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भारत-आसियान संबंधों के विकास पर चर्चा करें तथा मतभेदों और सहयोग के प्रमुख क्षेत्रों का मूल्यांकन करें, साथ ही हाल के भू-राजनीतिक घटनाक्रमों के संदर्भ में इस साझेदारी को मजबूत करने के उपायों पर भी चर्चा करें। (200 शब्द)
भारत-आसियान संबंधों का विकास भारत ने 1992 में 'लुक ईस्ट पॉलिसी' के तहत आसियान के साथ क्षेत्रीय साझेदारी की शुरुआत की। 2012 में यह संबंध रणनीतिक साझेदारी में परिवर्तित हुआ, और 2014 में 'एक्ट ईस्ट पॉलिसी' के माध्यम से इसे और सुदृढ़ किया गया। 2022 में, दोनों ने अपनी साझेदारी को व्यापक रणनीतिक साझेदारीRead more
भारत-आसियान संबंधों का विकास
भारत ने 1992 में ‘लुक ईस्ट पॉलिसी’ के तहत आसियान के साथ क्षेत्रीय साझेदारी की शुरुआत की। 2012 में यह संबंध रणनीतिक साझेदारी में परिवर्तित हुआ, और 2014 में ‘एक्ट ईस्ट पॉलिसी’ के माध्यम से इसे और सुदृढ़ किया गया। 2022 में, दोनों ने अपनी साझेदारी को व्यापक रणनीतिक साझेदारी के स्तर तक बढ़ाया।
सहयोग के प्रमुख क्षेत्र
मतभेद के प्रमुख क्षेत्र
साझेदारी को मजबूत करने के उपाय
इन उपायों के माध्यम से, भारत और आसियान हाल के भू-राजनीतिक परिवर्तनों के बीच अपनी साझेदारी को और मजबूत कर सकते हैं।
See less“भारत के रक्षा आधुनिकीकरण में आगे बढने और रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने में आने वाली चुनौतियों पर चर्चा करें। इन चुनौतियों से निपटने के उपाय सुझाएँ।” (200 शब्द)
भारत ने रक्षा आधुनिकीकरण में महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं, लेकिन आत्मनिर्भरता प्राप्त करने में कुछ चुनौतियाँ भी हैं। रक्षा आधुनिकीकरण में प्रमुख कदम आत्मनिर्भरता की ओर कदम: रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता बढ़ाने के लिए 'मेक इन इंडिया' पहल शुरू की गई है, जिससे घरेलू उत्पादन को बढ़ावा मिला है। निजी क्षेत्रRead more
भारत ने रक्षा आधुनिकीकरण में महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं, लेकिन आत्मनिर्भरता प्राप्त करने में कुछ चुनौतियाँ भी हैं।
रक्षा आधुनिकीकरण में प्रमुख कदम
आत्मनिर्भरता में चुनौतियाँ
समाधान के उपाय
इन उपायों को अपनाकर, भारत अपने रक्षा आधुनिकीकरण और आत्मनिर्भरता के लक्ष्यों को प्राप्त कर सकता है।
See lessमुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण क्या होता है? भारत में मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण प्रणाली कैसे कार्य करती है? (200 शब्द)
मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण: परिभाषा और भारत में कार्यान्वयन मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण एक मौद्रिक नीति ढांचा है, जिसमें केंद्रीय बैंक एक विशिष्ट मुद्रास्फीति दर को अपने मध्यकालिक लक्ष्य के रूप में निर्धारित करता है और उस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए अपनी मौद्रिक नीतियों, जैसे ब्याज दरों, को समायोजित करताRead more
मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण: परिभाषा और भारत में कार्यान्वयन
मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण एक मौद्रिक नीति ढांचा है, जिसमें केंद्रीय बैंक एक विशिष्ट मुद्रास्फीति दर को अपने मध्यकालिक लक्ष्य के रूप में निर्धारित करता है और उस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए अपनी मौद्रिक नीतियों, जैसे ब्याज दरों, को समायोजित करता है। इसका मुख्य उद्देश्य मूल्य स्थिरता बनाए रखना है, जिससे आर्थिक स्थिरता और विकास को बढ़ावा मिलता है।
भारत में मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण ढांचा
भारत ने 2016 में लचीले मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण (Flexible Inflation Targeting – FIT) ढांचे को अपनाया। इस ढांचे के तहत, भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) मुद्रास्फीति को 4% पर बनाए रखने का लक्ष्य निर्धारित किया है, जिसमें ±2% की सहिष्णुता सीमा है, अर्थात मुद्रास्फीति 2% से 6% के बीच रहनी चाहिए। यह लक्ष्य सरकार और RBI के बीच एक समझौते के रूप में स्थापित किया गया है।
हाल के घटनाक्रम
निष्कर्ष
मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण भारत में मूल्य स्थिरता बनाए रखने के लिए एक प्रभावी ढांचा है। हालांकि, यह घरेलू और वैश्विक कारकों के संयोजन पर निर्भर करता है, जिससे मुद्रास्फीति नियंत्रण और आर्थिक वृद्धि के बीच संतुलन बनाए रखना चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
See lessभारत के खुदरा परिदृश्य पर त्वरित वाणिज्य के प्रभाव पर चर्चा करें। इससे क्या विनियामक चुनौतियाँ उत्पन्न होती हैं, और सरकार इस उभरते क्षेत्र को स्थायी विकास सुनिश्चित करने के लिए प्रभावी रूप से कैसे विनियमित कर सकती है? (200 शब्द)
भारत में त्वरित वाणिज्य का प्रभाव खुदरा परिदृश्य में बदलाव: त्वरित वाणिज्य ने भारत के खुदरा क्षेत्र में एक नई क्रांति की शुरुआत की है। प्लेटफार्म जैसे Blinkit और Zepto ने उपभोक्ताओं को मिनटों में सामान की डिलीवरी देने की सुविधा दी है, जिससे ऑनलाइन खरीदारी की आदतों में बदलाव आया है। विनियामक चुनौतियाRead more
भारत में त्वरित वाणिज्य का प्रभाव
सरकार के लिए समाधान
बहुषात्विक ग्रंथिकाओं (पॉलिमेटेलिक नोड्यूल्स) के भौगोलिक वितरण के उदाहरण देते हुए, उनके महत्व पर विस्तृत चर्चा करें ! ( 200 शब्द)
पॉलीमेटैलिक नोड्यूल्स (PMNs) समुद्र तल पर पाए जाने वाले बहुधात्विक ग्रंथिकाएँ हैं, जिनमें मुख्यतः मैंगनीज, निकेल, कोबाल्ट और तांबा जैसे धातुएँ होती हैं। भौगोलिक वितरण: मध्य हिंद महासागर बेसिन (CIOB): यह क्षेत्र पॉलीमेटैलिक नोड्यूल्स से समृद्ध है। भारत को अंतर्राष्ट्रीय समुद्री प्राधिकरण (ISA) द्वाराRead more
पॉलीमेटैलिक नोड्यूल्स (PMNs) समुद्र तल पर पाए जाने वाले बहुधात्विक ग्रंथिकाएँ हैं, जिनमें मुख्यतः मैंगनीज, निकेल, कोबाल्ट और तांबा जैसे धातुएँ होती हैं।
भौगोलिक वितरण:
महत्व:
हाल ही में, भारत के पॉलीमेटैलिक नोड्यूल्स की खोज के विशेष अधिकारों को 5 वर्षों के लिए बढ़ाया गया है, जिससे इन संसाधनों के सतत उपयोग की दिशा में प्रगति संभव होगी।
See lessअसहयोग आंदोलन के बाद क्रांतिकारी गतिविधियों के उभरने के कारणों की व्याख्या उदाहरणों के साथ कीजिए। (उत्तर 200 शब्दों में दें)
असहयोग आंदोलन (1920-1922) की अचानक समाप्ति के बाद भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में क्रांतिकारी गतिविधियों में वृद्धि हुई। इसके प्रमुख कारण निम्नलिखित थे: आंदोलन की वापसी से निराशा: चौरी-चौरा की घटना के बाद महात्मा गांधी द्वारा आंदोलन को अचानक समाप्त करने से कई युवा राष्ट्रवादियों में निराशा उत्पन्न हुईRead more
असहयोग आंदोलन (1920-1922) की अचानक समाप्ति के बाद भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में क्रांतिकारी गतिविधियों में वृद्धि हुई। इसके प्रमुख कारण निम्नलिखित थे:
इन सभी कारणों से असहयोग आंदोलन के बाद क्रांतिकारी गतिविधियों में उल्लेखनीय वृद्धि हुई, जिसने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को एक नई दिशा दी।
See lessवाताग्र जनन के लिए आवश्यक शर्तों की व्याख्या करें और वाताग्रों के वैश्विक वितरण के प्रतिरूप का विवरण प्रस्तुत करें। (उत्तर 150 शब्दों में दें)
वाताग्र (फ्रंट) दो भिन्न वायुराशियों के मिलन से बनने वाला क्षेत्र है, जहाँ तापमान, आर्द्रता और घनत्व में अंतर होता है। वाताग्र जनन के लिए आवश्यक शर्तें: वायुराशियों का अभिसरण: वाताग्र जनन के लिए दो अलग-अलग स्वभाव की वायुराशियों का अभिसरण आवश्यक होता है। ध्यान देने योग्य है कि विषुवत रेखा पर भी व्यापRead more
वाताग्र (फ्रंट) दो भिन्न वायुराशियों के मिलन से बनने वाला क्षेत्र है, जहाँ तापमान, आर्द्रता और घनत्व में अंतर होता है।
वाताग्र जनन के लिए आवश्यक शर्तें:
वाताग्रों का वैश्विक वितरण:
इन वाताग्र प्रदेशों का वितरण मौसम संबंधी विविधताओं और चक्रवातों के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
See lessविश्वभर में पाए जाने वाले विभिन्न प्रकार के मरुस्थलों के निर्माण की प्रक्रिया की व्याख्या करें और उनके प्रकारों व विशेषताओं का विवरण प्रस्तुत करें। (200 शब्दों में उत्तर दें)
मरुस्थलों की निर्माण प्रक्रिया मरुस्थलों का निर्माण प्राकृतिक और मानवजनित प्रक्रियाओं का परिणाम है। वर्षा की कमी: मरुस्थल वे क्षेत्र हैं जहां वार्षिक वर्षा 250 मिमी से कम होती है। जैसे, सहारा में अत्यधिक शुष्क जलवायु। हवा और तापमान: उच्च तापमान और तेज़ हवाएं मिट्टी से नमी को हटाकर इसे बंजर बनाती हैंRead more
मरुस्थलों की निर्माण प्रक्रिया
मरुस्थलों का निर्माण प्राकृतिक और मानवजनित प्रक्रियाओं का परिणाम है।
मरुस्थलों के प्रकार और विशेषताएं
वर्तमान परिप्रेक्ष्य
समय रहते टिकाऊ प्रबंधन और हरित क्षेत्र बढ़ाने पर ध्यान देना ज़रूरी है।
See lessभारत में कोयले के वितरण का विस्तार से वर्णन करें। उत्तर 200 शब्दों में दें)
भारत में कोयले का वितरण भारत में कोयले का वितरण मुख्यतः गोंडवाना कोयला क्षेत्र और तृतीयक कोयला क्षेत्र में विभाजित है। यह देश की ऊर्जा जरूरतों का 55% से अधिक योगदान देता है। गोंडवाना कोयला क्षेत्र (98% भंडार) प्राचीन भूगर्भीय संरचनाओं में स्थित। प्रमुख क्षेत्र: झारखंड: झरिया और बोकारो कोयला क्षेत्रRead more
भारत में कोयले का वितरण
भारत में कोयले का वितरण मुख्यतः गोंडवाना कोयला क्षेत्र और तृतीयक कोयला क्षेत्र में विभाजित है। यह देश की ऊर्जा जरूरतों का 55% से अधिक योगदान देता है।
गोंडवाना कोयला क्षेत्र (98% भंडार)
तृतीयक कोयला क्षेत्र (2% भंडार)
वर्तमान परिदृश्य
2023 में भारत ने 893 मिलियन टन कोयला उत्पादन किया और 2024 तक इसे 1 बिलियन टन तक ले जाने की योजना है। कोयला खनन में नई तकनीकों और पर्यावरण संरक्षण पर जोर दिया जा रहा है।
निष्कर्ष
कोयला भारत की ऊर्जा आवश्यकताओं का आधार है, लेकिन स्वच्छ ऊर्जा की ओर बढ़ना आवश्यक है।
See lessज्वालामुखियों के वैश्विक वितरण का वर्णन कीजिए और यह स्पष्ट कीजिए कि वे प्रमुख रूप से प्रशांत महासागर के रिंग ऑफ फायर क्षेत्र में क्यों स्थित हैं।(उत्तर 200 शब्दों में दें)
ज्वालामुखियों का वैश्विक वितरण प्रमुख क्षेत्र प्रशांत महासागर का रिंग ऑफ फायर: विश्व के 75% सक्रिय ज्वालामुखी इसी क्षेत्र में स्थित हैं। मध्य-अटलांटिक रिज: महासागरीय तल पर स्थित, यह विवर्तनिक प्लेटों के अलगाव से सक्रिय है। पूर्वी अफ्रीकी रिफ्ट वैली: महाद्वीपीय प्लेटों के अलग होने के कारण ज्वालामुखीयRead more
ज्वालामुखियों का वैश्विक वितरण
रिंग ऑफ फायर में ज्वालामुखियों की अधिकता के कारण