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“भारत और चीन के बीच द्विपक्षीय संबंधों के संदर्भ में तालमेल और प्रतिद्वंद्विता के प्रमुख क्षेत्रों का विश्लेषण करें। चर्चा करें कि भारत किस प्रकार अपनी आर्थिक समुत्थानशक्ति को बढ़ावा देते हुए चीन के प्रभाव को रणनीतिक रूप से संतुलित कर सकता है’। (200 शब्द)
यह उत्तर भारत और चीन के बीच द्विपक्षीय संबंधों में तालमेल और प्रतिद्वंद्विता के प्रमुख क्षेत्रों पर एक समग्र विश्लेषण प्रदान करता है, लेकिन इसमें कुछ महत्वपूर्ण तथ्य और आंकड़े की कमी है। सहयोग और प्रतिद्वंद्विता के प्रमुख क्षेत्रों को सही ढंग से प्रस्तुत किया गया है, जैसे आर्थिक, व्यापारिक और प्रौद्Read more
यह उत्तर भारत और चीन के बीच द्विपक्षीय संबंधों में तालमेल और प्रतिद्वंद्विता के प्रमुख क्षेत्रों पर एक समग्र विश्लेषण प्रदान करता है, लेकिन इसमें कुछ महत्वपूर्ण तथ्य और आंकड़े की कमी है।
सहयोग और प्रतिद्वंद्विता के प्रमुख क्षेत्रों को सही ढंग से प्रस्तुत किया गया है, जैसे आर्थिक, व्यापारिक और प्रौद्योगिकी में सहयोग, जबकि व्यापार घाटा और भू-राजनीतिक प्रतिस्पर्धा में प्रतिद्वंद्विता की चर्चा की गई है।
भारत के आर्थिक समुत्थान के लिए उपयुक्त रणनीतियाँ, जैसे आत्मनिर्भरता, आपूर्ति श्रृंखला का विविधीकरण, और रणनीतिक साझेदारियों का सुदृढ़ीकरण अच्छे सुझाव हैं।
घरेलू नवाचार और प्रौद्योगिकी में निवेश को बढ़ावा देने का दृष्टिकोण स्पष्ट और प्रासंगिक है।
मिस्ससिंग फैक्ट्स:
भारत-चीन व्यापार घाटे का विशिष्ट आंकड़ा और विस्तृत जानकारी का अभाव है, जैसे 2022 में व्यापार घाटा कितना था और यह किस प्रकार बढ़ रहा है।
भारत की वर्तमान विदेश नीति, जैसे चीन के साथ व्यापार असंतुलन को कैसे संबोधित किया जा रहा है, इसका उल्लेख नहीं किया गया।
Yamuna आप फीडबैक का भी उपयोग कर सकती हो।
चीन के प्रभाव से निपटने के लिए कुछ विशिष्ट उदाहरण या पहल, जैसे “क्वाड” (Quad) और “एशिया इंफ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट बैंक” (AIIB) में भारत की भूमिका, पर बात नहीं की गई है।
See lessसुझाव: उत्तर में आंकड़े, भारत की विदेश नीति, और चीन के प्रभाव से निपटने के लिए भारत की सक्रिय कूटनीतिक पहलों को शामिल किया जा सकता है, ताकि विश्लेषण अधिक व्यापक और गहरा हो।
“भारत और चीन के बीच द्विपक्षीय संबंधों के संदर्भ में तालमेल और प्रतिद्वंद्विता के प्रमुख क्षेत्रों का विश्लेषण करें। चर्चा करें कि भारत किस प्रकार अपनी आर्थिक समुत्थानशक्ति को बढ़ावा देते हुए चीन के प्रभाव को रणनीतिक रूप से संतुलित कर सकता है’। (200 शब्द)
यह उत्तर भारत और चीन के द्विपक्षीय संबंधों में तालमेल और प्रतिद्वंद्विता के प्रमुख क्षेत्रों पर अच्छी चर्चा करता है, लेकिन कुछ महत्वपूर्ण तथ्य और आंकड़े की कमी है। सकारात्मक बिंदु: सहयोग और प्रतिद्वंद्विता के क्षेत्रों को सही तरीके से पहचाना गया है, जैसे व्यापार, जलवायु परिवर्तन पर सहयोग, सीमा विवादRead more
यह उत्तर भारत और चीन के द्विपक्षीय संबंधों में तालमेल और प्रतिद्वंद्विता के प्रमुख क्षेत्रों पर अच्छी चर्चा करता है, लेकिन कुछ महत्वपूर्ण तथ्य और आंकड़े की कमी है।
सकारात्मक बिंदु:
सहयोग और प्रतिद्वंद्विता के क्षेत्रों को सही तरीके से पहचाना गया है, जैसे व्यापार, जलवायु परिवर्तन पर सहयोग, सीमा विवाद, और भू-राजनीतिक प्रतिस्पर्धा।
आर्थिक समुत्थानशक्ति को बढ़ावा देने के लिए उचित रणनीतियाँ दी गई हैं, जैसे आत्मनिर्भरता, आपूर्ति श्रृंखला का विविधीकरण, और रणनीतिक साझेदारियों का सुदृढ़ीकरण।
सीमा विवादों के शांतिपूर्ण समाधान का सुझाव प्रासंगिक और महत्वपूर्ण है।
मिस्ससिंग फैक्ट्स:
आंकड़ों का अभाव है, जैसे भारत-चीन व्यापार का आंकड़ा, व्यापार असंतुलन, या चीन के साथ भारत का वार्षिक व्यापार घाटा। इन आंकड़ों से यह और स्पष्ट हो सकता था कि व्यापार के क्षेत्र में असंतुलन किस हद तक गंभीर है।
See lessVijayaआप इस फीडबैक का भी उपयोग कर सकते हैं।
चीन के बढ़ते प्रभाव को संतुलित करने के लिए भारत की वर्तमान विदेश नीति या द्विपक्षीय प्रयासों की जानकारी का अभाव है, जैसे “भारत-चीन 1993 शांति और स्थिरता समझौता”।
घरेलू नवाचार और प्रौद्योगिकी में निवेश के संदर्भ में भारत की वर्तमान स्थिति और सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों का विवरण नहीं दिया गया।
सुझाव: उत्तर में आंकड़े, द्विपक्षीय समझौतों, और भारत की वर्तमान विदेश नीति पर अधिक प्रकाश डाला जा सकता है, ताकि इसे और प्रभावी बनाया जा सके।
उत्तर भारत में फसल अवशेष और पराली जलाने से उत्पन्न वायु प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिए एक समग्र समाधान तैयार करना आवश्यक है। इस पर चर्चा करें। (200 शब्द)
यह उत्तर उत्तर भारत में फसल अवशेष और पराली जलाने से उत्पन्न वायु प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिए केंद्र सरकार के प्रयासों पर अच्छी चर्चा करता है, लेकिन कुछ पहलुओं में और सुधार किया जा सकता है। सकारात्मक बिंदु: सरकारी प्रयासों की जानकारी दी गई है, जैसे फसल अवशेष प्रबंधन मशीनरी के लिए वित्तीय सहायतRead more
यह उत्तर उत्तर भारत में फसल अवशेष और पराली जलाने से उत्पन्न वायु प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिए केंद्र सरकार के प्रयासों पर अच्छी चर्चा करता है, लेकिन कुछ पहलुओं में और सुधार किया जा सकता है।
सकारात्मक बिंदु:
सरकारी प्रयासों की जानकारी दी गई है, जैसे फसल अवशेष प्रबंधन मशीनरी के लिए वित्तीय सहायता और बायोमास उपयोग से जुड़ी पहलें।
आंकड़ों का सही उपयोग किया गया है, जैसे पंजाब में 2024 में पराली जलाने की घटनाओं की संख्या का 2022 से तुलना करना, जो वास्तविक बदलाव को दर्शाता है।
मिस्ससिंग फैक्ट्स
उत्तर में केवल केंद्र सरकार की योजनाओं और उपायों का उल्लेख किया गया है, जबकि राज्य सरकारों और अन्य स्थानीय प्रयासों की भी चर्चा की जानी चाहिए।
See lessफसल अवशेष प्रबंधन के लिए किसानों के बीच जागरूकता अभियान और प्रशिक्षण के प्रयासों का विवरण नहीं दिया गया है, जो महत्वपूर्ण हैं।
Purush आप इस फीडबैक का भी उपयोग कर सकते हैं।
उत्तर में थर्मल पावर प्लांट्स के बायोमास को-फायरिंग की प्रक्रिया की अधिक विस्तार से व्याख्या की जा सकती थी, ताकि यह समझ में आए कि यह किस प्रकार वायु प्रदूषण को कम करता है।
सुझाव: उत्तर में राज्य सरकारों के प्रयास और किसानों के लिए शिक्षा और जागरूकता अभियान को भी शामिल किया जाना चाहिए।
उत्तर भारत में फसल अवशेष और पराली जलाने से उत्पन्न वायु प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिए एक समग्र समाधान तैयार करना आवश्यक है। इस पर चर्चा करें। (200 शब्द)
यह उत्तर उत्तर भारत में फसल अवशेष और पराली जलाने से उत्पन्न वायु प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिए एक समग्र समाधान पर अच्छी चर्चा करता है, लेकिन इसमें कुछ महत्वपूर्ण तथ्य और आंकड़े की कमी है। समस्या का स्वरूप अच्छी तरह से स्पष्ट किया गया है, जिसमें प्रदूषण के प्रकार और मृदा स्वास्थ्य पर प्रभाव की चRead more
यह उत्तर उत्तर भारत में फसल अवशेष और पराली जलाने से उत्पन्न वायु प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिए एक समग्र समाधान पर अच्छी चर्चा करता है, लेकिन इसमें कुछ महत्वपूर्ण तथ्य और आंकड़े की कमी है।
समस्या का स्वरूप अच्छी तरह से स्पष्ट किया गया है, जिसमें प्रदूषण के प्रकार और मृदा स्वास्थ्य पर प्रभाव की चर्चा है।
जैव-अपघटक तकनीक (PUSA Decomposer) और फसल अवशेष प्रबंधन मशीनरी जैसे समाधान उचित रूप से बताए गए हैं।
वैकल्पिक उपयोग के क्षेत्र भी अच्छे तरीके से प्रस्तुत किए गए हैं, जैसे पशु चारा, बायोमास ऊर्जा, और बायोमास आधारित उद्योग।
मिस्ससिंग फैक्ट्स:
आंकड़ों की कमी है, जैसे पराली जलाने से हर साल कितनी वायु प्रदूषण की स्थिति उत्पन्न होती है। उदाहरण के लिए, 2019 में 20-25% वायु प्रदूषण की समस्या पराली जलाने से उत्पन्न हुई थी (केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़े)।
राज्यों और केंद्र सरकार द्वारा की गई पहलें और योजनाओं का उल्लेख नहीं किया गया है। जैसे कि प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना, जो किसानों को प्रोत्साहित करती है।
Preetam आप इस फीडबैक का भी उपयोग कर सकते हैं।
जागरूकता अभियान और किसानों के लिए प्रशिक्षित करने के प्रयासों का विस्तृत विवरण नहीं दिया गया है।
See lessसुझाव: उत्तर में अधिक आंकड़े और सरकारी योजनाओं की जानकारी दी जानी चाहिए, ताकि समाधान अधिक प्रभावी और वास्तविक दिखे।
उत्तर भारत में फसल अवशेष और पराली जलाने से उत्पन्न वायु प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिए एक समग्र समाधान तैयार करना आवश्यक है। इस पर चर्चा करें। (200 शब्द)
मूल्यांकन और प्रतिक्रिया यह उत्तर फसल अवशेष और पराली जलाने के कारण उत्पन्न वायु प्रदूषण की समस्या पर एक समग्र दृष्टिकोण प्रस्तुत करता है। इसमें समस्या की प्रकृति, समाधान के तकनीकी और वित्तीय पहलुओं, तथा जागरूकता पर ध्यान दिया गया है। उत्तर संरचनात्मक और तार्किक है, लेकिन इसमें कुछ महत्वपूर्ण आँकड़ोंRead more
मूल्यांकन और प्रतिक्रिया
यह उत्तर फसल अवशेष और पराली जलाने के कारण उत्पन्न वायु प्रदूषण की समस्या पर एक समग्र दृष्टिकोण प्रस्तुत करता है। इसमें समस्या की प्रकृति, समाधान के तकनीकी और वित्तीय पहलुओं, तथा जागरूकता पर ध्यान दिया गया है। उत्तर संरचनात्मक और तार्किक है, लेकिन इसमें कुछ महत्वपूर्ण आँकड़ों और तथ्यों की कमी है, जिससे इसे और अधिक प्रभावी बनाया जा सकता है।
उत्तर की ताकतें:
स्पष्ट संरचना: उत्तर में समस्या, समाधान और निष्कर्ष के लिए स्पष्ट खंड बनाए गए हैं।
समग्र समाधान: जैव-अपघटक तकनीक, मशीनरी, सब्सिडी, और वैकल्पिक उपयोगों का सुझाव देना एक समग्र दृष्टिकोण दर्शाता है।
शिक्षा और जागरूकता पर ध्यान: किसानों को प्रशिक्षित करने की बात करना एक महत्वपूर्ण पहल है।
सुधार के सुझाव:
Parth आप इस फीडबैक का भी उपयोग कर सकते हैं।
आँकड़ों की कमी: पराली जलाने से उत्पन्न प्रदूषण के आँकड़े, जैसे कि दिल्ली की वायु गुणवत्ता में पराली जलाने का योगदान (लगभग 40% अक्टूबर-नवंबर में), जोड़े जा सकते हैं।
See lessस्वास्थ्य प्रभाव: प्रदूषण से होने वाली बीमारियों, जैसे श्वसन रोग, और इसके कारण होने वाली स्वास्थ्य लागत का उल्लेख किया जाना चाहिए।
सरकारी नीतियों का उल्लेख: राष्ट्रीय फसल अवशेष प्रबंधन नीति (NPMCR) या संबंधित योजनाओं का उल्लेख करना उपयोगी होगा।
आर्थिक प्रभाव: पराली जलाने के कारण भारत में वायु प्रदूषण से होने वाले वार्षिक आर्थिक नुकसान (लगभग $95 बिलियन) का उल्लेख किया जा सकता है।
चुनौतियों का उल्लेख: हैप्पी सीडर जैसी मशीनों की उच्च लागत और छोटे किसानों द्वारा उन्हें अपनाने में आने वाली व्यावहारिक चुनौतियों पर चर्चा होनी चाहिए।
जोड़े जाने वाले आँकड़े और तथ्य:
पराली जलाने से हर साल लगभग 149 मिलियन टन CO2 उत्सर्जित होती है।
सरकार ने पंजाब और हरियाणा में मशीनरी पर सब्सिडी के लिए ₹1000 करोड़ का प्रावधान किया है।
स्वास्थ्य संबंधी आँकड़े: वायु प्रदूषण के कारण 2020 में भारत में लगभग 1.7 मिलियन मौतें हुईं।
सुधार के बाद यह उत्तर अधिक तथ्यात्मक, संतुलित और प्रभावशाली होगा।
Discuss the need for holistic solutions to address the problem of air pollution caused by crop residue and stubble burning in North India. (200 Words)
The answer offers a comprehensive discussion of the problem of stubble burning and air pollution in North India, highlighting the need for a holistic approach. It effectively addresses multiple facets of the issue, including the economic, environmental, and health impacts, while proposing various soRead more
The answer offers a comprehensive discussion of the problem of stubble burning and air pollution in North India, highlighting the need for a holistic approach. It effectively addresses multiple facets of the issue, including the economic, environmental, and health impacts, while proposing various solutions such as biofuels, composting, technology upgrades, and market creation for agricultural waste.
Strengths:
The answer includes concrete examples like the Happy Seeder and bioenergy facilities, providing a practical basis for solutions.
It covers both technological and policy interventions, emphasizing the importance of collaboration among stakeholders.
The mention of health impacts (respiratory and cardiovascular diseases) and environmental damage (soil erosion, greenhouse gases) is pertinent.
Missing Facts/Data:
Specific Data on Pollution: The answer does not cite specific figures such as the estimated 6-7 million tons of carbon dioxide and 70,000 tons of particulate matter emitted annually from stubble burning in Punjab and Haryana.
Health Impact Details: More specific data on health impacts, such as the increase in respiratory diseases or the percentage of Delhi’s pollution attributed to stubble burning, would strengthen the argument.
Swaswati You can use this feedback also
Government Programs: While the answer mentions subsidies and regulations, it lacks details on current initiatives like the National Green Tribunal’s penalties or the extent to which government subsidies for machinery are effective.
Suggestions:
Include specific statistics to emphasize the scale of the issue.
See lessProvide more details on the success or shortcomings of current government interventions and technology adoption.
Discuss the need for holistic solutions to address the problem of air pollution caused by crop residue and stubble burning in North India. (200 Words)
The answer provides a clear and structured approach to addressing the issue of air pollution caused by crop residue and stubble burning in North India. It identifies several critical components, such as economic incentives, scientific innovation, awareness, regulations, and collaboration, which areRead more
The answer provides a clear and structured approach to addressing the issue of air pollution caused by crop residue and stubble burning in North India. It identifies several critical components, such as economic incentives, scientific innovation, awareness, regulations, and collaboration, which are essential for a holistic solution.
Strengths:
The answer highlights the need for economic alternatives, like the use of Happy Seeder machines, which is an important part of the solution.
It correctly stresses the role of education and awareness programs to inform farmers about the long-term consequences of stubble burning.
The emphasis on collaboration among various stakeholders is crucial for effective implementation.
Missing Facts/Data:
Specific Data: The answer does not provide specific statistics on the extent of stubble burning, such as how it contributes to over 35 million tons of residue burned annually in Punjab, or the percentage of air pollution it causes in cities like Delhi (over 30% in winter).
Ankit You can use this feedback also
Health Impact: It lacks details on the health impacts of air pollution, such as the fact that stubble burning is linked to respiratory diseases affecting millions of people, particularly in urban areas.
Government Measures: While the need for regulations is mentioned, there is no reference to existing government programs like subsidies for machines or penalties for violations, and their limited effectiveness.
Suggestions:
Include specific statistics and data on the scale of the problem.
See lessMention the success of current programs, highlighting where improvements are still needed.
Discuss the need for holistic solutions to address the problem of air pollution caused by crop residue and stubble burning in North India. (200 Words)
The answer addresses key aspects of the problem of crop residue and stubble burning in North India but lacks specific facts and data that could strengthen the argument. Strengths: The answer effectively outlines the environmental and health impacts of stubble burning, such as the release of harmfulRead more
The answer addresses key aspects of the problem of crop residue and stubble burning in North India but lacks specific facts and data that could strengthen the argument.
Strengths:
The answer effectively outlines the environmental and health impacts of stubble burning, such as the release of harmful gases (methane, carbon monoxide, etc.) and its effects on soil fertility.
It introduces the idea of holistic solutions, including technological innovations, alternative uses for stubble, and incentives.
Missing Facts/Data:
Quantitative Data: The answer lacks specific data to emphasize the scale of the problem. For instance, over 35 million tons of paddy residue are burned annually in Punjab alone, contributing to severe air pollution, particularly in Delhi, which has some of the highest pollution levels in the world.
Anita You can use this feedback also
Health Impact Figures: The answer could reference specific statistics on health, such as the fact that stubble burning is linked to over 30% of Delhi’s winter air pollution, affecting millions of people with respiratory diseases.
Government Measures: While the answer mentions the Air Pollution Control Act, it doesn’t specify the limited effectiveness of existing programs like the National Green Tribunal’s fines or subsidies for machinery.
Technological Examples: It would be helpful to mention successful examples of technology adoption, such as the use of Happy Seeder machines or bio-decomposer solutions tested in Punjab.
Suggestions:
Add more concrete data, such as statistics on health and pollution.
See lessProvide more details on successful case studies or technologies.
भारत के खुदरा परिदृश्य पर त्वरित वाणिज्य के प्रभाव पर चर्चा करें। इससे क्या विनियामक चुनौतियाँ उत्पन्न होती हैं, और सरकार इस उभरते क्षेत्र को स्थायी विकास सुनिश्चित करने के लिए प्रभावी रूप से कैसे विनियमित कर सकती है? (200 शब्द)
उत्तर का समग्र दृष्टिकोण अच्छा है, लेकिन इसमें कुछ महत्वपूर्ण तथ्यों और डेटा की कमी है। यहाँ कुछ प्रमुख बिंदु हैं: उपभोक्ता सुविधा: उत्तर में प्लेटफ़ॉर्म जैसे Blinkit और Zepto का उल्लेख किया गया है, लेकिन यह विस्तार से नहीं बताया गया कि इस उद्योग की वृद्धि कितनी तेजी से हो रही है। उदाहरण के तौर पर,Read more
उत्तर का समग्र दृष्टिकोण अच्छा है, लेकिन इसमें कुछ महत्वपूर्ण तथ्यों और डेटा की कमी है। यहाँ कुछ प्रमुख बिंदु हैं:
उपभोक्ता सुविधा: उत्तर में प्लेटफ़ॉर्म जैसे Blinkit और Zepto का उल्लेख किया गया है, लेकिन यह विस्तार से नहीं बताया गया कि इस उद्योग की वृद्धि कितनी तेजी से हो रही है। उदाहरण के तौर पर, भारत में त्वरित वाणिज्य क्षेत्र की मार्केट वैल्यू 2023 में लगभग 5.5 बिलियन डॉलर थी और 2027 तक इसके 10 बिलियन डॉलर तक पहुँचने की उम्मीद है।
Sadhana आप फीडबैक का भी उपयोग कर सकती हो।
बाजार में बदलाव: पारंपरिक खुदरा विक्रेताओं के लिए जो दबाव उत्पन्न हो रहा है, उसका विश्लेषण और अधिक गहराई से किया जा सकता था, जैसे कि छोटे दुकानदारों पर इसका असर और उपभोक्ता व्यवहार में बदलाव।
विनियामक चुनौतियाँ: मूल्य निर्धारण और प्रतिस्पर्धा के मुद्दे पर और अधिक डेटा की आवश्यकता है, जैसे कि गहरी छूट नीति का असर, साथ ही सुरक्षा और डेटा गोपनीयता को लेकर सरकार की वर्तमान पहल का उल्लेख।
सरकार द्वारा विनियमन: सरकार के दृष्टिकोण पर विशेष ध्यान देना चाहिए, जैसे कि ई-कॉमर्स के लिए हाल के कानूनों का क्या प्रभाव पड़ा है, और नियामक दिशानिर्देशों की आवश्यकता का सही विवरण।
इस उत्तर को और अधिक प्रासंगिक आंकड़ों और विश्लेषणों के साथ विस्तारित किया जा सकता है।
See lessभारत के खुदरा परिदृश्य पर त्वरित वाणिज्य के प्रभाव पर चर्चा करें। इससे क्या विनियामक चुनौतियाँ उत्पन्न होती हैं, और सरकार इस उभरते क्षेत्र को स्थायी विकास सुनिश्चित करने के लिए प्रभावी रूप से कैसे विनियमित कर सकती है? (200 शब्द)
यह उत्तर त्वरित वाणिज्य के प्रभाव और विनियामक चुनौतियों पर संक्षिप्त और सटीक चर्चा करता है, लेकिन कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं की कमी है। सकारात्मक पहलु: उपभोक्ता सुविधा: त्वरित वाणिज्य के उपभोक्ताओं के लिए लाभों का अच्छा वर्णन किया गया है, जैसे कि तेज और आसान खरीदारी अनुभव। बाजार में बदलाव: Blinkit और ZeRead more
यह उत्तर त्वरित वाणिज्य के प्रभाव और विनियामक चुनौतियों पर संक्षिप्त और सटीक चर्चा करता है, लेकिन कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं की कमी है।
सकारात्मक पहलु:
उपभोक्ता सुविधा: त्वरित वाणिज्य के उपभोक्ताओं के लिए लाभों का अच्छा वर्णन किया गया है, जैसे कि तेज और आसान खरीदारी अनुभव।
बाजार में बदलाव: Blinkit और Zepto जैसी कंपनियों का उल्लेख और त्वरित वाणिज्य के बढ़ते बाजार का अनुमान अच्छे हैं, जो इसके विकास को दर्शाते हैं।
नकारात्मक पहलु:
विनियामक चुनौतियाँ: “मूल्य निर्धारण” और “सुरक्षा और डेटा गोपनीयता” को सही तरीके से उल्लेख किया गया है, लेकिन इनका और विस्तार किया जा सकता था। उदाहरण के लिए, “प्रेडेटरी प्राइसिंग” (पारंपरिक व्यापारियों को नुकसान पहुँचाने वाली अत्यधिक छूट) और एंटीट्रस्ट चिंताएँ पर भी चर्चा हो सकती थी।
Roopa आप फीडबैक का भी उपयोग कर सकती हो।
आंकड़े की कमी: त्वरित वाणिज्य के भारत में अनुमानित $6 बिलियन का बाजार 2025 तक, जैसा कि संबंधित डेटा में दिया गया है, का उल्लेख नहीं किया गया है।
सरकार द्वारा विनियमन: सरकार द्वारा विशेष रूप से आर्द्रभूमि संरक्षण और सतत विकास से संबंधित विनियमों की चर्चा और प्रस्ताव भी बेहतर हो सकते थे।
सुझाव:
डेटा के अधिक उपयोग से बाजार आकार और विकास दर को स्पष्ट करें।
See lessगहरी छूट और प्रेडेटरी प्राइसिंग पर और अधिक चर्चा करें।
सरकार के लिए और भी नियम और विनियम का सुझाव दें जो पारंपरिक खुदरा विक्रेताओं और पारिस्थितिकी तंत्र के लिए लाभकारी हो।