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उत्तराखंड आकस्मिक बाढ़, 2013 के कारण तथा परिणाम लिखिए ।
उत्तराखंड आकस्मिक बाढ़, 2013 उत्तराखंड आकस्मिक बाढ़ 17 जून 2013 को आई, जो भारी बारिश और बर्फबारी के कारण हुई। यह बाढ़ उत्तराखंड के विभिन्न हिस्सों में विनाशकारी साबित हुई। कारण: अत्यधिक बारिश: मानसून के दौरान भारी बारिश ने नदियों और नालों का जल स्तर बहुत बढ़ा दिया। मलबे और भूस्खलन: बारिश के कारण पहाRead more
उत्तराखंड आकस्मिक बाढ़, 2013
उत्तराखंड आकस्मिक बाढ़ 17 जून 2013 को आई, जो भारी बारिश और बर्फबारी के कारण हुई। यह बाढ़ उत्तराखंड के विभिन्न हिस्सों में विनाशकारी साबित हुई।
कारण:
परिणाम:
यह बाढ़ उत्तराखंड में आपदा प्रबंधन की महत्वपूर्ण आवश्यकता को दर्शाती है।
See lessकच्छ भूकम्प, 2001 के कारण तथा परिणाम लिखिए ।
कच्छ भूकम्प, 2001 कच्छ भूकम्प 26 जनवरी 2001 को गुजरात के कच्छ जिले में आया, जिसकी तीव्रता 7.7 रिक्टर स्केल थी। यह भूकम्प भारत के इतिहास में सबसे विनाशकारी था। कारण: टेक्टोनिक प्लेटों का हलचल: यह भूकम्प इंडो-ऑस्ट्रेलियाई प्लेट और एशियाई प्लेट के बीच की गतिविधियों के कारण हुआ था। परिणाम: विनाशकारी प्रRead more
कच्छ भूकम्प, 2001
कच्छ भूकम्प 26 जनवरी 2001 को गुजरात के कच्छ जिले में आया, जिसकी तीव्रता 7.7 रिक्टर स्केल थी। यह भूकम्प भारत के इतिहास में सबसे विनाशकारी था।
कारण:
परिणाम:
इस भूकम्प ने भूकम्प सुरक्षा और पुनर्निर्माण योजनाओं की अहमियत को उजागर किया।
See lessमानव निर्मित आपदाएँ कौन-सी हैं? उदाहरण दीजिए।
मानव निर्मित आपदाएँ मानव निर्मित आपदाएँ वे आपदाएँ हैं जो मानव की गतिविधियों या लापरवाही के कारण उत्पन्न होती हैं। इनका प्रभाव प्राकृतिक आपदाओं से अधिक गहरा हो सकता है, क्योंकि ये अक्सर पर्यावरण और समाज को लंबी अवधि तक प्रभावित करती हैं। प्रमुख उदाहरण: पर्यावरणीय प्रदूषण: जैसे, हवा, जल और मृदा प्रदूषRead more
मानव निर्मित आपदाएँ
मानव निर्मित आपदाएँ वे आपदाएँ हैं जो मानव की गतिविधियों या लापरवाही के कारण उत्पन्न होती हैं। इनका प्रभाव प्राकृतिक आपदाओं से अधिक गहरा हो सकता है, क्योंकि ये अक्सर पर्यावरण और समाज को लंबी अवधि तक प्रभावित करती हैं।
प्रमुख उदाहरण:
इन आपदाओं को रोकने के लिए जागरूकता और सतर्कता जरूरी है।
See lessजैव-विविधता के प्रमुख खतरों का विस्तृत वर्णन कीजिए ।
जैव-विविधता के प्रमुख खतरों का विस्तृत वर्णन परिचय: जैव-विविधता पृथ्वी पर जीवों की विविधता और उनके पारिस्थितिकी तंत्र की स्थिरता को बनाए रखने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। हालांकि, आज के समय में जैव-विविधता कई खतरों से जूझ रही है, जो मानव गतिविधियों और प्राकृतिक परिवर्तनों के कारण बढ़ रहे हैं। 1. वातRead more
जैव-विविधता के प्रमुख खतरों का विस्तृत वर्णन
परिचय:
जैव-विविधता पृथ्वी पर जीवों की विविधता और उनके पारिस्थितिकी तंत्र की स्थिरता को बनाए रखने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। हालांकि, आज के समय में जैव-विविधता कई खतरों से जूझ रही है, जो मानव गतिविधियों और प्राकृतिक परिवर्तनों के कारण बढ़ रहे हैं।
1. वातावरणीय परिवर्तन (Climate Change)
2. वनों की कटाई (Deforestation)
3. प्रदूषण (Pollution)
4. अतिवृद्धि और अव्यवस्थित शिकार (Overexploitation and Poaching)
5. आक्रमणकारी प्रजातियाँ (Invasive Species)
6. अवैध व्यापार (Illegal Trade)
निष्कर्ष
जैव-विविधता का संरक्षण और इसके खतरों से बचाव मानवता के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। इन खतरों से निपटने के लिए कड़े कानूनों, जागरूकता अभियानों, और प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण के उपायों की आवश्यकता है। सभी जीवों और पारिस्थितिकी तंत्र की सुरक्षा के लिए एकीकृत प्रयासों की आवश्यकता है, ताकि पृथ्वी पर जीवन की विविधता बनी रहे।
See lessराष्ट्रीय ऊर्जा नीति के सामाजिक एवं राजनैतिक कारकों पर चर्चा कीजिए ।
राष्ट्रीय ऊर्जा नीति के सामाजिक एवं राजनैतिक कारकों पर चर्चा परिचय: भारत की राष्ट्रीय ऊर्जा नीति का उद्देश्य देश की ऊर्जा सुरक्षा, ऊर्जा की उपलब्धता, और पर्यावरण संरक्षण को संतुलित करना है। यह नीति विभिन्न सामाजिक और राजनीतिक कारकों से प्रभावित होती है, जो देश की ऊर्जा आवश्यकताओं और उसके समाधान को आRead more
राष्ट्रीय ऊर्जा नीति के सामाजिक एवं राजनैतिक कारकों पर चर्चा
परिचय:
भारत की राष्ट्रीय ऊर्जा नीति का उद्देश्य देश की ऊर्जा सुरक्षा, ऊर्जा की उपलब्धता, और पर्यावरण संरक्षण को संतुलित करना है। यह नीति विभिन्न सामाजिक और राजनीतिक कारकों से प्रभावित होती है, जो देश की ऊर्जा आवश्यकताओं और उसके समाधान को आकार देते हैं।
1. सामाजिक कारक
भारत में ऊर्जा की असमान उपलब्धता एक प्रमुख सामाजिक चुनौती है। ग्रामीण क्षेत्रों में ऊर्जा की भारी कमी है, जबकि शहरी क्षेत्रों में ऊर्जा की आपूर्ति सुनिश्चित है। राष्ट्रीय ऊर्जा नीति का उद्देश्य सभी नागरिकों को सस्ती और सुलभ ऊर्जा उपलब्ध कराना है।
ऊर्जा के उपयोग में सामाजिक समानता सुनिश्चित करना भी इस नीति का उद्देश्य है। समाज के कमजोर वर्गों, जैसे गरीब और आदिवासी क्षेत्रों को प्राथमिकता दी जाती है ताकि वे भी उन्नति के लिए आवश्यक ऊर्जा का उपयोग कर सकें।
2. राजनैतिक कारक
भारत की ऊर्जा नीति राष्ट्रीय सुरक्षा से भी जुड़ी है। ऊर्जा स्रोतों की सुरक्षा और स्वदेशी ऊर्जा उत्पादन में वृद्धि, विदेशों पर निर्भरता कम करना, भारत की नीति का एक अहम हिस्सा है।
भारत की ऊर्जा नीति को पर्यावरणीय जिम्मेदारियों का भी ध्यान रखना पड़ता है। जलवायु परिवर्तन के संकट को देखते हुए, भारत ने नवीकरणीय ऊर्जा जैसे सौर और पवन ऊर्जा को बढ़ावा दिया है, जिससे कार्बन उत्सर्जन कम किया जा सके।
भारत की ऊर्जा नीति राजनीतिक सहमति पर निर्भर करती है। सरकार की प्राथमिकताएं और अंतरराष्ट्रीय दबाव जैसे पेरिस जलवायु समझौता के तहत भारत को कम कार्बन उत्सर्जन सुनिश्चित करने का दबाव है। इन दोनों के बीच संतुलन बनाना जरूरी है।
3. सामाजिक और राजनीतिक संदर्भ में सुधार की आवश्यकता
ऊर्जा नीति को स्थिर और दूरदर्शी बनाना आवश्यक है ताकि विभिन्न राजनीतिक बदलावों से ऊर्जा सेक्टर पर नकारात्मक प्रभाव न पड़े।
सरकार को नवीकरणीय ऊर्जा के विकास को और प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है, ताकि देश की ऊर्जा आपूर्ति में सुधार हो और पर्यावरण की रक्षा की जा सके।
निष्कर्ष
राष्ट्रीय ऊर्जा नीति को सामाजिक और राजनीतिक दोनों दृष्टिकोणों से समग्र रूप से विकसित करने की आवश्यकता है। ऊर्जा के समान वितरण, सुरक्षा, पर्यावरण संरक्षण, और आर्थिक विकास के उद्देश्य को एक साथ संतुलित करना भारत की राष्ट्रीय ऊर्जा नीति का मुख्य उद्देश्य है।
See lessभारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रमों की सामाजिक भूमिका का विश्लेषण कीजिए ।
भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रमों की सामाजिक भूमिका परिचय: भारत का अंतरिक्ष कार्यक्रम, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) द्वारा संचालित, केवल वैज्ञानिक और तकनीकी दृष्टि से महत्वपूर्ण नहीं है, बल्कि इसका समाज पर भी गहरा प्रभाव पड़ा है। इस कार्यक्रम ने देश की सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक स्थिति में महतRead more
भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रमों की सामाजिक भूमिका
परिचय:
भारत का अंतरिक्ष कार्यक्रम, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) द्वारा संचालित, केवल वैज्ञानिक और तकनीकी दृष्टि से महत्वपूर्ण नहीं है, बल्कि इसका समाज पर भी गहरा प्रभाव पड़ा है। इस कार्यक्रम ने देश की सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक स्थिति में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
1. संचार और शिक्षा
2. भूकंपीय और मौसम संबंधी पूर्वानुमान
3. कृषि क्षेत्र में सुधार
4. आपदा प्रबंधन
5. स्वदेशी तकनीकी विकास
निष्कर्ष
भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम ने समाज के विभिन्न क्षेत्रों में व्यापक प्रभाव डाला है। यह कार्यक्रम न केवल विज्ञान और प्रौद्योगिकी में अव्वल है, बल्कि यह देश के सामाजिक और आर्थिक विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इससे भारतीय समाज को नई दिशा मिली है, जिससे जीवन की गुणवत्ता में सुधार हुआ है और देश की वैश्विक स्थिति में भी वृद्धि हुई है।
See lessआयुष, एड्स एवं कोविड 19 पर संक्षिप्त टिप्पणी दें।
आयुष, एड्स और कोविड-19 पर संक्षिप्त टिप्पणी आयुष: आयुष (AYUSH) भारत सरकार द्वारा प्रचलित एक कार्यक्रम है, जिसका उद्देश्य पारंपरिक भारतीय चिकित्सा पद्धतियों जैसे आयुर्वेद, योग, यूनानी, सिद्ध, और होम्योपैथी को बढ़ावा देना है। आयुष प्रणाली का उद्देश्य लोगों को प्राकृतिक उपचार के माध्यम से शारीरिक और माRead more
आयुष, एड्स और कोविड-19 पर संक्षिप्त टिप्पणी
आयुष: आयुष (AYUSH) भारत सरकार द्वारा प्रचलित एक कार्यक्रम है, जिसका उद्देश्य पारंपरिक भारतीय चिकित्सा पद्धतियों जैसे आयुर्वेद, योग, यूनानी, सिद्ध, और होम्योपैथी को बढ़ावा देना है। आयुष प्रणाली का उद्देश्य लोगों को प्राकृतिक उपचार के माध्यम से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार लाना है। कोरोना महामारी के दौरान आयुष पद्धतियों ने इम्यूनिटी बढ़ाने और शारीरिक स्वास्थ्य को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। आयुष मंत्रालय ने कोविड-19 के दौरान विशेष जड़ी-बूटियों और हर्बल उपचारों की सिफारिश की, जो शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने में मदद करते हैं।
एड्स: एड्स (Acquired Immunodeficiency Syndrome) HIV (Human Immunodeficiency Virus) के कारण होता है, जो शरीर के इम्यून सिस्टम को कमजोर कर देता है। इसका मुख्य लक्षण शरीर में संक्रमण से लड़ने की क्षमता का कम होना है। एचआईवी का संक्रमण मुख्यतः असुरक्षित यौन संबंध, रक्त संक्रमण या संक्रमित मां से बच्चों में होता है। एड्स का कोई स्थायी इलाज नहीं है, लेकिन एंटीरेट्रोवाइरल थेरपी (ART) से इस पर नियंत्रण पाया जा सकता है और लोगों को सामान्य जीवन जीने का अवसर मिलता है।
कोविड-19: कोविड-19 एक वायरल संक्रमण है, जो SARS-CoV-2 वायरस के कारण होता है। यह वायरस श्वसन तंत्र को प्रभावित करता है और बुखार, खांसी, और सांस लेने में कठिनाई जैसी समस्याएँ उत्पन्न करता है। कोविड-19 महामारी ने वैश्विक स्तर पर लाखों लोगों की जान ली और स्वास्थ्य प्रणालियों को चुनौती दी। हालांकि, वैक्सीनेशन और सामाजिक दूरी जैसी उपायों ने इस वायरस के प्रसार को नियंत्रित करने में मदद की। कोविड-19 के दौरान वैश्विक समुदाय ने कोविड-19 के इलाज और रोकथाम के लिए नवाचार किया, जैसे कि मंकीपॉक्स, कोविड वैक्सीनेशन, और वायरस के इलाज के लिए नए उपचार।
निष्कर्ष
आयुष पद्धतियाँ पारंपरिक उपचार में सहायक हैं, जबकि एड्स और कोविड-19 जैसी वैश्विक स्वास्थ्य समस्याएँ आधुनिक चिकित्सा और नवाचार के माध्यम से नियंत्रित की जा सकती हैं। इन स्वास्थ्य मुद्दों से निपटने के लिए संयम, जागरूकता, और सहयोग की आवश्यकता है।
See lessमाइक्रोसॉफ्ट ऑफिस साफ्टवेअर के उपयोग और कार्यों को समझाइए ।
माइक्रोसॉफ्ट ऑफिस साफ्टवेअर के उपयोग और कार्य परिचय: माइक्रोसॉफ्ट ऑफिस (Microsoft Office) एक प्रसिद्ध और व्यापक रूप से उपयोग किया जाने वाला साफ्टवेअर पैकेज है, जो विभिन्न प्रकार के उत्पादकता उपकरणों (productivity tools) का समूह है। यह व्यक्तिगत और व्यावसायिक कार्यों के लिए उपयोगी है। माइक्रोसॉफ्ट ऑफRead more
माइक्रोसॉफ्ट ऑफिस साफ्टवेअर के उपयोग और कार्य
परिचय:
माइक्रोसॉफ्ट ऑफिस (Microsoft Office) एक प्रसिद्ध और व्यापक रूप से उपयोग किया जाने वाला साफ्टवेअर पैकेज है, जो विभिन्न प्रकार के उत्पादकता उपकरणों (productivity tools) का समूह है। यह व्यक्तिगत और व्यावसायिक कार्यों के लिए उपयोगी है। माइक्रोसॉफ्ट ऑफिस में विभिन्न एप्लिकेशन होते हैं, जो दस्तावेज़ तैयार करने, डेटा विश्लेषण, प्रस्तुति बनाने, और संचार में मदद करते हैं।
माइक्रोसॉफ्ट ऑफिस के प्रमुख अनुप्रयोग
माइक्रोसॉफ्ट ऑफिस का महत्व
निष्कर्ष
माइक्रोसॉफ्ट ऑफिस का उपयोग दैनिक कार्यों को आसान और अधिक व्यवस्थित बनाने के लिए किया जाता है। यह व्यक्तिगत उपयोगकर्ता से लेकर बड़े संगठनों तक के लिए एक शक्तिशाली उपकरण है। इसके विभिन्न एप्लिकेशन जैसे Word, Excel, PowerPoint, Outlook, आदि, कार्यों को सरल और प्रभावी बनाने में सहायक होते हैं।
See lessप्रतिरक्षा तन्त्र क्या है? इसके घटकों को बताइए । जन्मजात प्रतिरक्षा का विस्तृत वर्णन कीजिए ।
प्रतिरक्षा तन्त्र क्या है? परिचय: प्रतिरक्षा तन्त्र (Immune System) शरीर का सुरक्षा तन्त्र है, जो शरीर को बाहरी रोगजनकों जैसे बैक्टीरिया, वायरस, फंगस, और अन्य हानिकारक तत्वों से बचाता है। यह तन्त्र शरीर को संक्रमण और बीमारियों से सुरक्षा प्रदान करता है। प्रतिरक्षा तन्त्र में कई प्रकार की कोशिकाएँ, अRead more
प्रतिरक्षा तन्त्र क्या है?
परिचय:
प्रतिरक्षा तन्त्र (Immune System) शरीर का सुरक्षा तन्त्र है, जो शरीर को बाहरी रोगजनकों जैसे बैक्टीरिया, वायरस, फंगस, और अन्य हानिकारक तत्वों से बचाता है। यह तन्त्र शरीर को संक्रमण और बीमारियों से सुरक्षा प्रदान करता है। प्रतिरक्षा तन्त्र में कई प्रकार की कोशिकाएँ, अंग और प्रोटीन शामिल होते हैं, जो एक-दूसरे के साथ मिलकर शरीर की रक्षा करते हैं।
प्रतिरक्षा तन्त्र के घटक
प्रतिरक्षा तन्त्र के प्रमुख घटक निम्नलिखित हैं:
जन्मजात प्रतिरक्षा का विस्तृत वर्णन
जन्मजात प्रतिरक्षा (Innate Immunity) वह सुरक्षा तंत्र है, जो शरीर में जन्म से ही मौजूद होता है। यह त्वरित और सामान्य प्रतिक्रिया करता है। जन्मजात प्रतिरक्षा तंत्र में निम्नलिखित विशेषताएँ होती हैं:
निष्कर्ष
जन्मजात प्रतिरक्षा तंत्र शरीर की प्राकृतिक रक्षा प्रणाली है, जो हर समय सक्रिय रहती है और शरीर को संक्रमण से बचाती है। यह शरीर की पहली प्रतिक्रिया होती है और कोई विशेष संक्रमण पहचानने के लिए काम नहीं करती, बल्कि यह सभी प्रकार के रोगजनकों के खिलाफ सामान्य सुरक्षा प्रदान करती है। प्रतिरक्षा तन्त्र के घटक एक जटिल नेटवर्क के रूप में काम करते हैं, ताकि शरीर सुरक्षित रहे।
See lessVSEPR सिद्धांत क्या है ? इस सिद्धांत के आधार पर CH, NH₃ व H₂O अणुओं की आकृति की विवेचना कीजिए ।
VSEPR सिद्धांत क्या है? परिचय: VSEPR (Valence Shell Electron Pair Repulsion) सिद्धांत का उपयोग रासायनिक अणुओं के आकार और संरचना का अध्ययन करने के लिए किया जाता है। यह सिद्धांत कहता है कि किसी अणु के केन्द्रीय परमाणु के आसपास स्थित इलेक्ट्रॉन जोड़े (वैलेंस इलेक्ट्रॉन जोड़े) एक-दूसरे से अधिकतम दूरी परRead more
VSEPR सिद्धांत क्या है?
परिचय:
VSEPR (Valence Shell Electron Pair Repulsion) सिद्धांत का उपयोग रासायनिक अणुओं के आकार और संरचना का अध्ययन करने के लिए किया जाता है। यह सिद्धांत कहता है कि किसी अणु के केन्द्रीय परमाणु के आसपास स्थित इलेक्ट्रॉन जोड़े (वैलेंस इलेक्ट्रॉन जोड़े) एक-दूसरे से अधिकतम दूरी पर रहते हैं, ताकि उनकी आपसी आघात (repulsion) कम से कम हो सके। इसके आधार पर हम अणु की संरचना का अनुमान लगा सकते हैं।
VSEPR सिद्धांत के अनुसार अणुओं की आकृति की विवेचना
1. CH₄ (Methane)
2. NH₃ (Ammonia)
3. H₂O (Water)
निष्कर्ष
VSEPR सिद्धांत के अनुसार, अणुओं के आकार और संरचना को उनके वैलेंस इलेक्ट्रॉन जोड़ों के आपसी आघात के आधार पर समझा जा सकता है। CH₄ का आकार तत्त्वकंणीय, NH₃ का त्रिकोणीय पिरामिडीय, और H₂O का आकार वक्र होता है। यह सिद्धांत हमें अणुओं के आकार का सटीक अनुमान लगाने में मदद करता है।
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