्छता और पर्यावरण संरक्षण:
- स्वच्छ भारत मिशन: राज्य में स्वच्छता को बढ़ावा देने के लिए यह योजना लागू की गई है, जिसमें ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में शौचालयों का निर्माण और सफाई अभियान शामिल हैं।
- जल जीवन मिशन: यह योजना जल आपूर्ति और जल संरक्षण के लिए है, ताकि हर घर तक स्वच्छ पानी पहुंच सके।
- आर्थिक अवसरों का सृजन:
- बिहार स्टार्टअप नीति: इस नीति के तहत स्टार्टअप्स और उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए वित्तीय सहायता और प्रोत्साहन दिया जाता है।
- मुख्यमंत्री रोजगार सृजन योजना: यह योजना विशेषकर युवाओं को रोजगार के अवसर प्रदान करने के लिए बनाई गई है।
निष्कर्ष
बिहार सरकार ने मानव विकास कार्य-सूची में शामिल लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए कई महत्वपूर्ण योजनाएं और कार्यक्रम शुरू किए हैं। हालांकि, इन योजनाओं का पूरा लाभ तब ही मिलेगा जब इनकी प्रभावशीलता सुनिश्चित की जाए और राज्य में समग्र विकास को प्राथमिकता दी जाए।
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India’s Response to COVID-19 and the Role of “Make in India” Concept
1. Overview of the COVID-19 Situation in India
2. Role of “Make in India” in Tackling COVID-19
Example: The Defense Research and Development Organization (DRDO) developed and produced critical medical supplies such as ventilators and face shields, contributing to India’s self-reliance during the crisis.
3. Fast Vaccination Process
Example: As of 2021, India had administered over a billion vaccine doses, marking a significant achievement in public health.
4. Social Distancing and Mask-Wearing Campaign
5. Conclusion
India’s response to COVID-19 showcased a combination of “Make in India” principles and quick action to manage a public health emergency. The nation not only focused on internal solutions, like domestic vaccine production and medical equipment manufacturing but also played a pivotal role in aiding the global fight against the pandemic. With these strategies, India showed resilience and self-reliance, which were crucial in overcoming the challenges posed by the pandemic.
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