Lost your password? Please enter your email address. You will receive a link and will create a new password via email.
Please briefly explain why you feel this question should be reported.
Please briefly explain why you feel this answer should be reported.
Please briefly explain why you feel this user should be reported.
'संघर्ष का विषाणु एस.सी.ओ. के कामकाज को प्रभावित कर रहा है' उपरोक्त कथन के आलोक में समस्याओं को कम करने में भारत की भूमिका बताइये । (150 words)[UPSC 2023]
भारत की भूमिका: एस.सी.ओ. के कामकाज में संघर्ष का विषाणु "संघर्षों के समाधान में सहयोग": भारत ने एस.सी.ओ. (शंघाई सहयोग संगठन) के भीतर संघर्षों के समाधान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। भारत ने सदस्य देशों के बीच तनाव कम करने और सहयोग बढ़ाने के लिए कई पहल की हैं, जैसे कि क्षेत्रीय वार्ता और बहुपरकारीतRead more
भारत की भूमिका: एस.सी.ओ. के कामकाज में संघर्ष का विषाणु
निष्कर्ष: भारत की इन पहलों और भूमिकाओं ने एस.सी.ओ. के कामकाज में संघर्ष के विषाणु को कम करने में सहायक भूमिका निभाई है, जिससे क्षेत्रीय शांति और स्थिरता में योगदान होता है।
See lessअभिशासन के एक महत्वपूर्ण उपकरण के रूप में ई-शासन ने सरकारों में प्रभावशीलता, पारदर्शिता और जवाबदेयता का आगाज कर दिया है। कौन-सी अपर्याप्तताएं इन विशेषताओं की अभिवृद्धि में बाधा बनती हैं ? (150 words)[UPSC 2023]
ई-शासन में पारदर्शिता, प्रभावशीलता और जवाबदेयता की बाधाएँ "डिजिटल विभाजन": ई-शासन के प्रभावी कार्यान्वयन में सबसे बड़ी बाधा डिजिटल विभाजन है। ग्रामीण और गरीब क्षेत्रों में इंटरनेट की पहुँच और डिजिटल साक्षरता की कमी से लोग सरकारी सेवाओं का पूरा लाभ नहीं उठा पाते। "तकनीकी और इंफ्रास्ट्रक्चर समस्याएँ":Read more
ई-शासन में पारदर्शिता, प्रभावशीलता और जवाबदेयता की बाधाएँ
निष्कर्ष: इन अपर्याप्तताओं को दूर करना आवश्यक है ताकि ई-शासन के द्वारा सरकार की प्रभावशीलता, पारदर्शिता, और जवाबदेही को बढ़ाया जा सके और नागरिकों को बेहतर सेवाएँ मिल सकें।
See lessभारत में बहुराष्ट्रीय निगमों के द्वारा प्रभावशाली स्थिति के दुरुपयोग को रोकने में भारत के प्रतिस्पर्धा आयोग की भूमिका पर चर्चा कीजिए। हाल के निर्णयों का संदर्भ लें । (150 words)[UPSC 2023]
भारत में बहुराष्ट्रीय निगमों के द्वारा प्रभावशाली स्थिति के दुरुपयोग को रोकने में भारत के प्रतिस्पर्धा आयोग की भूमिका नियामक भूमिका: "नियमों का प्रवर्तन": भारत के प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) का उद्देश्य प्रतिस्पर्धा कानूनों का पालन सुनिश्चित करना है। यह आयोग बहुराष्ट्रीय निगमों द्वारा प्रभावशाली स्थितिRead more
भारत में बहुराष्ट्रीय निगमों के द्वारा प्रभावशाली स्थिति के दुरुपयोग को रोकने में भारत के प्रतिस्पर्धा आयोग की भूमिका
नियामक भूमिका:
हाल के निर्णय:
निष्कर्ष: CCI बहुराष्ट्रीय निगमों द्वारा प्रभावशाली स्थिति के दुरुपयोग को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसके हाल के निर्णय प्रतिस्पर्धा को संरक्षित करने और उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करने की दिशा में इसके प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं।
See lessDiscuss the role of the Competition Commission of India in containing the abuse of dominant position by the Multi-National Corporations in India. Refer to the recent decisions. (150 words)[UPSC 2023]
Role of the Competition Commission of India (CCI) in Containing Abuse of Dominant Position Regulatory Framework: "Monitoring and Enforcement": The Competition Commission of India (CCI) regulates and enforces antitrust laws under the Competition Act, 2002. It investigates practices that abuse a dominRead more
Role of the Competition Commission of India (CCI) in Containing Abuse of Dominant Position
Regulatory Framework:
Recent Decisions:
Conclusion:
The CCI plays a crucial role in containing the abuse of dominant positions by MNCs in India by enforcing competition laws and issuing penalties for anti-competitive practices. Its recent decisions underscore its commitment to maintaining market fairness and protecting consumer interests.
See lessविधायी कार्यों के संचालन में व्यवस्था एवं निष्पक्षता बनाए रखने में और सर्वोत्तम लोकतांत्रिक परम्पराओं को सुगम बनाने में राज्य विधायिकाओं के पीठासीन अधिकारियों की भूमिका की विवेचना कीजिए । (150 words)[UPSC 2023]
राज्य विधायिकाओं के पीठासीन अधिकारियों की भूमिका विधायी कार्यों की व्यवस्था: "संचालन की निगरानी": पीठासीन अधिकारी, जैसे विधानसभा अध्यक्ष या सभापति, विधायी सत्रों की व्यवस्था सुनिश्चित करते हैं। वे सदन की बैठकें संचालित करते हैं, और कार्यवाही को सुचारू और प्रभावी बनाए रखते हैं। "निर्देशन और समन्वय":Read more
राज्य विधायिकाओं के पीठासीन अधिकारियों की भूमिका
विधायी कार्यों की व्यवस्था:
निष्पक्षता बनाए रखना:
निष्कर्ष: राज्य विधायिकाओं के पीठासीन अधिकारी विधायी कार्यों में व्यवस्था और निष्पक्षता बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उनकी कार्यक्षमता और निष्पक्षता लोकतांत्रिक परम्पराओं को मजबूत करने में सहायक होती है।
See lessसंसदीय संप्रभुता के प्रति ब्रिटिश एवं भारतीय दृष्टिकोणों की तुलना करें और अंतर बताएं । (150 words)[UPSC 2023]
संसदीय संप्रभुता: ब्रिटिश और भारतीय दृष्टिकोणों की तुलना ब्रिटिश दृष्टिकोण: "संसदीय संप्रभुता की परिभाषा": ब्रिटिश संविधान में संसदीय संप्रभुता (Parliamentary Sovereignty) का सिद्धांत मान्यता प्राप्त है, जिसका अर्थ है कि ब्रिटिश संसद की विधायी शक्ति सर्वोच्च होती है। संसद द्वारा पारित कोई भी कानून सRead more
संसदीय संप्रभुता: ब्रिटिश और भारतीय दृष्टिकोणों की तुलना
ब्रिटिश दृष्टिकोण:
भारतीय दृष्टिकोण:
निष्कर्ष: ब्रिटिश दृष्टिकोण में संसदीय संप्रभुता सर्वोच्च होती है, जबकि भारतीय दृष्टिकोण में संसदीय संप्रभुता संविधान के भीतर सीमित होती है, जहाँ संविधान और अदालतें भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
See less"भारत के राज्य शहरी स्थानीय निकायों को कार्यात्मक एवं वित्तीय दोनों ही रूप से सशक्त बनाने के प्रति अनिच्छुक प्रतीत होते हैं।" टिप्पणी कीजिए । (150 words)[UPSC 2023]
भारत के राज्य शहरी स्थानीय निकायों (ULBs) को सशक्त बनाने में अनिच्छा कार्यात्मक सशक्तिकरण में कमी: "केन्द्रीयकरण की प्रवृत्ति": भारतीय राज्यों में प्रशासनिक शक्ति का केंद्रीकरण अधिक होता है, जिससे शहरी स्थानीय निकायों की स्वायत्तता सीमित रहती है। उदाहरण के लिए, शहरी इंफ्रास्ट्रक्चर जैसे पानी की आपूरRead more
भारत के राज्य शहरी स्थानीय निकायों (ULBs) को सशक्त बनाने में अनिच्छा
कार्यात्मक सशक्तिकरण में कमी:
वित्तीय सशक्तिकरण में कमी:
निष्कर्ष: राज्यों की शहरी स्थानीय निकायों को कार्यात्मक और वित्तीय सशक्त बनाने में अनिच्छा स्थानीय शासन की प्रभावशीलता को प्रभावित करती है। स्थानीय निकायों को अधिक स्वायत्तता और वित्तीय संसाधन प्रदान करना आवश्यक है ताकि वे शहरी विकास की चुनौतियों का बेहतर ढंग से समाधान कर सकें।
See less"The states in India seem reluctant to empower urban local bodies both functionally as well as financially." Comment. (150 words)[UPSC 2023]
Reluctance to Empower Urban Local Bodies in India Functional and Financial Reluctance: "Limited Functional Empowerment": "Centralization of Power": State governments often retain significant control over urban local bodies (ULBs) to centralize administrative power, which limits the functional autonoRead more
Reluctance to Empower Urban Local Bodies in India
Functional and Financial Reluctance:
Conclusion: The reluctance of states to empower urban local bodies both functionally and financially impedes effective urban governance. Enhanced autonomy and better financial support are essential for ULBs to manage urban areas effectively and address the needs of growing urban populations.
See lessनिःशुल्क कानूनी सहायता प्राप्त करने के हकदार कौन हैं? निःशुल्क कानूनी सहायता के प्रतिपादन में राष्ट्रीय विधि सेवा प्राधिकरण (एन.ए.एल.एस.ए.) की भूमिका का आकलन कीजिए । (150 words)[UPSC 2023]
निःशुल्क कानूनी सहायता प्राप्त करने के हकदार: "आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग": भारतीय संविधान के अनुच्छेद 39A के तहत, आर्थिक रूप से कमजोर और वंचित वर्गों को निःशुल्क कानूनी सहायता प्राप्त करने का अधिकार है। इसमें निम्न-आय वाले व्यक्ति, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, और अन्य सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछडRead more
निःशुल्क कानूनी सहायता प्राप्त करने के हकदार:
राष्ट्रीय विधि सेवा प्राधिकरण (NALSA) की भूमिका:
निष्कर्ष: NALSA की प्रभावी भूमिका निःशुल्क कानूनी सहायता की पहुँच और गुणवत्ता को सुनिश्चित करती है, जिससे न्यायिक प्रणाली में वंचित वर्गों की भागीदारी सुनिश्चित होती है।
See less"संवैधानिक रूप से न्यायिक स्वतंत्रता की गारंटी लोकतंत्र की एक पूर्व शर्त है।" टिप्पणी कीजिए । (150 words)[UPSC 2023]
संवैधानिक रूप से न्यायिक स्वतंत्रता और लोकतंत्र न्यायिक स्वतंत्रता की गारंटी: "संवैधानिक प्रावधान": भारतीय संविधान के तहत न्यायपालिका की स्वतंत्रता सुनिश्चित की गई है। अनुच्छेद 50 न्यायपालिका और कार्यपालिका के बीच विभाजन की बात करता है, जबकि अनुच्छेद 124 न्यायाधीशों की नियुक्ति और पद पर बने रहने कीRead more
संवैधानिक रूप से न्यायिक स्वतंत्रता और लोकतंत्र
न्यायिक स्वतंत्रता की गारंटी:
लोकतंत्र की पूर्व शर्त:
निष्कर्ष: संवैधानिक रूप से न्यायिक स्वतंत्रता लोकतंत्र का एक अनिवार्य हिस्सा है, क्योंकि यह सुनिश्चित करती है कि न्यायपालिका स्वतंत्र और निष्पक्ष रूप से काम करे, जिससे नागरिकों के अधिकारों की रक्षा हो सके और लोकतांत्रिक प्रणाली की मजबूती बनी रहे।
See less