भारत में संधारणीय पर्यटन के संबंध में क्षेत्र-विशिष्ट बाधाओं का एक समालोचनात्मक विवरण दीजिए। (250 शब्दों में उत्तर दीजिए)
भारत के तटीय क्षेत्रों में द्वीपों के डूबने की परिघटना की प्रमुख वजहें जलवायु परिवर्तन और समुद्र स्तर में वृद्धि से जुड़ी हैं। कारण: जलवायु परिवर्तन: वैश्विक तापमान में वृद्धि के कारण ध्रुवीय बर्फ और ग्लेशियरों का पिघलना समुद्र स्तर को बढ़ाता है। यह उच्च समुद्री स्तर की स्थिति को जन्म देता है, जो द्Read more
भारत के तटीय क्षेत्रों में द्वीपों के डूबने की परिघटना की प्रमुख वजहें जलवायु परिवर्तन और समुद्र स्तर में वृद्धि से जुड़ी हैं।
कारण:
- जलवायु परिवर्तन: वैश्विक तापमान में वृद्धि के कारण ध्रुवीय बर्फ और ग्लेशियरों का पिघलना समुद्र स्तर को बढ़ाता है। यह उच्च समुद्री स्तर की स्थिति को जन्म देता है, जो द्वीपों के डूबने का प्रमुख कारण बनता है।
- ग्लोबल वार्मिंग: समुद्र की सतह का तापमान बढ़ने से समुद्री जल का विस्तार होता है, जिससे समुद्र स्तर और अधिक बढ़ता है।
- तटीय कटाव: बढ़ते समुद्री स्तर और तूफानों के कारण तटीय क्षेत्रों में कटाव की समस्या गंभीर हो जाती है, जिससे द्वीपों के तटीय हिस्से खोते जाते हैं।
- मानव गतिविधियाँ: भूमि उपयोग में बदलाव, जैसे तटीय निर्माण, और रेत की खुदाई, द्वीपों की स्थिरता को प्रभावित करते हैं और समुद्र स्तर की वृद्धि की समस्याओं को बढ़ाते हैं।
संभावित प्रभाव:
राष्ट्र पर प्रभाव:
- आर्थिक नुकसान: तटीय क्षेत्र और द्वीप पर्यटन, मत्स्य पालन, और अन्य उद्योगों पर निर्भर होते हैं। द्वीपों के डूबने से इन उद्योगों को भारी नुकसान होगा और रोजगार प्रभावित होगा।
- जनसंख्या विस्थापन: द्वीपों के डूबने से स्थानीय जनसंख्या को विस्थापित होना पड़ेगा, जिससे आवासीय और सामाजिक समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं।
विशेषकर द्वीपीय समुदाय पर प्रभाव:
- सामाजिक और सांस्कृतिक प्रभाव: द्वीपों के डूबने से द्वीपवासियों की सांस्कृतिक धरोहर और सामाजिक संरचना प्रभावित होगी। स्थानीय परंपराएँ और जीवनशैली खतरे में पड़ सकती हैं।
- पर्यावरणीय प्रभाव: द्वीपों का डूबना समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र को प्रभावित करेगा, जिसमें समुद्री जीवों की प्रजातियाँ और वनस्पति शामिल हैं। इससे पर्यावरणीय संतुलन में बदलाव होगा।
इन सभी कारणों और प्रभावों के कारण, द्वीपों के संरक्षण के लिए प्रभावी जलवायु नीतियाँ और तटीय प्रबंधन आवश्यक हैं, ताकि इन समस्याओं को न्यूनतम किया जा सके और द्वीपीय समुदायों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
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भारत में संधारणीय पर्यटन (Sustainable Tourism) की वृद्धि के बावजूद, विभिन्न क्षेत्रों में इसे अपनाने में कई बाधाएँ सामने आती हैं। इन बाधाओं का क्षेत्र-विशिष्ट विवरण निम्नलिखित है: 1. हिमालयी क्षेत्र: अत्यधिक पर्यटकों की भीड़: ऊँचाई पर स्थित पर्यटन स्थल जैसे मनाली, शिमला, और दार्जिलिंग में अत्यधिक परRead more
भारत में संधारणीय पर्यटन (Sustainable Tourism) की वृद्धि के बावजूद, विभिन्न क्षेत्रों में इसे अपनाने में कई बाधाएँ सामने आती हैं। इन बाधाओं का क्षेत्र-विशिष्ट विवरण निम्नलिखित है:
1. हिमालयी क्षेत्र:
2. तटीय क्षेत्र:
3. रेगिस्तानी क्षेत्र:
4. जंगल और वन क्षेत्र:
5. ऐतिहासिक और सांस्कृतिक स्थल:
इन बाधाओं को दूर करने के लिए, सभी स्तरों पर एकीकृत प्रयास, नीति निर्माण, और स्थानीय समुदायों के साथ सहयोग की आवश्यकता है, ताकि पर्यटन को पर्यावरणीय और सामाजिक दृष्टिकोण से टिकाऊ बनाया जा सके।
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