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राजकोषीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबंधन अधिनियम, 2003 (FRBMA) के उद्देश्य क्या हैं? इसकी प्रमुख विशेषताओं को सूचीबद्ध कीजिए। (200 शब्द)
राजकोषीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबंधन अधिनियम, 2003 (FRBMA) का मुख्य उद्देश्य भारत में राजकोषीय अनुशासन को बढ़ावा देना और आर्थिक स्थिरता सुनिश्चित करना है। इसके प्रमुख उद्देश्यों और विशेषताओं को निम्नलिखित बिंदुओं में विभाजित किया जा सकता है: मुख्य उद्देश्य: राजकोषीय घाटे को नियंत्रित करना: सरकार केRead more
राजकोषीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबंधन अधिनियम, 2003 (FRBMA) का मुख्य उद्देश्य भारत में राजकोषीय अनुशासन को बढ़ावा देना और आर्थिक स्थिरता सुनिश्चित करना है। इसके प्रमुख उद्देश्यों और विशेषताओं को निम्नलिखित बिंदुओं में विभाजित किया जा सकता है:
मुख्य उद्देश्य:
प्रमुख विशेषताएँ:
हाल के वर्षों में, FRBMA के तहत निर्धारित लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए सरकार ने विभिन्न सुधारात्मक कदम उठाए हैं, जैसे कि राजकोषीय घाटे को नियंत्रित करने के लिए व्यय में कटौती और राजस्व बढ़ाने के उपाय। इन प्रयासों के परिणामस्वरूप, भारत की अर्थव्यवस्था में स्थिरता और निवेशकों के विश्वास में वृद्धि हुई है।
FRBMA के कार्यान्वयन से भारत में राजकोषीय अनुशासन को बढ़ावा मिला है, जिससे आर्थिक विकास और स्थिरता में योगदान हुआ है।
See lessगैर-निष्पादित परिसंपत्तियां (NPAs) क्या होती हैं? हाल के समय में भारत में NPAs की समस्या को हल करने के लिए सरकार द्वारा किए गए प्रयासों पर चर्चा करें। (200 शब्द)
गैर-निष्पादित परिसंपत्तियाँ (Non-Performing Assets - NPAs) वे ऋण या अग्रिम हैं, जिनमें उधारकर्ता द्वारा 90 दिनों से अधिक समय तक ब्याज या मूलधन का भुगतान नहीं किया गया है। इससे बैंक की आय प्रभावित होती है और उनकी वित्तीय स्थिति कमजोर होती है। भारत में NPAs की समस्या से निपटने के लिए सरकार द्वारा किएRead more
गैर-निष्पादित परिसंपत्तियाँ (Non-Performing Assets – NPAs) वे ऋण या अग्रिम हैं, जिनमें उधारकर्ता द्वारा 90 दिनों से अधिक समय तक ब्याज या मूलधन का भुगतान नहीं किया गया है। इससे बैंक की आय प्रभावित होती है और उनकी वित्तीय स्थिति कमजोर होती है।
भारत में NPAs की समस्या से निपटने के लिए सरकार द्वारा किए गए हालिया प्रयास:
इन उपायों के माध्यम से, सरकार ने बैंकों की वित्तीय सेहत में सुधार लाने और NPAs की समस्या को नियंत्रित करने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं।
See lessभूमि अभिलेखों का डिजिटलीकरण एक सकारात्मक कदम माना जाता है, फिर भी इसमें कुछ ऐसी चुनौतियाँ हैं जिन्हें सुलझाने की आवश्यकता है। इस पर चर्चा करें। (200 शब्द)
भूमि अभिलेखों का डिजिटलीकरण भारत में पारदर्शिता और दक्षता बढ़ाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। हालांकि, इस प्रक्रिया में कुछ चुनौतियाँ भी सामने आती हैं। लाभ: पारदर्शिता में वृद्धि: डिजिटलीकरण से भूमि अभिलेखों में पारदर्शिता बढ़ती है, जिससे भ्रष्टाचार और विवादों में कमी आती है। सुलभता: डिजिटल अभिलेखोंRead more
भूमि अभिलेखों का डिजिटलीकरण भारत में पारदर्शिता और दक्षता बढ़ाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। हालांकि, इस प्रक्रिया में कुछ चुनौतियाँ भी सामने आती हैं।
लाभ:
चुनौतियाँ:
इन चुनौतियों का समाधान करने के लिए, डेटा की सटीकता सुनिश्चित करने, डिजिटल अवसंरचना में सुधार करने और कानूनी प्रक्रियाओं का समन्वय करने की आवश्यकता है।
See lessउत्तर भारत में फसल अवशेष और पराली जलाने से उत्पन्न वायु प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिए एक समग्र समाधान तैयार करना आवश्यक है। इस पर चर्चा करें। (200 शब्द)
उत्तर भारत में फसल अवशेष और पराली जलाने से उत्पन्न वायु प्रदूषण की समस्या उत्तर भारत में फसल अवशेष और पराली जलाने से वायु प्रदूषण एक गंभीर समस्या बन गई है, जिससे स्वास्थ्य और पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। समस्या का स्वरूप: वायु प्रदूषण: पराली जलाने से कार्बन डाइऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड,Read more
उत्तर भारत में फसल अवशेष और पराली जलाने से उत्पन्न वायु प्रदूषण की समस्या
उत्तर भारत में फसल अवशेष और पराली जलाने से वायु प्रदूषण एक गंभीर समस्या बन गई है, जिससे स्वास्थ्य और पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।
समस्या का स्वरूप:
समग्र समाधान:
निष्कर्ष:
फसल अवशेष और पराली जलाने से उत्पन्न वायु प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिए एक समग्र दृष्टिकोण अपनाना आवश्यक है, जिसमें तकनीकी, वित्तीय, शैक्षिक और वैकल्पिक उपायों का समावेश हो।
See lessडिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण नियम, 2025 के मसौदे में रेखांकित भारत के डिजिटल विकास के प्रमुख चालकों और चुनौतियों पर चर्चा करें। देश में डिजिटल समावेशिता और सुरक्षा बढ़ाने के उपाय सुझाएँ। (200 शब्द)
डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण नियम, 2025 के मसौदे में भारत के डिजिटल विकास के प्रमुख चालक और चुनौतियाँ निम्नलिखित हैं: प्रमुख चालक: डेटा स्थानीयकरण: मसौदे में व्यक्तिगत और ट्रैफिक डेटा के कुछ प्रकारों को भारत के बाहर स्थानांतरित करने पर रोक का प्रावधान है, जो देश में डेटा सुरक्षा को सुदृढ़ करेगा। सहRead more
डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण नियम, 2025 के मसौदे में भारत के डिजिटल विकास के प्रमुख चालक और चुनौतियाँ निम्नलिखित हैं:
प्रमुख चालक:
प्रमुख चुनौतियाँ:
डिजिटल समावेशिता और सुरक्षा बढ़ाने के उपाय:
इन उपायों से भारत में डिजिटल समावेशिता और सुरक्षा को सुदृढ़ किया जा सकता है।
See lessहाल ही में सरकार द्वारा अधिसूचित बैटरी अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2022 में चक्रीय अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहित करने की व्यापक संभावनाएं हैं, लेकिन इन नियमों को इस प्रकार तैयार करने की आवश्यकता है कि कुशल और प्रभावी पुनर्चक्रण सुनिश्चित हो सके। इस पर चर्चा कीजिए।(200 शब्द)
परिचय भारत सरकार ने 24 अगस्त, 2022 को बैटरी अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2022 अधिसूचित किए, जो चक्रीय अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहित करने के लिए महत्वपूर्ण कदम हैं। चक्रीय अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहन विस्तारित उत्पादक उत्तरदायित्व (EPR): उत्पादकों को अपशिष्ट बैटरियों के संग्रहण और पुनर्चक्रण की जिम्मेदारी सौंपRead more
परिचय
भारत सरकार ने 24 अगस्त, 2022 को बैटरी अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2022 अधिसूचित किए, जो चक्रीय अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहित करने के लिए महत्वपूर्ण कदम हैं।
चक्रीय अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहन
कुशल और प्रभावी पुनर्चक्रण की आवश्यकता
निष्कर्ष
बैटरी अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2022 चक्रीय अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहित करने के लिए महत्वपूर्ण हैं, लेकिन इन नियमों को इस प्रकार तैयार करना आवश्यक है कि कुशल और प्रभावी पुनर्चक्रण सुनिश्चित हो सके।
See lessरेत और धूल भरी आंधियों के पर्यावरणीय तथा आर्थिक प्रभावों पर विचार करें। (200 शब्द)
रेत और धूल भरी आँधियाँ (Sand and Dust Storms - SDS) पर्यावरण और अर्थव्यवस्था पर गंभीर प्रभाव डालती हैं। पर्यावरणीय प्रभाव: मृदा क्षरण: SDS उपजाऊ मिट्टी को हटाकर भूमि की उर्वरता कम करती हैं, जिससे कृषि उत्पादन प्रभावित होता है। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, प्रतिवर्ष 200 करोड़ टन धूल और रेत वातावरण मेंRead more
रेत और धूल भरी आँधियाँ (Sand and Dust Storms – SDS) पर्यावरण और अर्थव्यवस्था पर गंभीर प्रभाव डालती हैं।
पर्यावरणीय प्रभाव:
आर्थिक प्रभाव:
इन आँधियों के प्रभावों को कम करने के लिए सतत भूमि प्रबंधन, वनीकरण, और प्रारंभिक चेतावनी प्रणालियों का विकास आवश्यक है। साथ ही, अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और नीतिगत पहल भी महत्वपूर्ण हैं।
See lessभारतीय राष्ट्रीय आंदोलन के प्रारंभिक चरण में प्रेस की भूमिका का विश्लेषण कीजिए और इस अवधि में भारतीय प्रेस द्वारा सामना की गई चुनौतियों का वर्णन कीजिए। (उत्तर 200 शब्दों में दें)
भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन के प्रारंभिक चरण में प्रेस की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण थी। प्रेस की भूमिका: राष्ट्रीय चेतना का विकास: प्रेस ने ब्रिटिश शासन की नीतियों की आलोचना करते हुए भारतीयों में राष्ट्रीयता की भावना जागृत की। सूचना का प्रसार: अखबारों के माध्यम से स्वतंत्रता संग्राम से संबंधित समाचार औरRead more
भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन के प्रारंभिक चरण में प्रेस की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण थी।
प्रेस की भूमिका:
प्रेस द्वारा सामना की गई चुनौतियाँ:
इन चुनौतियों के बावजूद, भारतीय प्रेस ने स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और जनता को जागरूक करने में सफल रहा।
See lessभारत के शहरों में बढ़ते जलजमाव और बाढ़ के मद्देनज़र, पारंपरिक बाढ़ प्रबंधन दृष्टिकोणों को छोड़ना अब और भी ज़रूरी हो गया है। इस पर चर्चा करें और इस संदर्भ में अपनाए जा सकने वाले कुछ वैकल्पिक दृष्टिकोणों का उल्लेख करें। (उत्तर 150 शब्दों में दें)
भारत के शहरी क्षेत्रों में बढ़ते जलजमाव और बाढ़ की घटनाएँ पारंपरिक बाढ़ प्रबंधन तरीकों की सीमाओं को उजागर करती हैं। इसलिए, वैकल्पिक दृष्टिकोण अपनाना आवश्यक हो गया है। हाल की घटनाएँ: मुंबई बाढ़ (2023): भारी वर्षा के कारण शहर के कई हिस्सों में जलजमाव हुआ, जिससे जनजीवन प्रभावित हुआ। दिल्ली बाढ़ (2023):Read more
भारत के शहरी क्षेत्रों में बढ़ते जलजमाव और बाढ़ की घटनाएँ पारंपरिक बाढ़ प्रबंधन तरीकों की सीमाओं को उजागर करती हैं। इसलिए, वैकल्पिक दृष्टिकोण अपनाना आवश्यक हो गया है।
हाल की घटनाएँ:
वैकल्पिक दृष्टिकोण:
इन वैकल्पिक उपायों को अपनाकर, शहरी बाढ़ की समस्या को प्रभावी ढंग से नियंत्रित किया जा सकता है, जिससे जनजीवन और संपत्ति की सुरक्षा सुनिश्चित होगी।
See lessदुनिया भर में ज्वालामुखियों का स्थानिक वितरण भी भूकंप की भांति निश्चित क्षेत्रों या बेल्ट्स में विद्यमान है। इस पर चर्चा कीजिए। (उत्तर 150 शब्दों में दें)
दुनिया भर में ज्वालामुखियों का वितरण भूकंपों की तरह ही विशिष्ट क्षेत्रों या बेल्ट्स में केंद्रित है। ये क्षेत्र मुख्यतः टेक्टोनिक प्लेटों की सीमाओं पर स्थित हैं, जहां प्लेटों की गतिविधियों के कारण ज्वालामुखी और भूकंप दोनों की घटनाएं सामान्य हैं। प्रमुख ज्वालामुखी बेल्ट्स: प्रशांत महासागर का अग्निवलयRead more
दुनिया भर में ज्वालामुखियों का वितरण भूकंपों की तरह ही विशिष्ट क्षेत्रों या बेल्ट्स में केंद्रित है। ये क्षेत्र मुख्यतः टेक्टोनिक प्लेटों की सीमाओं पर स्थित हैं, जहां प्लेटों की गतिविधियों के कारण ज्वालामुखी और भूकंप दोनों की घटनाएं सामान्य हैं।
प्रमुख ज्वालामुखी बेल्ट्स:
हाल की घटनाएं:
निष्कर्ष:
ज्वालामुखियों का स्थानिक वितरण मुख्यतः टेक्टोनिक प्लेटों की गतिशीलता से जुड़ा है, जिससे वे भूकंपों की भांति निश्चित क्षेत्रों में केंद्रित होते हैं। हाल की घटनाएं इस वितरण और गतिविधि की पुष्टि करती हैं।
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