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चूंकि भारत अपने पड़ोस की पुनः कल्पना कर रहा है, इसलिए उप-क्षेत्रों के माध्यम से सीमा पार कनेक्टिविटी तेजी से महत्वपूर्ण होती जा रही है। विश्लेषण कीजिए। (250 शब्दों में उत्तर दीजिए)
भारत का पड़ोसी क्षेत्र, विशेषकर दक्षिण एशिया, क्षेत्रीय कनेक्टिविटी और सहयोग में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। सीमा पार कनेक्टिविटी की प्रक्रिया को पुनः कल्पित करने के प्रयासों के तहत, भारत विभिन्न उप-क्षेत्रीय पहलुओं पर ध्यान केंद्रित कर रहा है जो आर्थिक विकास, क्षेत्रीय सुरक्षा, और सामाजिक समन्वय कRead more
भारत का पड़ोसी क्षेत्र, विशेषकर दक्षिण एशिया, क्षेत्रीय कनेक्टिविटी और सहयोग में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। सीमा पार कनेक्टिविटी की प्रक्रिया को पुनः कल्पित करने के प्रयासों के तहत, भारत विभिन्न उप-क्षेत्रीय पहलुओं पर ध्यान केंद्रित कर रहा है जो आर्थिक विकास, क्षेत्रीय सुरक्षा, और सामाजिक समन्वय को प्रोत्साहित करते हैं।
पहली चुनौती सीमा पार कनेक्टिविटी में बुनियादी ढांचे की कमी है। भारत ने इस दिशा में कई महत्वपूर्ण परियोजनाएं शुरू की हैं जैसे कि भारत-बांग्लादेश सीमा पर सड़क और रेल नेटवर्क का विस्तार। ये परियोजनाएं व्यापार और आर्थिक गतिविधियों को सरल बनाती हैं, जो न केवल भारत बल्कि पड़ोसी देशों के लिए भी लाभकारी हैं।
दूसरी चुनौती क्षेत्रीय सुरक्षा की है। सीमा पार कनेक्टिविटी को बढ़ावा देने के साथ-साथ, भारत सुरक्षा मामलों को भी संज्ञान में ले रहा है। इसके लिए, वह बांग्लादेश, नेपाल और भूटान जैसे देशों के साथ सुरक्षा सहयोग को मजबूत कर रहा है ताकि सीमा पार अपराध और आतंकवाद को रोका जा सके।
तीसरी चुनौती क्षेत्रीय एकता को बढ़ावा देना है। भारत ने दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संघ (SAARC) और अन्य उप-क्षेत्रीय समूहों के माध्यम से सहयोग को प्रोत्साहित किया है। इसके अलावा, भारत ने “साउथ एशिया गेटवे” जैसे प्रस्तावित कार्यक्रमों के माध्यम से समृद्धि और संपर्क को बढ़ाने की दिशा में कदम उठाए हैं।
इन पहलुओं के माध्यम से, भारत अपने पड़ोसी देशों के साथ संपर्क और सहयोग को मजबूत कर रहा है, जो न केवल क्षेत्रीय समृद्धि को बढ़ावा देता है बल्कि राजनीतिक और आर्थिक स्थिरता भी सुनिश्चित करता है।
See lessभारतीय डायस्पोरा भारत के आर्थिक हितों का लाभ उठाने और इसकी विदेश नीति को आकार देने में एक निर्णायक भूमिका निभाते हैं। इस संदर्भ में, भारतीय डायस्पोरा द्वारा सामना की जाने वाली प्रमुख चुनौतियों और उनके साथ जुड़ाव को बढ़ाने के लिए भारत द्वारा उठाए गए कदमों की विवेचना कीजिए। (250 शब्दों में उत्तर दीजिए)
भारतीय डायस्पोरा, जो विभिन्न देशों में फैला हुआ है, भारत के आर्थिक और विदेश नीति के हितों को साकार करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह डायस्पोरा भारत की छवि को वैश्विक स्तर पर मजबूत करने, विदेशी निवेश को आकर्षित करने और भारत के सांस्कृतिक कूटनीति को बढ़ावा देने में सहायक होता है। हालांकि, भाRead more
भारतीय डायस्पोरा, जो विभिन्न देशों में फैला हुआ है, भारत के आर्थिक और विदेश नीति के हितों को साकार करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह डायस्पोरा भारत की छवि को वैश्विक स्तर पर मजबूत करने, विदेशी निवेश को आकर्षित करने और भारत के सांस्कृतिक कूटनीति को बढ़ावा देने में सहायक होता है।
हालांकि, भारतीय डायस्पोरा को कुछ प्रमुख चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। इनमें सांस्कृतिक पहचान को बनाए रखना, स्थानीय समाज में समरसता स्थापित करना, और भारतीय मूल के नागरिकों की पहचान और अधिकारों को सुनिश्चित करना शामिल है। इसके अतिरिक्त, प्रवासियों को स्थानीय कानूनी और प्रशासनिक सिस्टम के साथ समन्वय में कठिनाइयाँ आ सकती हैं, और कभी-कभी सांस्कृतिक भिन्नताओं के कारण उन्हें भेदभाव का सामना भी करना पड़ सकता है।
इन चुनौतियों का समाधान करने के लिए भारत सरकार ने कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। भारतीय सरकार ने ‘प्रवासी भारतीय दिवस’ जैसे कार्यक्रमों का आयोजन किया है जो डायस्पोरा के साथ सांस्कृतिक और व्यावसायिक जुड़ाव को प्रोत्साहित करते हैं। इसके अतिरिक्त, NRI (नॉन-रेसिडेंट इंडियन) और PIO (पीआईओ) कार्डों के माध्यम से, प्रवासियों को भारत में विशेष सुविधाएँ और अधिकार प्रदान किए गए हैं। भारत सरकार ने विभिन्न देशों में भारतीय मिशनों को मजबूत किया है ताकि प्रवासियों को सहायता और मार्गदर्शन मिल सके।
इन प्रयासों के माध्यम से, भारतीय सरकार अपने डायस्पोरा के साथ बेहतर संवाद स्थापित करने और उनके हितों को संरक्षित करने में सक्षम रही है, जिससे भारतीय डायस्पोरा की वैश्विक भूमिका और प्रभाव को बढ़ावा मिला है।
See lessभारत को पड़ोस प्रथम" नीति को मजबूती प्रदान करने के लिए नेपाल के साथ एक संवेदनशील और उदार भागीदार बनने की आवश्यकता है। इस संदर्भ में, भारत-नेपाल संबंधों में हालिया बाधाओं का उल्लेख कीजिए और आगे की राह सुझाइए। (250 शब्दों में उत्तर दीजिए)
भारत-नेपाल संबंधों में हालिया बाधाएँ और भविष्य की दिशा: हालिया बाधाएँ: सीमा विवाद: भारत और नेपाल के बीच सीमा विवाद ने द्विपक्षीय संबंधों को तनावपूर्ण बना दिया है। नेपाल द्वारा 2019 में अपने नए राजनीतिक मानचित्र में भारतीय क्षेत्र कालापानी, लिंपियाधुरा, और लिंपियाधुरा को शामिल करने की घोषणा के बाद सेRead more
भारत-नेपाल संबंधों में हालिया बाधाएँ और भविष्य की दिशा:
हालिया बाधाएँ:
आगे की राह:
निष्कर्ष:
भारत को “पड़ोस प्रथम” नीति के तहत नेपाल के साथ एक संवेदनशील और उदार भागीदार बनने के लिए अपने दृष्टिकोण में सुसंगतता और सावधानी बरतनी चाहिए। सीमा विवाद, राजनीतिक मतभेद और परियोजना की देरी जैसी बाधाओं को पार करने के लिए स्थिरता और सहयोग की ओर कदम बढ़ाना आवश्यक है। यह न केवल द्विपक्षीय संबंधों को सुदृढ़ करेगा, बल्कि क्षेत्रीय स्थिरता को भी बढ़ावा देगा।
See lessऑस्ट्रेलिया-जापान-यू.एस. त्रिपक्षीय समूह के मजबूत होने सहित संपूर्ण इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में किए जा रहे सुरक्षा सहयोग संबंधी नवीन प्रयासों के आलोक में, वर्तमान भू-राजनीतिक परिदृश्य में क्वाड (QUAD) की प्रासंगिकता पर चर्चा कीजिए। (250 शब्दों में उत्तर दीजिए)
क्वाड (QUAD) की प्रासंगिकता: क्वाड - एक रणनीतिक समूह जिसमें ऑस्ट्रेलिया, भारत, जापान, और अमेरिका शामिल हैं - वर्तमान भू-राजनीतिक परिदृश्य में विशेष महत्व रखता है। इसके अस्तित्व और विकास के पीछे कई प्रमुख कारण हैं: इंडो-पैसिफिक सुरक्षा: क्वाड का मुख्य उद्देश्य इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में सुरक्षा और स्थिRead more
क्वाड (QUAD) की प्रासंगिकता:
क्वाड – एक रणनीतिक समूह जिसमें ऑस्ट्रेलिया, भारत, जापान, और अमेरिका शामिल हैं – वर्तमान भू-राजनीतिक परिदृश्य में विशेष महत्व रखता है। इसके अस्तित्व और विकास के पीछे कई प्रमुख कारण हैं:
चुनौतियाँ और आलोचनाएँ:
निष्कर्ष:
क्वाड का विकास और उसका स्थायित्व इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में स्थिरता और सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है। इसके सदस्य देशों के बीच सहयोग और सामरिक साझेदारी क्षेत्रीय और वैश्विक सुरक्षा परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण संतुलन बनाए रखता है, खासकर चीन की बढ़ती गतिविधियों के बीच। क्वाड का उद्देश्य क्षेत्रीय स्थिरता को बढ़ावा देना और एक साझा, मुक्त, और खुले इंडो-पैसिफिक का समर्थन करना है।
See lessभारत अपने दक्षिण एशियाई पड़ोसी देशों के साथ अपने दृष्टिकोण में अब 'केवल द्विपक्षवाद' के लिए प्रतिबद्ध नहीं है। विवंचना कीजिए। साथ ही, इस क्षेत्र में प्रभावी सहयोग से संबंधित चुनौतियों को भी रेखांकित कीजिए। (250 शब्दों में उत्तर दीजिए)
भारत का दक्षिण एशियाई दृष्टिकोण: भारत ने अपने दक्षिण एशियाई पड़ोसी देशों के साथ संबंधों में 'केवल द्विपक्षवाद' की पारंपरिक नीति से बाहर जाकर एक समग्र क्षेत्रीय दृष्टिकोण अपनाया है। इसका उद्देश्य क्षेत्रीय स्थिरता, विकास, और सहयोग को बढ़ावा देना है। दृष्टिकोण में बदलाव के कारण: क्षेत्रीय एकता को प्रोRead more
भारत का दक्षिण एशियाई दृष्टिकोण:
भारत ने अपने दक्षिण एशियाई पड़ोसी देशों के साथ संबंधों में ‘केवल द्विपक्षवाद’ की पारंपरिक नीति से बाहर जाकर एक समग्र क्षेत्रीय दृष्टिकोण अपनाया है। इसका उद्देश्य क्षेत्रीय स्थिरता, विकास, और सहयोग को बढ़ावा देना है।
दृष्टिकोण में बदलाव के कारण:
चुनौतियाँ:
निष्कर्ष:
भारत का क्षेत्रीय दृष्टिकोण केवल द्विपक्षीय रिश्तों से परे जाकर एक समग्र क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ावा देता है, लेकिन इसके लिए कई प्रशासनिक, राजनीतिक, और सुरक्षा संबंधी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। इन चुनौतियों का समाधान कर के ही भारत दक्षिण एशिया में स्थिरता और विकास को साकार कर सकता है।
See lessनाभिकीय सुरक्षा के क्षेत्र में अंतरर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) द्वारा निभाई जाने वाली भूमिका पर चर्चा कीजिए। (150 शब्दों में उत्तर दीजिए)
अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) नाभिकीय सुरक्षा के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है: सुरक्षा मानक और मार्गदर्शन: IAEA नाभिकीय सुरक्षा के लिए वैश्विक मानक और दिशा-निर्देश प्रदान करती है। यह सुरक्षा प्रक्रियाओं और प्रोटोकॉल को मानकीकृत करके दुर्घटनाओं और आतंकवादी हमलों के जोखिम कोRead more
अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) नाभिकीय सुरक्षा के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है:
इस प्रकार, IAEA वैश्विक नाभिकीय सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण संरचनात्मक और प्रबंधकीय भूमिकाएँ निभाती है।
See lessदक्षिण एशिया से एकमात्र G20 सदस्य के रूप में, भारत के लिए G20 का नेतृत्व वैश्विक स्तर पर दक्षिण एशिया की आवाज को बुलंद करने के लिए एक प्रभावी मंच के तौर पर इस समूह का उपयोग करने हेतु एक आदर्श अवसर है। टिप्पणी कीजिए। (150 शब्दों में उत्तर दीजिए)
दक्षिण एशिया से एकमात्र G20 सदस्य के रूप में, भारत के लिए G20 का नेतृत्व एक महत्वपूर्ण अवसर प्रदान करता है: दक्षिण एशिया की आवाज को बुलंद करना: भारत G20 मंच का उपयोग कर दक्षिण एशिया के विकासात्मक मुद्दों और प्राथमिकताओं को वैश्विक स्तर पर उजागर कर सकता है। यह क्षेत्रीय समस्याओं, जैसे गरीबी, जलवायु पRead more
दक्षिण एशिया से एकमात्र G20 सदस्य के रूप में, भारत के लिए G20 का नेतृत्व एक महत्वपूर्ण अवसर प्रदान करता है:
इस प्रकार, G20 के नेतृत्व का भारत के लिए उपयोग दक्षिण एशिया की प्राथमिकताओं और मुद्दों को वैश्विक मंच पर प्रस्तुत करने का एक प्रभावी साधन है।
See lessयू.एन. पीसकीपिंग संबंधी प्रयासों में भारत के योगदान का वर्णन कीजिए। साथ ही, यू.एन. पीसकीपिंग फोर्सेज द्वारा सामना की जाने वाली चुनौतियों को भी रेखांकित कीजिए। (150 शब्दों में उत्तर दीजिए)
भारत के योगदान: भारत ने संयुक्त राष्ट्र शांति स्थापना (पीसकीपिंग) अभियानों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। भारत ने 1950 के दशक से लेकर अब तक कई अभियानों में सक्रिय रूप से भाग लिया है, जिसमें सैनिक, पुलिस, और नागरिक कर्मियों का योगदान शामिल है। भारत ने शांति सैनिकों की सबसे बड़ी टुकड़ी भेजी है और विभRead more
भारत के योगदान: भारत ने संयुक्त राष्ट्र शांति स्थापना (पीसकीपिंग) अभियानों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। भारत ने 1950 के दशक से लेकर अब तक कई अभियानों में सक्रिय रूप से भाग लिया है, जिसमें सैनिक, पुलिस, और नागरिक कर्मियों का योगदान शामिल है। भारत ने शांति सैनिकों की सबसे बड़ी टुकड़ी भेजी है और विभिन्न संकट क्षेत्रों में शांति बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण योगदान दिया है। भारत का योगदान विशेष रूप से अफ्रीका, मध्य पूर्व, और दक्षिण एशिया में उल्लेखनीय रहा है।
चुनौतियाँ:
इन चुनौतियों के बावजूद, भारत का पीसकीपिंग में योगदान वैश्विक शांति और स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण है।
See lessभारत को प्राप्त शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की अध्यक्षता न केवल इसे मध्य एशियाई देशों के साथ अपने संबंधों को मजबूत करने का अवसर प्रदान करती है बल्कि इसके आर्थिक और सुरक्षा हितों को भी बढ़ावा देती है। विवेचना कीजिए। (150 शब्दों में उत्तर दीजिए)
भारत को प्राप्त शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की अध्यक्षता उसे कई महत्वपूर्ण अवसर प्रदान करती है: मध्य एशियाई देशों के साथ संबंधों को मजबूत करना: SCO की अध्यक्षता के दौरान, भारत मध्य एशियाई देशों के साथ राजनीतिक, आर्थिक, और सांस्कृतिक संबंधों को मजबूत कर सकता है। यह क्षेत्र भारत के ऊर्जा और व्यापारिक हितोRead more
भारत को प्राप्त शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की अध्यक्षता उसे कई महत्वपूर्ण अवसर प्रदान करती है:
इस प्रकार, SCO की अध्यक्षता भारत को मध्य एशिया में अपने राजनीतिक और आर्थिक प्रभाव को बढ़ाने और सुरक्षा सहयोग में अग्रणी भूमिका निभाने का महत्वपूर्ण अवसर प्रदान करती है।
See lessभारत और CARICOM सदस्य देशों के बीच सहयोग के संभावित क्षेत्रों पर प्रकाश डालते हुए, उन विभिन्न उपायों पर चर्चा कीजिए जो हाल के दिनों में कैरेबियाई देशों के साथ भारत के संबंधों को मजबूत करने के लिए किए गए हैं। (150 शब्दों में उत्तर दीजिए)
भारत और CARICOM देशों के बीच सहयोग के संभावित क्षेत्रों में प्रमुख निम्नलिखित हैं: आर्थिक और व्यापारिक सहयोग: दोनों पक्षों ने व्यापारिक संबंधों को बढ़ावा देने के लिए साझा व्यापार समझौतों और निवेश योजनाओं पर सहमति जताई है। भारत ने कैरेबियन देशों को निर्यात सहायता, विशेषकर दवाइयों और तकनीकी उपकरणों केRead more
भारत और CARICOM देशों के बीच सहयोग के संभावित क्षेत्रों में प्रमुख निम्नलिखित हैं:
हाल ही में, भारत ने CARICOM देशों के साथ उच्च स्तरीय वार्ता और द्विपक्षीय समझौतों के माध्यम से इन संबंधों को और मजबूत किया है।
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