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1948 में स्थापित विश्वविद्यालय शिक्षा आयोग के अध्यक्ष कौन थे ?
विश्वविद्यालय शिक्षा आयोग अध्यक्ष: 1948 में स्थापित विश्वविद्यालय शिक्षा आयोग के अध्यक्ष डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन थे। महत्व: उन्होंने भारतीय उच्च शिक्षा प्रणाली में सुधार के लिए महत्वपूर्ण सुझाव दिए।
विश्वविद्यालय शिक्षा आयोग
अध्यक्ष:
महत्व:
सर्व शिक्षा अभियान कब प्रारम्भ किया गया था ?
सर्व शिक्षा अभियान प्रारंभ वर्ष: सर्व शिक्षा अभियान 2001 में प्रारंभ किया गया था। उद्देश्य: इस अभियान का मुख्य उद्देश्य सभी बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा प्रदान करना है।
सर्व शिक्षा अभियान
प्रारंभ वर्ष:
उद्देश्य:
1857 के स्वतन्त्रता संग्राम में शंकर शाह और रघुनाथ शाह के योगदान का मूल्यांकन कीजिए।
1857 के स्वतन्त्रता संग्राम में शंकर शाह और रघुनाथ शाह का योगदान 1857 का स्वतन्त्रता संग्राम भारतीय इतिहास का एक महत्वपूर्ण मोड़ था, जिसमें कई नायक शामिल हुए। शंकर शाह और रघुनाथ शाह का नाम इस संग्राम में विशेष रूप से उल्लेखनीय है। शंकर शाह का योगदान नेतृत्व: शंकर शाह, जो कि बुंदेलखंड क्षेत्र के एक पRead more
1857 के स्वतन्त्रता संग्राम में शंकर शाह और रघुनाथ शाह का योगदान
1857 का स्वतन्त्रता संग्राम भारतीय इतिहास का एक महत्वपूर्ण मोड़ था, जिसमें कई नायक शामिल हुए। शंकर शाह और रघुनाथ शाह का नाम इस संग्राम में विशेष रूप से उल्लेखनीय है।
शंकर शाह का योगदान
रघुनाथ शाह का योगदान
निष्कर्ष
शंकर शाह और रघुनाथ शाह का योगदान 1857 के स्वतन्त्रता संग्राम में अतुलनीय है। उनके साहस और बलिदान ने न केवल बुंदेलखंड बल्कि पूरे देश के लोगों को स्वतंत्रता की राह पर चलने की प्रेरणा दी। उनके कार्य आज भी भारतीय इतिहास में अमिट हैं।
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अहिल्याबाई होलकर के व्यक्तित्व एवं योगदान अहिल्याबाई होलकर एक महान रानी और कुशल शासिका थीं, जिन्होंने 18वीं शताब्दी में मालवा पर शासन किया। उनका व्यक्तित्व और योगदान भारतीय इतिहास में महत्वपूर्ण स्थान रखता है। व्यक्तित्व कुशल प्रशासक: अहिल्याबाई ने शासन में न केवल अपनी बुद्धिमत्ता बल्कि न्यायप्रियताRead more
अहिल्याबाई होलकर के व्यक्तित्व एवं योगदान
अहिल्याबाई होलकर एक महान रानी और कुशल शासिका थीं, जिन्होंने 18वीं शताब्दी में मालवा पर शासन किया। उनका व्यक्तित्व और योगदान भारतीय इतिहास में महत्वपूर्ण स्थान रखता है।
व्यक्तित्व
योगदान
निष्कर्ष
अहिल्याबाई होलकर का व्यक्तित्व केवल एक रानी का नहीं, बल्कि एक प्रेरणादायक नेता और समाज सुधारक का भी था। उनके योगदान ने न केवल मालवा बल्कि पूरे भारत को एक नई दिशा दी। उनकी नीति और दृष्टिकोण आज भी हमें प्रेरित करते हैं।
See lessनिमाड़ और मालवा की लोक-चित्रकला की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
निमाड़ और मालवा की लोक-चित्रकला निमाड़ और मालवा की लोक-चित्रकला भारतीय सांस्कृतिक धरोहर का महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह कला क्षेत्र की सांस्कृतिक विविधता, जीवनशैली और धार्मिक आस्थाओं को दर्शाती है। निमाड़ की लोक-चित्रकला विशेषताएँ: निमाड़ की चित्रकला में मुख्यतः कागज और कैनवास का उपयोग किया जाता है। चितRead more
निमाड़ और मालवा की लोक-चित्रकला
निमाड़ और मालवा की लोक-चित्रकला भारतीय सांस्कृतिक धरोहर का महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह कला क्षेत्र की सांस्कृतिक विविधता, जीवनशैली और धार्मिक आस्थाओं को दर्शाती है।
निमाड़ की लोक-चित्रकला
मालवा की लोक-चित्रकला
निष्कर्ष
निमाड़ और मालवा की लोक-चित्रकला अपनी विशेषताओं के कारण भारतीय संस्कृति का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। ये चित्रकला न केवल स्थानीय जीवन को दर्शाते हैं, बल्कि संस्कृति, परंपरा और धार्मिक आस्था का भी बखान करते हैं। इनकी रचनाएँ आज भी दर्शकों को आकर्षित करती हैं और भारतीय कला के प्रति रुचि को बढ़ाती हैं।
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