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केंद्र-राज्य सम्बन्धों के संदर्भ में प्रशासनिक शक्ति विभाजन की समीक्षा कीजिए ।
केंद्र-राज्य संबंधों के संदर्भ में प्रशासनिक शक्ति विभाजन की समीक्षा भारत में केंद्र और राज्य सरकारों के बीच प्रशासनिक शक्ति का विभाजन संविधान द्वारा निर्धारित किया गया है। इस विभाजन का उद्देश्य केंद्र और राज्य दोनों को अपने-अपने दायरे में कार्य करने की स्वतंत्रता देना है, जिससे देश में लोकतंत्र औरRead more
केंद्र-राज्य संबंधों के संदर्भ में प्रशासनिक शक्ति विभाजन की समीक्षा
भारत में केंद्र और राज्य सरकारों के बीच प्रशासनिक शक्ति का विभाजन संविधान द्वारा निर्धारित किया गया है। इस विभाजन का उद्देश्य केंद्र और राज्य दोनों को अपने-अपने दायरे में कार्य करने की स्वतंत्रता देना है, जिससे देश में लोकतंत्र और संविधान की संप्रभुता बनी रहे।
केंद्र और राज्य के अधिकार
केंद्र-राज्य प्रशासनिक संघर्ष
हालांकि संविधान में स्पष्ट रूप से शक्ति विभाजन किया गया है, लेकिन समय-समय पर केंद्र और राज्य सरकारों के बीच अधिकारों के लिए संघर्ष उत्पन्न होते रहे हैं। उदाहरण के लिए, कुछ राज्य अपनी स्थानीय नीतियों के लिए केंद्र के हस्तक्षेप को चुनौती देते हैं, जबकि केंद्र सरकार कई बार राज्यों के अधिकारों में दखल देती है, विशेषकर जब राष्ट्रीय सुरक्षा या आंतरिक कानून-व्यवस्था की बात आती है।
निष्कर्ष
केंद्र-राज्य संबंधों में प्रशासनिक शक्ति का विभाजन संविधान द्वारा तय किया गया है, परंतु विभिन्न मुद्दों पर केंद्र और राज्य के बीच मतभेद भी देखे जाते हैं। यह विभाजन देश में लोकतांत्रिक कार्यप्रणाली और शांति बनाए रखने में सहायक है, लेकिन समय-समय पर संशोधन और सुधार की आवश्यकता होती है।
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कुपोषण क्या है? कुपोषण तब होता है जब शरीर को आवश्यक पोषक तत्वों की कमी होती है। यह भोजन की असंतुलित खपत या अस्वास्थ्यकर आहार के कारण होता है। प्रमुख कारण: प्रोटीन और कैलोरी की कमी: जैसे, गरीबी या खाद्य संकट के कारण। विटामिन और खनिजों की कमी: जैसे, आयरन की कमी से एनीमिया। कुपोषण से शारीरिक और मानसिकRead more
कुपोषण क्या है?
कुपोषण तब होता है जब शरीर को आवश्यक पोषक तत्वों की कमी होती है। यह भोजन की असंतुलित खपत या अस्वास्थ्यकर आहार के कारण होता है।
प्रमुख कारण:
कुपोषण से शारीरिक और मानसिक विकास में रुकावट आती है।
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स्वास्थ्य और स्वास्थ्य देखभाल का समाजशास्त्र स्वास्थ्य और स्वास्थ्य देखभाल का समाजशास्त्र समाज में स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं, संस्थाओं और सेवाओं का अध्ययन करता है। यह स्वास्थ्य को सामाजिक, सांस्कृतिक, और आर्थिक दृष्टिकोण से समझता है। प्रमुख बिंदु: स्वास्थ्य की सामाजिक स्थिति: समाज में लोगों की स्वRead more
स्वास्थ्य और स्वास्थ्य देखभाल का समाजशास्त्र
स्वास्थ्य और स्वास्थ्य देखभाल का समाजशास्त्र समाज में स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं, संस्थाओं और सेवाओं का अध्ययन करता है। यह स्वास्थ्य को सामाजिक, सांस्कृतिक, और आर्थिक दृष्टिकोण से समझता है।
प्रमुख बिंदु:
यह क्षेत्र समाज में स्वास्थ्य असमानताओं और उनकी वजहों को समझने में मदद करता है।
See lessफैमिली कोर्ट एक्ट, 1984 को समझाइए।
फैमिली कोर्ट एक्ट, 1984 फैमिली कोर्ट एक्ट, 1984 का उद्देश्य पारिवारिक विवादों को हल करने के लिए एक विशेष न्यायिक प्रणाली स्थापित करना है। यह कानून परिवारिक मामलों जैसे तलाक, संपत्ति विवाद, और बच्चे की कस्टडी पर फैसले सुनाता है। प्रमुख बिंदु: सरल और त्वरित समाधान: यह कोर्ट परिवारों के मामलों को जल्दीRead more
फैमिली कोर्ट एक्ट, 1984
फैमिली कोर्ट एक्ट, 1984 का उद्देश्य पारिवारिक विवादों को हल करने के लिए एक विशेष न्यायिक प्रणाली स्थापित करना है। यह कानून परिवारिक मामलों जैसे तलाक, संपत्ति विवाद, और बच्चे की कस्टडी पर फैसले सुनाता है।
प्रमुख बिंदु:
यह एक्ट परिवारों में विवादों को सुलझाने के लिए महत्वपूर्ण कदम है।
See lessविश्व स्वास्थ्य संगठन के उद्देश्यों और कार्यों की विवेचना कीजिए।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के उद्देश्य विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) एक अंतर्राष्ट्रीय संस्था है, जिसका मुख्य उद्देश्य वैश्विक स्तर पर स्वास्थ्य की स्थिति में सुधार करना है। इसके उद्देश्य मुख्यतः निम्नलिखित हैं: स्वास्थ्य की स्थिति में सुधार: WHO का उद्देश्य सभी देशों में स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाना औरRead more
विश्व स्वास्थ्य संगठन के उद्देश्य
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) एक अंतर्राष्ट्रीय संस्था है, जिसका मुख्य उद्देश्य वैश्विक स्तर पर स्वास्थ्य की स्थिति में सुधार करना है। इसके उद्देश्य मुख्यतः निम्नलिखित हैं:
विश्व स्वास्थ्य संगठन के कार्य
WHO का कार्य विश्वभर में स्वास्थ्य को बढ़ावा देने, रोगों की रोकथाम करने और आपातकालीन स्वास्थ्य संकटों के समय सहायता प्रदान करने से संबंधित है। इसके मुख्य कार्य निम्नलिखित हैं:
निष्कर्ष
WHO का उद्देश्य दुनिया भर में स्वास्थ्य के मानक को बेहतर बनाना और हर व्यक्ति तक स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच सुनिश्चित करना है। इसके द्वारा किए गए कार्य समाज में व्यापक स्वास्थ्य सुधार लाने में सहायक होते हैं।
See lessनातेदारी को परिभाषित कीजिए तथा नातेदारी की रीतियों की व्याख्या कीजिए।
नातेदारी की परिभाषा नातेदारी एक सामाजिक संबंध है, जो परिवारों या समुदायों के बीच रिश्तों को दर्शाता है। यह रिश्ते प्रायः रक्त संबंध, विवाह या किसी अन्य पारंपरिक तरीके से बनते हैं। नातेदारी का उद्देश्य समुदाय के अंदर रिश्तों को मजबूत करना और सामाजिक ढांचे को सुदृढ़ करना है। नातेदारी की रीतियाँ नातेदाRead more
नातेदारी की परिभाषा
नातेदारी एक सामाजिक संबंध है, जो परिवारों या समुदायों के बीच रिश्तों को दर्शाता है। यह रिश्ते प्रायः रक्त संबंध, विवाह या किसी अन्य पारंपरिक तरीके से बनते हैं। नातेदारी का उद्देश्य समुदाय के अंदर रिश्तों को मजबूत करना और सामाजिक ढांचे को सुदृढ़ करना है।
नातेदारी की रीतियाँ
नातेदारी की रीतियाँ पारंपरिक समाजों में विभिन्न प्रकार से कार्य करती हैं। ये रीतियाँ सामाजिक संबंधों को संरचित करती हैं और पारिवारिक गतिविधियों का संचालन करती हैं।
निष्कर्ष
नातेदारी न केवल पारिवारिक रिश्तों को मजबूत करने का एक साधन है, बल्कि यह समाज में सहयोग, समर्थन और एकता को बढ़ावा देती है। नातेदारी की रीतियाँ पारंपरिक समाजों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं और सामाजिक सुरक्षा को बनाए रखने में मदद करती हैं।
See lessसामुदायिक विकास कार्यक्रम का मूल्यांकन कीजिए।
सामुदायिक विकास कार्यक्रम का मूल्यांकन सामुदायिक विकास कार्यक्रम का उद्देश्य समाज के सभी वर्गों की सामाजिक, आर्थिक, और सांस्कृतिक स्थिति में सुधार करना है। इन कार्यक्रमों में स्थानीय लोगों को शामिल किया जाता है, ताकि वे अपनी समस्याओं को समझें और उनका समाधान ढूंढें। इस प्रकार, सामुदायिक विकास कार्यक्Read more
सामुदायिक विकास कार्यक्रम का मूल्यांकन
सामुदायिक विकास कार्यक्रम का उद्देश्य समाज के सभी वर्गों की सामाजिक, आर्थिक, और सांस्कृतिक स्थिति में सुधार करना है। इन कार्यक्रमों में स्थानीय लोगों को शामिल किया जाता है, ताकि वे अपनी समस्याओं को समझें और उनका समाधान ढूंढें। इस प्रकार, सामुदायिक विकास कार्यक्रमों का मूल्यांकन कई पहलुओं पर किया जाता है:
1. सामाजिक समावेशन
2. आर्थिक सशक्तिकरण
3. शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाएं
4. स्थायीत्व और प्रभाव
निष्कर्ष
सामुदायिक विकास कार्यक्रमों का मूल्यांकन करते समय, उनके दीर्घकालिक प्रभाव, समाज पर असर, और लोगों की सक्रिय भागीदारी को प्राथमिकता दी जाती है। यदि ये कार्यक्रम प्रभावी होते हैं, तो वे समुदाय को आत्मनिर्भर और सशक्त बना सकते हैं।
See lessपुरुषार्थ का अर्थ और समाजशास्त्रीय महत्त्व की व्याख्या कीजिए।
पुरुषार्थ का अर्थ पुरुषार्थ शब्द का अर्थ है "मनुष्य द्वारा किए गए प्रयास" या "साधनों के उपयोग से प्राप्त किए गए उद्देश्य।" यह चार प्रमुख तत्वों में बाँटा जाता है: धर्म, अर्थ, काम, और मोक्ष। प्रत्येक तत्व का समाज और व्यक्तिगत जीवन में विशेष स्थान होता है। धर्म: नैतिकता और समाज के कल्याण के लिए कार्य।Read more
पुरुषार्थ का अर्थ
पुरुषार्थ शब्द का अर्थ है “मनुष्य द्वारा किए गए प्रयास” या “साधनों के उपयोग से प्राप्त किए गए उद्देश्य।” यह चार प्रमुख तत्वों में बाँटा जाता है: धर्म, अर्थ, काम, और मोक्ष। प्रत्येक तत्व का समाज और व्यक्तिगत जीवन में विशेष स्थान होता है।
समाजशास्त्रीय महत्त्व
पुरुषार्थ समाजशास्त्र में विशेष रूप से इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह मानव जीवन के विभिन्न पहलुओं को संतुलित और व्यवस्थित करने का मार्गदर्शन करता है। समाज में हर व्यक्ति का धर्म, अर्थ, काम, और मोक्ष की दिशा में योगदान होता है, जो समाज के समग्र विकास में सहायक होता है।
उदाहरण:
पुरुषार्थ से समाज का समग्र विकास संभव होता है, जहां प्रत्येक व्यक्ति अपने कर्तव्यों और जिम्मेदारियों को समझकर सामाजिक और व्यक्तिगत जीवन को बेहतर बना सकता है।
See lessसतत विकास को समझाइये ।
सतत विकास क्या है? सतत विकास का मतलब है, वर्तमान जरूरतों को पूरा करते हुए, भविष्य की पीढ़ियों के लिए संसाधनों को बचाना। उदाहरण: हरित ऊर्जा: सौर और पवन ऊर्जा का उपयोग ताकि ऊर्जा संकट को हल किया जा सके और पर्यावरण सुरक्षित रहे। कृषि: प्राकृतिक संसाधनों को ध्यान में रखते हुए खेती करना, जिससे उत्पादन बढRead more
सतत विकास क्या है?
सतत विकास का मतलब है, वर्तमान जरूरतों को पूरा करते हुए, भविष्य की पीढ़ियों के लिए संसाधनों को बचाना।
उदाहरण:
सतत विकास में पर्यावरण, समाज और अर्थव्यवस्था के बीच संतुलन बनाए रखना आवश्यक है।
See lessपरमाणु ऊर्जा क्या होती है ?
परमाणु ऊर्जा क्या होती है? परमाणु ऊर्जा, परमाणु के भीतर ऊर्जा को नियंत्रित तरीके से निकालने की प्रक्रिया है, जिससे बिजली उत्पन्न की जाती है। उदाहरण: नाभिकीय विखंडन: परमाणु के नाभिक को तोड़ने से भारी मात्रा में ऊर्जा निकलती है। परमाणु रिएक्टर: यह ऊर्जा को बिजली में बदलने के लिए उपयोग किया जाता है। यहRead more
परमाणु ऊर्जा क्या होती है?
परमाणु ऊर्जा, परमाणु के भीतर ऊर्जा को नियंत्रित तरीके से निकालने की प्रक्रिया है, जिससे बिजली उत्पन्न की जाती है।
उदाहरण:
यह ऊर्जा साफ और उच्च क्षमता वाली होती है, लेकिन इससे जुड़े जोखिम भी होते हैं।
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