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जनांकिकी लाभांश से आप क्या समझते हैं? यू० एन० एफ० पी० ए० की रिपोर्ट के अनुसार, भारत विशेष रूप से बिहार को इसके लाभ उठाने के अवसर किस समय तक प्राप्त होंगे? बिहार द्वारा इस संबंध में उठाए गए कदमों पर प्रकाश डालिए। [67वीं बीपीएससी मुख्य परीक्षा 2022]
जनांकिकी लाभांश का अर्थ जनांकिकी लाभांश से तात्पर्य उस आर्थिक लाभ से है जो तब प्राप्त होता है जब किसी देश में कार्यशील जनसंख्या (15-64 वर्ष) का अनुपात अन्य उम्र समूहों की तुलना में अधिक होता है। इसका सीधा प्रभाव आर्थिक विकास और सामाजिक सुधार पर पड़ता है क्योंकि अधिक श्रम शक्ति का अर्थ है अधिक उत्पादRead more
जनांकिकी लाभांश का अर्थ
जनांकिकी लाभांश से तात्पर्य उस आर्थिक लाभ से है जो तब प्राप्त होता है जब किसी देश में कार्यशील जनसंख्या (15-64 वर्ष) का अनुपात अन्य उम्र समूहों की तुलना में अधिक होता है। इसका सीधा प्रभाव आर्थिक विकास और सामाजिक सुधार पर पड़ता है क्योंकि अधिक श्रम शक्ति का अर्थ है अधिक उत्पादन और समृद्धि।
यूएनएफपीए की रिपोर्ट के अनुसार अवसर का समय
संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (यूएनएफपीए) की रिपोर्ट के अनुसार, भारत को जनांकिकी लाभांश का लाभ 2055 तक मिल सकता है। विशेष रूप से, बिहार जैसे राज्य, जहाँ युवा जनसंख्या का हिस्सा बड़ा है, को इस जनांकिकी अवसर का लाभ 2040-2050 तक मिलने की संभावना है। यह समयावधि बिहार की अर्थव्यवस्था में उन्नति और सामाजिक विकास के लिए महत्वपूर्ण अवसर प्रदान करती है।
बिहार द्वारा जनांकिकी लाभांश को प्राप्त करने के लिए उठाए गए कदम
बिहार सरकार ने इस जनांकिकी लाभांश का अधिकतम लाभ उठाने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं, जिनमें शामिल हैं:
निष्कर्ष
बिहार में जनांकिकी लाभांश के माध्यम से आर्थिक और सामाजिक विकास की अपार संभावनाएँ हैं। इसके लिए आवश्यक है कि सरकार शिक्षा, स्वास्थ्य, कौशल विकास और रोजगार सृजन के क्षेत्र में निरंतर सुधार करती रहे। यदि बिहार इन प्रयासों को सही दिशा में आगे बढ़ाता है, तो वह जनांकिकी लाभांश का पूर्ण लाभ उठा सकता है, जो राज्य की अर्थव्यवस्था और समाज को सशक्त बनाएगा।
बिहार सरकार के 2019-20 के आर्थिक सर्वेक्षण में यह कहा गया है कि गत तीन वर्षों में बिहार की विकास दर भारत की विकास दर से अधिक रही है। अर्थव्यवस्था के किन क्षेत्रों ने इस प्रगति में योगदान किया है? वर्णन कीजिए। [67वीं बीपीएससी मुख्य परीक्षा 2022]
बिहार की आर्थिक विकास दर का विश्लेषण बिहार सरकार के 2019-20 के आर्थिक सर्वेक्षण में यह उल्लेख किया गया है कि बिहार की विकास दर पिछले तीन वर्षों में भारत की विकास दर से अधिक रही है। यह बिहार की आर्थिक वृद्धि और विकास में एक सकारात्मक बदलाव को दर्शाता है। 1. बिहार की उच्च विकास दर बिहार की विकास दर 20Read more
बिहार की आर्थिक विकास दर का विश्लेषण
बिहार सरकार के 2019-20 के आर्थिक सर्वेक्षण में यह उल्लेख किया गया है कि बिहार की विकास दर पिछले तीन वर्षों में भारत की विकास दर से अधिक रही है। यह बिहार की आर्थिक वृद्धि और विकास में एक सकारात्मक बदलाव को दर्शाता है।
1. बिहार की उच्च विकास दर
2. कृषि क्षेत्र का योगदान
3. निर्माण और बुनियादी ढांचा क्षेत्र
4. सेवा क्षेत्र का विकास
5. संघीय मदद और सरकारी योजनाएँ
6. आलोचनाएँ और चुनौतियाँ
निष्कर्ष
बिहार की आर्थिक वृद्धि ने न केवल राज्य की अर्थव्यवस्था को सशक्त किया है, बल्कि यह राज्य की समग्र सामाजिक और आर्थिक प्रगति के लिए सकारात्मक संकेतक भी है। हालांकि, इन विकास दरों को बनाए रखने के लिए और कई अन्य क्षेत्रों में सुधार करने की आवश्यकता है। राज्य सरकार द्वारा उठाए गए कदमों का क्रियान्वयन और केंद्र सरकार की मदद से बिहार में और भी बड़े बदलाव संभव हैं।
See lessभारत की संसद राष्ट्रीय एकीकरण कर एक प्रभावी मंच है। विवेचना कीजिए। [67वीं बीपीएससी मुख्य परीक्षा 2022]
भारत की संसद और राष्ट्रीय एकीकरण भारत की संसद राष्ट्रीय एकीकरण का एक प्रभावी मंच है, क्योंकि यह विभिन्न भाषाओं, संस्कृतियों, धर्मों, और जातियों के लोगों को एक मंच पर लाकर एकजुट करती है। भारतीय लोकतंत्र की यह सबसे बड़ी विशेषता है कि यहाँ विभिन्न विचारधाराएँ, विविधताएँ और मतभेद हैं, फिर भी संसद का मुखRead more
भारत की संसद और राष्ट्रीय एकीकरण
भारत की संसद राष्ट्रीय एकीकरण का एक प्रभावी मंच है, क्योंकि यह विभिन्न भाषाओं, संस्कृतियों, धर्मों, और जातियों के लोगों को एक मंच पर लाकर एकजुट करती है। भारतीय लोकतंत्र की यह सबसे बड़ी विशेषता है कि यहाँ विभिन्न विचारधाराएँ, विविधताएँ और मतभेद हैं, फिर भी संसद का मुख्य उद्देश्य इन विविधताओं को सामंजस्यपूर्ण रूप से एकजुट करना है।
1. संसद का संरचनात्मक महत्व
2. राष्ट्रीय एकीकरण में संसद का योगदान
3. संसद द्वारा राष्ट्रीय एकीकरण के लिए किए गए प्रयास
4. संसद की प्रमुख भूमिका
5. विरोध और चुनौतियाँ
हालाँकि भारतीय संसद राष्ट्रीय एकीकरण के लिए काम कर रही है, कुछ क्षेत्रीय दलों और विचारधाराओं के बीच मतभेद कभी-कभी राष्ट्रीय स्तर पर चुनौतीपूर्ण साबित होते हैं। विशेषकर जब राष्ट्रीय निर्णय क्षेत्रीय भाषाओं, संस्कृतियों और संसाधनों से जुड़े होते हैं, तो इन मुद्दों को हल करना कठिन हो सकता है। उदाहरण के तौर पर, कश्मीर मुद्दा और अन्य क्षेत्रीय विवादों ने संसद की एकता को चुनौती दी है।
निष्कर्ष
भारत की संसद राष्ट्रीय एकीकरण का प्रभावी मंच है, क्योंकि यह विभिन्न विचारधाराओं, संस्कृतियों, और समाज के विभिन्न वर्गों को एकजुट करके राष्ट्रीय हित में निर्णय लेने में सक्षम बनाती है। हालांकि, क्षेत्रीय और सांस्कृतिक विविधताओं के बीच कुछ मतभेद हो सकते हैं, लेकिन संसद का कर्तव्य है कि वह इन विभिन्नताओं को सकारात्मक रूप से जोड़कर राष्ट्र के समग्र विकास की दिशा में काम करे।
See less"भारतीय राज्यों के असमान विकास ने कई सामाजिक-आर्थिक एवं राजनीतिक समस्याओं को जन्म दिया है।" बिहार के विशेष संदर्भ में कथन का आलोचनात्मक विश्लेषण कीजिए। [67वीं बीपीएससी मुख्य परीक्षा 2022]
भारतीय राज्यों के असमान विकास और बिहार भारतीय संघ में राज्यों का असमान विकास एक गंभीर समस्या बन चुकी है, जो न केवल सामाजिक-आर्थिक बल्कि राजनीतिक समस्याओं को भी जन्म देती है। बिहार इस असमानता का एक प्रमुख उदाहरण है, जहाँ आर्थिक, शैक्षिक, और सामाजिक असमानताएँ देखने को मिलती हैं। यह असमानता न केवल राज्Read more
भारतीय राज्यों के असमान विकास और बिहार
भारतीय संघ में राज्यों का असमान विकास एक गंभीर समस्या बन चुकी है, जो न केवल सामाजिक-आर्थिक बल्कि राजनीतिक समस्याओं को भी जन्म देती है। बिहार इस असमानता का एक प्रमुख उदाहरण है, जहाँ आर्थिक, शैक्षिक, और सामाजिक असमानताएँ देखने को मिलती हैं। यह असमानता न केवल राज्य की आंतरिक समस्याओं को बढ़ावा देती है, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी कई संकटों को जन्म देती है।
बिहार का सामाजिक-आर्थिक विकास
सामाजिक-राजनीतिक समस्याएँ
बिहार में उठाए गए कदम
निष्कर्ष
हालांकि बिहार में सामाजिक-आर्थिक असमानताएँ काफी गहरी हैं, लेकिन राज्य सरकार और केंद्र सरकार द्वारा उठाए गए कदमों ने स्थिति में सुधार लाने की कोशिश की है। राज्य के विकास के लिए और अधिक समग्र दृष्टिकोण की आवश्यकता है, जिसमें शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि, और औद्योगिक विकास के लिए अधिक संसाधन और योजनाएँ उपलब्ध कराई जाएं। बिहार को सामाजिक असमानताओं को समाप्त करने के लिए अधिक सशक्त नीति बनाने की आवश्यकता है, ताकि राज्य एक समृद्ध और समावेशी समाज बना सके।
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