हालिया समय में, पुराने ताप विद्युत संयंत्रों को बदलने और भारत की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए स्मॉल मॉड्यूलर रिएक्टर्स (SMRs) की स्थापना की मांग बढ़ रही है। इस संदर्भ में, भारत में SMRs स्थापित करने की संभावनाओं ...
होमी जहांगीर भाभा (1909-1966) भारतीय परमाणु प्रौद्योगिकी के विकास में एक केंद्रीय भूमिका निभाते हैं। भाभा को भारतीय परमाणु कार्यक्रम का पिता माना जाता है, और उनके योगदान ने भारत के परमाणु ऊर्जा क्षेत्र की नींव रखी। उनके प्रमुख योगदान निम्नलिखित हैं: भारतीय परमाणु ऊर्जा आयोग की स्थापना: भाभा ने 1948Read more
होमी जहांगीर भाभा (1909-1966) भारतीय परमाणु प्रौद्योगिकी के विकास में एक केंद्रीय भूमिका निभाते हैं। भाभा को भारतीय परमाणु कार्यक्रम का पिता माना जाता है, और उनके योगदान ने भारत के परमाणु ऊर्जा क्षेत्र की नींव रखी। उनके प्रमुख योगदान निम्नलिखित हैं:
- भारतीय परमाणु ऊर्जा आयोग की स्थापना: भाभा ने 1948 में भारतीय परमाणु ऊर्जा आयोग (AEC) की स्थापना की, जिसने भारत के परमाणु अनुसंधान और विकास को दिशा प्रदान की। उनके नेतृत्व में, भारत ने परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग पर ध्यान केंद्रित किया।
- विकसित परमाणु रिएक्टर डिजाइन: भाभा ने आंतरराष्ट्रीय स्तर पर परमाणु रिएक्टरों के डिज़ाइन और निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने भारतीय परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम के लिए भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर (BARC) की स्थापना की, जो उच्च गुणवत्ता वाले शोध और विकास केंद्र के रूप में उभरा।
- थोरियम आधारित ऊर्जा कार्यक्रम: भाभा ने भारत के थोरियम आधारित ऊर्जा कार्यक्रम का प्रस्ताव रखा, जिसमें उन्होंने भारत के उपसंसाधनों का उपयोग करने की रणनीति विकसित की। इस दृष्टिकोण से भारत को अपनी ऊर्जा आपूर्ति में स्वायत्तता प्राप्त करने में मदद मिली।
भारत को परमाणु ऊर्जा के विकास को प्राथमिकता देने की आवश्यकता:
- ऊर्जा सुरक्षा: भारत एक तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है, और इसके लिए स्थिर और विश्वसनीय ऊर्जा स्रोतों की आवश्यकता है। परमाणु ऊर्जा एक ऐसा समाधान है जो बड़ी मात्रा में ऊर्जा प्रदान कर सकता है और इसमें कमीशनिंग की स्थिरता और पारंपरिक ईंधन स्रोतों की तुलना में निम्न उत्सर्जन की विशेषता होती है।
- ऊर्जा विविधता: परमाणु ऊर्जा भारत को ऊर्जा के विविध स्रोतों का लाभ उठाने का अवसर प्रदान करती है। यह कोयला और तेल जैसे पारंपरिक ईंधनों पर निर्भरता को कम कर सकती है, जिससे ऊर्जा संकट और आपूर्ति श्रृंखला में सुधार हो सकता है।
- पर्यावरणीय लाभ: परमाणु ऊर्जा निम्न ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के साथ ऊर्जा प्रदान करती है, जो जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई में सहायक है।
हालांकि, परमाणु ऊर्जा की अपनी चुनौतियाँ हैं, जैसे परमाणु कचरे का प्रबंधन और सुरक्षा मुद्दे, लेकिन सही नीतियों और प्रौद्योगिकी के साथ, भारत को अपनी ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए परमाणु ऊर्जा के विकास को प्राथमिकता देनी चाहिए। यह दीर्घकालिक ऊर्जा स्थिरता और पर्यावरणीय सुरक्षा को सुनिश्चित करने में सहायक होगा।
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स्मॉल मॉड्यूलर रिएक्टर्स (SMRs) भारत में पुराने ताप विद्युत संयंत्रों को बदलने और ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए एक महत्वपूर्ण विकल्प बनते जा रहे हैं। SMRs की स्थापना की संभावनाएँ और चुनौतियाँ निम्नलिखित हैं: संभावनाएँ: ऊर्जा दक्षता और सुरक्षा: SMRs का डिजाइन अत्यधिक ऊर्जा दक्षता और सुरक्षा पर केRead more
स्मॉल मॉड्यूलर रिएक्टर्स (SMRs) भारत में पुराने ताप विद्युत संयंत्रों को बदलने और ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए एक महत्वपूर्ण विकल्प बनते जा रहे हैं। SMRs की स्थापना की संभावनाएँ और चुनौतियाँ निम्नलिखित हैं:
संभावनाएँ:
चुनौतियाँ:
निष्कर्ष: भारत में SMRs की स्थापना की संभावनाएँ उच्च हैं, विशेषकर उन क्षेत्रों में जहां ऊर्जा की बढ़ती मांग और पर्यावरणीय चिंताओं को देखते हुए एक स्थिर, सुरक्षित और स्वच्छ ऊर्जा स्रोत की आवश्यकता है। हालांकि, इसके लिए निवेश, नियामक ढांचे और कचरे के प्रबंधन से संबंधित चुनौतियों का समाधान करना महत्वपूर्ण होगा। भारत को एक समग्र रणनीति के माध्यम से इन चुनौतियों का सामना करना होगा और SMRs के लिए अनुकूल वातावरण तैयार करना होगा।
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