‘संसाधन के अभाव से ग्रस्त’ राष्ट्रों की मदद के लिए ‘अंतरराष्ट्रीय सहायता’ एक स्वीकृत व्यवस्था है । समसामयिक अंतरराष्ट्रीय सहायता में नैतिकता’ पर टिप्पणी कीजिए। अपने उत्तर को उचित उदाहरणों द्वारा पुष्ट कीजिए । (150 words)[UPSC 2023]
नैतिक ईमानदारी और पेशेवर दक्षता: नैतिक ईमानदारी: नैतिक ईमानदारी से तात्पर्य है व्यापारिक प्रथाओं में ईमानदारी और नैतिक सिद्धांतों का पालन। भारत में, सत्याम कंप्यूटर के 2009 के घोटाले ने नैतिक ईमानदारी की कमी को उजागर किया। कंपनी के प्रबंधन ने वित्तीय विवरणों में हेरफेर किया, जिससे बड़े पैमाने पर धोखRead more
नैतिक ईमानदारी और पेशेवर दक्षता:
नैतिक ईमानदारी: नैतिक ईमानदारी से तात्पर्य है व्यापारिक प्रथाओं में ईमानदारी और नैतिक सिद्धांतों का पालन। भारत में, सत्याम कंप्यूटर के 2009 के घोटाले ने नैतिक ईमानदारी की कमी को उजागर किया। कंपनी के प्रबंधन ने वित्तीय विवरणों में हेरफेर किया, जिससे बड़े पैमाने पर धोखाधड़ी हुई। इस मामले ने साबित किया कि नैतिक सिद्धांतों का पालन करना कितना आवश्यक है और मजबूत कॉर्पोरेट शासन तंत्र की आवश्यकता को रेखांकित किया।
पेशेवर दक्षता: पेशेवर दक्षता का मतलब है कि कंपनी अपने कार्यों को कुशलतापूर्वक और जिम्मेदारी से संचालित करे। इन्फोसिस इसका एक अच्छा उदाहरण है, जिसने अपने मजबूत कॉर्पोरेट शासन ढांचे के लिए सराहना प्राप्त की है। कंपनी नियमित ऑडिट, पारदर्शी वित्तीय विवरण और नैतिक मानकों के पालन के लिए प्रसिद्ध है, जो उसके संचालन की दक्षता और विश्वसनीयता को दर्शाता है।
नैतिक ईमानदारी और पेशेवर दक्षता दोनों ही भारत में कॉर्पोरेट विश्वसनीयता और स्थिरता को सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण हैं।
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समसामयिक अंतरराष्ट्रीय सहायता में नैतिकता पारदर्शिता और जवाबदेही: अंतरराष्ट्रीय सहायता का नैतिक पहलू यह सुनिश्चित करता है कि सहायता सही तरीके से और बिना किसी दुरुपयोग के प्राप्तकर्ताओं तक पहुंचे। हैती में 2010 के भूकंप के बाद, सहायता के प्रबंधन और समन्वय की कमी के कारण आलोचना हुई, जिससे राहत प्रयासोRead more
समसामयिक अंतरराष्ट्रीय सहायता में नैतिकता
पारदर्शिता और जवाबदेही: अंतरराष्ट्रीय सहायता का नैतिक पहलू यह सुनिश्चित करता है कि सहायता सही तरीके से और बिना किसी दुरुपयोग के प्राप्तकर्ताओं तक पहुंचे। हैती में 2010 के भूकंप के बाद, सहायता के प्रबंधन और समन्वय की कमी के कारण आलोचना हुई, जिससे राहत प्रयासों में देरी और अक्षमता उत्पन्न हुई।
शर्तें और संप्रभुता: दानदाताओं द्वारा लगाए गए शर्तें कभी-कभी प्राप्त देशों की संप्रभुता को कमजोर कर सकती हैं। अफगानिस्तान में, सहायता की शर्तें स्थानीय जरूरतों की तुलना में दानदाताओं के हितों को प्राथमिकता देने की आलोचना की गई है।
स्थानीय अर्थव्यवस्थाओं पर प्रभाव: अंतरराष्ट्रीय सहायता को स्थानीय अर्थव्यवस्थाओं को बाधित नहीं करना चाहिए। अफ्रीका में खाद्य सहायता का उदाहरण है, जहां बड़े पैमाने पर आयात ने स्थानीय कृषि को नुकसान पहुंचाया और स्थानीय बाजार के मूल्य प्रभावित किए।
इस प्रकार, नैतिक अंतरराष्ट्रीय सहायता पारदर्शिता, संप्रभुता का सम्मान, और सतत प्रभाव सुनिश्चित करने पर जोर देती है।
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