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गुरु नानक देव की महत्वपूर्ण शिक्षाओं पर चर्चा कीजिए जो बाज के युवाओं के लिए प्रासंगिक हैं। (150 शब्दों में उत्तर दीजिए)
गुरु नानक देव की शिक्षाएं आज के युवाओं के लिए अत्यंत प्रासंगिक हैं: समानता और भाईचारा: गुरु नानक ने जाति, धर्म, और सामाजिक भेदभाव के खिलाफ आवाज उठाई। उन्होंने समानता और मानवता के सिद्धांत को बढ़ावा दिया, जो आज के समाज में भी विविधता और सामंजस्य को प्रोत्साहित करता है। ईमानदारी और मेहनत: गुरु नानक नेRead more
गुरु नानक देव की शिक्षाएं आज के युवाओं के लिए अत्यंत प्रासंगिक हैं:
समानता और भाईचारा: गुरु नानक ने जाति, धर्म, और सामाजिक भेदभाव के खिलाफ आवाज उठाई। उन्होंने समानता और मानवता के सिद्धांत को बढ़ावा दिया, जो आज के समाज में भी विविधता और सामंजस्य को प्रोत्साहित करता है।
ईमानदारी और मेहनत: गुरु नानक ने सच्चे प्रयास और ईमानदारी की महत्ता को रेखांकित किया। उनका संदेश युवाओं को प्रेरित करता है कि मेहनत और ईमानदारी से ही सफलता प्राप्त होती है।
सर्वधर्म समभाव: उन्होंने सभी धर्मों और पंथों के प्रति सम्मान की बात की। यह सिखाता है कि विविधता को अपनाना और एकता बनाए रखना आवश्यक है।
सेवा और दया: गुरु नानक ने मानवता की सेवा और दया की प्रेरणा दी। युवाओं को सामाजिक जिम्मेदारी और दूसरों की मदद करने का संदेश मिलता है।
ये शिक्षाएं आज के युवाओं को एक नैतिक और सशक्त जीवन जीने की प्रेरणा देती हैं।
See lessचर्चा कीजिए कि किस प्रकार अनाज की वास्तविक कमी की तुलना में खराब खाद्यान्न प्रबंधन भारत में खाद्य सुरक्षा के समक्ष एक बड़ी चुनौती रहा है। (150 शब्दों में उत्तर दें)
भारत में खाद्य सुरक्षा की चुनौती का एक बड़ा हिस्सा खाद्यान्न प्रबंधन की खराबी से संबंधित है, जो वास्तविक अनाज की कमी की तुलना में अधिक गंभीर साबित हो सकता है। खराब खाद्यान्न प्रबंधन: बहुतायत में अनाज का उत्पादन होने के बावजूद, वितरण में कमी, भंडारण की असुविधाएँ, और लॉजिस्टिक्स की समस्याएँ खाद्यान्नRead more
भारत में खाद्य सुरक्षा की चुनौती का एक बड़ा हिस्सा खाद्यान्न प्रबंधन की खराबी से संबंधित है, जो वास्तविक अनाज की कमी की तुलना में अधिक गंभीर साबित हो सकता है।
खराब खाद्यान्न प्रबंधन: बहुतायत में अनाज का उत्पादन होने के बावजूद, वितरण में कमी, भंडारण की असुविधाएँ, और लॉजिस्टिक्स की समस्याएँ खाद्यान्न को बेकार कर देती हैं। गोदामों में खराब प्रबंधन, जैसे कि अपर्याप्त सुरक्षा और आद्रता, से अनाज की गुणवत्ता बिगड़ती है। इसके अलावा, बिचौलियों और भ्रष्टाचार की वजह से खाद्यान्न का सही स्थान पर वितरण नहीं हो पाता है।
वास्तविक कमी की तुलना में: इस खराब प्रबंधन के कारण, खाद्य असुरक्षा का सामना करने वाले लोगों को अनाज की वास्तविक कमी का अनुभव होता है, जबकि वास्तविकता में अनाज की कोई कमी नहीं होती।
इस चुनौती से निपटने के लिए प्रभावी प्रबंधन प्रणालियों, बेहतर भंडारण उपायों, और पारदर्शिता में सुधार की आवश्यकता है।
See lessचारे की खराब गुणवत्ता और उसकी अपर्याप्त उपलब्धता भारत में पशुधन की कम उत्पादकता के पीछे प्रमुख कारण हैं। चर्चा कीजिए। (150 शब्दों में उत्तर दें)
भारत में पशुधन की कम उत्पादकता के प्रमुख कारणों में चारे की खराब गुणवत्ता और उसकी अपर्याप्त उपलब्धता महत्वपूर्ण हैं। चारे की खराब गुणवत्ता: भारतीय चारे में प्रोटीन, विटामिन और खनिजों की कमी होती है, जिससे पशुओं की स्वास्थ्य स्थिति और दूध, मांस, और अन्य उत्पादकता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। अपर्यापRead more
भारत में पशुधन की कम उत्पादकता के प्रमुख कारणों में चारे की खराब गुणवत्ता और उसकी अपर्याप्त उपलब्धता महत्वपूर्ण हैं।
चारे की खराब गुणवत्ता: भारतीय चारे में प्रोटीन, विटामिन और खनिजों की कमी होती है, जिससे पशुओं की स्वास्थ्य स्थिति और दूध, मांस, और अन्य उत्पादकता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
अपर्याप्त उपलब्धता: चारे की उपलब्धता की कमी भी एक बड़ा मुद्दा है, खासकर सूखा या अनियमित मौसमी परिस्थितियों में। इसका कारण अक्सर फसल उत्पादन में कमी, भूमि उपयोग की समस्याएँ, और परिवहन की असुविधाएँ होती हैं।
इन समस्याओं के कारण, पशुधन को पोषण की कमी का सामना करना पड़ता है, जिससे उनकी उत्पादकता और स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इस मुद्दे को सुलझाने के लिए उच्च गुणवत्ता वाले चारे की खेती, बेहतर प्रबंधन प्रथाएँ, और चारे के उपयोग की तकनीकियों में सुधार आवश्यक है।
See lessशहरी कृषि से आप क्या समझते हैं और इसके विभिन्न प्रकारों का वर्णन कीजिए। साथ ही, भारत के संदर्भ में इसके महत्व पर चर्चा कीजिए। (150 शब्दों में उत्तर दें)
शहरी कृषि से तात्पर्य शहरों और नगरों में कृषि गतिविधियों से है, जहां खेत, बागान या अन्य उत्पादन क्षेत्र शहरी या उपनगरीय क्षेत्रों में स्थित होते हैं। इसके विभिन्न प्रकार निम्नलिखित हैं: वर्टिकल फार्मिंग: ऊँची इमारतों में विभिन्न स्तरों पर फसलें उगाई जाती हैं। हाइड्रोपोनिक्स: मिट्टी के बिना पौधों कोRead more
शहरी कृषि से तात्पर्य शहरों और नगरों में कृषि गतिविधियों से है, जहां खेत, बागान या अन्य उत्पादन क्षेत्र शहरी या उपनगरीय क्षेत्रों में स्थित होते हैं। इसके विभिन्न प्रकार निम्नलिखित हैं:
वर्टिकल फार्मिंग: ऊँची इमारतों में विभिन्न स्तरों पर फसलें उगाई जाती हैं।
See lessहाइड्रोपोनिक्स: मिट्टी के बिना पौधों को पोषक तत्वयुक्त जल में उगाया जाता है।
एरोपोनिक्स: पौधों की जड़ों को हवा में निलंबित कर पोषक तत्वों का छिड़काव किया जाता है।
रूफ गार्डनिंग: इमारतों की छतों पर बागवानी की जाती है।
भारत में शहरी कृषि का महत्व बढ़ रहा है क्योंकि यह खाद्य सुरक्षा को सुदृढ़ करता है, शहरी क्षेत्रों में ताजे और स्वास्थ्यवर्धक खाद्य पदार्थ उपलब्ध कराता है, और पर्यावरणीय लाभ प्रदान करता है। इससे शहरों में भोजन की पहुंच आसान होती है और यह स्थानीय रोजगार भी सृजित करता है। शहरी कृषि जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से निपटने और खाद्य संसाधनों की स्थिरता को बढ़ाने में भी सहायक है।
शहरी कृषि से आप क्या समझते हैं और इसके विभिन्न प्रकारों का वर्णन कीजिए। साथ ही, भारत के संदर्भ में इसके महत्व पर चर्चा कीजिए। (150 शब्दों में उत्तर दें)
शहरी कृषि से तात्पर्य शहरों और नगरों में कृषि गतिविधियों से है, जहां खेत, बागान या अन्य उत्पादन क्षेत्र शहरी या उपनगरीय क्षेत्रों में स्थित होते हैं। इसके विभिन्न प्रकार निम्नलिखित हैं: वर्टिकल फार्मिंग: ऊँची इमारतों में विभिन्न स्तरों पर फसलें उगाई जाती हैं। हाइड्रोपोनिक्स: मिट्टी के बिना पौधों कोRead more
शहरी कृषि से तात्पर्य शहरों और नगरों में कृषि गतिविधियों से है, जहां खेत, बागान या अन्य उत्पादन क्षेत्र शहरी या उपनगरीय क्षेत्रों में स्थित होते हैं। इसके विभिन्न प्रकार निम्नलिखित हैं:
वर्टिकल फार्मिंग: ऊँची इमारतों में विभिन्न स्तरों पर फसलें उगाई जाती हैं।
See lessहाइड्रोपोनिक्स: मिट्टी के बिना पौधों को पोषक तत्वयुक्त जल में उगाया जाता है।
एरोपोनिक्स: पौधों की जड़ों को हवा में निलंबित कर पोषक तत्वों का छिड़काव किया जाता है।
रूफ गार्डनिंग: इमारतों की छतों पर बागवानी की जाती है।
भारत में शहरी कृषि का महत्व बढ़ रहा है क्योंकि यह खाद्य सुरक्षा को सुदृढ़ करता है, शहरी क्षेत्रों में ताजे और स्वास्थ्यवर्धक खाद्य पदार्थ उपलब्ध कराता है, और पर्यावरणीय लाभ प्रदान करता है। इससे शहरों में भोजन की पहुंच आसान होती है और यह स्थानीय रोजगार भी सृजित करता है। शहरी कृषि जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से निपटने और खाद्य संसाधनों की स्थिरता को बढ़ाने में भी सहायक है।
जलवायु परिवर्तन में वृद्धि से मोटे अनाज की खेती का पुनरुद्धार हो रहा है। चर्चा कीजिए। साथ ही, भारत में मोटे अनाज के उत्पादन को गति देने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदमों का उल्लेख कीजिए। (150 शब्दों में उत्तर दें)
जलवायु परिवर्तन के कारण तापमान में वृद्धि और मौसम की अनिश्चितता ने मोटे अनाज की खेती को फिर से महत्वपूर्ण बना दिया है। मोटे अनाज जैसे कि बाजरा, ज्वार, और रागी, जलवायु के प्रति अधिक सहनशील होते हैं और कम पानी की आवश्यकता होती है, जिससे वे सूखा-प्रवण क्षेत्रों में उपयुक्त होते हैं। भारत में, सरकार नेRead more
जलवायु परिवर्तन के कारण तापमान में वृद्धि और मौसम की अनिश्चितता ने मोटे अनाज की खेती को फिर से महत्वपूर्ण बना दिया है। मोटे अनाज जैसे कि बाजरा, ज्वार, और रागी, जलवायु के प्रति अधिक सहनशील होते हैं और कम पानी की आवश्यकता होती है, जिससे वे सूखा-प्रवण क्षेत्रों में उपयुक्त होते हैं।
भारत में, सरकार ने मोटे अनाज के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए हैं। ‘प्रेरण’ योजना के तहत मोटे अनाज की खेती को प्रोत्साहित किया जा रहा है। इसके अलावा, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना और कृषि अवसंरचना निधि जैसी योजनाओं के माध्यम से किसानों को वित्तीय सहायता दी जा रही है। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन में भी मोटे अनाज को शामिल किया गया है, जिससे अनुसंधान और विकास को प्रोत्साहन मिला है। इन प्रयासों से मोटे अनाज की खेती को पुनर्जीवित करने में मदद मिल रही है।
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