Do you agree that Indian Politics today primarily revolves around development politics rather than ascriptive politics? Discuss with reference to Bihar. [63th BPSC Mains Exam 2017]
भारत के निर्वाचन आयोग की भूमिका: स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव भारत का निर्वाचन आयोग (Election Commission of India) भारत में स्वतंत्र, निष्पक्ष और समृद्ध चुनावों को सुनिश्चित करने के लिए एक अत्यंत महत्वपूर्ण संस्था है। यह संविधान के अनुच्छेद 324 से 329 तक निर्धारित किया गया है और इसके कार्य मुख्य रूप सRead more
भारत के निर्वाचन आयोग की भूमिका: स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव
भारत का निर्वाचन आयोग (Election Commission of India) भारत में स्वतंत्र, निष्पक्ष और समृद्ध चुनावों को सुनिश्चित करने के लिए एक अत्यंत महत्वपूर्ण संस्था है। यह संविधान के अनुच्छेद 324 से 329 तक निर्धारित किया गया है और इसके कार्य मुख्य रूप से चुनावों के आयोजन, चुनाव प्रक्रिया के निष्पक्ष संचालन और मतदाताओं के अधिकारों की रक्षा से संबंधित हैं।
निर्वाचन आयोग के कार्य
- निर्वाचन प्रक्रिया का आयोजन:
- आयोग लोकसभा, विधानसभा और राष्ट्रपति चुनाव जैसे महत्वपूर्ण चुनावों के आयोजन की जिम्मेदारी निभाता है। यह चुनावी तारीखों की घोषणा करता है, मतदान प्रक्रिया की निगरानी करता है और सुनिश्चित करता है कि चुनाव शांतिपूर्वक संपन्न हो।
- चुनाव कानूनों का पालन:
- आयोग यह सुनिश्चित करता है कि सभी राजनीतिक दल और उम्मीदवार चुनाव कानूनों और आचार संहिता का पालन करें। उदाहरण स्वरूप, चुनाव प्रचार के दौरान धार्मिक और जातिगत असहमति को भड़काने से बचने के लिए आयोग सख्त नियम लागू करता है।
- मतदान की पारदर्शिता और निष्पक्षता:
- आयोग मतदान केंद्रों पर सुरक्षा व्यवस्था, मतदाताओं की सूची की अपडेटिंग, और मतपत्रों की गोपनीयता की निगरानी करता है।
- राजनीतिक दलों का पंजीकरण और निगरानी:
- आयोग नए राजनीतिक दलों का पंजीकरण करता है और यह सुनिश्चित करता है कि वे चुनावी प्रक्रिया में निष्पक्षता बनाए रखें।
- निर्वाचन सुधार:
- आयोग समय-समय पर चुनावी सुधारों के लिए सुझाव देता है, जैसे कि ईवीएम (Electronic Voting Machines) का उपयोग, VVPAT (Voter Verifiable Paper Audit Trail) की व्यवस्था आदि।
चुनावी पहचान-पत्र का उद्देश्य
चुनावी पहचान-पत्र (Voter ID) का महत्व चुनाव प्रक्रिया में बहुत अधिक है। यह मतदाता की पहचान को प्रमाणित करने के लिए एक वैध दस्तावेज होता है, जो निष्पक्ष चुनाव संचालन में मदद करता है। इसके मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित हैं:
- मतदाता की पहचान की पुष्टि:
- चुनावी पहचान-पत्र का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि मतदान करने वाला व्यक्ति वही है जो उसने पंजीकरण के समय अपने नाम से निर्दिष्ट किया था। इससे चुनावी धोखाधड़ी की संभावना कम होती है।
- अवैध मतदान को रोकना:
- इस पहचान-पत्र के जरिए यह सुनिश्चित किया जाता है कि एक व्यक्ति एक से अधिक बार मतदान नहीं कर सकता, जिससे धोखाधड़ी और नकली मतदान को रोका जा सके।
- मतदाता के अधिकारों का संरक्षण:
- यह पहचान-पत्र यह सुनिश्चित करता है कि हर भारतीय नागरिक को अपने मतदान अधिकार का उपयोग करने का मौका मिले, और चुनाव में उसकी आवाज सुनी जाए।
- निर्वाचन प्रक्रिया में पारदर्शिता:
- चुनावी पहचान-पत्र के जरिए चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता बनी रहती है, क्योंकि यह सभी मतदाताओं के लिए समान रूप से लागू होता है और चुनावी कर्तव्यों को सही तरीके से निभाने में मदद करता है।
- सुविधाजनक वोटिंग:
- यह पहचान-पत्र मतदान केंद्रों पर पहचान प्रक्रिया को सरल और तेज़ बनाता है, जिससे मतदाता बिना किसी परेशानी के अपना वोट डाल सकता है।
निष्कर्ष
भारत के निर्वाचन आयोग का कार्य एक स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करना है, ताकि लोकतंत्र की नींव मजबूत रहे। आयोग चुनावी प्रक्रिया की पारदर्शिता, सहीत, और निष्पक्षता बनाए रखने के लिए कार्य करता है। चुनावी पहचान-पत्र इस संदर्भ में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, क्योंकि यह वोटिंग प्रक्रिया में प्रामाणिकता और सुरक्षा को सुनिश्चित करता है, जिससे लोकतंत्र को और भी मजबूत किया जाता है।
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Indian politics has historically been influenced by ascriptive factors such as caste, religion, and regional identities. However, in recent years, there has been a growing emphasis on development politics, focusing on economic growth, infrastructure, education, and healthcare. This shift is evident,Read more
Indian politics has historically been influenced by ascriptive factors such as caste, religion, and regional identities. However, in recent years, there has been a growing emphasis on development politics, focusing on economic growth, infrastructure, education, and healthcare. This shift is evident, but its extent varies across regions, including Bihar.
Understanding Development Politics and Ascriptive Politics
Indian Politics Today: The Shift Toward Development
Evidence of Development Politics
Persistence of Ascriptive Politics
Bihar: A Case Study
Bihar provides a unique lens to examine the balance between development and ascriptive politics.
Transition Toward Development Politics
Persistence of Ascriptive Politics
Illustrations
Critical Analysis
Conclusion
Indian politics is gradually shifting toward development politics, as seen in Bihar’s emphasis on governance reforms and infrastructure growth. However, ascriptive politics continues to play a pivotal role, especially in candidate selection and voter mobilization.
To fully embrace development politics, it is crucial for both political leaders and voters to prioritize governance and performance over identity-based affiliations. The balance between these two paradigms will shape the future of democracy in India.
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