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वायुदाब पेटियों के स्थानांतरण की प्रक्रिया को समझाइए और यह किसी क्षेत्र की जलवायु पर किस प्रकार प्रभाव डालती है, इसका वर्णन कीजिए। (200 शब्दों में उत्तर दें)
वायुदाब पेटियों के स्थानांतरण की प्रक्रिया वायुदाब पेटियाँ पृथ्वी के झुकाव और सूर्य की ऊष्मा के असमान वितरण के कारण उत्तर और दक्षिण की ओर स्थानांतरित होती हैं। तापीय कारण: गर्म क्षेत्रों में वायुदाब कम और ठंडे क्षेत्रों में अधिक होता है। मौसमी स्थानांतरण: गर्मियों में पेटियाँ उत्तर की ओर और सर्दियोंRead more
वायुदाब पेटियों के स्थानांतरण की प्रक्रिया
वायुदाब पेटियाँ पृथ्वी के झुकाव और सूर्य की ऊष्मा के असमान वितरण के कारण उत्तर और दक्षिण की ओर स्थानांतरित होती हैं।
जलवायु पर प्रभाव
निष्कर्ष
वायुदाब पेटियों का स्थानांतरण जलवायु को नियंत्रित करने में प्रमुख भूमिका निभाता है।
See less“प्लेट विवर्तनिक सीमाओं के विभिन्न प्रकारों का विस्तार से वर्णन कीजिए।” (उत्तर 200 शब्दों में दें)
प्लेट विवर्तनिक सीमाओं के प्रकार प्लेट विवर्तनिकी पृथ्वी की सतह को कई गतिशील प्लेटों में विभाजित करती है। इन प्लेटों की सीमाओं को मुख्यतः तीन प्रकारों में वर्गीकृत किया जाता है। 1. संबंधी सीमाएँ (Convergent Boundaries) जब दो प्लेटें टकराती हैं। एक प्लेट दूसरी के नीचे खिसककर सबडक्शन ज़ोन बनाती है। उदRead more
प्लेट विवर्तनिक सीमाओं के प्रकार
प्लेट विवर्तनिकी पृथ्वी की सतह को कई गतिशील प्लेटों में विभाजित करती है। इन प्लेटों की सीमाओं को मुख्यतः तीन प्रकारों में वर्गीकृत किया जाता है।
1. संबंधी सीमाएँ (Convergent Boundaries)
2. अपसारी सीमाएँ (Divergent Boundaries)
3. रूपांतर सीमाएँ (Transform Boundaries)
प्लेट सीमाओं का अध्ययन भूगर्भीय घटनाओं को समझने में मदद करता है।
See lessभारत में संसदीय लोकतंत्र को सशक्त बनाने में विभागीय स्थायी समितियों की भूमिका का विश्लेषण कीजिए।(उत्तर 200 शब्दों में दें)
परिचय विभागीय स्थायी समितियाँ (डीआरएससी) संसद के कार्यभार को कम करने और लोकतंत्र को सशक्त बनाने का महत्वपूर्ण साधन हैं। प्रमुख भूमिकाएँ नीतियों की समीक्षा: 2023 में, शिक्षा स्थायी समिति ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन पर सिफारिशें दीं, जिससे सुधारात्मक कदम उठाए गए। वित्तीय उत्तरदायित्व: समितRead more
परिचय
विभागीय स्थायी समितियाँ (डीआरएससी) संसद के कार्यभार को कम करने और लोकतंत्र को सशक्त बनाने का महत्वपूर्ण साधन हैं।
प्रमुख भूमिकाएँ
चुनौतियाँ
निष्कर्ष
डीआरएससी भारतीय लोकतंत्र को पारदर्शी और उत्तरदायी बनाती हैं। उनकी सिफारिशों को क्रियान्वित कर प्रभावी बनाया जा सकता है।
See lessविधि के शासन का क्या अभिप्राय है? इसे भारत के संविधान में किस प्रकार प्रतिबिंबित किया गया है, स्पष्ट कीजिए।(उत्तर 200 शब्दों में दें)
विधि के शासन का अभिप्राय विधि के शासन का अर्थ है कि सरकार और उसके अधिकारी केवल कानूनों के तहत कार्य करें, न कि व्यक्तिगत इच्छाओं या मनमानी से। यह सुनिश्चित करता है कि कोई भी व्यक्ति या समूह कानून से ऊपर नहीं हो सकता। भारत के संविधान में विधि के शासन का प्रतिबिंब संविधान की सर्वोच्चता: भारतीय संविधानRead more
विधि के शासन का अभिप्राय
विधि के शासन का अर्थ है कि सरकार और उसके अधिकारी केवल कानूनों के तहत कार्य करें, न कि व्यक्तिगत इच्छाओं या मनमानी से। यह सुनिश्चित करता है कि कोई भी व्यक्ति या समूह कानून से ऊपर नहीं हो सकता।
भारत के संविधान में विधि के शासन का प्रतिबिंब
निष्कर्ष
भारत के संविधान में विधि के शासन का पालन सुनिश्चित किया गया है, जिससे सभी को समान अधिकार और न्याय मिलता है।
See lessपटना कलम चित्रकला की मुख्य विशेषताओं को स्पष्ट कीजिए। [66वीं बीपीएससी मुख्य परीक्षा 2020]
पटना कलम चित्रकला की मुख्य विशेषताएँ 1. इतिहास और उत्पत्ति पटना कलम चित्रकला, जो 18वीं और 19वीं सदी के दौरान विकसित हुई, पटना शहर से संबंधित है। इसका संबंध मुग़ल और राजपूत कला शैलियों से है, लेकिन यह अपनी अनूठी शैली के लिए प्रसिद्ध है। 2. मुख्य विशेषताएँ विवरण और रंग: पटना कलम चित्रों में जीवन और प्Read more
पटना कलम चित्रकला की मुख्य विशेषताएँ
1. इतिहास और उत्पत्ति
2. मुख्य विशेषताएँ
3. प्रमुख उदाहरण
4. समाप्ति
पटना कलम चित्रकला भारतीय कला के एक महत्वपूर्ण हिस्सा रही है, जो आज भी अपनी सुंदरता और शिल्प कौशल के लिए जानी जाती है।
See lessसाम्प्रदायिकता और धर्मनिरपेक्षता पर नेहरू के विचार की विवेचना कीजिए। [66वीं बीपीएससी मुख्य परीक्षा 2020]
साम्प्रदायिकता और धर्मनिरपेक्षता पर नेहरू के विचार 1. धर्मनिरपेक्षता का अर्थ नेहरू का दृष्टिकोण: पंडित नेहरू धर्मनिरपेक्षता को समाज की ऐसी स्थिति मानते थे जिसमें राज्य किसी धर्म का पक्ष नहीं लेता। वे चाहते थे कि भारत का संविधान और शासन प्रणाली सभी धर्मों के प्रति समानता और सम्मान दिखाए। धर्म और राजनRead more
साम्प्रदायिकता और धर्मनिरपेक्षता पर नेहरू के विचार
1. धर्मनिरपेक्षता का अर्थ
2. साम्प्रदायिकता पर नेहरू के विचार
3. नेहरू की नीतियाँ और योजनाएँ
4. निष्कर्ष
पंडित नेहरू के अनुसार, धर्मनिरपेक्षता और साम्प्रदायिकता का मुद्दा भारत के समाज और संस्कृति के मूलभूत पहलू थे। उन्होंने एक समरस और सशक्त राष्ट्र के निर्माण के लिए धर्मनिरपेक्षता को महत्वपूर्ण माना। उनके विचार आज भी भारतीय राजनीति और समाज के लिए मार्गदर्शन प्रदान करते हैं।
See lessप्रथम विश्व युद्ध के पीछे के मूल कारण साम्राज्यवादी देशों के बीच प्रतिस्पर्धा और संघर्ष थे। इस विषय पर विस्तार से चर्चा करें। (200 words)
प्रथम विश्व युद्ध (1914-1918) का एक प्रमुख कारण साम्राज्यवादी देशों के बीच तीव्र प्रतिस्पर्धा और संघर्ष था। 19वीं शताब्दी के अंत और 20वीं शताब्दी की शुरुआत में यूरोपीय देशों में साम्राज्यवादी भावना चरम पर थी। ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, रूस, और इटली जैसे शक्तिशाली देश अधिक से अधिक उपनिवेश स्थापित कर रहRead more
प्रथम विश्व युद्ध (1914-1918) का एक प्रमुख कारण साम्राज्यवादी देशों के बीच तीव्र प्रतिस्पर्धा और संघर्ष था। 19वीं शताब्दी के अंत और 20वीं शताब्दी की शुरुआत में यूरोपीय देशों में साम्राज्यवादी भावना चरम पर थी। ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, रूस, और इटली जैसे शक्तिशाली देश अधिक से अधिक उपनिवेश स्थापित कर रहे थे, जिससे उनके बीच आर्थिक, राजनीतिक, और सैन्य तनाव बढ़ रहा था।
साम्राज्यवादी देशों का मुख्य उद्देश्य था अपने प्रभाव क्षेत्र का विस्तार करना, जिससे उन्हें संसाधनों और बाज़ारों तक पहुँच मिल सके। इस विस्तारवादी नीति ने यूरोप में सैन्य प्रतिस्पर्धा को भी बढ़ावा दिया। उदाहरण के लिए, जर्मनी ने अपनी नौसेना का विकास किया ताकि वह ब्रिटेन के मुकाबले में खड़ा हो सके, जबकि ब्रिटेन ने अपनी नौसेना को और मजबूत किया। इसके अलावा, बाल्कन क्षेत्र में ऑस्ट्रिया-हंगरी और रूस के बीच प्रभुत्व के लिए संघर्ष हो रहा था, जिससे तनाव और बढ़ गया।
अंततः, इन प्रतिस्पर्धाओं ने यूरोपीय देशों के बीच एक अस्थिर संतुलन की स्थिति पैदा की, जो एक छोटी सी घटना, जैसे आर्चड्यूक फ्रांज फर्डिनेंड की हत्या, से बिगड़कर युद्ध में बदल गई। साम्राज्यवाद के इस संघर्षपूर्ण माहौल ने युद्ध की नींव रख
भारत में उपलब्ध विभिन्न गैर-पारंपरिक ऊर्जा स्रोत क्या हैं? इनकी पर्यावरण-अनुकूल ऊर्जा प्रदान करने में महत्ता को उजागर करें। (200 words)
भारत में गैर-पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों का उपयोग बढ़ रहा है, क्योंकि ये पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों जैसे कोयला और पेट्रोलियम पर निर्भरता को कम करने में मदद करते हैं और पर्यावरण की रक्षा करते हैं। भारत में उपलब्ध प्रमुख गैर-पारंपरिक ऊर्जा स्रोत निम्नलिखित हैं: सौर ऊर्जा: भारत में सूर्य की प्रचुरता के कारण सौरRead more
भारत में गैर-पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों का उपयोग बढ़ रहा है, क्योंकि ये पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों जैसे कोयला और पेट्रोलियम पर निर्भरता को कम करने में मदद करते हैं और पर्यावरण की रक्षा करते हैं। भारत में उपलब्ध प्रमुख गैर-पारंपरिक ऊर्जा स्रोत निम्नलिखित हैं:
इन सभी ऊर्जा स्रोतों का उपयोग पर्यावरण को प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन से बचाने में मदद करता है, क्योंकि इनका कार्बन उत्सर्जन कम होता है और यह स्थिर और लंबी अवधि के लिए उपलब्ध रहते हैं।
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