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लोकप्रशासन एक विषय के रूप में विकास के महत्वपूर्ण चरणों पर चर्चा कीजिए।
लोकप्रशासन के विकास के महत्वपूर्ण चरण 1. प्रारंभिक युग (Pre-Scientific Era) लोकप्रशासन का विकास औपचारिक रूप से नहीं हुआ था। यह पारंपरिक प्रथाओं और व्यक्तिगत अधिकारों पर निर्भर था। उस समय प्रशासन में नीतियों का कोई निर्धारित ढांचा नहीं था। 2. शास्त्रीय दृष्टिकोण (Classical Approach) (1900-1930) 20वींRead more
लोकप्रशासन के विकास के महत्वपूर्ण चरण
1. प्रारंभिक युग (Pre-Scientific Era)
2. शास्त्रीय दृष्टिकोण (Classical Approach) (1900-1930)
3. मानव संबंधों की गति (Human Relations Movement) (1930-1950)
4. प्रणाली दृष्टिकोण (Systems Approach) (1960-1970)
5. नई लोक प्रशासन (New Public Administration) (1970-वर्तमान)
निष्कर्ष
See lessलोकप्रशासन का विकास समाज की आवश्यकताओं और मूल्यों में बदलाव का प्रतिबिंब है। यह विकास प्रशासन की प्रभावशीलता के लिए आवश्यक है।
जयप्रकाश नारायण के 'सर्वोदय' सिद्धांत की धारणा का मूल्यांकन कीजिए।
जयप्रकाश नारायण के 'सर्वोदय' सिद्धांत का मूल्यांकन परिचय जयप्रकाश नारायण, जिन्हें JP के नाम से जाना जाता है, ने 'सर्वोदय' का सिद्धांत प्रस्तुत किया, जो समाज में समानता और न्याय की स्थापना के लिए था। यह सिद्धांत "सबके उत्थान" पर केंद्रित है, जिसमें समाज के सभी वर्गों का समावेश हो। सिद्धांत की मुख्य धRead more
जयप्रकाश नारायण के ‘सर्वोदय’ सिद्धांत का मूल्यांकन
परिचय
जयप्रकाश नारायण, जिन्हें JP के नाम से जाना जाता है, ने ‘सर्वोदय’ का सिद्धांत प्रस्तुत किया, जो समाज में समानता और न्याय की स्थापना के लिए था। यह सिद्धांत “सबके उत्थान” पर केंद्रित है, जिसमें समाज के सभी वर्गों का समावेश हो।
सिद्धांत की मुख्य धारणाएं
महत्व और प्रभाव
उदाहरण
See lessउनके विचारों के आधार पर कई सामाजिक आंदोलन और सुधार कार्यक्रम चलाए गए, जैसे ‘सर्वोदयी आंदोलन’। इस सिद्धांत ने भारतीय राजनीति में महत्वपूर्ण योगदान दिया, जिससे लोकतंत्र और सामाजिक न्याय को बढ़ावा मिला।
बुनियादी संरचना' सिद्धान्त के विकास और लोकतंत्र को मजबूत करने में इसके महत्व पर चर्चा कीजिए ।
बुनियादी संरचना सिद्धांत का विकास और लोकतंत्र को मजबूत करने में इसका महत्व परिचय बुनियादी संरचना सिद्धांत का विकास भारतीय संविधान के कार्यान्वयन और उसकी सुरक्षा से जुड़ा हुआ है। यह सिद्धांत यह सुनिश्चित करता है कि संविधान के कुछ मूल तत्वों को किसी भी स्थिति में परिवर्तित नहीं किया जा सकता है। सिद्धाRead more
बुनियादी संरचना सिद्धांत का विकास और लोकतंत्र को मजबूत करने में इसका महत्व
परिचय
बुनियादी संरचना सिद्धांत का विकास भारतीय संविधान के कार्यान्वयन और उसकी सुरक्षा से जुड़ा हुआ है। यह सिद्धांत यह सुनिश्चित करता है कि संविधान के कुछ मूल तत्वों को किसी भी स्थिति में परिवर्तित नहीं किया जा सकता है।
सिद्धांत का विकास
लोकतंत्र को मजबूत करने में महत्व
उदाहरण
इस सिद्धांत के माध्यम से, भारतीय लोकतंत्र की नींव को और मजबूत किया गया है।
See lessग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (जी०पी०एस०) सर्वप्रथम कहाँ विकसित किया गया था?
ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (GPS) का विकास विकास स्थान ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (जीपीएस) का सर्वप्रथम विकास संयुक्त राज्य अमेरिका में हुआ था। मुख्य जानकारी समय: 1970 के दशक में इसे अमेरिकी रक्षा विभाग द्वारा विकसित किया गया। उद्देश्य: इसका उद्देश्य सटीक स्थान निर्धारण और निगरानी प्रणाली बनाना था। उदाहरणRead more
ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (GPS) का विकास
विकास स्थान
ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (जीपीएस) का सर्वप्रथम विकास संयुक्त राज्य अमेरिका में हुआ था।
मुख्य जानकारी
उदाहरण
एक लोकप्रिय जन चरित्र होने के बावजूद, स्वदेशी आंदोलन 1908 के मध्य तक क्यों समाप्त हो गया? स्पष्ट कीजिए। (200 words)
स्वदेशी आंदोलन का समापन: कारण और विश्लेषण स्वदेशी आंदोलन, 1905 में बंगाल विभाजन के विरोध में शुरू हुआ, जिसने विदेशी वस्त्रों का बहिष्कार और स्वदेशी वस्त्रों के उपयोग को बढ़ावा दिया। यह आंदोलन जन-प्रिय था, परंतु 1908 के मध्य तक इसका अंत हो गया। इसके कई महत्वपूर्ण कारण थे: 1. सरकारी दमन और कठोर कदम कठRead more
स्वदेशी आंदोलन का समापन: कारण और विश्लेषण
स्वदेशी आंदोलन, 1905 में बंगाल विभाजन के विरोध में शुरू हुआ, जिसने विदेशी वस्त्रों का बहिष्कार और स्वदेशी वस्त्रों के उपयोग को बढ़ावा दिया। यह आंदोलन जन-प्रिय था, परंतु 1908 के मध्य तक इसका अंत हो गया। इसके कई महत्वपूर्ण कारण थे:
1. सरकारी दमन और कठोर कदम
2. आंदोलन में आंतरिक विभाजन
3. जन-उत्साह की कमी
निष्कर्ष
सरकारी दमन, आंतरिक मतभेद और जन-उत्साह की कमी के कारण, स्वदेशी आंदोलन 1908 के मध्य तक समाप्त हो गया। इसके बावजूद, इस आंदोलन ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और लोगों में राष्ट्रवाद की भावना को प्रबल किया।
ठोस अपशिष्ट प्रबंधन क्या है? इसकी महत्वपूर्ण विधियों का वर्णन कीजिए।
ठोस अपशिष्ट प्रबंधन क्या है? ठोस अपशिष्ट प्रबंधन का अर्थ है, घरेलू, औद्योगिक, और कृषि के अपशिष्टों का सही तरीके से संग्रहण, परिवहन, संसाधन और निपटान करना। इसका मुख्य उद्देश्य पर्यावरण की रक्षा करना और मानव स्वास्थ्य को सुरक्षित रखना है। महत्वपूर्ण विधियाँ: संग्रहण और परिवहन: अपशिष्टों को एकत्रित करकRead more
ठोस अपशिष्ट प्रबंधन क्या है?
ठोस अपशिष्ट प्रबंधन का अर्थ है, घरेलू, औद्योगिक, और कृषि के अपशिष्टों का सही तरीके से संग्रहण, परिवहन, संसाधन और निपटान करना। इसका मुख्य उद्देश्य पर्यावरण की रक्षा करना और मानव स्वास्थ्य को सुरक्षित रखना है।
महत्वपूर्ण विधियाँ:
निष्कर्ष
ठोस अपशिष्ट प्रबंधन आवश्यक है, ताकि हम पर्यावरण को स्वच्छ और सुरक्षित रख सकें। सही प्रबंधन न केवल प्रदूषण को कम करता है बल्कि संसाधनों का भी संरक्षण करता है।
See lessपर्यावरण क्षरण क्या है? इसके महत्त्वपूर्ण कारकों एवं प्रभावों को समझाइए ।
पर्यावरण क्षरण क्या है? पर्यावरण क्षरण से तात्पर्य है, प्राकृतिक संसाधनों का ह्रास और पारिस्थितिकी तंत्र के संतुलन में कमी। यह मानव गतिविधियों, जैसे कि औद्योगिकीकरण, शहरीकरण, और कृषि की अत्यधिक प्रथाओं के कारण होता है। महत्त्वपूर्ण कारक: औद्योगिकीकरण: फैक्ट्रियों से निकलने वाले प्रदूषण से जल और वायुRead more
पर्यावरण क्षरण क्या है?
पर्यावरण क्षरण से तात्पर्य है, प्राकृतिक संसाधनों का ह्रास और पारिस्थितिकी तंत्र के संतुलन में कमी। यह मानव गतिविधियों, जैसे कि औद्योगिकीकरण, शहरीकरण, और कृषि की अत्यधिक प्रथाओं के कारण होता है।
महत्त्वपूर्ण कारक:
प्रभाव:
निष्कर्ष
पर्यावरण क्षरण एक गंभीर समस्या है जो सभी जीवों के लिए खतरनाक है। इसे रोकने के लिए हमें सतत विकास और पर्यावरणीय संरक्षण की दिशा में कदम उठाने की आवश्यकता है।
See lessधातुएँ और अधातुएँ क्या हैं? इनके भौतिक और रासायनिक गुणों को लिखिए ।
धातुएँ और अधातुएँ 1. धातुएँ धातुएँ वे तत्व हैं जो कठोर, चमकदार, और विद्युत तथा ऊष्मा के अच्छे संवाहक होते हैं। उदाहरण के लिए, लोहे (Fe), सोने (Au), और चांदी (Ag) जैसी धातुएँ। भौतिक गुण: कठोरता: धातुएँ कठोर और मजबूत होती हैं। चमक: इनमें अच्छी चमक होती है। चालकता: ये विद्युत और ऊष्मा को आसानी से संचालRead more
धातुएँ और अधातुएँ
1. धातुएँ
धातुएँ वे तत्व हैं जो कठोर, चमकदार, और विद्युत तथा ऊष्मा के अच्छे संवाहक होते हैं। उदाहरण के लिए, लोहे (Fe), सोने (Au), और चांदी (Ag) जैसी धातुएँ।
भौतिक गुण:
रासायनिक गुण:
2. अधातुएँ
अधातुएँ वे तत्व हैं जो धातुओं की तुलना में नर्म, रंगहीन, और कमजोर होते हैं। जैसे कि कार्बन (C), नाइट्रोजन (N), और ऑक्सीजन (O)।
भौतिक गुण:
रासायनिक गुण:
निष्कर्ष
धातुएँ और अधातुएँ, दोनों के अपने विशिष्ट गुण हैं जो उन्हें विभिन्न रासायनिक और भौतिक प्रक्रियाओं में महत्वपूर्ण बनाते हैं।
See lessनिम्नलिखित पर संक्षिप्त टिप्पणियाँ लिखिए।
संक्षिप्त टिप्पणियाँ 1. सभी मनुष्य समान हैं यह एक महत्वपूर्ण सिद्धांत है, जो मानवता की मूल समानता को दर्शाता है। इसका मतलब है कि सभी लोग चाहे वे किसी भी धर्म, जाति या संस्कृति से हों, समान अधिकारों के हकदार हैं। उदाहरण के लिए, संविधान में समानता का अधिकार शामिल है, जो हर नागरिक को न्याय और अवसर देताRead more
संक्षिप्त टिप्पणियाँ
1. सभी मनुष्य समान हैं
यह एक महत्वपूर्ण सिद्धांत है, जो मानवता की मूल समानता को दर्शाता है। इसका मतलब है कि सभी लोग चाहे वे किसी भी धर्म, जाति या संस्कृति से हों, समान अधिकारों के हकदार हैं। उदाहरण के लिए, संविधान में समानता का अधिकार शामिल है, जो हर नागरिक को न्याय और अवसर देता है।
2. शिक्षा का महत्व
शिक्षा किसी भी समाज के विकास के लिए आवश्यक है। यह न केवल व्यक्तिगत विकास के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह सामाजिक और आर्थिक प्रगति के लिए भी आवश्यक है। उदाहरण के लिए, शिक्षा से लोग आत्मनिर्भर बनते हैं और समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने में मदद करते हैं।
3. प्रदूषण की समस्या
प्रदूषण आज एक गंभीर समस्या है, जो हमारे पर्यावरण और स्वास्थ्य को प्रभावित कर रही है। औद्योगीकरण, वाहनों का बढ़ता उपयोग और प्लास्टिक का प्रयोग इसके प्रमुख कारण हैं। इसके समाधान के लिए, हमें स्वच्छता अभियानों में भाग लेना चाहिए और पुनर्चक्रण (रीसाइक्लिंग) को बढ़ावा देना चाहिए।
4. नवीनतम तकनीक
नवीनतम तकनीक ने हमारे जीवन को आसान बना दिया है। इंटरनेट, स्मार्टफोन और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसे उपकरण हमारे दैनिक कार्यों को सरल बनाते हैं। उदाहरण के लिए, ऑनलाइन शिक्षा ने लाखों छात्रों को सीखने के नए अवसर दिए हैं।
इन टिप्पणियों के माध्यम से, हम समाज में महत्वपूर्ण मुद्दों और उनके समाधान पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं।
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