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Describe the financial relations between the Centre and States in India. (125 Words) [UPPSC 2021]
Financial Relations Between the Centre and States in India **1. Revenue Sharing: The Central Government and State Governments share revenue primarily through tax distribution. The Finance Commission is responsible for recommending the distribution of central taxes to states. For instance, the 15th FRead more
Financial Relations Between the Centre and States in India
**1. Revenue Sharing: The Central Government and State Governments share revenue primarily through tax distribution. The Finance Commission is responsible for recommending the distribution of central taxes to states. For instance, the 15th Finance Commission recommended a 41% share of central taxes for states for the 2021-26 period.
**2. Grants-in-Aid: States receive grants-in-aid from the Centre to support specific projects or to meet revenue deficits. For example, the Swachh Bharat Mission provided grants to states for sanitation projects.
**3. Borrowing Powers: States can borrow funds, subject to Central Government approval. The Fiscal Responsibility and Budget Management (FRBM) Act governs these borrowings. The 2020 COVID-19 pandemic led to increased borrowing limits for states to manage the economic impact.
**4. Financial Devolution: The State Finance Commissions are set up to recommend the distribution of local body finances, ensuring decentralized financial governance.
Conclusion: The financial relationship between the Centre and states involves revenue sharing, grants, borrowing powers, and devolution of funds, aiming to ensure balanced regional development and effective governance.
See lessभारत की खनिज विकास नीति की व्याख्या कीजिए । (200 Words) [UPPSC 2023]
भारत की खनिज विकास नीति 1. उद्देश्य और दृष्टिकोण: भारत की खनिज विकास नीति का मुख्य उद्देश्य खनिज संसाधनों का सतत और समावेशी विकास करना है। इसके तहत, खनिज संसाधनों की खोज, विवेकपूर्ण उपयोग, और सभी क्षेत्रों में उनके लाभ को सुनिश्चित करना शामिल है। सरकार की नीति विकास और नवाचार, वित्तीय और तकनीकी समर्Read more
भारत की खनिज विकास नीति
1. उद्देश्य और दृष्टिकोण: भारत की खनिज विकास नीति का मुख्य उद्देश्य खनिज संसाधनों का सतत और समावेशी विकास करना है। इसके तहत, खनिज संसाधनों की खोज, विवेकपूर्ण उपयोग, और सभी क्षेत्रों में उनके लाभ को सुनिश्चित करना शामिल है। सरकार की नीति विकास और नवाचार, वित्तीय और तकनीकी समर्थन, और स्थानीय समुदायों की भागीदारी पर आधारित है।
2. महत्वपूर्ण नीतिगत पहल:
1. खदान और खनिज (विकास और विनियमन) अधिनियम (1957): यह अधिनियम खनिज संसाधनों के अनुसंधान, खनन और विनियमन के लिए कानूनी ढांचा प्रदान करता है। हाल ही में माइनिंग एक्ट (2020) को लागू किया गया है, जो खनन क्षेत्र में सुधार और पारदर्शिता को बढ़ावा देता है।
2. विविधीकरण और कच्चे माल की आपूर्ति: भारत ने कच्चे माल की आपूर्ति को स्थिर करने के लिए विविधीकरण की नीति अपनाई है। भारत-अमेरिका रणनीतिक साझेदारी के तहत खनिज आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत करने के प्रयास किए जा रहे हैं।
3. स्थानीय समुदायों का सशक्तिकरण: खनन कंपनियों को स्थानीय समुदायों के विकास में सक्रिय भूमिका निभाने की सलाह दी जाती है। उदाहरण के लिए, संग्रहीत खनिज क्षेत्र में वृक्षारोपण और स्थानीय शिक्षा कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं।
4. स्वच्छता और सुरक्षा: खनन कार्यों के दौरान स्वच्छता और सुरक्षा मानकों को लागू करना महत्वपूर्ण है। ई-परमिट और निगरानी प्रणाली के माध्यम से, पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने के प्रयास किए जा रहे हैं।
3. हालिया उदाहरण और पहल:
**1. **प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में माइनिंग क्षेत्र में सुधार के लिए उठाए गए कदम, जैसे कि ब्लॉक्स की नीलामी और पारदर्शिता को बढ़ावा देना।
**2. आधुनिक तकनीकों का उपयोग, जैसे कि स्मार्ट खनन और डेटा एनालिटिक्स, जो खनन प्रक्रियाओं को अधिक कुशल और पारदर्शी बनाते हैं।
निष्कर्ष: भारत की खनिज विकास नीति खनिज संसाधनों के सतत उपयोग, पारदर्शिता, और स्थानीय समुदायों की भागीदारी को प्राथमिकता देती है। यह नीति न केवल आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करती है, बल्कि पर्यावरण और सामाजिक जिम्मेदारियों को भी ध्यान में रखती है।
See lessरिक्तीकरण परिदृश्य में विवेकी जल उपयोग के लिए जल भंडारण और सिंचाई प्रणाली में सुधार के उपायों को सुझाइए। (250 words) [UPSC 2020]
जल भंडारण और सिंचाई प्रणाली में सुधार के उपाय **1. जल भंडारण में सुधार a. वर्षा जल संचयन: वर्षा जल संचयन प्रणालियाँ, जैसे की जल संचयन टैंक और गड्ढे, जल की उपलब्धता बढ़ा सकते हैं। हाल ही में, हिमाचल प्रदेश ने “जल शक्ति अभियान” के अंतर्गत घर-घर वर्षा जल संचयन के प्रयास किए हैं, जिससे भूजल स्तर में सुधRead more
जल भंडारण और सिंचाई प्रणाली में सुधार के उपाय
**1. जल भंडारण में सुधार
a. वर्षा जल संचयन:
वर्षा जल संचयन प्रणालियाँ, जैसे की जल संचयन टैंक और गड्ढे, जल की उपलब्धता बढ़ा सकते हैं। हाल ही में, हिमाचल प्रदेश ने “जल शक्ति अभियान” के अंतर्गत घर-घर वर्षा जल संचयन के प्रयास किए हैं, जिससे भूजल स्तर में सुधार हुआ है।
b. चेक डेम और परकोलेशन पिट्स:
छोटे चेक डेम और परकोलेशन पिट्स जल के संचयन और भूजल पुनर्भरण में सहायक होते हैं। राजस्थान में, “सुजलाम सुफलाम योजना” के अंतर्गत ऐसे ढाँचों का निर्माण किया गया है, जिससे सूखा प्रभावित क्षेत्रों में जलस्तर में वृद्धि हुई है।
c. पारंपरिक जल स्रोतों की पुनरावृत्ति:
प्राचीन जल स्रोतों जैसे तालाबों और झीलों का पुनरुद्धार जल की उपलब्धता को बढ़ा सकता है। मध्य प्रदेश में, भोपल की झीलों का पुनरुद्धार किया गया है, जिससे क्षेत्रीय जल संसाधनों में सुधार हुआ है।
**2. सिंचाई प्रणालियों में सुधार
a. ड्रिप सिंचाई:
ड्रिप सिंचाई प्रणाली सीधे पौधों की जड़ों को पानी प्रदान करती है, जिससे पानी की बर्बादी कम होती है। महाराष्ट्र में प्याज की खेती में ड्रिप सिंचाई के उपयोग से पानी की खपत में कमी आई है और उपज में वृद्धि हुई है।
b. स्प्रिंकलर सिस्टम:
स्प्रिंकलर प्रणाली विशेष रूप से असमान भूभाग वाले क्षेत्रों में पानी की प्रभावी आपूर्ति सुनिश्चित करती है। कर्नाटका में, गन्ने की फसलों के लिए स्प्रिंकलर सिंचाई का उपयोग किया गया है, जिससे पानी की उपयोगिता में सुधार हुआ है।
c. मिट्टी की नमी प्रबंधन:
मिट्टी की नमी सेंसरों का उपयोग करके सिंचाई अनुसूचियों का प्रबंधन सटीक पानी की आपूर्ति सुनिश्चित करता है। पंजाब में, इन सेंसरों के उपयोग से सिंचाई में सुधार और फसल की उत्पादकता में वृद्धि देखी गई है।
**3. नीति और प्रशासनिक उपाय
a. जल-संरक्षण तकनीकों के लिए प्रोत्साहन:
जल-संरक्षण तकनीकों को अपनाने के लिए सब्सिडी और प्रोत्साहन प्रदान करना महत्वपूर्ण है। “प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (PMKSY)” के तहत ऐसे तकनीकी सुधारों को समर्थन दिया जाता है।
b. एकीकृत जल संसाधन प्रबंधन (IWRM):
IWRM दृष्टिकोण जल संसाधनों के प्रबंधन में समग्र दृष्टिकोण अपनाता है। राष्ट्रीय जल नीति, 2012, इस एकीकृत दृष्टिकोण पर जोर देती है, जिससे जल उपयोग और प्रबंधन में सुधार होता है।
निष्कर्ष:
See lessजल भंडारण और सिंचाई प्रणालियों में सुधार के लिए आधुनिक तकनीकों और पारंपरिक विधियों का सम्मिलित उपयोग, साथ ही समर्थक नीतियों की आवश्यकता है, ताकि जल उपयोग की दक्षता और स्थिरता में सुधार हो सके।
धान-गेहूँ प्रणाली को सफल बनाने के लिए कौन-से प्रमुख कारक उत्तरदायी हैं? इस सफलता के बावजूद यह प्रणाली भारत में अभिशाप कैसे बन गई है? (250 words) [UPSC 2020]
धान-गेहूँ प्रणाली की सफलता के प्रमुख कारक धान-गेहूँ प्रणाली भारत की कृषि में अत्यधिक सफल रही है, विशेष रूप से हरित क्रांति के बाद। इसके प्रमुख कारक निम्नलिखित हैं: उन्नत बीज और उर्वरक: हरित क्रांति के दौरान उन्नत किस्म के बीजों और रासायनिक उर्वरकों के उपयोग ने धान-गेहूँ उत्पादन में क्रांतिकारी वृद्धRead more
धान-गेहूँ प्रणाली की सफलता के प्रमुख कारक
धान-गेहूँ प्रणाली भारत की कृषि में अत्यधिक सफल रही है, विशेष रूप से हरित क्रांति के बाद। इसके प्रमुख कारक निम्नलिखित हैं:
धान-गेहूँ प्रणाली: एक अभिशाप कैसे बनी?
इस प्रणाली की सफलता के बावजूद, इसके दीर्घकालिक प्रभाव नकारात्मक रहे हैं:
निष्कर्ष: धान-गेहूँ प्रणाली ने भारत की खाद्यान्न सुरक्षा में महत्वपूर्ण योगदान दिया है, लेकिन इसके दीर्घकालिक प्रभावों ने पर्यावरण, मृदा स्वास्थ्य और जल संसाधनों पर गंभीर दबाव डाला है। अब आवश्यकता है कि इस प्रणाली को टिकाऊ बनाने के लिए वैकल्पिक फसल प्रणाली, जल-संरक्षण तकनीकों, और जैविक खेती को बढ़ावा दिया जाए।
See lessThe scourge of terrorism is a grave challenge to national security. What solutions do you suggest to curb this growing menace? What are the major sources of terrorist funding? (250 words) [UPSC 2017]
Terrorism as a National Security Challenge Terrorism poses one of the most significant threats to national security today. It endangers lives, disrupts social harmony, and weakens economic stability. Recent examples, such as the Pulwama attack in 2019 and the ongoing insurgency in Jammu and Kashmir,Read more
Terrorism as a National Security Challenge
Terrorism poses one of the most significant threats to national security today. It endangers lives, disrupts social harmony, and weakens economic stability. Recent examples, such as the Pulwama attack in 2019 and the ongoing insurgency in Jammu and Kashmir, highlight the severe impact of terrorism on national security.
Solutions to Curb Terrorism
Major Sources of Terrorist Funding
Conclusion: Addressing terrorism requires a multi-faceted approach, combining strong security measures, financial regulation, international cooperation, and public awareness. By tackling both the operational capabilities and the funding sources of terrorist organizations, we can make significant strides in reducing the threat of terrorism to national security.
See lessआतंकवाद की महाविपत्ति राष्ट्रीय सुरक्षा के लिये एक गम्भीर चुनौती है। इस बढ़ते हुए संकट का नियंत्रण करने के लिये आप क्या-क्या हल सुझाते हैं ? आतंकी निधीयन के प्रमुख स्रोत क्या हैं ? (250 words) [UPSC 2017]
राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए आतंकवाद की चुनौती आतंकवाद आज की दुनिया में राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है। यह न केवल मानव जीवन को खतरे में डालता है बल्कि सामाजिक और आर्थिक ताने-बाने को भी नुकसान पहुंचाता है। हाल ही में, मणिपुर में उग्रवादी हिंसा और जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी हमलेRead more
राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए आतंकवाद की चुनौती
आतंकवाद आज की दुनिया में राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है। यह न केवल मानव जीवन को खतरे में डालता है बल्कि सामाजिक और आर्थिक ताने-बाने को भी नुकसान पहुंचाता है। हाल ही में, मणिपुर में उग्रवादी हिंसा और जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी हमले राष्ट्रीय सुरक्षा पर इसके प्रभाव का प्रमाण हैं।
आतंकवाद का नियंत्रण करने के लिए सुझाए गए समाधान
आतंकी निधीयन के प्रमुख स्रोत
निष्कर्ष: आतंकवाद से निपटने के लिए एक समग्र दृष्टिकोण अपनाना आवश्यक है, जिसमें सुरक्षा तंत्र को मजबूत करना, आतंकी वित्तपोषण को रोकना, वैश्विक सहयोग को बढ़ावा देना, और जन जागरूकता को बढ़ाना शामिल है। इन सभी उपायों को मिलाकर ही इस गंभीर चुनौती पर नियंत्रण पाया जा सकता है।
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See lessसरकारी कार्यकलापों के लिए, सर्वरों की क्लाउड होस्टिंग बनाम स्वसंस्थागत मशीन-आधारित होस्टिंग के लाभों और सुरक्षा निहितार्थों पर चर्चा कीजिए ।
सर्वरों की क्लाउड होस्टिंग के लाभ स्केलेबिलिटी: क्लाउड होस्टिंग सरकारी एजेंसियों को मांग के आधार पर संसाधनों को जल्दी से बढ़ाने या घटाने की अनुमति देती है। उदाहरण के लिए, COVID-19 महामारी के दौरान, सरकारों ने दूरस्थ कार्य और डिजिटल सेवाओं का समर्थन करने के लिए क्लाउड संसाधनों को तेजी से बढ़ाया। लागतRead more
सर्वरों की क्लाउड होस्टिंग के लाभ
क्लाउड होस्टिंग बनाम स्वसंस्थागत होस्टिंग के सुरक्षा निहितार्थ
निष्कर्ष: जबकि क्लाउड होस्टिंग स्केलेबिलिटी, लागत दक्षता और सुगम्यता के संदर्भ में महत्वपूर्ण लाभ प्रदान करती है, यह डेटा संप्रभुता और साइबर सुरक्षा से संबंधित चुनौतियाँ भी पैदा करती है। सरकारों को इन कारकों का संतुलन बनाना चाहिए, और संभवतः क्लाउड और स्वसंस्थागत होस्टिंग के लाभों को संयोजित करने के लिए हाइब्रिड समाधान अपनाने चाहिए।
See lessDiscuss the advantages and security implications of cloud hosting of servers vis-a-vis in-house machine-based hosting for government businesses. (200 words) [UPSC 2015]
Advantages of Cloud Hosting for Government Businesses Scalability: Cloud hosting allows government agencies to quickly scale resources up or down based on demand. For example, during the COVID-19 pandemic, governments worldwide rapidly scaled up cloud resources to support remote work and digital serRead more
Advantages of Cloud Hosting for Government Businesses
Security Implications of Cloud Hosting vs. In-House Hosting
Conclusion: While cloud hosting offers significant advantages in terms of scalability, cost-efficiency, and accessibility, it also poses security challenges, particularly regarding data sovereignty and cybersecurity. Governments need to balance these factors, potentially adopting hybrid solutions that combine the benefits of both cloud and in-house hosting.
See lessनिषेधात्मक श्रम के कौन-से क्षेत्र हैं, जिनका रोबोटों के द्वारा धारणीय रूप से प्रबंधन किया जा सकता है ? ऐसी पहलों पर चर्चा कीजिए, जो प्रमुख अनुसंधान संस्थानों में मौलिक और लाभप्रद नवाचार के लिए अनुसंधान को आगे बढ़ा सकें । (200 words) [UPSC 2015]
निषेधात्मक श्रम के क्षेत्र जिनका प्रबंधन रोबोटों द्वारा किया जा सकता है रोबोट उन श्रम क्षेत्रों में प्रभावी रूप से कार्य कर सकते हैं जो खतरनाक, दोहराव वाले, या अत्यधिक सटीकता की आवश्यकता रखते हैं। खतरनाक वातावरण जैसे परमाणु संयंत्र, गहरे समुद्र की खोज, और खनन में रोबोट का उपयोग अत्यधिक लाभकारी है। उRead more
निषेधात्मक श्रम के क्षेत्र जिनका प्रबंधन रोबोटों द्वारा किया जा सकता है
रोबोट उन श्रम क्षेत्रों में प्रभावी रूप से कार्य कर सकते हैं जो खतरनाक, दोहराव वाले, या अत्यधिक सटीकता की आवश्यकता रखते हैं। खतरनाक वातावरण जैसे परमाणु संयंत्र, गहरे समुद्र की खोज, और खनन में रोबोट का उपयोग अत्यधिक लाभकारी है। उदाहरण के लिए, जापान के फुकुशिमा दाइची परमाणु संयंत्र की सफाई में रोबोट का उपयोग किया जा रहा है, जहाँ मानवों के लिए काम करना असंभव है। दोहराव वाले कार्य जैसे असेम्बली लाइन ऑपरेशन में रोबोट का उपयोग उत्पादकता बढ़ाने और मानवीय त्रुटियों को कम करने में किया जा रहा है। सटीकता वाले कार्यों में, विशेष रूप से शल्य चिकित्सा में, दा विंची सर्जिकल सिस्टम जैसे रोबोट का उपयोग छोटे चीरे वाली सर्जरी के लिए किया जा रहा है, जिससे रोगियों के परिणाम बेहतर हो रहे हैं।
प्रमुख अनुसंधान संस्थानों में नवाचार को बढ़ावा देने वाली पहलें
रोबोटिक्स में नवाचार को बढ़ावा देने के लिए निम्नलिखित पहलों को प्राथमिकता दी जा सकती है:
इन पहलों से मौलिक और लाभप्रद नवाचार को बढ़ावा मिलेगा, जिससे भारत को वैश्विक रोबोटिक्स क्रांति में अग्रणी स्थान प्राप्त होगा।
See lessWhat are the areas of prohibitive labor that can be sustainably managed by robots? Discuss the initiatives that can propel research in premier research institutes for substantive and gainful innovation. (200 words) [UPSC 2015]
Areas of Prohibitive Labor Managed by Robots Robots can effectively manage areas of labor that are hazardous, repetitive, or require precision beyond human capabilities. Hazardous environments like nuclear plants, deep-sea exploration, and mining can benefit from robotic intervention. For instance,Read more
Areas of Prohibitive Labor Managed by Robots
Robots can effectively manage areas of labor that are hazardous, repetitive, or require precision beyond human capabilities. Hazardous environments like nuclear plants, deep-sea exploration, and mining can benefit from robotic intervention. For instance, Japan’s Fukushima Daiichi Nuclear Power Plant cleanup has seen the deployment of robots for tasks too dangerous for humans. Repetitive tasks in manufacturing, such as assembly line operations, are increasingly managed by robots, improving efficiency and reducing human error. In precision tasks, especially in surgery, robots like Da Vinci Surgical System allow for minimally invasive procedures, enhancing patient outcomes.
Initiatives to Propel Research in Premier Institutes
To foster innovation in robotics, several initiatives can be prioritized:
These initiatives can propel substantive and gainful innovation, positioning India at the forefront of the global robotics revolution.
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