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अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद को स्पष्ट कीजिये। आज अंतर्राष्ट्रीय समुदाय किस प्रकार अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद के खतरे की समाप्ति के लिये प्रयास कर रहा है। संयुक्त राष्ट्र संघ का क्या योगदान है? [63वीं बीपीएससी मुख्य परीक्षा 2017]
अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद: अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद उस आतंकवाद को कहते हैं जो एक से अधिक देशों को प्रभावित करता है और इसका उद्देश्य भय और हिंसा फैलाना होता है, जिससे किसी देश की आंतरिक या बाहरी सुरक्षा पर प्रभाव पड़े। आतंकवादी संगठन विभिन्न देशों में अपने संगठन को फैलाते हैं और राजनीतिक, धार्मिक या अन्यRead more
अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद:
अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद उस आतंकवाद को कहते हैं जो एक से अधिक देशों को प्रभावित करता है और इसका उद्देश्य भय और हिंसा फैलाना होता है, जिससे किसी देश की आंतरिक या बाहरी सुरक्षा पर प्रभाव पड़े। आतंकवादी संगठन विभिन्न देशों में अपने संगठन को फैलाते हैं और राजनीतिक, धार्मिक या अन्य उद्देश्यों के लिए आतंकवादी हमलों को अंजाम देते हैं। आतंकवादियों के द्वारा किए गए हमलों का उद्देश्य आम लोगों में भय का वातावरण बनाना होता है।
अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद के उदाहरण:
अंतर्राष्ट्रीय समुदाय का प्रयास
आज अंतर्राष्ट्रीय समुदाय आतंकवाद के खतरे को समाप्त करने के लिए कई प्रयास कर रहा है:
संयुक्त राष्ट्र संघ का योगदान
संयुक्त राष्ट्र संघ ने अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक प्रयासों में अहम भूमिका निभाई है। इसके कुछ महत्वपूर्ण योगदान इस प्रकार हैं:
सकारात्मक और नकारात्मक पहलू
सकारात्मक पहलू:
नकारात्मक पहलू:
निष्कर्ष
अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद एक गंभीर वैश्विक समस्या है, जिसे सुलझाने के लिए संयुक्त राष्ट्र सहित सभी देशों को समग्र दृष्टिकोण अपनाना आवश्यक है। अंतर्राष्ट्रीय सहयोग, कानूनी पहल और मानवाधिकारों का सम्मान आतंकवाद से निपटने के प्रमुख तरीके हैं। हालांकि, इसके साथ ही यह भी सुनिश्चित करना जरूरी है कि आतंकवाद के खिलाफ कदम उठाने के दौरान व्यक्तिगत स्वतंत्रता और मानवाधिकारों का उल्लंघन न हो।
See lessएन.आर.सी. विवाद से आप क्या समझते हैं? इस विवाद में निहित राजनीतिक मंशाओं को स्पष्ट कीजिये। इस मुद्दे के अंतर्राष्ट्रीय प्रभावों की भी विवेचना कीजिये। [63वीं बीपीएससी मुख्य परीक्षा 2017]
एन.आर.सी. विवाद: राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एन.आर.सी.) एक कानूनी दस्तावेज है जिसमें देश के नागरिकों का रिकॉर्ड रखा जाता है। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि केवल उन लोगों को भारतीय नागरिक माना जाए जिनके पास भारत के नागरिक होने का कानूनी प्रमाण हो। यह विवाद असम में 1951 से शुरू हुआ था और 2019 मेंRead more
एन.आर.सी. विवाद:
राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एन.आर.सी.) एक कानूनी दस्तावेज है जिसमें देश के नागरिकों का रिकॉर्ड रखा जाता है। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि केवल उन लोगों को भारतीय नागरिक माना जाए जिनके पास भारत के नागरिक होने का कानूनी प्रमाण हो। यह विवाद असम में 1951 से शुरू हुआ था और 2019 में असम के एन.आर.सी. को अपडेट करने के बाद यह राष्ट्रीय स्तर पर प्रमुख विवाद बन गया।
एन.आर.सी. विवाद की उत्पत्ति
राजनीतिक मंशाएँ
एन.आर.सी. विवाद को लेकर कई राजनीतिक मंशाएँ जुड़ी हुई हैं:
अंतर्राष्ट्रीय प्रभाव
समाधान के लिए सुझाव
निष्कर्ष
एन.आर.सी. विवाद भारतीय राजनीति में संवेदनशील मुद्दा बन चुका है। इसके राजनीतिक और सांप्रदायिक प्रभावों को देखते हुए यह महत्वपूर्ण है कि इसे सतर्कता और संवेदनशीलता के साथ सुलझाया जाए, ताकि सभी भारतीय नागरिकों के अधिकारों की रक्षा की जा सके और भारत की अंतर्राष्ट्रीय छवि पर कोई नकारात्मक प्रभाव न पड़े।
See lessटू प्लस टू वार्ता क्या है? भारत एवं ईरान के द्विपक्षीय संबंधों के संदर्भ में भारत एवं अमेरिका के बीच हुई टू प्लस टू वार्ता को स्पष्ट कीजिये। [63वीं बीपीएससी मुख्य परीक्षा 2017]
"टू प्लस टू वार्ता" (2+2 Dialogue) एक उच्च स्तरीय द्विपक्षीय वार्ता का रूप है, जिसमें दो देशों के विदेश और रक्षा मंत्री एक साथ मिलकर अपने देशों के बीच सहयोग और मुद्दों पर चर्चा करते हैं। यह एक प्रकार की व्यापक और गहरे रणनीतिक संवाद प्रक्रिया है जो देशों के रिश्तों को मजबूत करने के उद्देश्य से की जातRead more
“टू प्लस टू वार्ता” (2+2 Dialogue) एक उच्च स्तरीय द्विपक्षीय वार्ता का रूप है, जिसमें दो देशों के विदेश और रक्षा मंत्री एक साथ मिलकर अपने देशों के बीच सहयोग और मुद्दों पर चर्चा करते हैं। यह एक प्रकार की व्यापक और गहरे रणनीतिक संवाद प्रक्रिया है जो देशों के रिश्तों को मजबूत करने के उद्देश्य से की जाती है।
इसका नाम “टू प्लस टू” इसलिए रखा गया है क्योंकि इसमें दो मंत्रालयों, यानी विदेश मंत्रालय और रक्षा मंत्रालय के मंत्री शामिल होते हैं। यह वार्ता आमतौर पर सुरक्षा, रणनीतिक साझेदारी, और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर केंद्रित होती है।
भारत और अमेरिका के बीच टू प्लस टू वार्ता
भारत और अमेरिका के बीच हुई टू प्लस टू वार्ता एक महत्वपूर्ण कदम था जो दोनों देशों के बीच सुरक्षा, रक्षा और रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करने का उद्देश्य रखता है। इस वार्ता में भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह तथा अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन और रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन ने भाग लिया।
1. भारत-ईरान के संबंधों के संदर्भ में टू प्लस टू वार्ता
2. भारत की स्थिति:
3. टू प्लस टू वार्ता का उद्देश्य:
भारत और अमेरिका के बीच टू प्लस टू वार्ता के मुख्य बिंदु:
निष्कर्ष
भारत और अमेरिका के बीच टू प्लस टू वार्ता एक महत्वपूर्ण रणनीतिक कदम था, जो दोनों देशों के रिश्तों को और प्रगाढ़ बनाने के साथ-साथ सुरक्षा, आतंकवाद और सामरिक मुद्दों पर सहयोग बढ़ाने में मदद करेगा। हालांकि, ईरान जैसे देशों के साथ भारत के रिश्तों को संतुलित करना एक बड़ी चुनौती है, लेकिन भारत ने हमेशा अपने राष्ट्रीय हितों को प्राथमिकता दी है और अमेरिका के साथ अपने संबंधों को भी मजबूत किया है।
See lessरोहिंग्या शरणार्थी संकट की आलोचनात्मक विवेचना कीजिये। इस संकट की उत्पत्ति एवं समाधान में म्यांमार, चीन, भारत एवं बांग्लादेश की भूमिका का वर्णन कीजिये। रोहिंग्या शरणार्थियों के संदर्भ में मानवाधिकारों के हनन पर प्रकाश डालिये। [63वीं बीपीएससी मुख्य परीक्षा 2017]
रोहिंग्या शरणार्थी संकट दक्षिण एशिया, विशेष रूप से म्यांमार, बांग्लादेश और भारत में एक गहरी मानवीय और राजनीतिक समस्या बन चुका है। यह संकट उन लाखों रोहिंग्या मुस्लिमों के कारण उत्पन्न हुआ है, जिन्हें म्यांमार में नागरिकता से वंचित किया गया और वे हिंसा और उत्पीड़न का शिकार बने। इस संकट ने न केवल मानवीRead more
रोहिंग्या शरणार्थी संकट दक्षिण एशिया, विशेष रूप से म्यांमार, बांग्लादेश और भारत में एक गहरी मानवीय और राजनीतिक समस्या बन चुका है। यह संकट उन लाखों रोहिंग्या मुस्लिमों के कारण उत्पन्न हुआ है, जिन्हें म्यांमार में नागरिकता से वंचित किया गया और वे हिंसा और उत्पीड़न का शिकार बने। इस संकट ने न केवल मानवीय संकट उत्पन्न किया, बल्कि यह अंतरराष्ट्रीय राजनीति, मानवाधिकारों और क्षेत्रीय स्थिरता पर भी असर डाल रहा है।
संकट की उत्पत्ति
1. म्यांमार में उत्पीड़न
2. मानवाधिकारों का उल्लंघन
म्यांमार, चीन, भारत और बांग्लादेश की भूमिका
1. म्यांमार की भूमिका
2. चीन की भूमिका
3. भारत की भूमिका
4. बांग्लादेश की भूमिका
शरणार्थियों के मानवाधिकारों का हनन
संकट का समाधान और भविष्य की दिशा
निष्कर्ष
रोहिंग्या शरणार्थी संकट न केवल म्यांमार, बांग्लादेश, भारत और चीन जैसे देशों के लिए एक गहरी चुनौती है, बल्कि यह पूरी दुनिया के लिए एक मानवाधिकार संकट भी है। इस संकट का समाधान केवल अंतरराष्ट्रीय सहयोग, म्यांमार की स्थिरता, और शरणार्थियों के अधिकारों की रक्षा में निहित है। जब तक इन पहलुओं को गंभीरता से नहीं लिया जाएगा, तब तक यह संकट जारी रहेगा और मानवाधिकारों का उल्लंघन बढ़ेगा।
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