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कला एवं साहित्य के संरक्षक के रूप में कृष्णदेवराय का मूल्यांकन कीजिए ।
कला एवं साहित्य के संरक्षक के रूप में कृष्णदेवराय का मूल्यांकन कृष्णदेवराय, विजयनगर साम्राज्य के महान सम्राट, कला और साहित्य के अद्वितीय संरक्षक थे। उनके शासन में कला, साहित्य, और संस्कृति को अभूतपूर्व समर्थन मिला। 1. साहित्यिक संरक्षण कृष्णदेवराय के दरबार में "अष्टदिग्गज" नामक आठ प्रसिद्ध कवि थे, जRead more
कला एवं साहित्य के संरक्षक के रूप में कृष्णदेवराय का मूल्यांकन
कृष्णदेवराय, विजयनगर साम्राज्य के महान सम्राट, कला और साहित्य के अद्वितीय संरक्षक थे। उनके शासन में कला, साहित्य, और संस्कृति को अभूतपूर्व समर्थन मिला।
1. साहित्यिक संरक्षण
2. कला और स्थापत्य
3. संगीत और नृत्य
निष्कर्ष
कृष्णदेवराय ने कला और साहित्य के क्षेत्र में अपूर्व योगदान दिया, जिससे विजयनगर साम्राज्य का सांस्कृतिक उत्थान हुआ। उनकी संरक्षण नीति से भारतीय कला और साहित्य को नई दिशा मिली।
See lessरज़िया सुल्तान ने अपने समय की राजनीति को किस प्रकार प्रभावित किया ? स्पष्ट कीजिए ।
रज़िया सुल्तान और उनके समय की राजनीति रज़िया सुल्तान दिल्ली सल्तनत की पहली महिला शासक थीं, जिन्होंने अपने समय की राजनीति को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित किया। 1. महिला शासक के रूप में परिवर्तन रज़िया ने अपने शासन में पुरुषों के समान शक्ति और अधिकार का प्रयोग किया। यह उस समय के लिए एक साहसिक कदम था, जबRead more
रज़िया सुल्तान और उनके समय की राजनीति
रज़िया सुल्तान दिल्ली सल्तनत की पहली महिला शासक थीं, जिन्होंने अपने समय की राजनीति को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित किया।
1. महिला शासक के रूप में परिवर्तन
2. शासन की सशक्तता
3. सामाजिक सुधार
4. राजनीतिक चुनौतियां
निष्कर्ष
रज़िया सुल्तान ने अपने समय की राजनीति में कई बदलाव किए। उनकी शक्ति और नेतृत्व ने यह साबित किया कि महिलाओं के लिए शासन करना संभव है, और उन्होंने समाज में कई सकारात्मक बदलाव किए, हालांकि उनका शासन अल्पकालिक था।
See lessदक्षिण भारत में मंदिर स्थापत्य के विकास का वर्णन कीजिए ।
दक्षिण भारत में मंदिर स्थापत्य का विकास दक्षिण भारत में मंदिर स्थापत्य का विकास प्राचीन काल से हुआ और यह प्रमुख रूप से चोल, पाण्ड्य, और चेर शासकों के समय में उत्कर्ष पर पहुँचा। दक्षिण भारतीय मंदिरों की वास्तुकला में विशिष्ट शैली और तत्व देखने को मिलते हैं। 1. शैलियों का विकास ड्रविड़ शैली: दक्षिण भाRead more
दक्षिण भारत में मंदिर स्थापत्य का विकास
दक्षिण भारत में मंदिर स्थापत्य का विकास प्राचीन काल से हुआ और यह प्रमुख रूप से चोल, पाण्ड्य, और चेर शासकों के समय में उत्कर्ष पर पहुँचा। दक्षिण भारतीय मंदिरों की वास्तुकला में विशिष्ट शैली और तत्व देखने को मिलते हैं।
1. शैलियों का विकास
2. मुख्य तत्व
3. प्रमुख मंदिर
निष्कर्ष
दक्षिण भारत के मंदिर स्थापत्य का विकास धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण रहा है। इन मंदिरों के डिजाइन और निर्माण ने दक्षिण भारत की स्थापत्य कला को विश्वभर में प्रसिद्ध किया।
See lessअलेक्जेंडर (सिकंदर) के आक्रमण के परिणामों का मूल्यांकन कीजिए ।
अलेक्जेंडर (सिकंदर) के आक्रमण के परिणाम सिकंदर का भारत पर आक्रमण 326 ईसा पूर्व हुआ। इसके परिणाम भारत के इतिहास में गहरे प्रभाव डालने वाले थे। आइए, हम इसे प्रमुख बिंदुओं में समझें। 1. संस्कृति और व्यापार में परिवर्तन सिकंदर ने भारतीय उपमहाद्वीप में यूनानी संस्कृति का प्रसार किया। इसके परिणामस्वरूप भाRead more
अलेक्जेंडर (सिकंदर) के आक्रमण के परिणाम
सिकंदर का भारत पर आक्रमण 326 ईसा पूर्व हुआ। इसके परिणाम भारत के इतिहास में गहरे प्रभाव डालने वाले थे। आइए, हम इसे प्रमुख बिंदुओं में समझें।
1. संस्कृति और व्यापार में परिवर्तन
2. राजनीतिक प्रभाव
3. युद्ध और सैन्य दृष्टिकोण
4. भौगोलिक ज्ञान में वृद्धि
निष्कर्ष
सिकंदर के आक्रमण ने भारतीय समाज, संस्कृति और राजनीति में स्थायी प्रभाव छोड़ा। यद्यपि उनका आक्रमण अस्थायी था, इसके परिणाम भारतीय इतिहास में महत्वपूर्ण साबित हुए।
See lessसिंधु घाटी सभ्यता के धार्मिक जीवन का वर्णन कीजिए ।
सिंधु घाटी सभ्यता के धार्मिक जीवन का वर्णन 1. देवी-देवताओं की पूजा सिंधु घाटी सभ्यता में धार्मिक जीवन का एक प्रमुख हिस्सा देवी-देवताओं की पूजा थी। यहां कई मूर्तियाँ मिली हैं, जिनमें प्रमुख "प्रजनन देवी" की मूर्ति विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। यह मूर्ति धार्मिक आस्थाओं को दर्शाती है और संभवतः कृषि से जRead more
सिंधु घाटी सभ्यता के धार्मिक जीवन का वर्णन
1. देवी-देवताओं की पूजा
सिंधु घाटी सभ्यता में धार्मिक जीवन का एक प्रमुख हिस्सा देवी-देवताओं की पूजा थी। यहां कई मूर्तियाँ मिली हैं, जिनमें प्रमुख “प्रजनन देवी” की मूर्ति विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। यह मूर्ति धार्मिक आस्थाओं को दर्शाती है और संभवतः कृषि से जुड़े धार्मिक अनुष्ठानों का हिस्सा रही होगी।
2. पशुपति शिव की पूजा
एक प्रमुख देवता के रूप में “पशुपति” की पूजा की जाती थी, जिसे शिव का प्रारंभिक रूप माना जाता है। इस देवता की मूर्ति मोहेंजो-दड़ो से प्राप्त हुई, जो चार हाथों वाले मानव रूप में थी, और उसे एक गैंडे, हाथी, बाघ और भैंस से घेरा गया था।
3. धार्मिक स्थल
सिंधु घाटी सभ्यता में धार्मिक गतिविधियों के लिए विशेष स्थल बनाए गए थे। इनमें से कुछ स्थल सार्वजनिक स्नानगृहों और जलाशयों के पास थे, जैसे कि मोहनजोदड़ो का “ग्रेट बाथ”, जो धार्मिक या शुद्धिकरण उद्देश्यों के लिए उपयोग किया जाता था।
4. जीव-जन्तु और प्रकृति की पूजा
प्रकृति और जीव-जन्तुओं को भी पूजा जाता था। सिंधु घाटी के लोग जल, वृक्ष, और पशुओं को पवित्र मानते थे, और यह उनके धार्मिक जीवन का अभिन्न हिस्सा था।
सारांश में, सिंधु घाटी सभ्यता के लोग अपने धार्मिक जीवन में प्रकृति और देवताओं की पूजा करते थे, और उनका जीवन धार्मिक आस्थाओं से गहरा जुड़ा हुआ था।
See lessसिंधु घाटी सभ्यता के धार्मिक जीवन का वर्णन कीजिए ।
सिंधु घाटी सभ्यता के धार्मिक जीवन का वर्णन 1. देवी-देवताओं की पूजा सिंधु घाटी सभ्यता में धार्मिक जीवन का एक प्रमुख हिस्सा देवी-देवताओं की पूजा थी। यहां कई मूर्तियाँ मिली हैं, जिनमें प्रमुख "प्रजनन देवी" की मूर्ति विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। यह मूर्ति धार्मिक आस्थाओं को दर्शाती है और संभवतः कृषि से जRead more
सिंधु घाटी सभ्यता के धार्मिक जीवन का वर्णन
1. देवी-देवताओं की पूजा
सिंधु घाटी सभ्यता में धार्मिक जीवन का एक प्रमुख हिस्सा देवी-देवताओं की पूजा थी। यहां कई मूर्तियाँ मिली हैं, जिनमें प्रमुख “प्रजनन देवी” की मूर्ति विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। यह मूर्ति धार्मिक आस्थाओं को दर्शाती है और संभवतः कृषि से जुड़े धार्मिक अनुष्ठानों का हिस्सा रही होगी।
2. पशुपति शिव की पूजा
एक प्रमुख देवता के रूप में “पशुपति” की पूजा की जाती थी, जिसे शिव का प्रारंभिक रूप माना जाता है। इस देवता की मूर्ति मोहेंजो-दड़ो से प्राप्त हुई, जो चार हाथों वाले मानव रूप में थी, और उसे एक गैंडे, हाथी, बाघ और भैंस से घेरा गया था।
3. धार्मिक स्थल
सिंधु घाटी सभ्यता में धार्मिक गतिविधियों के लिए विशेष स्थल बनाए गए थे। इनमें से कुछ स्थल सार्वजनिक स्नानगृहों और जलाशयों के पास थे, जैसे कि मोहनजोदड़ो का “ग्रेट बाथ”, जो धार्मिक या शुद्धिकरण उद्देश्यों के लिए उपयोग किया जाता था।
4. जीव-जन्तु और प्रकृति की पूजा
प्रकृति और जीव-जन्तुओं को भी पूजा जाता था। सिंधु घाटी के लोग जल, वृक्ष, और पशुओं को पवित्र मानते थे, और यह उनके धार्मिक जीवन का अभिन्न हिस्सा था।
सारांश में, सिंधु घाटी सभ्यता के लोग अपने धार्मिक जीवन में प्रकृति और देवताओं की पूजा करते थे, और उनका जीवन धार्मिक आस्थाओं से गहरा जुड़ा हुआ था।
See lessभारत के प्रतियोगिता आयोग के कार्यों की विवेचना कीजिए।
भारत के प्रतियोगिता आयोग के कार्य भारत के प्रतियोगिता आयोग (CCI) का मुख्य उद्देश्य प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देना और उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करना है। प्रमुख कार्य मौका और प्रतिस्पर्धा का मूल्यांकन: आयोग बाजार में प्रतिस्पर्धा की स्थिति की जांच करता है। उदाहरण: किसी उत्पाद की कीमत में अत्यधिक वृद्धRead more
भारत के प्रतियोगिता आयोग के कार्य
भारत के प्रतियोगिता आयोग (CCI) का मुख्य उद्देश्य प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देना और उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करना है।
प्रमुख कार्य
निष्कर्ष
इन कार्यों के माध्यम से CCI भारत की आर्थिक स्थिरता और प्रतिस्पर्धा को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
See lessक्या आप सोचते हैं कि गठबंधन केन्द्र और राज्यों की दलीय राजनीति की मुख्य विशेषता है ? विवेचना कीजिए ।
गठबंधन की राजनीति की विशेषता जी हां, गठबंधन केन्द्र और राज्यों की दलीय राजनीति की मुख्य विशेषता है। गठबंधन की आवश्यकता विभिन्न दलों को मिलकर सरकार बनाने के लिए समझौते करने पड़ते हैं। उदाहरण: 2014 और 2019 के चुनावों में भाजपा ने विभिन्न क्षेत्रीय दलों के साथ मिलकर सरकार बनाई। दलीय राजनीति गठबंधन से रRead more
गठबंधन की राजनीति की विशेषता
जी हां, गठबंधन केन्द्र और राज्यों की दलीय राजनीति की मुख्य विशेषता है।
गठबंधन की आवश्यकता
दलीय राजनीति
निष्कर्ष
इस प्रकार, गठबंधन राजनीति का बढ़ता प्रभाव लोकतंत्र को मजबूत करता है, लेकिन इससे नीति निर्माण में जटिलता भी बढ़ सकती है।
See lessभारतीय राजनीति जाति के राजनीतिकरण से राजनीति के जातिकरण की ओर अग्रसर है। स्पष्ट कीजिए ।
भारतीय राजनीति में जाति का प्रभाव भारतीय राजनीति में जाति के राजनीतिकरण से राजनीति के जातिकरण की ओर बढ़ने का मतलब है कि जातियाँ अब राजनीतिक निर्णयों को प्रभावित कर रही हैं। जाति के राजनीतिकरण जातियों का राजनीतिक मंच पर उपयोग। उदाहरण: चुनावी रैलियों में जाति के नाम पर वोट बैंक की बात। राजनीति का जातिRead more
भारतीय राजनीति में जाति का प्रभाव
भारतीय राजनीति में जाति के राजनीतिकरण से राजनीति के जातिकरण की ओर बढ़ने का मतलब है कि जातियाँ अब राजनीतिक निर्णयों को प्रभावित कर रही हैं।
जाति के राजनीतिकरण
राजनीति का जातिकरण
निष्कर्ष
यह बदलाव समाज में विभाजन और असमानता को बढ़ा सकता है, जिससे राजनीति और सामाजिक संतुलन पर असर पड़ता है।
See lessभारतीय संघवाद सहयोगात्मक संघवाद से प्रतिस्पर्धात्मक संघवाद की ओर अग्रसर हो रहा है। टिप्पणी कीजिए ।
भारतीय संघवाद का विकास भारतीय संघवाद सहयोगात्मक संघवाद से प्रतिस्पर्धात्मक संघवाद की ओर बढ़ रहा है। सहयोगात्मक संघवाद केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर काम करती हैं। उदाहरण: योजनाओं में साझा संसाधनों का उपयोग। प्रतिस्पर्धात्मक संघवाद राज्यों के बीच विकास और संसाधनों के लिए प्रतिस्पर्धा बढ़ रही है। उदाहरRead more
भारतीय संघवाद का विकास
भारतीय संघवाद सहयोगात्मक संघवाद से प्रतिस्पर्धात्मक संघवाद की ओर बढ़ रहा है।
सहयोगात्मक संघवाद
प्रतिस्पर्धात्मक संघवाद
निष्कर्ष
इस परिवर्तन से राज्यों में विकास की गति तेज हुई है, लेकिन यह असंतुलन भी पैदा कर सकता है।
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