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भारत-आसियान संबंधों के विकास पर चर्चा करें तथा मतभेदों और सहयोग के प्रमुख क्षेत्रों का मूल्यांकन करें, साथ ही हाल के भू-राजनीतिक घटनाक्रमों के संदर्भ में इस साझेदारी को मजबूत करने के उपायों पर भी चर्चा करें। (200 शब्द)
भारत और आसियान (ASEAN) के संबंध 1992 में संवाद साझेदार के रूप में शुरू हुए, जो 2012 में रणनीतिक साझेदारी में परिवर्तित हुए। वर्तमान में, विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार के क्षेत्र में सहयोग के लिए आसियान-भारत विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार सहयोग कार्यक्रम संचालित है। सहयोग के प्रमुख क्षेत्र: विज्ञाRead more
भारत और आसियान (ASEAN) के संबंध 1992 में संवाद साझेदार के रूप में शुरू हुए, जो 2012 में रणनीतिक साझेदारी में परिवर्तित हुए। वर्तमान में, विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार के क्षेत्र में सहयोग के लिए आसियान-भारत विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार सहयोग कार्यक्रम संचालित है।
सहयोग के प्रमुख क्षेत्र:
मतभेद के प्रमुख क्षेत्र:
साझेदारी को मजबूत करने के उपाय:
इन उपायों के माध्यम से, भारत और आसियान अपनी साझेदारी को और मजबूत कर सकते हैं।
See less“भारत में विकासात्मक आकांक्षाओं को पर्यावरणीय स्थिरता के साथ संतुलित करने के लिए प्रमुख चुनौतियों और रणनीतियों पर चर्चा करें, विशेष रूप से केन-बेतवा नदी जोड़ो परियोजना जैसी परियोजनाओं के संदर्भ में।” (200 शब्द)
परिचय भारत में विकास और पर्यावरणीय स्थिरता को संतुलित करना एक चुनौतीपूर्ण कार्य है, विशेषकर केन-बेतवा नदी जोड़ो परियोजना जैसे प्रयासों में। मुख्य चुनौतियाँ पर्यावरणीय प्रभाव: परियोजना पन्ना टाइगर रिजर्व और केन नदी के गड़ियाल जैसे प्रजातियों पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है। पुनर्वास और विस्थापन: लगभगRead more
परिचय
भारत में विकास और पर्यावरणीय स्थिरता को संतुलित करना एक चुनौतीपूर्ण कार्य है, विशेषकर केन-बेतवा नदी जोड़ो परियोजना जैसे प्रयासों में।
मुख्य चुनौतियाँ
रणनीतियाँ
निष्कर्ष
See lessपर्यावरणीय स्थिरता सुनिश्चित करते हुए विकासात्मक परियोजनाओं को लागू करना ही भारत के लिए दीर्घकालिक समाधान है।
भारत के खुदरा परिदृश्य पर त्वरित वाणिज्य के प्रभाव पर चर्चा करें। इससे क्या विनियामक चुनौतियाँ उत्पन्न होती हैं, और सरकार इस उभरते क्षेत्र को स्थायी विकास सुनिश्चित करने के लिए प्रभावी रूप से कैसे विनियमित कर सकती है? (200 शब्द)
भारत के खुदरा परिदृश्य पर त्वरित वाणिज्य का प्रभाव उपभोक्ता सुविधा: त्वरित वाणिज्य ने उपभोक्ताओं को मिनटों में सामान प्राप्त करने का विकल्प दिया है, जिससे खरीदारी का अनुभव आसान और तेज हुआ है। बाजार में बदलाव: कंपनियाँ जैसे Blinkit और Zepto ने पारंपरिक खुदरा दुकानों को चुनौती दी है। यह सेवा ई-कॉमर्सRead more
भारत के खुदरा परिदृश्य पर त्वरित वाणिज्य का प्रभाव
विनियामक चुनौतियाँ
सरकार द्वारा विनियमन
भारत के वैश्विक प्रभाव को बढ़ाने में प्रवासी भारतीयों के महत्व पर चर्चा करें। भारत के विकास में उनके योगदान को अधिकतम करने के लिए सरकार इस समुदाय के साथ कैसे जुड़ सकती है?
भारत के प्रवासी भारतीयों का वैश्विक प्रभाव बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान है। वे न केवल भारत की सांस्कृतिक धरोहर का प्रचार करते हैं, बल्कि व्यापार, शिक्षा, और विज्ञान के क्षेत्रों में भी भारत का प्रतिनिधित्व करते हैं। प्रवासी भारतीयों का समर्थन भारत की वैश्विक कूटनीति को भी मजबूत करता है। भारत के विकाRead more
भारत के प्रवासी भारतीयों का वैश्विक प्रभाव बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान है। वे न केवल भारत की सांस्कृतिक धरोहर का प्रचार करते हैं, बल्कि व्यापार, शिक्षा, और विज्ञान के क्षेत्रों में भी भारत का प्रतिनिधित्व करते हैं। प्रवासी भारतीयों का समर्थन भारत की वैश्विक कूटनीति को भी मजबूत करता है।
भारत के विकास में उनके योगदान को अधिकतम करने के लिए सरकार को इन समुदायों के साथ सक्रिय रूप से जुड़ना होगा। इसके लिए निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं:
इस प्रकार, प्रवासी भारतीयों का सहयोग भारत के अंतरराष्ट्रीय प्रभाव को बढ़ाने में सहायक हो सकता है।
See lessबहुषात्विक ग्रंथिकाओं (पॉलिमेटेलिक नोड्यूल्स) के भौगोलिक वितरण के उदाहरण देते हुए, उनके महत्व पर विस्तृत चर्चा करें ! ( 200 शब्द)
पॉलिमेटेलिक नोड्यूल्स (बहुधात्विक ग्रंथिकाएँ) समुद्र तल पर पाई जाने वाली खनिज समृद्ध संरचनाएँ हैं, जिनमें मैंगनीज, निकल, कोबाल्ट, तांबा आदि धातुएँ होती हैं। भौगोलिक वितरण: मध्य हिंद महासागर बेसिन (CIOB): भारत को अंतर्राष्ट्रीय समुद्री प्राधिकरण (ISA) द्वारा 75,000 वर्ग किलोमीटर का क्षेत्र अन्वेषण हेRead more
पॉलिमेटेलिक नोड्यूल्स (बहुधात्विक ग्रंथिकाएँ) समुद्र तल पर पाई जाने वाली खनिज समृद्ध संरचनाएँ हैं, जिनमें मैंगनीज, निकल, कोबाल्ट, तांबा आदि धातुएँ होती हैं।
भौगोलिक वितरण:
महत्व:
इन नोड्यूल्स का दोहन उच्च-प्रौद्योगिकी उद्योगों के लिए आवश्यक धातुओं की आपूर्ति सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
See lessअसहयोग आंदोलन के बाद क्रांतिकारी गतिविधियों के उभरने के कारणों की व्याख्या उदाहरणों के साथ कीजिए। (उत्तर 200 शब्दों में दें)
असहयोग आंदोलन (1920-1922) की समाप्ति के बाद भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में क्रांतिकारी गतिविधियों में वृद्धि के कई कारण थे: 1. आंदोलन की अचानक समाप्ति: चौरी-चौरा की घटना के बाद महात्मा गांधी ने आंदोलन को अचानक समाप्त कर दिया, जिससे कई युवा निराश हुए और उन्होंने सशस्त्र संघर्ष का मार्ग अपनाया। 2. ब्रिRead more
असहयोग आंदोलन (1920-1922) की समाप्ति के बाद भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में क्रांतिकारी गतिविधियों में वृद्धि के कई कारण थे:
1. आंदोलन की अचानक समाप्ति:
2. ब्रिटिश दमनकारी नीतियाँ:
3. अंतर्राष्ट्रीय क्रांतियों से प्रेरणा:
4. क्रांतिकारी साहित्य का प्रभाव:
5. क्रांतिकारी संगठनों की स्थापना:
इन सभी कारणों से असहयोग आंदोलन के बाद क्रांतिकारी गतिविधियों में उल्लेखनीय वृद्धि हुई, जिसने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को एक नई दिशा दी।
See lessवाताग्र जनन के लिए आवश्यक शर्तों की व्याख्या करें और वाताग्रों के वैश्विक वितरण के प्रतिरूप का विवरण प्रस्तुत करें। (उत्तर 150 शब्दों में दें)
वाताग्र जनन के लिए आवश्यक शर्तें: वायुराशियों का अभिसरण: वाताग्र जनन हेतु दो विपरीत स्वभाव की वायुराशियों का मिलना आवश्यक है, जिससे तापमान और आर्द्रता में भिन्नता उत्पन्न होती है। तापमान और आर्द्रता में अंतर: वायुराशियों के बीच ताप और आर्द्रता में पर्याप्त अंतर होना चाहिए, जिससे एक वायुराशि दूसरी केRead more
वाताग्र जनन के लिए आवश्यक शर्तें:
वाताग्रों के वैश्विक वितरण के प्रतिरूप:
इन वाताग्र प्रदेशों का वितरण मौसम संबंधी विविधताओं और चक्रवातों के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
See lessविश्वभर में पाए जाने वाले विभिन्न प्रकार के मरुस्थलों के निर्माण की प्रक्रिया की व्याख्या करें और उनके प्रकारों व विशेषताओं का विवरण प्रस्तुत करें। (200 शब्दों में उत्तर दें)
मरुस्थलों के निर्माण और उनके प्रकार निर्माण प्रक्रिया: मरुस्थलों का निर्माण मुख्यतः जलवायु और भूगर्भीय प्रक्रियाओं से होता है। जलवायु प्रभाव: अत्यधिक कम वर्षा (250 मिमी से कम), उच्च तापमान और तेज़ वायु इनका निर्माण करते हैं। भूगर्भीय कारक: पर्वत श्रृंखलाएं वर्षा छाया क्षेत्र बनाती हैं, जिससे मरुस्थलRead more
मरुस्थलों के निर्माण और उनके प्रकार
निर्माण प्रक्रिया:
मरुस्थलों का निर्माण मुख्यतः जलवायु और भूगर्भीय प्रक्रियाओं से होता है।
मरुस्थलों के प्रकार और विशेषताएँ:
वर्तमान परिप्रेक्ष्य:
भारत में कोयले के वितरण का विस्तार से वर्णन करें। उत्तर 200 शब्दों में दें)
भारत में कोयले का वितरण भारत का कोयला भंडार ऊर्जा उत्पादन का मुख्य स्रोत है, जो देश की कुल बिजली उत्पादन का 55% से अधिक है। गोंडवाना कोयला क्षेत्र (98% भंडार) झारखंड: झरिया और बोकारो कोयला क्षेत्र ऊर्जा और इस्पात उद्योगों के लिए अहम। छत्तीसगढ़: कोरबा कोयला क्षेत्र थर्मल पावर प्लांट के लिए प्रमुख स्रRead more
भारत में कोयले का वितरण
भारत का कोयला भंडार ऊर्जा उत्पादन का मुख्य स्रोत है, जो देश की कुल बिजली उत्पादन का 55% से अधिक है।
गोंडवाना कोयला क्षेत्र (98% भंडार)
तृतीयक कोयला क्षेत्र (2% भंडार)
वर्तमान परिदृश्य
2023 में भारत ने 893 मिलियन टन कोयला उत्पादन किया और इसे 2024 तक 1 बिलियन टन तक बढ़ाने की योजना है।
भारत का कोयला भंडार ऊर्जा क्षेत्र के लिए महत्वपूर्ण है, लेकिन स्वच्छ ऊर्जा की ओर बदलाव अनिवार्य है।
See lessअधिकरण क्या होते हैं? भारतीय संविधान के अनुच्छेद 323A और अनुच्छेद 323B में क्या अंतर है?(उत्तर 200 शब्दों में दें)
अधिकरण और उनके संवैधानिक प्रावधान अधिकरण: अधिकरण एक अर्ध-न्यायिक संस्था है, जो प्रशासनिक और कर संबंधी विवादों के निपटारे के लिए बनाई जाती है। यह विवादों का निपटारा त्वरित और विशेषीकृत तरीके से करता है। यह अधिकार निर्धारण, प्रशासनिक निर्णयों की समीक्षा और विवादों के समाधान जैसे कार्य करता है। इन्हेंRead more
अधिकरण और उनके संवैधानिक प्रावधान
अधिकरण:
अधिकरण एक अर्ध-न्यायिक संस्था है, जो प्रशासनिक और कर संबंधी विवादों के निपटारे के लिए बनाई जाती है। यह विवादों का निपटारा त्वरित और विशेषीकृत तरीके से करता है।
अनुच्छेद 323A और 323B में अंतर
अनुच्छेद 323A
अनुच्छेद 323B
मुख्य अंतर
अधिकरण विवाद निपटान में न्यायपालिका का भार कम करते हैं, लेकिन इनके कार्यान्वयन में पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित करना आवश्यक है।
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