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एक राज्य-विशेष के अन्दर प्रथम सूचना रिपोर्ट दायर करने तथा जाँच करने के केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सी० बी० आइ०) के क्षेत्राधिकार पर कई राज्य प्रश्न उठा रहे हैं। हालांकि, सी० बी० आइ० जाँच के लिए राज्यों द्वारा दी गई सहमति को रोके रखने की शक्ति आत्यंतिक नहीं है। भारत के संघीय ढाँचे के विशेष संदर्भ में विवेचना कीजिए। (250 words) [UPSC 2021]
भारत के संघीय ढांचे के विशेष संदर्भ में, केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) की जाँच के लिए राज्यों द्वारा दी गई सहमति और इसके क्षेत्राधिकार पर उठते प्रश्न महत्वपूर्ण हैं। संविधानिक प्रावधान: सहयोग और सहमति: भारतीय संविधान के तहत, कानून और व्यवस्था का मामला राज्य सरकारों की जिम्मेदारी है। CBI को केंद्रीयRead more
भारत के संघीय ढांचे के विशेष संदर्भ में, केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) की जाँच के लिए राज्यों द्वारा दी गई सहमति और इसके क्षेत्राधिकार पर उठते प्रश्न महत्वपूर्ण हैं।
संविधानिक प्रावधान:
सहयोग और सहमति: भारतीय संविधान के तहत, कानून और व्यवस्था का मामला राज्य सरकारों की जिम्मेदारी है। CBI को केंद्रीय जांच एजेंसी के रूप में स्थापित किया गया है, लेकिन इसके कार्यक्षेत्र और जाँच की शक्ति पर राज्य सरकारों की सहमति आवश्यक है।
संविधानिक ढाँचा: अनुच्छेद 245 के तहत, राज्य की अधिकारिता राज्य के अधिकार क्षेत्र तक सीमित होती है, और किसी भी केंद्रीय एजेंसी को राज्य के अधिकार क्षेत्र में बिना सहमति के जाँच करने का अधिकार नहीं होता।
CBI का क्षेत्राधिकार:
सहमति की आवश्यकता: CBI की जाँच शुरू करने के लिए राज्य सरकार की पूर्व अनुमति आवश्यक है। इसका मतलब है कि राज्य सरकारों को किसी भी मामले की जाँच के लिए CBI को अधिकृत करने की शक्ति होती है। यदि राज्य सरकार सहमति नहीं देती, तो CBI जाँच नहीं कर सकती है।
आत्यंतिक शक्ति: हालांकि, CBI को “स्वतंत्र” माना जाता है, लेकिन राज्यों द्वारा दी गई सहमति को रोकना उसकी आत्यंतिक शक्ति को सीमित करता है। यह केंद्रीय एजेंसी की प्रभावशीलता को प्रभावित कर सकता है, विशेषकर उन मामलों में जहाँ भ्रष्टाचार या गंभीर अपराध शामिल हैं और राज्यों की राजनीति से प्रभावित हो सकते हैं।
संघीय ढाँचा और न्यायिक समीक्षा:
संघीय संतुलन: भारत का संघीय ढाँचा राज्यों और केंद्र के बीच शक्ति का संतुलन बनाए रखने के लिए डिज़ाइन किया गया है। CBI की जाँच की प्रक्रिया में राज्यों की सहमति की आवश्यकता इस संघीय संतुलन को बनाए रखती है, लेकिन यह केंद्रीय एजेंसी की स्वतंत्रता को भी सीमित कर देती है।
न्यायिक समीक्षा: न्यायपालिका इस मुद्दे में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, यह सुनिश्चित करने के लिए कि राज्य सरकारें अपनी सहमति का उपयोग अनुचित तरीके से न करें और CBI की जाँच को अवरुद्ध न करें।
इस प्रकार, CBI की जाँच के लिए राज्यों द्वारा दी गई सहमति और इसके क्षेत्राधिकार पर उठते प्रश्न भारत के संघीय ढांचे के मूल्यों और प्रावधानों को चुनौती देते हैं, जो राज्यों और केंद्र के बीच शक्ति के संतुलन को बनाए रखते हैं।
See less"संयुक्त राज्य अमेरिका, चीन के रूप में एक ऐसे अस्तित्व के खतरे का सामना कर रहा है जो तत्कालीन सोवियत संघ की तुलना में कहीं अधिक चुनौतीपूर्ण है।" विवेचना कीजिए। (150 words) [UPSC 2021]
"संयुक्त राज्य अमेरिका, चीन के रूप में एक ऐसे अस्तित्व के खतरे का सामना कर रहा है जो तत्कालीन सोवियत संघ की तुलना में कहीं अधिक चुनौतीपूर्ण है" इस कथन की विवेचना करते हुए: सामरिक और आर्थिक दृष्टिकोण: आर्थिक शक्ति: चीन की तेजी से बढ़ती आर्थिक शक्ति और उसकी वैश्विक व्यापारिक उपस्थिति ने अमेरिका के लिएRead more
“संयुक्त राज्य अमेरिका, चीन के रूप में एक ऐसे अस्तित्व के खतरे का सामना कर रहा है जो तत्कालीन सोवियत संघ की तुलना में कहीं अधिक चुनौतीपूर्ण है” इस कथन की विवेचना करते हुए:
सामरिक और आर्थिक दृष्टिकोण:
आर्थिक शक्ति: चीन की तेजी से बढ़ती आर्थिक शक्ति और उसकी वैश्विक व्यापारिक उपस्थिति ने अमेरिका के लिए एक प्रमुख चुनौती उत्पन्न की है। चीन की आर्थिक वृद्धि और उसकी वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं पर पकड़ अमेरिका के वैश्विक आर्थिक प्रभुत्व को चुनौती देती है।
सैन्य और तकनीकी विकास: चीन का सैन्य विस्तार और तकनीकी उन्नति, जैसे कि साइबर युद्ध और कृत्रिम बुद्धिमत्ता में प्रगति, अमेरिका के लिए गंभीर सुरक्षा खतरे पैदा कर रही है। सोवियत संघ की तुलना में, चीन की आधुनिक तकनीकी क्षमताएँ और उसके क्षेत्रीय प्रभाव क्षेत्र में व्यापकता अमेरिकी सुरक्षा नीति के लिए अधिक जटिलता उत्पन्न करती हैं।
भौगोलिक और राजनीतिक दृष्टिकोण:
See lessवैश्विक प्रभाव: चीन की बेल्ट और रोड इनिशिएटिव और वैश्विक संस्थानों में बढ़ती भूमिका, अमेरिका की अंतरराष्ट्रीय स्थिति को चुनौती देती है। सोवियत संघ का प्रभाव मुख्यतः यूरोप और मध्य एशिया तक सीमित था, जबकि चीन का प्रभाव व्यापक और रणनीतिक है।
इस प्रकार, चीन के उदय ने अमेरिका के लिए एक नई और जटिल चुनौती उत्पन्न की है, जो सोवियत संघ की तुलना में अधिक व्यापक और बहुपरकारी है।
क्या लैंगिक असमानता, गरीबी और कुपोषण के दुश्चक्र को महिलाओं के स्वयं सहायता समूहों को सूक्ष्म वित्त (माइक्रोफाइनेन्स) प्रदान करके तोड़ा जा सकता है? सोदाहरण स्पष्ट कीजिए। (150 words) [UPSC 2021]
हाँ, लैंगिक असमानता, गरीबी और कुपोषण के दुश्चक्र को महिलाओं के स्वयं सहायता समूहों (SHGs) को सूक्ष्म वित्त (माइक्रोफाइनेंस) प्रदान करके तोड़ा जा सकता है। उदाहरण और प्रभाव: स्वयं सहायता समूह (SHG) और सूक्ष्म वित्त: भारतीय राज्यों जैसे तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश में SHGs को सूक्ष्म वित्त देने से महिलाओंRead more
हाँ, लैंगिक असमानता, गरीबी और कुपोषण के दुश्चक्र को महिलाओं के स्वयं सहायता समूहों (SHGs) को सूक्ष्म वित्त (माइक्रोफाइनेंस) प्रदान करके तोड़ा जा सकता है।
उदाहरण और प्रभाव:
स्वयं सहायता समूह (SHG) और सूक्ष्म वित्त: भारतीय राज्यों जैसे तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश में SHGs को सूक्ष्म वित्त देने से महिलाओं ने छोटे-छोटे व्यवसाय शुरू किए, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार हुआ।
उदाहरण: “सेल्वा” (Tamil Nadu) और “महिला बैंक” (Andhra Pradesh) जैसी योजनाओं के तहत, महिलाओं को ऋण और वित्तीय सेवाएं मिलीं, जिससे उन्होंने स्वरोजगार और कुटीर उद्योगों में भागीदारी की। इसने न केवल उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार किया, बल्कि सामाजिक मान्यता और आत्म-निर्भरता भी बढ़ाई।
गरीबी और कुपोषण पर प्रभाव: आर्थिक सशक्तिकरण से महिलाओं के परिवारों की वित्तीय स्थिति मजबूत हुई, जिससे बेहतर पोषण और स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच बढ़ी।
इस प्रकार, सूक्ष्म वित्त SHGs के माध्यम से लैंगिक असमानता, गरीबी और कुपोषण के दुश्चक्र को तोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
See less"व्यावसायिक शिक्षा और कौशल प्रशिक्षण को सार्थक बनाने के लिए 'सीखते हुए कमाना (अर्न व्हाइल यू लर्न) की योजना को सशक्त करने की आवश्यकता है।" टिप्पणी कीजिए। (150 words) [UPSC 2021]
"व्यावसायिक शिक्षा और कौशल प्रशिक्षण को सार्थक बनाने के लिए 'सीखते हुए कमाना (अर्न व्हाइल यू लर्न) की योजना को सशक्त करने की आवश्यकता है" इस कथन पर टिप्पणी करते हुए: सार्थकता का कारण: प्रायोगिक अनुभव: 'सीखते हुए कमाना' मॉडल के तहत, छात्र वास्तविक कार्य वातावरण में काम करते हुए व्यावसायिक कौशल प्राप्Read more
“व्यावसायिक शिक्षा और कौशल प्रशिक्षण को सार्थक बनाने के लिए ‘सीखते हुए कमाना (अर्न व्हाइल यू लर्न) की योजना को सशक्त करने की आवश्यकता है” इस कथन पर टिप्पणी करते हुए:
सार्थकता का कारण:
प्रायोगिक अनुभव: ‘सीखते हुए कमाना’ मॉडल के तहत, छात्र वास्तविक कार्य वातावरण में काम करते हुए व्यावसायिक कौशल प्राप्त कर सकते हैं। यह उन्हें काम के दौरान त्वरित अनुभव और सैद्धांतिक ज्ञान को व्यावहारिक रूप में लागू करने का अवसर प्रदान करता है।
आर्थिक समर्थन: इस मॉडल के माध्यम से, छात्र अपनी शिक्षा के दौरान आय प्राप्त कर सकते हैं, जो उन्हें आर्थिक रूप से सशक्त बनाता है और शिक्षा को अधिक सुलभ बनाता है।
सशक्तीकरण की आवश्यकता:
संस्थान और उद्योग साझेदारी: इस योजना को सफल बनाने के लिए, शिक्षा संस्थानों और उद्योगों के बीच मजबूत साझेदारी की आवश्यकता है, ताकि उपयुक्त अवसर और संसाधन उपलब्ध कराए जा सकें।
संगठित प्रशिक्षण कार्यक्रम: कुशल प्रशिक्षण और मार्गदर्शन सुनिश्चित करने के लिए ठोस और व्यवस्थित प्रशिक्षण कार्यक्रम आवश्यक हैं, ताकि छात्रों को गुणवत्तापूर्ण और प्रभावी अनुभव मिल सके।
इस प्रकार, ‘सीखते हुए कमाना’ योजना को सशक्त बनाने से व्यावसायिक शिक्षा और कौशल प्रशिक्षण को अधिक प्रभावी और उपयोगी बनाया जा सकता है।
See less"एक कल्याणकारी राज्य की नैतिक अनिवार्यता के अलावा, प्राथमिक स्वास्थ्य संरचना धारणीय विकास की एक आवश्यक पूर्व शर्त है।" विश्लेषण कीजिए। (150 words) [UPSC 2021]
"एक कल्याणकारी राज्य की नैतिक अनिवार्यता के अलावा, प्राथमिक स्वास्थ्य संरचना धारणीय विकास की एक आवश्यक पूर्व शर्त है" इस कथन का विश्लेषण करते हुए: नैतिक अनिवार्यता: मूलभूत अधिकार: कल्याणकारी राज्य का उद्देश्य अपने नागरिकों को जीवन की गुणवत्ता सुधारने के लिए स्वास्थ्य, शिक्षा और सुरक्षा प्रदान करना हRead more
“एक कल्याणकारी राज्य की नैतिक अनिवार्यता के अलावा, प्राथमिक स्वास्थ्य संरचना धारणीय विकास की एक आवश्यक पूर्व शर्त है” इस कथन का विश्लेषण करते हुए:
नैतिक अनिवार्यता:
मूलभूत अधिकार: कल्याणकारी राज्य का उद्देश्य अपने नागरिकों को जीवन की गुणवत्ता सुधारने के लिए स्वास्थ्य, शिक्षा और सुरक्षा प्रदान करना है। प्राथमिक स्वास्थ्य संरचना जैसे क्लीनिक और स्वास्थ्य केंद्र बुनियादी स्वास्थ्य सेवाएँ उपलब्ध कराती हैं, जो नैतिक दृष्टिकोण से अनिवार्य हैं।
धारणीय विकास:
स्वास्थ्य और उत्पादकता: अच्छी प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाएँ बीमारी और मृत्यु दर को कम करती हैं, जिससे कार्यक्षमता और उत्पादकता में सुधार होता है। इससे आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलता है।
समानता और समावेशन: प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाएँ सभी वर्गों को समान अवसर प्रदान करती हैं, जिससे सामाजिक असमानता घटती है और समावेशी विकास को बढ़ावा मिलता है।
दीर्घकालिक स्थिरता: प्राथमिक स्वास्थ्य में निवेश दीर्घकालिक स्वास्थ्य लाभ सुनिश्चित करता है, जो धारणीय विकास के लिए आवश्यक है।
इस प्रकार, प्राथमिक स्वास्थ्य संरचना नैतिक जिम्मेदारी के साथ-साथ धारणीय विकास की एक आवश्यक शर्त भी है।
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