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निजीकरण की 'स्ट्रेटेजिक बिक्री पद्धति' क्या है? [उत्तर सीमा: 20 शब्द] [UKPSC 2016]
स्ट्रेटेजिक बिक्री पद्धति निजीकरण की वह प्रक्रिया है, जिसमें सरकार महत्वपूर्ण सार्वजनिक कंपनियों को निजी क्षेत्र को बेचती है, रणनीतिक निवेश के तहत।
स्ट्रेटेजिक बिक्री पद्धति निजीकरण की वह प्रक्रिया है, जिसमें सरकार महत्वपूर्ण सार्वजनिक कंपनियों को निजी क्षेत्र को बेचती है, रणनीतिक निवेश के तहत।
See less'न्यूनतम समर्थन कीमत' क्या है? [उत्तर सीमा: 20 शब्द] [UKPSC 2016]
न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) वह मूल्य है, जिसे सरकार किसानों से कृषि उत्पाद खरीदने के लिए सुनिश्चित करती है।
न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) वह मूल्य है, जिसे सरकार किसानों से कृषि उत्पाद खरीदने के लिए सुनिश्चित करती है।
See less'सहायिका' क्या है? [उत्तर सीमा: 20 शब्द] [UKPSC 2016]
सहायिका एक वैकल्पिक शिक्षा प्रणाली है, जो बच्चों को उनके विकास में सहयोग और मार्गदर्शन प्रदान करती है।
सहायिका एक वैकल्पिक शिक्षा प्रणाली है, जो बच्चों को उनके विकास में सहयोग और मार्गदर्शन प्रदान करती है।
See lessइस विश्वास का परीक्षण कीजिए कि 'स्थायी विकास लोकतन्त्र की स्थिरता में योगदान देता है' । हाल के वर्षों में संयुक्त राष्ट्र के सतत् विकास लक्ष्यों को बढ़ावा देने के लिए भारत ने सतत् विकास के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को किस तरह से प्रदर्शित किया है ? [उत्तर सीमा: 250 शब्द] [UKPSC 2023]
"स्थायी विकास लोकतन्त्र की स्थिरता में योगदान देता है" का विश्वास इस बात पर निर्भर करता है कि स्थायी विकास आर्थिक, सामाजिक, और पर्यावरणीय स्थिरता को सुनिश्चित करता है, जो लोकतांत्रिक संस्थाओं और प्रक्रियाओं को मजबूत बनाता है। जब नागरिकों की बुनियादी आवश्यकताएँ पूरी होती हैं और उन्हें विकास के लाभ मिRead more
“स्थायी विकास लोकतन्त्र की स्थिरता में योगदान देता है” का विश्वास इस बात पर निर्भर करता है कि स्थायी विकास आर्थिक, सामाजिक, और पर्यावरणीय स्थिरता को सुनिश्चित करता है, जो लोकतांत्रिक संस्थाओं और प्रक्रियाओं को मजबूत बनाता है। जब नागरिकों की बुनियादी आवश्यकताएँ पूरी होती हैं और उन्हें विकास के लाभ मिलते हैं, तो वे अपने लोकतांत्रिक अधिकारों का बेहतर तरीके से उपयोग कर पाते हैं, जिससे लोकतन्त्र की स्थिरता बढ़ती है।
भारत ने हाल के वर्षों में संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) को बढ़ावा देने के लिए अपनी प्रतिबद्धता को विभिन्न पहलुओं से प्रदर्शित किया है:
इन पहलों से स्पष्ट है कि भारत स्थायी विकास के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को गंभीरता से ले रहा है, जिससे न केवल सामाजिक और आर्थिक विकास को बढ़ावा मिल रहा है, बल्कि लोकतन्त्र की स्थिरता में भी योगदान दिया जा रहा है।
See less"देवभूमि को खेलभूमि भी बनना चाहिये।" राज्य में खेल को बढ़ावा देने के लिए उत्तराखण्ड सरकार की हाल की पहल का उद्धरण देते हुये इस कथन का परीक्षण कीजिए। क्या आपको लगता है कि खेल, राज्य की अर्थव्यवस्था तथा स्वास्थ्य को बदल सकते हैं ? [उत्तर सीमा: 250 शब्द] [UKPSC 2023]
"देवभूमि को खेलभूमि भी बनना चाहिये" कथन का संदर्भ उत्तराखण्ड की समृद्ध खेल संस्कृति और प्राकृतिक सुंदरता को दर्शाता है। राज्य सरकार ने हाल में खेल को बढ़ावा देने के लिए कई पहल की हैं। उदाहरण के लिए, खेल नीति 2021 के अंतर्गत खेल अवसंरचना में सुधार, युवा खिलाड़ियों को वित्तीय सहायता, और खेल अकादमियोंRead more
“देवभूमि को खेलभूमि भी बनना चाहिये” कथन का संदर्भ उत्तराखण्ड की समृद्ध खेल संस्कृति और प्राकृतिक सुंदरता को दर्शाता है। राज्य सरकार ने हाल में खेल को बढ़ावा देने के लिए कई पहल की हैं। उदाहरण के लिए, खेल नीति 2021 के अंतर्गत खेल अवसंरचना में सुधार, युवा खिलाड़ियों को वित्तीय सहायता, और खेल अकादमियों की स्थापना की गई है। इसके अलावा, राज्य सरकार ने खेल महोत्सवों का आयोजन किया, जो स्थानीय प्रतिभाओं को उजागर करने और खेल को प्रोत्साहित करने में सहायक हैं।
इन पहलों के माध्यम से, उत्तराखण्ड सरकार खेल को एक महत्वपूर्ण उद्योग के रूप में विकसित करने की दिशा में कार्य कर रही है। खेल केवल मनोरंजन का साधन नहीं है, बल्कि यह स्वास्थ्य, शिक्षा, और सामुदायिक विकास का भी माध्यम है।
खेल राज्य की अर्थव्यवस्था को सकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकते हैं। इससे पर्यटन बढ़ सकता है, क्योंकि बाहरी लोग खेल आयोजनों में भाग लेने आते हैं। खेल उद्योग में निवेश से रोजगार के अवसर भी उत्पन्न होंगे।
स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से, खेल गतिविधियाँ लोगों को सक्रिय और स्वस्थ जीवनशैली अपनाने के लिए प्रेरित करती हैं। इससे न केवल शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार होता है, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य भी बेहतर होता है।
इस प्रकार, खेल उत्तराखण्ड की अर्थव्यवस्था और स्वास्थ्य को बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं, जिससे “देवभूमि” की पहचान एक “खेलभूमि” के रूप में स्थापित हो सकेगी।
See lessदिसम्बर 2022 की अवधि में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के अध्यक्ष के रूप में भारत की भूमिका का मूल्यांकन कीजिए । संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों का विश्वास जीतने में भारत किस सीमा तक सफल रहा ? [उत्तर सीमा: 250 शब्द] [UKPSC 2023]
दिसम्बर 2022 में भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) के अध्यक्ष के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। यह कार्यभार संभालते हुए, भारत ने वैश्विक सुरक्षा चुनौतियों, विशेषकर आतंकवाद, जलवायु परिवर्तन, और स्वास्थ्य सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित किया। भारत की भूमिका: वैश्विक सुरक्षा पर ध्यान: भारत ने आतRead more
दिसम्बर 2022 में भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) के अध्यक्ष के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। यह कार्यभार संभालते हुए, भारत ने वैश्विक सुरक्षा चुनौतियों, विशेषकर आतंकवाद, जलवायु परिवर्तन, और स्वास्थ्य सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित किया।
भारत की भूमिका:
सफलता की सीमा:
भारत की अध्यक्षता के दौरान सदस्य देशों का विश्वास जीतने में भारत अपेक्षाकृत सफल रहा। कई सदस्य देशों ने भारत की स्थिरता, नेतृत्व क्षमता, और व्यापक दृष्टिकोण की सराहना की। भारत ने विकासशील देशों की आवाज़ को भी उठाया, जिससे उसकी साख बढ़ी।
हालांकि, कुछ सदस्य देशों के साथ राजनीतिक असहमति भी देखने को मिली, विशेषकर सुरक्षा मुद्दों पर। इसके बावजूद, भारत ने UNSC के अध्यक्ष के रूप में अपनी सक्रियता और प्रभावशीलता को साबित किया, जो भविष्य में एक स्थायी UNSC सदस्य के रूप में उसकी स्थिति को मजबूत करेगा।
See lessविवेचना कीजिए कि कैसे भारत की रणनीतिक दृष्टि ने भारत-अफ्रीकी सम्बन्धों के बढ़ते अभिसरण का नेतृत्व किया है। अफ्रीका के साथ अपने सम्बन्धों को गहरा करने के लिए भारत को किन चुनौतियों से पार पाने की आवश्यकता है ? [उत्तर सीमा: 250 शब्द] [UKPSC 2023]
भारत की रणनीतिक दृष्टि ने भारत-अफ्रीकी संबंधों के बढ़ते अभिसरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इस दृष्टि के तहत, भारत ने अफ्रीका को एक प्राथमिकता वाले क्षेत्र के रूप में देखा है, जिसमें आर्थिक, राजनीतिक, और सामाजिक संबंधों को मजबूत करने का लक्ष्य है। भारत की रणनीतिक दृष्टि: आर्थिक सहयोग: भारत ने अफ्Read more
भारत की रणनीतिक दृष्टि ने भारत-अफ्रीकी संबंधों के बढ़ते अभिसरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इस दृष्टि के तहत, भारत ने अफ्रीका को एक प्राथमिकता वाले क्षेत्र के रूप में देखा है, जिसमें आर्थिक, राजनीतिक, और सामाजिक संबंधों को मजबूत करने का लक्ष्य है।
भारत की रणनीतिक दृष्टि:
चुनौतियाँ:
इन चुनौतियों का समाधान कर, भारत अफ्रीका के साथ अपने संबंधों को और मजबूत बना सकता है और वैश्विक मंच पर एक महत्वपूर्ण साझेदार के रूप में उभर सकता है।
See lessसमरकंद में हाल ही में संपन्न शंघाई सहयोग संगठन (एस.सी.ओ.) की बैठक के संदर्भ में मध्य एशियाई गणराज्यों तक भारत की पहुँच का परीक्षण कीजिए। इस संगठन के माध्यम से, भारत किन रणनीतिक उद्देश्यों को प्राप्त करना चाहता है ? [उत्तर सीमा: 250 शब्द] [UKPSC 2023]
समरकंद में हाल ही में संपन्न शंघाई सहयोग संगठन (एस.सी.ओ.) की बैठक ने भारत के लिए मध्य एशियाई गणराज्यों तक पहुँच बढ़ाने का एक महत्वपूर्ण अवसर प्रदान किया। भारत की भागीदारी से यह स्पष्ट होता है कि वह इस क्षेत्र में अपनी सामरिक, आर्थिक, और राजनीतिक पहुँच को सुदृढ़ करना चाहता है। भारत के रणनीतिक उद्देश्Read more
समरकंद में हाल ही में संपन्न शंघाई सहयोग संगठन (एस.सी.ओ.) की बैठक ने भारत के लिए मध्य एशियाई गणराज्यों तक पहुँच बढ़ाने का एक महत्वपूर्ण अवसर प्रदान किया। भारत की भागीदारी से यह स्पष्ट होता है कि वह इस क्षेत्र में अपनी सामरिक, आर्थिक, और राजनीतिक पहुँच को सुदृढ़ करना चाहता है।
भारत के रणनीतिक उद्देश्य:
इस प्रकार, समरकंद की बैठक में भारत की भागीदारी ने यह संकेत दिया कि वह मध्य एशियाई गणराज्यों के साथ सामरिक संबंधों को गहरा करने के लिए प्रतिबद्ध है, और एस.सी.ओ. का मंच इस दिशा में एक महत्वपूर्ण साधन है।
See lessकोप-27 के उद्देश्यों की व्याख्या कीजिए। हाल ही में मिस्र में आयोजित कोप-27 बैठक में भारत की भूमिका तथा योगदान का विवरण प्रस्तुत कीजिए । [उत्तर सीमा: 250 शब्द] [UKPSC 2023]
कोप-27 (संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन) के मुख्य उद्देश्य जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को नियंत्रित करना, वैश्विक तापमान वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस के भीतर बनाए रखना, और जलवायु वित्त तथा तकनीकी सहयोग को बढ़ावा देना हैं। यह सम्मेलन देशों के बीच सहयोग और सामूहिक कार्रवाई को सुदृढ़ करने का एRead more
कोप-27 (संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन) के मुख्य उद्देश्य जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को नियंत्रित करना, वैश्विक तापमान वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस के भीतर बनाए रखना, और जलवायु वित्त तथा तकनीकी सहयोग को बढ़ावा देना हैं। यह सम्मेलन देशों के बीच सहयोग और सामूहिक कार्रवाई को सुदृढ़ करने का एक मंच है, जिससे विभिन्न देशों के प्रयासों का समन्वय किया जा सके।
हाल ही में मिस्र में आयोजित कोप-27 में भारत की भूमिका महत्वपूर्ण रही। भारत ने जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए अपने विचारों और पहलों को साझा किया, जिसमें “पंचामृत” की रूपरेखा शामिल थी। पंचामृत में भारत ने 2030 तक अपनी कुल ऊर्जा क्षमता का 50% गैर-जीवाश्म ईंधनों से प्राप्त करने का लक्ष्य रखा। इसके अलावा, भारत ने 2070 तक नेट ज़ीरो उत्सर्जन का लक्ष्य भी निर्धारित किया, जिससे उसकी जलवायु कार्रवाई की गंभीरता का संकेत मिलता है।
भारत ने विकासशील देशों के लिए जलवायु वित्त की आवश्यकता पर भी जोर दिया, यह मांग करते हुए कि विकसित देश अपनी वित्तीय और तकनीकी सहायता बढ़ाएँ। भारत ने वैश्विक स्तर पर जलवायु न्याय के लिए आवाज उठाई, यह बताते हुए कि जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के लिए विकासशील देशों को समर्थन देने की आवश्यकता है। इस प्रकार, कोप-27 में भारत ने न केवल अपनी जलवायु प्रतिबद्धताओं को प्रदर्शित किया, बल्कि वैश्विक सहयोग और सशक्तीकरण की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान भी दिया।
See less'भारत की G-20 अध्यक्षता समावेशी, महत्वाकांक्षी, निर्णायक तथा कार्यवाही उन्मुख होगी।' इस संकल्प के अनुरूप जी-20 के अध्यक्ष के रूप में भारत के अवसरों तथा चुनौतियों का परीक्षण कीजिए । [उत्तर सीमा: 250 शब्द] [UKPSC 2023]
भारत की G-20 अध्यक्षता का संकल्प 'समावेशी, महत्वाकांक्षी, निर्णायक और कार्यवाही उन्मुख' होना, वैश्विक मंच पर भारत की भूमिका को सशक्त बनाने के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर प्रस्तुत करता है। अवसर: वैश्विक नेतृत्व: भारत अपनी अध्यक्षता के दौरान विकासशील देशों की आवाज़ को उठाकर वैश्विक मुद्दों पर नेतृत्व करनेRead more
भारत की G-20 अध्यक्षता का संकल्प ‘समावेशी, महत्वाकांक्षी, निर्णायक और कार्यवाही उन्मुख’ होना, वैश्विक मंच पर भारत की भूमिका को सशक्त बनाने के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर प्रस्तुत करता है।
अवसर:
चुनौतियाँ:
इस प्रकार, भारत की G-20 अध्यक्षता एक सुनहरा अवसर है, लेकिन इसके साथ ही कई चुनौतियाँ भी हैं, जिनका समाधान करने के लिए भारत को रणनीतिक सोच और दृढ़ता की आवश्यकता होगी।
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