Discussing the estimation of poverty in India, explain the factors responsible for poverty. Which programs are being run by the Indian government to remove poverty? [63th BPSC Mains Exam 2017]
भारतीय कृषि की प्रमुख समस्याएँ और उनके समाधान भारतीय कृषि, देश की अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिसमें देश की जनसंख्या का अधिकांश हिस्सा निर्भर है। हालांकि, यह क्षेत्र आज भी कई समस्याओं से जूझ रहा है, जिनका समाधान आवश्यक है। प्रमुख समस्याएँ सिंचाई की समस्या: अधिकांश भारतीय किसान वर्षा परRead more
भारतीय कृषि की प्रमुख समस्याएँ और उनके समाधान
भारतीय कृषि, देश की अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिसमें देश की जनसंख्या का अधिकांश हिस्सा निर्भर है। हालांकि, यह क्षेत्र आज भी कई समस्याओं से जूझ रहा है, जिनका समाधान आवश्यक है।
प्रमुख समस्याएँ
- सिंचाई की समस्या:
- अधिकांश भारतीय किसान वर्षा पर निर्भर हैं, जो कि एक अनिश्चित स्रोत है। सिंचाई के साधनों की कमी और जल की बढ़ती मांग ने खेती को कठिन बना दिया है।
उदाहरण: महाराष्ट्र और राजस्थान जैसे राज्य जहाँ सूखा एक स्थायी समस्या है, कृषि कार्य पर इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
- कमजोर कृषि अवसंरचना:
- भारत में कृषि अवसंरचना जैसे सड़कें, कोल्ड स्टोरेज, कृषि उपकरणों का अभाव है। इससे किसानों को अपने उत्पादों को बाज़ार तक पहुँचाने में कठिनाई होती है और उत्पादों की बर्बादी होती है।
उदाहरण: फल और सब्ज़ियों की खराब होने की दर बहुत अधिक है, क्योंकि किसानों के पास अच्छे भंडारण और परिवहन की सुविधाएं नहीं हैं।
- उचित तकनीकी ज्ञान का अभाव:
- कृषि में नवीनतम तकनीकी ज्ञान की कमी के कारण किसानों को बेहतर पैदावार प्राप्त करने में मुश्किल होती है। पारंपरिक विधियाँ आधुनिक कृषि विधियों के मुकाबले कम प्रभावी हैं।
उदाहरण: जैविक खेती और सटीक कृषि तकनीकों की जानकारी और उपयोग में कमी, जिसके कारण कृषि उत्पादन की क्षमता सीमित रहती है।
- ऋण और वित्तीय संकट:
- छोटे और मंझले किसान वित्तीय संसाधनों की कमी के कारण बुरी तरह से प्रभावित होते हैं। उन्हें अक्सर महंगे ब्याज दरों पर ऋण लेना पड़ता है, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति बिगड़ जाती है।
उदाहरण: कर्ज़ में डूबे किसान आत्महत्या की घटनाओं का शिकार हो जाते हैं, जो एक गंभीर समस्या है।
- मूल्य नीति और विपणन:
- किसानों को उनके उत्पादों के लिए उचित मूल्य नहीं मिल पाता। कृषि उत्पादों के लिए सही बाजार मूल्य का निर्धारण और विपणन की समस्याएँ किसानों के जीवन को कठिन बना देती हैं।
उदाहरण: गेहूँ और धान की न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) में वृद्धि की बात तो होती है, लेकिन किसानों को बाज़ार में उचित मूल्य नहीं मिल पाता।
समस्याओं के समाधान
- सिंचाई की सुविधाओं में सुधार:
- सूक्ष्म सिंचाई (Micro-Irrigation) और वृष्टि आधारित सिंचाई प्रणालियों का विकास करना चाहिए। जल पुनर्चक्रण और जल संचयन के उपायों को बढ़ावा देना चाहिए।
उदाहरण: गुजरात में सूक्ष्म सिंचाई प्रणालियों का इस्तेमाल बढ़ाने से किसानों को फायदा हुआ है।
- आधुनिक कृषि अवसंरचना का विकास:
- कोल्ड स्टोरेज और वेयरहाउस सुविधाओं का निर्माण किया जाना चाहिए ताकि किसानों के उत्पादों की बर्बादी कम हो सके और उन्हें उचित मूल्य मिल सके।
उदाहरण: पंजाब में सरकारी स्तर पर कृषि उत्पादन के भंडारण और विपणन की अच्छी व्यवस्था की गई है, जो अन्य राज्यों के लिए आदर्श हो सकती है।
- तकनीकी शिक्षा और प्रशिक्षण:
- किसानों को नई तकनीकों और बेहतर कृषि पद्धतियों के बारे में शिक्षित करना चाहिए। इसके लिए कृषि विश्वविद्यालयों और प्रशिक्षण केंद्रों का नेटवर्क बढ़ाया जाना चाहिए।
उदाहरण: “कृषि विकास परियोजनाओं” के अंतर्गत किसानों को जैविक खेती और सटीक कृषि तकनीकों का प्रशिक्षण दिया जाता है।
- कृषि ऋणों पर ब्याज दरों में राहत:
- किसानों को आसान शर्तों पर ऋण उपलब्ध कराना चाहिए। सरकार को सूक्ष्म, लघु और मझोले किसानों के लिए ऋण माफी योजनाओं को प्रभावी बनाना चाहिए।
उदाहरण: भारत सरकार द्वारा चलाए गए प्रधानमंत्री कृषि सुरक्षा योजना (PM-KISAN) ने किसानों को वित्तीय सहायता प्रदान की है।
- सही मूल्य निर्धारण और विपणन प्रणाली:
- मूल्य समर्थन योजनाओं का सुधार, किसानों को उचित मूल्य देने के लिए बेहतर विपणन नेटवर्क और ई-मार्केटिंग का इस्तेमाल करना चाहिए।
उदाहरण: “ई-नामी” योजना के माध्यम से किसानों को अपनी उपज ऑनलाइन बेचने का अवसर मिलता है।
भारतीय कृषि के विकास हेतु सरकारी कार्यक्रम
- प्रधानमंत्री कृषि सुरक्षा योजना (PM-KISAN):
- यह योजना छोटे और मंझले किसानों को ₹6000 प्रति वर्ष की वित्तीय सहायता देती है। इसका उद्देश्य किसानों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाना है।
- नमामी गंगे योजना:
- गंगा नदी के जल को शुद्ध करने और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से निपटने के लिए यह योजना चलायी जा रही है, जिससे कृषि क्षेत्र को लाभ होगा।
- प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना:
- इस योजना के तहत किसानों को प्राकृतिक आपदाओं और फसल विफलता के कारण होने वाले नुकसान से बचाव के लिए बीमा कवर प्रदान किया जाता है।
- कृषि विकास बैंक (NABARD):
- NABARD किसानों को कृषि ऋण और बुनियादी सुविधाएँ प्रदान करता है, जिससे किसानों को अपनी कृषि गतिविधियों में सहायता मिलती है।
निष्कर्ष
भारतीय कृषि के सामने कई समस्याएँ हैं, लेकिन सरकार द्वारा चलाए जा रहे कार्यक्रम और योजनाएँ धीरे-धीरे इन समस्याओं का समाधान करने में मदद कर रही हैं। हालांकि, इन योजनाओं की प्रभावशीलता को बढ़ाने के लिए उन्हें किसानों की वास्तविक जरूरतों के हिसाब से और अधिक लचीला बनाना होगा। अगर इन पहलुओं पर सही तरीके से काम किया जाए तो भारतीय कृषि क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव लाया जा सकता है।
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Poverty is a pressing issue in India, affecting millions of people and hindering the country's socio-economic development. Understanding poverty, its causes, and the efforts to alleviate it is essential for creating a more equitable society. Estimation of Poverty in India 1. Poverty Line Definition:Read more
Poverty is a pressing issue in India, affecting millions of people and hindering the country’s socio-economic development. Understanding poverty, its causes, and the efforts to alleviate it is essential for creating a more equitable society.
Estimation of Poverty in India
1. Poverty Line
2. Current Statistics
Factors Responsible for Poverty
1. Economic Disparities
2. Unemployment
3. Low Agricultural Productivity
4. Population Growth
5. Education and Skill Gaps
6. Social Inequality
7. Health and Malnutrition
Government Programs to Remove Poverty
The government has launched several schemes and initiatives to tackle poverty by addressing its root causes.
1. Direct Poverty Alleviation Programs
2. Skill Development and Employment Generation
3. Food Security
4. Housing and Basic Services
5. Financial Inclusion
6. Education and Health
Challenges in Eradicating Poverty
Conclusion
Poverty in India is a multifaceted problem requiring a comprehensive and sustained approach. While the government’s initiatives like MGNREGA, PMJDY, and NFSA have shown positive impacts, challenges remain in effective implementation and targeting. Greater emphasis on education, skill development, and inclusive economic growth is essential to lift millions out of poverty and ensure a better quality of life for all. With coordinated efforts between the Centre, States, and civil society, India can move closer to achieving its goal of eradicating poverty.
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