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सौर ऊर्जा की पूर्ण क्षमता का उपयोग करने में अंतरराष्ट्रीय समुदाय की सहायता के लिए अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA) की भूमिका पर चर्चा कीजिए।
अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA) का गठन 2015 में भारत द्वारा किया गया था, जिसका उद्देश्य वैश्विक स्तर पर सौर ऊर्जा के उपयोग को बढ़ावा देना है। ISA का मुख्य लक्ष्य सौर ऊर्जा की पूरी क्षमता का उपयोग करना और इसे एक स्वच्छ, सतत ऊर्जा स्रोत के रूप में स्थापित करना है। ISA ने विभिन्न देशों को एक मंच पर लाकरRead more
अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA) का गठन 2015 में भारत द्वारा किया गया था, जिसका उद्देश्य वैश्विक स्तर पर सौर ऊर्जा के उपयोग को बढ़ावा देना है। ISA का मुख्य लक्ष्य सौर ऊर्जा की पूरी क्षमता का उपयोग करना और इसे एक स्वच्छ, सतत ऊर्जा स्रोत के रूप में स्थापित करना है।
ISA ने विभिन्न देशों को एक मंच पर लाकर तकनीकी सहयोग, नीति निर्माण, और अनुसंधान में मदद की है। उदाहरण के लिए, ISA ने सौर परियोजनाओं के लिए वित्तीय सहायता और अनुदान उपलब्ध कराने में मदद की है, जिससे विकासशील देशों में सौर ऊर्जा निवेश को प्रोत्साहित किया जा सके।
इसके अतिरिक्त, ISA ने सदस्य देशों के बीच ज्ञान साझा करने और सौर प्रौद्योगिकी के विकास के लिए कार्यशालाएँ और सम्मेलन आयोजित किए हैं। इस प्रकार, ISA वैश्विक ऊर्जा सुरक्षा और जलवायु परिवर्तन से लड़ाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
See lessअसुरक्षित गर्भपात भारत में महिलाओं के प्रजनन और मातृ स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाला एक महत्वपूर्ण मुद्दा है। इसके लिए उत्तरदायी कारणों की पहचान कीजिए और उपचारात्मक उपाय भी बताइए। (150 शब्दों में उत्तर दें)
असुरक्षित गर्भपात भारत में महिलाओं के प्रजनन और मातृ स्वास्थ्य को गंभीर रूप से प्रभावित करता है। इसके लिए उत्तरदायी प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं: कानूनी और सामाजिक अवरोध: गर्भपात की सीमित कानूनी स्वीकृति और समाज में इसे लेकर दोषारोपण महिलाओं को असुरक्षित गर्भपात की ओर धकेलते हैं। स्वास्थ्य सेवाओं की कRead more
असुरक्षित गर्भपात भारत में महिलाओं के प्रजनन और मातृ स्वास्थ्य को गंभीर रूप से प्रभावित करता है। इसके लिए उत्तरदायी प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं:
उपचारात्मक उपाय:
इन उपायों को लागू करके महिलाओं के स्वास्थ्य और सुरक्षा में सुधार किया जा सकता है।
See lessभारत में, 2011-21 में वृद्धजनों की जनसंख्या की वृद्धि दर सामान्य जनसंख्या की वृद्धि दर से लगभग तीन गुना थी। इस संदर्भ में, चर्चा कीजिए कि वृद्धजनों हेतु नीतियों का निर्माण भारत के समग्र विकास के लिए एक महत्वपूर्ण पहलू क्यों है। (150 शब्दों में उत्तर दें)
भारत में, 2011-21 के बीच वृद्धजनों की जनसंख्या की वृद्धि दर सामान्य जनसंख्या की वृद्धि दर से लगभग तीन गुना रही, जिससे यह स्पष्ट होता है कि वृद्धजनों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। इस संदर्भ में, वृद्धजनों हेतु नीतियों का निर्माण भारत के समग्र विकास के लिए महत्वपूर्ण है, निम्नलिखित कारणों से: स्वास्थ्Read more
भारत में, 2011-21 के बीच वृद्धजनों की जनसंख्या की वृद्धि दर सामान्य जनसंख्या की वृद्धि दर से लगभग तीन गुना रही, जिससे यह स्पष्ट होता है कि वृद्धजनों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। इस संदर्भ में, वृद्धजनों हेतु नीतियों का निर्माण भारत के समग्र विकास के लिए महत्वपूर्ण है, निम्नलिखित कारणों से:
इन पहलुओं को ध्यान में रखते हुए, वृद्धजनों के लिए समर्पित नीतियों का निर्माण भारत की सामाजिक और आर्थिक स्थिरता के लिए आवश्यक है।
See lessमौजूदा मुद्दों को ध्यान में रखते हुए, भारत में शहरी अवसंरचना और परिवहन (मोबिलिटी) सेवाओं में सुधार की आवश्यकता पर लैंगिक दृष्टिकोण से चर्चा कीजिए। (150 शब्दों में उत्तर दें)
भारत में शहरी अवसंरचना और परिवहन सेवाओं में सुधार करते समय लैंगिक दृष्टिकोण की अनदेखी करना एक महत्वपूर्ण मुद्दा है। महिलाओं की सुरक्षा, आराम और सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए सुधार आवश्यक है: सुरक्षा: सार्वजनिक परिवहन में महिलाओं के लिए सुरक्षा की कमी एक गंभीर समस्या है। महिलाओं के लिए विशेष सीटें,Read more
भारत में शहरी अवसंरचना और परिवहन सेवाओं में सुधार करते समय लैंगिक दृष्टिकोण की अनदेखी करना एक महत्वपूर्ण मुद्दा है। महिलाओं की सुरक्षा, आराम और सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए सुधार आवश्यक है:
इन पहलुओं पर ध्यान देकर शहरी अवसंरचना और परिवहन सेवाओं को लैंगिक समानता की दिशा में सुधारित किया जा सकता है।
See lessविदेशी वित्त पोषित अनुसंधान परियोजना के तहत विकासशील देशों में किए जाने वाले चिकित्सा अनुसंधान से उत्पन्न हो सकने वाले विभिन्न नैतिक मुद्दों पर चर्चा कीजिए। (150 शब्दों में उत्तर दीजिए)
विदेशी वित्त पोषित अनुसंधान परियोजनाओं के तहत विकासशील देशों में चिकित्सा अनुसंधान से कई नैतिक मुद्दे उत्पन्न हो सकते हैं: अनुसंधान की नैतिकता: विकासशील देशों में गरीब और कमजोर आबादी पर अनुसंधान के दौरान सूचनाओं की सही और स्पष्ट जानकारी देना और उनकी स्वीकृति प्राप्त करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। अक्सर,Read more
विदेशी वित्त पोषित अनुसंधान परियोजनाओं के तहत विकासशील देशों में चिकित्सा अनुसंधान से कई नैतिक मुद्दे उत्पन्न हो सकते हैं:
इन समस्याओं के समाधान के लिए, अनुसंधान परियोजनाओं को स्थानीय समुदायों के साथ पारदर्शी और सम्मानजनक ढंग से काम करना चाहिए, और सुनिश्चित करना चाहिए कि अनुसंधान का लाभ स्थानीय लोगों तक पहुंच सके।
See lessहालांकि, अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए कई संस्थान कार्यरत हैं, फिर भी, राष्ट्र अपने हितों की पूर्ति हेतु अक्सर नैतिक मूल्यों और इन संस्थानों के दिशा-निर्देशों की उपेक्षा कर देते हैं। उदाहण सहित चर्चा कीजिए।(150 शब्दों में उत्तर दीजिए)
अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए संयुक्त राष्ट्र और वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गनाइजेशन जैसे कई संस्थान कार्यरत हैं। ये संस्थान शांति, सुरक्षा, और व्यापारिक निष्पक्षता के दिशा-निर्देश प्रदान करते हैं। फिर भी, राष्ट्र अक्सर अपने स्वार्थों की पूर्ति के लिए नैतिक मूल्यों और संस्थानों केRead more
अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए संयुक्त राष्ट्र और वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गनाइजेशन जैसे कई संस्थान कार्यरत हैं। ये संस्थान शांति, सुरक्षा, और व्यापारिक निष्पक्षता के दिशा-निर्देश प्रदान करते हैं। फिर भी, राष्ट्र अक्सर अपने स्वार्थों की पूर्ति के लिए नैतिक मूल्यों और संस्थानों के दिशा-निर्देशों की उपेक्षा करते हैं।
उदाहरण के रूप में, संयुक्त राष्ट्र की आदिवासी अधिकारों पर घोषणा के बावजूद, कई देश अपने आदिवासी समुदायों के अधिकारों का उल्लंघन करते हैं। ब्राज़ील में अमेज़न वर्षावन की वनों की कटाई और म्यांमार में रोहिंग्या मुस्लिमों पर अत्याचार, दोनों ही ऐसे उदाहरण हैं जहाँ राष्ट्रीय स्वार्थों ने अंतर्राष्ट्रीय दिशानिर्देशों की अनदेखी की है।
ये उदाहरण दर्शाते हैं कि कैसे राष्ट्र अपने हितों को प्राथमिकता देते हुए वैश्विक नैतिक मानदंडों की अनदेखी कर सकते हैं, जिससे अंतर्राष्ट्रीय संस्थानों की प्रभावशीलता पर प्रश्न उठते हैं।
See lessExamine the factors that contributed to the emergence of the United States and the Soviet Union as the two superpowers in the post-war period.
Factors Contributing to the Emergence of the United States and the Soviet Union as Superpowers in the Post-War Period 1. Military Strength and Atomic Weapons Development of Nuclear Weapons: The United States' use of atomic bombs on Hiroshima and Nagasaki in August 1945 marked a significant demonstraRead more
Factors Contributing to the Emergence of the United States and the Soviet Union as Superpowers in the Post-War Period
1. Military Strength and Atomic Weapons
2. Economic Power and Industrial Capacity
3. Ideological Influence and Political Systems
4. Geopolitical Strategy and Global Presence
Recent Examples and Developments
In summary, the emergence of the United States and the Soviet Union as the two superpowers in the post-war period was driven by their military capabilities, economic power, ideological influence, and strategic geopolitical maneuvers. These factors established a bipolar world order that shaped global politics throughout the Cold War and continues to influence international relations today.
See lessAnalyze the social, economic, and political impact of the massive destruction and loss of life caused by World War II on the global order.
Impact of World War II on the Global Order: Social, Economic, and Political Perspectives 1. Social Impact Human Loss and Trauma: World War II resulted in an unprecedented loss of life, with estimates ranging from 70 to 85 million people. The Holocaust, in which six million Jews were systematically eRead more
Impact of World War II on the Global Order: Social, Economic, and Political Perspectives
1. Social Impact
2. Economic Impact
3. Political Impact
Recent Examples and Developments
In summary, the massive destruction and loss of life caused by World War II had profound and far-reaching impacts on the global order. Socially, it resulted in widespread human suffering and displacement; economically, it led to the rebuilding of Europe and a shift in global economic power; and politically, it established the framework for the modern international system, including the UN, the Cold War, and decolonization. The consequences of these impacts continue to shape global dynamics in the present day.
See lessअधिकरण क्या हैं? अनुच्छेद 323A, भारतीय संविधान के अनुच्छेद 323B से किस प्रकार भिन्न है?(उत्तर 200 शब्दों में दें)
अधिकरण एक शक्ति या अधिकार होता है जो किसी व्यक्ति, संगठन, या सरकारी अधिकारी को निर्धारित कार्य करने की अनुमति देता है। अधिकरण संविधान, कानून, नियमों या प्रथाओं द्वारा प्राप्त किया जाता है और समाज में व्यवस्था और न्याय को सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। अनुच्छेद 323A और अनुच्छेद 323B Read more
अधिकरण एक शक्ति या अधिकार होता है जो किसी व्यक्ति, संगठन, या सरकारी अधिकारी को निर्धारित कार्य करने की अनुमति देता है। अधिकरण संविधान, कानून, नियमों या प्रथाओं द्वारा प्राप्त किया जाता है और समाज में व्यवस्था और न्याय को सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
अनुच्छेद 323A और अनुच्छेद 323B दो संविधानीय प्रावधान हैं जो भारतीय संविधान में संबंधित हैं।
इस प्रकार, अनुच्छेद 323A और 323B दोनों वर्गीकृत सेवा संबंधित विषयों पर न्यायाधिकरण और सेवा आयोग की स्थापना के लिए विवरण प्रदान करते हैं, परंतु उनके अधिकार और कार्यक्षेत्र में भिन्नता है।
See lessशक्तियों के पृथक्करण की अवधारणा को स्पष्ट कीजिए। भारतीय संविधान में ऐसे कौन-से प्रावधान हैं, जो शक्तियों के पृथक्करण को प्रतिबिंबित करते हैं?(उत्तर 200 शब्दों में दें)
शक्तियों के पृथक्करण की अवधारणा एक ऐसी सिद्धांत है जिसमें सरकार की विभिन्न संगठनाओं या अधिकारियों को विशिष्ट क्षेत्रों में शक्तियों का पृथक्करण किया जाता है, ताकि वे अपने क्षेत्र में स्वतंत्रता से निर्णय ले सकें और अपने कार्यों के लिए जिम्मेदार हों। यह विभिन्न संगठनों और अधिकारियों को स्वतंत्रता औरRead more
शक्तियों के पृथक्करण की अवधारणा एक ऐसी सिद्धांत है जिसमें सरकार की विभिन्न संगठनाओं या अधिकारियों को विशिष्ट क्षेत्रों में शक्तियों का पृथक्करण किया जाता है, ताकि वे अपने क्षेत्र में स्वतंत्रता से निर्णय ले सकें और अपने कार्यों के लिए जिम्मेदार हों। यह विभिन्न संगठनों और अधिकारियों को स्वतंत्रता और सामर्थ्य प्रदान करता है ताकि सरकारी कार्य प्रभावी रूप से संचालित हो सके।
भारतीय संविधान में शक्तियों के पृथक्करण को प्रतिबिंबित करने के कई प्रावधान हैं। कुछ मुख्य प्रावधान निम्नलिखित हैं:
इन प्रावधानों के माध्यम से भारतीय संविधान ने शक्तियों के पृथक्करण की अवधारणा को प्रतिबिंबित किया है और सरकारी संगठनों को स्वतंत्रता और सामर्थ्य प्रदान किया है ।
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