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भारत-आसियान संबंधों के विकास पर चर्चा करें तथा मतभेदों और सहयोग के प्रमुख क्षेत्रों का मूल्यांकन करें, साथ ही हाल के भू-राजनीतिक घटनाक्रमों के संदर्भ में इस साझेदारी को मजबूत करने के उपायों पर भी चर्चा करें। (200 शब्द)
भारत और आसियान (ASEAN) के संबंधों का विकास 1992 में क्षेत्रीय साझेदार बनने से शुरू हुआ, जो 2012 में रणनीतिक साझेदारी तक पहुंचा। 2014 में 'एक्ट ईस्ट पॉलिसी' के तहत यह संबंध और मजबूत हुआ। 2022 में, दोनों ने अपनी साझेदारी को व्यापक रणनीतिक साझेदारी के स्तर तक बढ़ाया। सहयोग के प्रमुख क्षेत्र: आर्थिक सहयRead more
भारत और आसियान (ASEAN) के संबंधों का विकास 1992 में क्षेत्रीय साझेदार बनने से शुरू हुआ, जो 2012 में रणनीतिक साझेदारी तक पहुंचा। 2014 में ‘एक्ट ईस्ट पॉलिसी’ के तहत यह संबंध और मजबूत हुआ। 2022 में, दोनों ने अपनी साझेदारी को व्यापक रणनीतिक साझेदारी के स्तर तक बढ़ाया।
सहयोग के प्रमुख क्षेत्र:
मतभेद के प्रमुख क्षेत्र:
साझेदारी को मजबूत करने के उपाय:
इन उपायों के माध्यम से, भारत और आसियान हाल के भू-राजनीतिक परिवर्तनों के बीच अपनी साझेदारी को और मजबूत कर सकते हैं।
See lessवस्तु एवं सेवा कर (GST) की प्रमुख विशेषताओं को विस्तार से बताइए। इसके लागू होने के बाद प्राप्त उपलब्धियों और सामने आई चुनौतियों का वर्णन कीजिए।(200 शब्द)
वस्तु एवं सेवा कर (GST) भारत में 1 जुलाई 2017 से लागू एक व्यापक अप्रत्यक्ष कर प्रणाली है, जिसने केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा लगाए गए विभिन्न करों को एकीकृत किया है। प्रमुख विशेषताएँ: एकीकृत कर प्रणाली: GST ने केंद्रीय उत्पाद शुल्क, सेवा कर, वैट जैसे करों को समाहित कर एक समान कर ढांचा प्रस्तुत कियाRead more
वस्तु एवं सेवा कर (GST) भारत में 1 जुलाई 2017 से लागू एक व्यापक अप्रत्यक्ष कर प्रणाली है, जिसने केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा लगाए गए विभिन्न करों को एकीकृत किया है।
प्रमुख विशेषताएँ:
प्राप्त उपलब्धियाँ:
सामने आई चुनौतियाँ:
GST ने भारत की कर प्रणाली में महत्वपूर्ण सुधार लाए हैं, हालांकि कुछ चुनौतियाँ अभी भी बनी हुई हैं।
See lessमुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण क्या होता है? भारत में मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण प्रणाली कैसे कार्य करती है? (200 शब्द)
मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण: परिभाषा और भारत में कार्यान्वयन मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण एक मौद्रिक नीति ढांचा है, जिसमें केंद्रीय बैंक एक विशिष्ट मुद्रास्फीति दर को अपने मध्यकालिक लक्ष्य के रूप में निर्धारित करता है और उस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए अपनी मौद्रिक नीतियों, जैसे ब्याज दरों, को समायोजित करताRead more
मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण: परिभाषा और भारत में कार्यान्वयन
मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण एक मौद्रिक नीति ढांचा है, जिसमें केंद्रीय बैंक एक विशिष्ट मुद्रास्फीति दर को अपने मध्यकालिक लक्ष्य के रूप में निर्धारित करता है और उस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए अपनी मौद्रिक नीतियों, जैसे ब्याज दरों, को समायोजित करता है। इसका मुख्य उद्देश्य मूल्य स्थिरता बनाए रखना है, जिससे आर्थिक स्थिरता और विकास को बढ़ावा मिलता है।
भारत में मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण ढांचा
भारत ने 2016 में लचीले मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण (Flexible Inflation Targeting – FIT) ढांचे को अपनाया। इस ढांचे के तहत, भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) मुद्रास्फीति को 4% पर बनाए रखने का लक्ष्य निर्धारित किया है, जिसमें ±2% की सहिष्णुता सीमा है, अर्थात मुद्रास्फीति 2% से 6% के बीच रहनी चाहिए। यह लक्ष्य सरकार और RBI के बीच एक समझौते के रूप में स्थापित किया गया है।
हाल के घटनाक्रम
निष्कर्ष
मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण भारत में मूल्य स्थिरता बनाए रखने के लिए एक प्रभावी ढांचा है। हालांकि, यह घरेलू और वैश्विक कारकों के संयोजन पर निर्भर करता है, जिससे मुद्रास्फीति नियंत्रण और आर्थिक वृद्धि के बीच संतुलन बनाए रखना चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
See lessआर्द्रभूमियों को जीवंत बनाए रखना जलवायु शमन, अनुकूलन, जैव विविधता संरक्षण और मानव स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है। इस पर चर्चा करें और यह सुनिश्चित करने के लिए भारत में कौन-कौन से उपाय उपलब्ध हैं? (200 शब्द)
आर्द्रभूमियां जलवायु शमन, जैव विविधता संरक्षण और मानव स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण हैं। ये कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित कर जलवायु परिवर्तन को कम करती हैं और बाढ़ नियंत्रण में मदद करती हैं। उदाहरणस्वरूप, गुजरात के पोरबंदर में 100,000 मैंग्रोव वृक्ष लगाए गए, जिससे तटीय कटाव कम हुआ। संरक्षण उपाय रामसर सRead more
आर्द्रभूमियां जलवायु शमन, जैव विविधता संरक्षण और मानव स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण हैं। ये कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित कर जलवायु परिवर्तन को कम करती हैं और बाढ़ नियंत्रण में मदद करती हैं। उदाहरणस्वरूप, गुजरात के पोरबंदर में 100,000 मैंग्रोव वृक्ष लगाए गए, जिससे तटीय कटाव कम हुआ।
संरक्षण उपाय
निष्कर्ष
आर्द्रभूमियां प्रकृति-आधारित समाधान का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं और इनके संरक्षण से सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त किया जा सकता है।
See lessतेल और गैस पाइपलाइन को अर्थव्यवस्था की मुख्य धारा के रूप में देखा जाता है। इस संदर्भ में, भारत में तेल और गैस पाइपलाइन की वर्तमान स्थिति पर चर्चा कीजिए। साथ ही, पाइपलाइन परिवहन के लाभ और हानियों को भी सूचीबद्ध करें। (200 शब्द)
भारत में तेल और गैस पाइपलाइन नेटवर्क का महत्वपूर्ण योगदान है, जो देश के ऊर्जा आपूर्ति को सुनिश्चित करता है। वर्तमान में, भारत में लगभग 17,000 किलोमीटर लंबा प्राकृतिक गैस पाइपलाइन नेटवर्क संचालित है। सरकार ने राष्ट्रीय गैस ग्रिड को पूरा करने के लिए अतिरिक्त 15,500 किलोमीटर पाइपलाइनों के निर्माण की योRead more
भारत में तेल और गैस पाइपलाइन नेटवर्क का महत्वपूर्ण योगदान है, जो देश के ऊर्जा आपूर्ति को सुनिश्चित करता है। वर्तमान में, भारत में लगभग 17,000 किलोमीटर लंबा प्राकृतिक गैस पाइपलाइन नेटवर्क संचालित है। सरकार ने राष्ट्रीय गैस ग्रिड को पूरा करने के लिए अतिरिक्त 15,500 किलोमीटर पाइपलाइनों के निर्माण की योजना बनाई है।
पाइपलाइन परिवहन के लाभ
पाइपलाइन परिवहन की हानियाँ
भारत में पाइपलाइन नेटवर्क की विस्तार योजनाएं ऊर्जा सुरक्षा और विकास के लिए महत्वपूर्ण हैं।
See lessयह अनुमान लगाया गया है कि आर्कटिक 2040 की गर्मियों तक हिम-मुक्त हो सकता है। इसके महासागरों पर संभावित प्रभावों का वर्णन कीजिए और यह भी विश्लेषण कीजिए कि भारत पर इस स्थिति का क्या प्रभाव पड़ेगा। (200 शब्द)
आर्कटिक के हिम-मुक्त होने के महासागरों पर प्रभाव महासागरीय पारिस्थितिकी संकट: उत्तरी अटलांटिक महासागर में गर्मी के कारण फाइटोप्लांकटन की कमी हो रही है, जो समुद्री खाद्य श्रृंखला की नींव है। समुद्री प्रजातियों का विस्थापन: कई मछलियां आर्कटिक की ओर जा रही हैं, जिससे स्थानीय प्रजातियों पर दबाव बढ़ रहाRead more
आर्कटिक के हिम-मुक्त होने के महासागरों पर प्रभाव
भारत पर प्रभाव
बहुषात्विक ग्रंथिकाओं (पॉलिमेटेलिक नोड्यूल्स) के भौगोलिक वितरण के उदाहरण देते हुए, उनके महत्व पर विस्तृत चर्चा करें ! ( 200 शब्द)
बहुधात्विक ग्रंथिकाएँ (पॉलिमेटेलिक नोड्यूल्स) आलू के आकार की, गहरे समुद्र में पाई जाने वाली खनिज संरचनाएँ हैं, जिनमें मैंगनीज, निकल, कोबाल्ट, तांबा आदि धातुएँ होती हैं। भौगोलिक वितरण: क्लैरियन-क्लिपर्टन ज़ोन (CCZ): प्रशांत महासागर में स्थित यह क्षेत्र पॉलिमेटेलिक नोड्यूल्स से समृद्ध है। मध्य हिंद महRead more
बहुधात्विक ग्रंथिकाएँ (पॉलिमेटेलिक नोड्यूल्स) आलू के आकार की, गहरे समुद्र में पाई जाने वाली खनिज संरचनाएँ हैं, जिनमें मैंगनीज, निकल, कोबाल्ट, तांबा आदि धातुएँ होती हैं।
भौगोलिक वितरण:
महत्व:
भारत का डीप ओशन मिशन गहरे समुद्र में संसाधनों के अन्वेषण और सतत उपयोग के लिए प्रौद्योगिकी विकास पर केंद्रित है, जो देश की ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने में सहायक होगा।
See lessप्राचीन हड़प्पा स्थापत्य कला में एक आधुनिक और शहरी सभ्यता के अस्तित्व को कैसे परिलक्षित किया जाता है? उदाहरणों के साथ इसकी चर्चा कीजिए।
हड़प्पा स्थापत्य कला में एक आधुनिक और शहरी सभ्यता के कई संकेत पाए जाते हैं: शहरी योजना: हड़प्पा नगरों में सड़कों की व्यवस्थित योजना थी, जो आज के शहरों की तरह थी। उदाहरण के तौर पर, मोहेंजो-दारो में सड़कों का ग्रिड सिस्टम था। जल निकासी प्रणाली: नगरों में सफाई और जल निकासी के लिए ढंकी हुई नालियाँ और साRead more
हड़प्पा स्थापत्य कला में एक आधुनिक और शहरी सभ्यता के कई संकेत पाए जाते हैं:
इन विशेषताओं से यह साबित होता है कि हड़प्पा सभ्यता ने बहुत पहले ऐसे शहरी जीवन के मानकों को अपनाया था, जो आज के आधुनिक शहरों में देखे जाते हैं।
See lessवाताग्र जनन के लिए आवश्यक शर्तों की व्याख्या करें और वाताग्रों के वैश्विक वितरण के प्रतिरूप का विवरण प्रस्तुत करें। (उत्तर 150 शब्दों में दें)
वाताग्र (फ्रंट) दो भिन्न वायुराशियों के मिलन से बनने वाला संक्रमण क्षेत्र है, जहाँ तापमान, आर्द्रता और घनत्व में अंतर होता है। वाताग्र जनन (फ्रंटोजेनेसिस) के लिए आवश्यक शर्तें हैं: वायुराशियों का अभिसरण: विभिन्न गुणों वाली वायुराशियों का मिलना आवश्यक है, जिससे तापमान और आर्द्रता में भिन्नता उत्पन्नRead more
वाताग्र (फ्रंट) दो भिन्न वायुराशियों के मिलन से बनने वाला संक्रमण क्षेत्र है, जहाँ तापमान, आर्द्रता और घनत्व में अंतर होता है। वाताग्र जनन (फ्रंटोजेनेसिस) के लिए आवश्यक शर्तें हैं:
वाताग्र मुख्यतः चार प्रकार के होते हैं:
वैश्विक वितरण में तीन प्रमुख वाताग्र प्रदेश हैं:
इन वाताग्र प्रदेशों का वितरण मौसम संबंधी विविधताओं और चक्रवातों के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
See lessमहासागरीय जल धाराएं जलवायु नियंत्रण और पृथ्वी पर समुद्री जीवन को समर्थन देने में महत्वपूर्ण कैसे योगदान करती हैं? इस पर चर्चा कीजिए। (उत्तर 150 शब्दों में दें)
महासागरीय जल धाराएं: जलवायु और समुद्री जीवन पर प्रभाव महासागरीय जल धाराएं पृथ्वी की जलवायु संतुलन और समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र में अहम भूमिका निभाती हैं। जलवायु नियंत्रण: गल्फ स्ट्रीम जैसी गर्म धाराएं उत्तरी यूरोप को ठंड से बचाकर वहां का मौसम सामान्य बनाए रखती हैं। ठंडी धाराएं, जैसे कि पेरू की हम्बRead more
महासागरीय जल धाराएं: जलवायु और समुद्री जीवन पर प्रभाव
महासागरीय जल धाराएं पृथ्वी की जलवायु संतुलन और समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र में अहम भूमिका निभाती हैं।
निष्कर्ष:
See lessमहासागरीय धाराएं पृथ्वी की जलवायु स्थिरता और समुद्री जीवन के लिए आवश्यक संसाधनों का समर्थन करती हैं। इनकी संरचना को बचाना अनिवार्य है।