महासागरीय अधस्तल के मानचित्रण पर आधारित उत्तरवर्ती प्रवाह सिद्धांत ने महासागरों और महाद्वीपों के वितरण के अध्ययन को नए आयाम प्रदान किए हैं। सविस्तार वर्णन कीजिए। (250 शब्दों में उत्तर दीजिए)
दिल्ली और आसपास यमुना नदी में शीत ऋतु के प्रारंभ में उत्पन्न झाग मुख्यतः जल प्रदूषण के कारण होता है। इस झाग का मुख्य कारण नदी में अत्यधिक मात्रा में औद्योगिक अपशिष्ट, रसायन, और घरेलू गंदगी का मिलना है। शीत ऋतु में कम तापमान और उच्च आर्द्रता के कारण इन प्रदूषकों के साथ बायोलॉजिकल ऑक्सिजन डिमांड (BOD)Read more
दिल्ली और आसपास यमुना नदी में शीत ऋतु के प्रारंभ में उत्पन्न झाग मुख्यतः जल प्रदूषण के कारण होता है। इस झाग का मुख्य कारण नदी में अत्यधिक मात्रा में औद्योगिक अपशिष्ट, रसायन, और घरेलू गंदगी का मिलना है। शीत ऋतु में कम तापमान और उच्च आर्द्रता के कारण इन प्रदूषकों के साथ बायोलॉजिकल ऑक्सिजन डिमांड (BOD) और कैलोरेस्ट्रेटिव स्ट्रिप्स (COD) के स्तर में वृद्धि होती है, जिससे झाग का निर्माण होता है।
इसके व्यापक प्रभावों में जल की गुणवत्ता में गंभीर गिरावट, जलीय जीवन के लिए खतरा, और स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव शामिल हैं। प्रदूषित जल से बीमारियों का खतरा बढ़ता है, और यह स्थानीय पारिस्थितिकी तंत्र को प्रभावित करता है। इसके समाधान के लिए प्रभावी अपशिष्ट प्रबंधन और नदी संरक्षण उपायों की आवश्यकता है।
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महासागरीय अधस्तल के मानचित्रण पर आधारित उत्तरवर्ती प्रवाह सिद्धांत (Seafloor Spreading Theory) ने महासागरों और महाद्वीपों के वितरण के अध्ययन में महत्वपूर्ण योगदान किया है। इस सिद्धांत का प्रस्ताव 1960 के दशक में हुआ और इसका प्रमुख योगदान अमेरिकी भूगर्भशास्त्री हैरी हैस ने किया था। सिद्धांत का मूलभूतRead more
महासागरीय अधस्तल के मानचित्रण पर आधारित उत्तरवर्ती प्रवाह सिद्धांत (Seafloor Spreading Theory) ने महासागरों और महाद्वीपों के वितरण के अध्ययन में महत्वपूर्ण योगदान किया है। इस सिद्धांत का प्रस्ताव 1960 के दशक में हुआ और इसका प्रमुख योगदान अमेरिकी भूगर्भशास्त्री हैरी हैस ने किया था।
सिद्धांत का मूलभूत विचार: उत्तरवर्ती प्रवाह सिद्धांत के अनुसार, महासागरीय तल (Seafloor) लगातार उत्पन्न होता है और इसका विस्तार होता है। यह प्रक्रिया समुद्री दरारों (Mid-Ocean Ridges) से शुरू होती है, जहां नई परतें मैग्मा के रूप में उगती हैं और ठंडी होकर ठोस होती हैं। जैसे-जैसे नई परतें बनती हैं, पुरानी परतें महासागरीय तल से बाहर की ओर फैल जाती हैं और महासागर के किनारों पर समा जाती हैं, जिसे महासागरीय तल का विलोप (Subduction) कहा जाता है।
महासागरीय और महाद्वीपीय वितरण पर प्रभाव: इस सिद्धांत ने बताया कि महासागरों के तल के विस्तार के कारण महाद्वीप भी स्थानांतरित होते हैं। इस प्रक्रिया से प्लेट टेक्टोनिक्स की समझ में सुधार हुआ, जिससे महाद्वीपीय ड्रिफ्ट (Continental Drift) और प्लेट टेक्टोनिक्स के सिद्धांतों को जोड़ने में सहायता मिली। उदाहरण के लिए, अटलांटिक महासागर के दोनों ओर के महाद्वीपों की स्थानांतरण प्रक्रिया ने महाद्वीपीय विभाजन और महासागरीय विस्तार को स्पष्ट किया।
प्रस्तावित परिवर्तन: उत्तरवर्ती प्रवाह सिद्धांत ने यह भी स्पष्ट किया कि महासागरीय तल के विभाजन और महाद्वीपीय टकराव की घटनाएँ भूगर्भीय गतिविधियों, जैसे कि भूकंप और ज्वालामुखियों, को उत्पन्न करती हैं। इसके अलावा, यह सिद्धांत महाद्वीपीय स्थिति और समुद्री भूगोल के बदलावों की भविष्यवाणी करने में सहायक है।
इस प्रकार, उत्तरवर्ती प्रवाह सिद्धांत ने भूगर्भीय प्रक्रियाओं की अंतर्दृष्टि प्रदान की और महासागर और महाद्वीपों के वितरण की गतिशीलता को समझने में एक नई दिशा दी।
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