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राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW) की संरचना और कार्यों का विवरण कीजिए। साथ ही, महिला सशक्तीकरण को बढ़ावा देने के लिए आयोग द्वारा शुरू की गई पहलों को भी बताइए। (200 words)
राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW) भारत सरकार का एक प्रमुख निकाय है, जिसे 1992 में स्थापित किया गया। इसका उद्देश्य महिलाओं के अधिकारों की रक्षा, उनके प्रति भेदभाव को समाप्त करना और उन्हें सशक्त बनाना है। आयोग की संरचना में एक अध्यक्ष और विभिन्न सदस्यों का समूह शामिल होता है, जो महिलाओं के मुद्दों पर विचार-वRead more
राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW) भारत सरकार का एक प्रमुख निकाय है, जिसे 1992 में स्थापित किया गया। इसका उद्देश्य महिलाओं के अधिकारों की रक्षा, उनके प्रति भेदभाव को समाप्त करना और उन्हें सशक्त बनाना है। आयोग की संरचना में एक अध्यक्ष और विभिन्न सदस्यों का समूह शामिल होता है, जो महिलाओं के मुद्दों पर विचार-विमर्श करते हैं और नीतियों को तैयार करते हैं।
NCW के कार्यों में महिलाओं के खिलाफ हिंसा की घटनाओं की जांच करना, महिलाओं के अधिकारों के उल्लंघन पर रिपोर्ट तैयार करना, और सरकारी नीतियों में सुधार के लिए सिफारिशें करना शामिल हैं। इसके अतिरिक्त, आयोग विभिन्न जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन करता है ताकि महिलाएँ अपने अधिकारों के प्रति जागरूक हों।
महिला सशक्तीकरण को बढ़ावा देने के लिए, NCW ने कई पहलें शुरू की हैं, जैसे “महिला हेल्पलाइन” सेवा, जो संकट में महिलाओं को तत्काल सहायता प्रदान करती है। इसके अलावा, “बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ” जैसे अभियानों के माध्यम से लड़कियों की शिक्षा और सुरक्षा को प्रोत्साहित किया जा रहा है। इन पहलों के माध्यम से, NCW समाज में महिलाओं की स्थिति को सुधारने और उन्हें सशक्त बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठा रहा है।
See lessसार्वजनिक ऋण से आप क्या समझते हैं? उच्च सार्वजनिक ऋण को चिंता का विषय क्यों माना जाता है? भारत के संदर्भ में विवेचना कीजिए।(200 words)
सार्वजनिक ऋण उस राशि को कहते हैं जो सरकार विभिन्न स्रोतों से उधार लेती है, जैसे बैंकों, वित्तीय संस्थानों और विदेशी सरकारों से। यह ऋण आमतौर पर सरकारी खर्चों, जैसे बुनियादी ढांचे, शिक्षा, और स्वास्थ्य सेवाओं के लिए आवश्यक होता है। हालांकि, उच्च सार्वजनिक ऋण चिंता का विषय बन जाता है जब यह जीडीपी के अनRead more
सार्वजनिक ऋण उस राशि को कहते हैं जो सरकार विभिन्न स्रोतों से उधार लेती है, जैसे बैंकों, वित्तीय संस्थानों और विदेशी सरकारों से। यह ऋण आमतौर पर सरकारी खर्चों, जैसे बुनियादी ढांचे, शिक्षा, और स्वास्थ्य सेवाओं के लिए आवश्यक होता है।
हालांकि, उच्च सार्वजनिक ऋण चिंता का विषय बन जाता है जब यह जीडीपी के अनुपात में बहुत अधिक हो जाता है। इससे अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है, जैसे महंगाई, उच्च ब्याज दरें और निवेश में कमी। बढ़ता ऋण सरकार को भविष्य में कर बढ़ाने या खर्च में कटौती करने के लिए मजबूर कर सकता है, जिससे आर्थिक वृद्धि प्रभावित होती है।
भारत में, सार्वजनिक ऋण का स्तर चिंताजनक हो सकता है, विशेषकर जब इसे बढ़ते वित्तीय घाटे के साथ जोड़ा जाता है। कोविड-19 महामारी के बाद, भारत का सार्वजनिक ऋण बढ़ा है, जिससे विकास की संभावनाएँ प्रभावित हो सकती हैं। उच्च ऋण के कारण विदेशी निवेशकों का विश्वास कम हो सकता है और यह आर्थिक स्थिरता के लिए खतरा बन सकता है। इसलिए, भारतीय सरकार को सतर्क रहकर संतुलित वित्तीय नीतियों की आवश्यकता है।
See lessभारत में 17वीं से 19वीं शताब्दी के बीच विकसित और समृद्ध पहाड़ी चित्रकला शैलियों का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत कीजिए।(150 words)
17वीं से 19वीं शताब्दी के बीच भारत में पहाड़ी चित्रकला शैलियों का विकास हुआ, जो अद्वितीय सांस्कृतिक और भौगोलिक विशेषताओं को दर्शाती हैं। प्रमुख शैलियों में कांगड़ा, मंडी, और कुल्लू शामिल हैं। कांगड़ा चित्रकला, विशेष रूप से प्रेम और भक्ति के विषयों को चित्रित करती है, जिसमें प्राकृतिक दृश्य और शास्त्Read more
17वीं से 19वीं शताब्दी के बीच भारत में पहाड़ी चित्रकला शैलियों का विकास हुआ, जो अद्वितीय सांस्कृतिक और भौगोलिक विशेषताओं को दर्शाती हैं। प्रमुख शैलियों में कांगड़ा, मंडी, और कुल्लू शामिल हैं। कांगड़ा चित्रकला, विशेष रूप से प्रेम और भक्ति के विषयों को चित्रित करती है, जिसमें प्राकृतिक दृश्य और शास्त्रीय कथाएँ शामिल हैं। उदाहरण स्वरूप, “राधा-कृष्ण” की चित्रण अत्यंत लोकप्रिय है।
मंडी चित्रकला में धार्मिकता और लोकजीवन का समावेश है, जिसमें रंगीन और जीवंत चित्रण देखने को मिलता है। कुल्लू की शैली में भी देवी-देवताओं की पूजा और प्राकृतिक सौंदर्य को दर्शाया गया है।
इन शैलियों में हल्के रंगों, बारीक विवरण और भावनात्मक गहराई का विशेष ध्यान रखा गया। पहाड़ी चित्रकला ने भारतीय कला को समृद्ध किया और आज भी यह सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक है।
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