बीरसा आन्दोलन की विशेषताओं की समीक्षा कीजिए। [66वीं बीपीएससी मुख्य परीक्षा 2020]
संथाल विद्रोह: कारण, गति और परिणाम 1. संथाल विद्रोह के कारण भूमि की असमान वितरण: संथाल जनजाति के लोग ब्रिटिश अधिकारियों और जमींदारों द्वारा उनकी ज़मीन छीनने के विरोध में थे। उधारी प्रणाली: जमींदार और साहूकार संथालों को भारी उधारी देते थे, जिससे उनकी स्थिति और खराब हो गई। शोषण और अत्याचार: ब्रिटिश प्Read more
संथाल विद्रोह: कारण, गति और परिणाम
1. संथाल विद्रोह के कारण
- भूमि की असमान वितरण: संथाल जनजाति के लोग ब्रिटिश अधिकारियों और जमींदारों द्वारा उनकी ज़मीन छीनने के विरोध में थे।
- उधारी प्रणाली: जमींदार और साहूकार संथालों को भारी उधारी देते थे, जिससे उनकी स्थिति और खराब हो गई।
- शोषण और अत्याचार: ब्रिटिश प्रशासन और ज़मींदारों द्वारा संथालों पर अत्याचार और शोषण बढ़ रहा था, जिससे वे आक्रोशित हो गए थे।
- कानूनी व्यवस्था में असमानता: स्थानीय आदिवासी जनजातियों को न्याय मिलने में समस्याएं थीं, और वे ब्रिटिश न्यायिक व्यवस्था से नाखुश थे।
2. विद्रोह की गति
- आरंभ: 30 जून 1855 को संथालों ने तत्कालीन बंगाल प्रेसीडेंसी के प्रमुख इलाकों में विद्रोह की शुरुआत की।
- संगठन और नेतृत्व: विद्रोह का नेतृत्व सिदू और कानू जैसे संथाल नेताओं ने किया।
- सैन्य बल: विद्रोहियों ने ब्रिटिश सेना और जमींदारों के खिलाफ हिंसक संघर्ष किए, जिसमें कई किलों और तहसीलों को जलाया गया।
3. परिणाम
- दमन: ब्रिटिश सरकार ने विद्रोह को दबाने के लिए क्रूर दमन नीति अपनाई। हजारों संथालों को मारा गया और बड़ी संख्या में उन्हें कैद किया गया।
- प्रभाव: इस विद्रोह ने ब्रिटिश प्रशासन को गंभीर चोट पहुंचाई, और संथालों की स्थिति में कुछ सुधार लाने के लिए कुछ नीतिगत परिवर्तन किए गए, हालांकि वे लंबे समय तक प्रभावी नहीं थे।
- संथाल परगना का निर्माण: ब्रिटिश सरकार ने संथालों को नियंत्रित करने के लिए “संथाल परगना” क्षेत्र का गठन किया, लेकिन यह स्थायी समाधान नहीं साबित हुआ।
संथाल विद्रोह ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की दिशा को प्रभावित किया और आदिवासी समुदायों के अधिकारों के प्रति समाज में जागरूकता पैदा की।
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बीरसा आन्दोलन की विशेषताओं की समीक्षा 1. आन्दोलन का उद्देश्य बीरसा मुंडा ने यह आन्दोलन आदिवासी अधिकारों की रक्षा के लिए शुरू किया। उनका मुख्य उद्देश्य अंग्रेज़ों और जमींदारों के शोषण के खिलाफ आदिवासी समुदाय को जागरूक करना था। उन्होंने आदिवासियों के धार्मिक, सामाजिक और सांस्कृतिक परंपराओं की रक्षा कीRead more
बीरसा आन्दोलन की विशेषताओं की समीक्षा
1. आन्दोलन का उद्देश्य
2. धार्मिक और सामाजिक जागरण
3. संगठन और नेतृत्व
4. प्रमुख विशेषताएँ
5. परिणाम
बीरसा मुंडा का आन्दोलन भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का एक महत्वपूर्ण हिस्सा था, जिसने न केवल आदिवासी अधिकारों की रक्षा की बल्कि सामाजिक और राजनीतिक जागरूकता भी बढ़ाई।
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