Lost your password? Please enter your email address. You will receive a link and will create a new password via email.
Please briefly explain why you feel this question should be reported.
Please briefly explain why you feel this answer should be reported.
Please briefly explain why you feel this user should be reported.
Critically examine the impacts of West on the field of Indian education. (200 Words) [UPPSC 2020]
Impacts of the West on Indian Education 1. Modernization and Curriculum Development Western Influence on Curriculum: The introduction of Western education during the British colonial period led to the development of a modern curriculum focusing on subjects like science, mathematics, and English liteRead more
Impacts of the West on Indian Education
1. Modernization and Curriculum Development
2. Impact on Educational Institutions
3. Challenges and Criticisms
4. Integration and Adaptation
Conclusion: The influence of the West on Indian education has led to modernization and enhanced global competitiveness. However, it has also posed challenges related to cultural preservation. A balanced approach, integrating Western best practices with Indian traditions, is essential for a holistic educational framework.
See lessExplain the difference between the frontier and the boundary with special reference to India. (125 Words) [UPPSC 2020]
Frontier vs. Boundary: Special Reference to India 1. Definition and Concept Frontier: A frontier is a geographical area that acts as a zone of transition between two different regions or countries. It is often less defined and can represent areas with limited administrative control. For instance, thRead more
Frontier vs. Boundary: Special Reference to India
1. Definition and Concept
2. Special Reference to India
Conclusion: Frontiers represent transitional zones with less formalized control, while boundaries are formally defined lines with legal and administrative recognition. Understanding these distinctions is crucial for addressing geopolitical and administrative issues effectively.
See lessउन रणनीतियों का वर्णन करें जो सिविल सेवक परिवर्तन के प्रति प्रतिरोध को दूर करने के लिए नियोजित कर सकते हैं और नई नीतियों तथा पहलों का समर्थन करने के लिए हितधारकों को प्रभावी ढंग से राजी कर सकते हैं। (200 Words) [UPPSC 2023]
सिविल सेवकों के लिए परिवर्तन के प्रति प्रतिरोध को दूर करने और हितधारकों को राजी करने की रणनीतियाँ 1. प्रभावी संवाद और संचार स्पष्ट और पारदर्शी संचार: नई नीतियों और पहलों की स्पष्ट जानकारी प्रदान करना महत्वपूर्ण है। उदाहरण के लिए, डिजिटल इंडिया पहल के दौरान, सरकार ने विभिन्न मीडिया चैनलों के माध्यम सRead more
सिविल सेवकों के लिए परिवर्तन के प्रति प्रतिरोध को दूर करने और हितधारकों को राजी करने की रणनीतियाँ
1. प्रभावी संवाद और संचार
2. भागीदारी और समावेश
3. परिवर्तन के लाभ को स्पष्ट करना
4. प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण
निष्कर्ष: सिविल सेवकों को परिवर्तन के प्रति प्रतिरोध को दूर करने और नई नीतियों का समर्थन प्राप्त करने के लिए स्पष्ट संचार, हितधारकों की भागीदारी, लाभ का स्पष्टरण, और प्रशिक्षण कार्यक्रम जैसे रणनीतियों को अपनाना चाहिए। इससे प्रभावी नीति कार्यान्वयन और सकारात्मक सामाजिक परिवर्तन सुनिश्चित किया जा सकता है।
See less"लोकसेवक के द्वारा कर्तव्य निर्वहण न करना एक प्रकार का भ्रष्टाचार है।" क्या आप इस कथन से सहमत हैं ? तर्कसंगत व्याख्या कीजिए। (200 Words) [UPPSC 2023]
लोकसेवक द्वारा कर्तव्य निर्वहण न करना और भ्रष्टाचार 1. कर्तव्य निर्वहण का महत्व कर्तव्य की जिम्मेदारी: लोकसेवकों का प्राथमिक कर्तव्य है सार्वजनिक हित में कार्य करना और सामाजिक सेवा सुनिश्चित करना। यदि वे अपने कर्तव्यों का पालन नहीं करते, तो यह न केवल प्रशासनिक कार्यक्षमता को प्रभावित करता है, बल्किRead more
लोकसेवक द्वारा कर्तव्य निर्वहण न करना और भ्रष्टाचार
1. कर्तव्य निर्वहण का महत्व
2. भ्रष्टाचार की परिभाषा
3. कर्तव्य की लापरवाही के परिणाम
निष्कर्ष: लोकसेवकों द्वारा कर्तव्य निर्वहण न करना भ्रष्टाचार की श्रेणी में आ सकता है, विशेषकर जब इससे जनता को सीधी हानि होती है और प्रशासनिक प्रक्रियाएं प्रभावित होती हैं। यह महत्वपूर्ण है कि लोकसेवक अपनी जिम्मेदारियों को गंभीरता से निभाएं ताकि समाज की भलाई और प्रशासन की ईमानदारी सुनिश्चित की जा सके।
See lessवर्तमान समय में सोशल मीडिया का उपयोग जनता की राय को सकारात्मक या नकारात्मक तरीके से प्रभावित करने के लिए किया जाता है। एक लोकसेवक होने के नाते आप इस मुद्दे का समाधान कैसे करेंगे ? (200 Words) [UPPSC 2023]
सोशल मीडिया और जनता की राय: एक लोकसेवक के दृष्टिकोण से समाधान 1. सूचना का सत्यापन और फैलाव सत्यापन की प्रक्रिया: सोशल मीडिया पर फैली गलत सूचनाओं और फेक न्यूज को रोकने के लिए सत्यापन की प्रक्रिया अपनानी चाहिए। उदाहरण के लिए, Fact Check Platforms जैसे BOOM Live और Alt News ने कई बार गलत सूचनाओं का पर्Read more
सोशल मीडिया और जनता की राय: एक लोकसेवक के दृष्टिकोण से समाधान
1. सूचना का सत्यापन और फैलाव
2. शिक्षा और जागरूकता
3. सक्रिय निगरानी और प्रतिक्रिया
निष्कर्ष: सोशल मीडिया का प्रभावी प्रबंधन के लिए, लोकसेवकों को सत्यापन, शिक्षा, और सक्रिय निगरानी के माध्यम से सकारात्मक और नकारात्मक प्रभावों को संतुलित करना चाहिए। इससे जनता की राय को सही दिशा में प्रभावित किया जा सकता है और समाज में सूचना का उचित प्रवाह सुनिश्चित किया जा सकता है।
See lessलोक जीवन के मुख्य सिद्धान्त क्या हैं? उपयुक्त उदाहरण के साथ समझाइये। (200 Words) [UPPSC 2023]
लोक जीवन के मुख्य सिद्धान्त 1. ईमानदारी (Integrity) परिभाषा: ईमानदारी का मतलब है सच्चाई और नैतिकता के साथ जीवन जीना। उदाहरण: आईएएस अधिकारी संजीव कुमार ने अपने कार्यकाल में भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कदम उठाए और सार्वजनिक जीवन में ईमानदारी का आदर्श प्रस्तुत किया। 2. पारदर्शिता (Transparency) परिभाषा: पRead more
लोक जीवन के मुख्य सिद्धान्त
1. ईमानदारी (Integrity)
2. पारदर्शिता (Transparency)
3. जवाबदेही (Accountability)
4. समानता और न्याय (Equality and Justice)
5. सामाजिक जिम्मेदारी (Social Responsibility)
निष्कर्ष: लोक जीवन के ये मुख्य सिद्धान्त – ईमानदारी, पारदर्शिता, जवाबदेही, समानता और न्याय, और सामाजिक जिम्मेदारी – सार्वजनिक जीवन को नैतिक, न्यायपूर्ण और प्रभावी बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ये सिद्धान्त समाज में विश्वास और विकास को प्रोत्साहित करते हैं।
See lessनीतिशास्त्र में मानवकर्म से क्या तात्पर्य है? मानवकर्म में नैतिकता के निर्धारक और परिणाम की विवेचना कीजिए । (200 Words) [UPPSC 2023]
नीतिशास्त्र में मानवकर्म का तात्पर्य 1. मानवकर्म की परिभाषा मानवकर्म: नीतिशास्त्र में मानवकर्म से तात्पर्य है स्वतंत्र रूप से किए गए कार्य और विचार जो नैतिकता, मूल्य, और जिम्मेदारी से जुड़े होते हैं। ये कर्म व्यक्ति की नैतिकता और संगतता पर निर्भर करते हैं। उदाहरण के लिए, सिविल सेवक द्वारा जनता के कलRead more
नीतिशास्त्र में मानवकर्म का तात्पर्य
1. मानवकर्म की परिभाषा
2. नैतिकता के निर्धारक
3. मानवकर्म के परिणाम
निष्कर्ष: नीतिशास्त्र में मानवकर्म का तात्पर्य व्यक्ति के द्वारा किए गए नैतिक और जिम्मेदार कार्यों से है, जिनके निर्धारक सच्चाई, न्याय, और स्वायत्तता होते हैं। इन कर्मों के सकारात्मक और नकारात्मक परिणाम समाज पर गहरा प्रभाव डालते हैं।
See lessक्या भगवद्गीता लोकसेवकों की नैतिक मार्गदर्शिका हो सकती है? टिप्पणी कीजिए । (200 Words) [UPPSC 2023]
भगवद्गीता और लोकसेवकों की नैतिक मार्गदर्शिका 1. नैतिक मूल्यों की स्थापना कर्तव्यपरायणता: भगवद्गीता में कर्तव्य (Dharma) को सर्वोपरि माना गया है। यह लोकसेवकों को अपने प्रोफेशनल जिम्मेदारियों को ईमानदारी और निष्ठा के साथ निभाने की प्रेरणा देती है। उदाहरण के लिए, IAS अधिकारी सौरभ कुमार ने अपनी नैतिकतRead more
भगवद्गीता और लोकसेवकों की नैतिक मार्गदर्शिका
1. नैतिक मूल्यों की स्थापना
2. निर्णय लेने में मार्गदर्शन
निष्कर्ष: भगवद्गीता लोकसेवकों के लिए एक प्रभावी नैतिक मार्गदर्शिका हो सकती है, जो उन्हें कर्तव्यपरायणता, नैतिकता, और संतुलित निर्णय लेने की प्रेरणा देती है, जिससे वे अपने कार्यों को समाजहित में बेहतर ढंग से निभा सकें।
See less"सार्वजनिक नीतियां बनाते समय एक सिविल सेवक को केवल जनता की भलाई पर ध्यान देना चाहिए और उन नीतियों को लागू करते समय उसमें संभावित अनपेक्षित परिणामों का अनुमान लगाने की दूरदर्शिता होनी चाहिए।" क्या आप इस कथन से सहमत है? अपने उत्तर के लिए युक्ति तथा प्रमाण प्रस्तुत कीजिए । (200 Words) [UPPSC 2023]
सार्वजनिक नीतियों में दूरदर्शिता और जनता की भलाई 1. जनता की भलाई पर ध्यान जनता की प्राथमिकता: एक सिविल सेवक को सार्वजनिक नीतियाँ बनाते समय जनता की भलाई को प्राथमिकता देनी चाहिए। नीतियाँ जैसे स्वच्छ भारत अभियान और जन धन योजना ने समाज के कमजोर वर्गों की जरूरतों को प्राथमिकता दी, जिससे उनकी स्थिति मेंRead more
सार्वजनिक नीतियों में दूरदर्शिता और जनता की भलाई
1. जनता की भलाई पर ध्यान
2. संभावित अनपेक्षित परिणामों की दूरदर्शिता
निष्कर्ष: एक सिविल सेवक को नीतियों की जनता की भलाई पर ध्यान देना चाहिए और संभावित अनपेक्षित परिणामों का अनुमान लगाने के लिए दूरदर्शिता रखनी चाहिए। यह दृष्टिकोण नीतियों को अधिक प्रभावी और टिकाऊ बनाता है।
See lessलोक प्रशासन में सामाजिक प्रभाव की क्या भूमिका है? उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए । (125 Words) [UPPSC 2023]
लोक प्रशासन में सामाजिक प्रभाव की भूमिका 1. नीति निर्माण और कार्यान्वयन सामाजिक मानक: समाज के मानक और मूल्य लोक प्रशासन के निर्णयों को प्रभावित करते हैं। उदाहरण के लिए, स्वच्छ भारत अभियान का सफलता समाज में स्वच्छता के प्रति बढ़ती जागरूकता और सामाजिक दबाव के कारण संभव हुआ। 2. जनसंपर्क और साक्षात्कारRead more
लोक प्रशासन में सामाजिक प्रभाव की भूमिका
1. नीति निर्माण और कार्यान्वयन
2. जनसंपर्क और साक्षात्कार
3. सुधार और बदलाव
निष्कर्ष: लोक प्रशासन में सामाजिक प्रभाव नीति निर्माण, जनसंपर्क, और सुधार प्रक्रियाओं में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, जिससे प्रशासनिक निर्णय अधिक समाज-केन्द्रित और प्रभावी बनते हैं।
See less