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शिक्षा और विदेशी मामलों के क्षेत्र में डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के योगदान को वर्णित कीजिए। (उत्तर 250 शब्दों में दें)
डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन, भारतीय राजनीतिज्ञ, शिक्षाविद्, और भारतीय दर्शनशास्त्र के प्रमुख व्यक्ति थे। उन्होंने अपने जीवन के दौरान शिक्षा और विदेशी मामलों के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया। राधाकृष्णन ने भारतीय शिक्षा के विकास में अहम भूमिका निभाई और शिक्षा को जनता तक पहुंचाने के लिए कई योजनाएं चRead more
डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन, भारतीय राजनीतिज्ञ, शिक्षाविद्, और भारतीय दर्शनशास्त्र के प्रमुख व्यक्ति थे। उन्होंने अपने जीवन के दौरान शिक्षा और विदेशी मामलों के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया। राधाकृष्णन ने भारतीय शिक्षा के विकास में अहम भूमिका निभाई और शिक्षा को जनता तक पहुंचाने के लिए कई योजनाएं चलाई।
उन्होंने भारतीय संस्कृति और दर्शन के महत्व को विदेशों में प्रस्तुत किया और इससे भारत की पहचान को बढ़ाया। उन्होंने भारतीय संस्कृति को ग्लोबल प्लेटफॉर्म पर प्रस्तुत किया और विश्व भर में भारतीय दर्शन की महिमा को बढ़ावा दिया।
उनकी शिक्षा और विदेशी मामलों में उनकी विचारशीलता, विद्वत्ता, और समर्पण ने एक महत्वपूर्ण प्रभाव डाला। उनके योगदान से भारतीय शिक्षा और संस्कृति को ग्लोबल स्तर पर मान्यता मिली और उन्होंने भारत की पहचान को विश्व स्तर पर मजबूत किया।
See lessबहुषात्विक ग्रंथिकाओं (पॉलिमेटेलिक नोड्यूल्स) के भौगोलिक वितरण का उदाहरण प्रस्तुत करते हुए, उनके महत्व पर चर्चा कीजिए। (150 शब्दों में उत्तर दीजिए)
बहुषात्विक ग्रंथिकाएँ या पॉलिमेटेलिक नोड्यूल्स जैसे संगठन विशेष जीवों के भौगोलिक वितरण का उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत करती हैं। इनका महत्व जीवनकला, पर्यावरणीय संतुलन, और जैविक विविधता के लिए अत्यधिक है। ये ग्रंथिकाएँ विभिन्न स्थानों में पाए जाते हैं और उनका वितरण भूमि, जल, और हवा में विभिन्न प्रकार केRead more
बहुषात्विक ग्रंथिकाएँ या पॉलिमेटेलिक नोड्यूल्स जैसे संगठन विशेष जीवों के भौगोलिक वितरण का उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत करती हैं। इनका महत्व जीवनकला, पर्यावरणीय संतुलन, और जैविक विविधता के लिए अत्यधिक है। ये ग्रंथिकाएँ विभिन्न स्थानों में पाए जाते हैं और उनका वितरण भूमि, जल, और हवा में विभिन्न प्रकार के पर्यावरणीय नियमितियों के आधार पर होता है। ये नोड्यूल्स भुगोलशास्त्र और पारिस्थितिकी विज्ञान में महत्वपूर्ण रोल निभाते हैं क्योंकि इनका वितरण इकोसिस्टम की सुरक्षितता और संतुलन के लिए आवश्यक होता है। इनके अवसादन के कारण जीवों के बीच अद्वितीय संबंध बनते हैं और इससे प्राकृतिक वातावरण का संतुलन बना रहता है।
See lessभारत के समावेशी विकास की राह में महत्वपूर्ण प्रभाव डालने के लिए एक लचीला और समृद्ध MSME क्षेत्रक आवश्यक है। इस क्षेत्रक द्वारा सामना किए जाने वाले मुद्दों के संदर्भ में चर्चा कीजिए। (150 शब्दों में उत्तर दीजिए)
भारतीय MSME क्षेत्र एक महत्वपूर्ण अवधारणा है जो देश के समावेशी विकास में अहम भूमिका निभा सकती है। हालांकि, इस क्षेत्र का सामना कई मुद्दों से होता है। वित्तीय संकट, अदबाजी, प्रौद्योगिकी में पिछड़ावा, बाजार में प्रवेश में अवरोध, तकनीकी नवाचारों के अभाव, और उचित वित्तीय संसाधनों की कमी इस क्षेत्र के साRead more
भारतीय MSME क्षेत्र एक महत्वपूर्ण अवधारणा है जो देश के समावेशी विकास में अहम भूमिका निभा सकती है। हालांकि, इस क्षेत्र का सामना कई मुद्दों से होता है। वित्तीय संकट, अदबाजी, प्रौद्योगिकी में पिछड़ावा, बाजार में प्रवेश में अवरोध, तकनीकी नवाचारों के अभाव, और उचित वित्तीय संसाधनों की कमी इस क्षेत्र के सामने आने वाली चुनौतियों में से कुछ है। इन मुद्दों का समाधान करने के लिए सरकार को प्रोत्साहन देना, वित्तीय संसाधनों को सुलझाना, तकनीकी नवाचारों का उपयोग करना, और व्यापारिक अदालतों का संवाहन करना आवश्यक है। इसके साथ ही, एक सुचारू नीतिगत मार्गदर्शन और सामाजिक सहयोग भी इस क्षेत्र को समृद्धि की ओर ले जा सकते हैं।
See lessभारत में प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र को उधार के समक्ष कई चुनौतियां विद्यमान हैं। इस संदर्भ में, एक नीतिगत साधन के रूप में इसकी उपयोगिता पर चर्चा कीजिए। (150 शब्दों में उत्तर दें)
भारत में प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्रों को उधार के समक्ष कई चुनौतियाँ हैं, जैसे भूमि संकट, विद्यालयी असंतुलन, अधिकारियों की कमी, और शिक्षकों की अभाव। इन समस्याओं का समाधान करने के लिए एक नीतिगत साधन की आवश्यकता है। एक सुचारू नीतिगत साधन, जैसे कि सरकारी योजनाएं और कार्यक्रम, उचित विद्युत संसाधन, अद्यतनRead more
भारत में प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्रों को उधार के समक्ष कई चुनौतियाँ हैं, जैसे भूमि संकट, विद्यालयी असंतुलन, अधिकारियों की कमी, और शिक्षकों की अभाव। इन समस्याओं का समाधान करने के लिए एक नीतिगत साधन की आवश्यकता है। एक सुचारू नीतिगत साधन, जैसे कि सरकारी योजनाएं और कार्यक्रम, उचित विद्युत संसाधन, अद्यतन शिक्षा पद्धतियाँ, और स्थानीय समुदायों के साथ साझेदारी, प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्रों को सुधारने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। इस साथ, सामाजिक और वित्तीय समर्थन के माध्यम से भी इन समस्याओं का समाधान संभव है। नीतिगत साधन से संबंधित समाधान उन्नति को प्रोत्साहित कर सकता है और प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्रों को सुधारने में मदद कर सकता है।
See lessभारत में विभिन्न विकास पहलों की लेखापरीक्षा रिपोर्टों में बार-बार सार्वजनिक व्यय संबधी अक्षमताओं को उजागर किया गया है। इन अक्षमताओं की पहचान करते हुए, इनके समाधान हेतु अपनाए जाने वाले उपायों का सुझाव दीजिए। (150 शब्दों में उत्तर दें)
भारत में सार्वजनिक व्यय संबंधी अक्षमताओं का समाधान करने के लिए कई उपाय हैं। पहले, सरकार को व्यय को नियंत्रित करने और प्रभावी बनाने के लिए नीतियों को सुधारना चाहिए। दूसरे, सार्वजनिक वित्त व्यवस्था में पारदर्शिता और ज़िम्मेदारी को बढ़ावा देना चाहिए। तीसरे, विभिन्न स्तरों पर व्यय को मापने और मॉनिटर करनRead more
भारत में सार्वजनिक व्यय संबंधी अक्षमताओं का समाधान करने के लिए कई उपाय हैं। पहले, सरकार को व्यय को नियंत्रित करने और प्रभावी बनाने के लिए नीतियों को सुधारना चाहिए। दूसरे, सार्वजनिक वित्त व्यवस्था में पारदर्शिता और ज़िम्मेदारी को बढ़ावा देना चाहिए। तीसरे, विभिन्न स्तरों पर व्यय को मापने और मॉनिटर करने के लिए तकनीकी उपाय अपनाने चाहिए। चौथे, व्यय के स्तर को नियंत्रित करने के लिए अधिक वित्तीय संविदाएं और लेखांकन प्रक्रियाएं लागू करने चाहिए। इनके अलावा, सार्वजनिक व्यय को लेकर जनता को जागरूक करने और सक्रिय भागीदारी को बढ़ाने के लिए संज्ञान बढ़ाना जरूरी है। इन उपायों के साथ, सार्वजनिक व्यय संबंधी अक्षमताओं को सुधारने में मदद मिल सकती है।
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