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In which year was the United Nations Convention against corruption adopted?
संयुक्त राष्ट्र भ्रष्टाचार विरोधी सम्मेलन: अनुमोदन और महत्व संयुक्त राष्ट्र भ्रष्टाचार विरोधी सम्मेलन का अवलोकन संयुक्त राष्ट्र भ्रष्टाचार विरोधी सम्मेलन (United Nations Convention against Corruption - UNCAC) एक अंतरराष्ट्रीय कानूनी ढांचा है, जो वैश्विक स्तर पर भ्रष्टाचार को रोकने और उसकी जांच करनेRead more
संयुक्त राष्ट्र भ्रष्टाचार विरोधी सम्मेलन: अनुमोदन और महत्व
संयुक्त राष्ट्र भ्रष्टाचार विरोधी सम्मेलन का अवलोकन
संयुक्त राष्ट्र भ्रष्टाचार विरोधी सम्मेलन (United Nations Convention against Corruption – UNCAC) एक अंतरराष्ट्रीय कानूनी ढांचा है, जो वैश्विक स्तर पर भ्रष्टाचार को रोकने और उसकी जांच करने के लिए स्थापित किया गया है। यह सम्मेलन भ्रष्टाचार के खिलाफ वैश्विक सहयोग और प्रयासों को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण है।
अनुमोदन का वर्ष
संयुक्त राष्ट्र भ्रष्टाचार विरोधी सम्मेलन को 2003 में अपनाया गया। यह सम्मेलन पारंपरिक भ्रष्टाचार की कई प्रकार की गतिविधियों और इसके दुष्परिणामों को लक्षित करता है, और वैश्विक स्तर पर प्रभावी कदम उठाने के लिए सदस्य देशों को प्रेरित करता है।
मुख्य विशेषताएँ और उद्देश्य
हाल के उदाहरण और केस स्टडीज
निष्कर्ष
संयुक्त राष्ट्र भ्रष्टाचार विरोधी सम्मेलन को 2003 में अपनाया गया था, और यह वैश्विक स्तर पर भ्रष्टाचार के खिलाफ एक महत्वपूर्ण कानूनी और नैतिक ढांचा प्रदान करता है। सम्मेलन के उद्देश्य में भ्रष्टाचार की रोकथाम, अंतर्राष्ट्रीय सहयोग, और पारदर्शिता बढ़ाना शामिल है। हाल के वर्षों में, UNCAC ने भ्रष्टाचार विरोधी वैश्विक प्रयासों में एक मजबूत आधार प्रदान किया है और कई देशों ने इसके दिशा-निर्देशों के अनुसार प्रभावी कार्यवाही की है।
See lessलोकपाल की स्थापना का सुझाव सर्वप्रथम किसने दिया था?
लोकपाल की स्थापना का सुझाव: प्रारंभिक पहल और ऐतिहासिक पृष्ठभूमि लोकपाल की अवधारणा लोकपाल एक स्वतंत्र और संवैधानिक संस्था है, जिसका उद्देश्य सरकारी अधिकारियों और नेताओं के खिलाफ भ्रष्टाचार की शिकायतों की जांच करना और उन पर निर्णय लेना है। यह संस्था पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ावा देने के लिए स्थापितRead more
लोकपाल की स्थापना का सुझाव: प्रारंभिक पहल और ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
लोकपाल की अवधारणा
लोकपाल एक स्वतंत्र और संवैधानिक संस्था है, जिसका उद्देश्य सरकारी अधिकारियों और नेताओं के खिलाफ भ्रष्टाचार की शिकायतों की जांच करना और उन पर निर्णय लेना है। यह संस्था पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ावा देने के लिए स्थापित की गई है।
प्रारंभिक सुझाव
लोकपाल की स्थापना का सुझाव सबसे पहले राजीव गांधी ने दिया था। 1960 के दशक में, तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने सरकारी भ्रष्टाचार के खिलाफ एक स्वतंत्र निगरानी तंत्र की आवश्यकता को महसूस किया। उन्होंने इस तंत्र के रूप में एक ऐसा संस्था स्थापित करने की सिफारिश की, जो सरकारी अधिकारियों और नेताओं के भ्रष्टाचार की जांच कर सके।
महत्वपूर्ण घटनाक्रम
हाल के उदाहरण
निष्कर्ष
लोकपाल की स्थापना का सुझाव सबसे पहले राजीव गांधी ने दिया था। उनके सुझाव ने भारतीय सरकार को भ्रष्टाचार के खिलाफ एक प्रभावी निगरानी तंत्र स्थापित करने के लिए प्रेरित किया। आज, लोकपाल एक महत्वपूर्ण संवैधानिक संस्था है जो भ्रष्टाचार के मामलों की जांच और निराकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, और इसकी स्थापना से लेकर वर्तमान कार्यप्रणाली तक, इसका योगदान पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ावा देने में है।
See lessWho first suggested the establishment of Lokpal?
लोकपाल की अवधारणा लोकपाल एक स्वतंत्र और संवैधानिक संस्था है जिसका उद्देश्य भारत में सरकारी अधिकारियों और नेताओं के खिलाफ भ्रष्टाचार की शिकायतों की जांच और निर्णय करना है। इसका गठन भ्रष्टाचार के खिलाफ एक प्रभावी तंत्र के रूप में किया गया है। प्रारंभिक सुझाव लोकपाल की स्थापना का सुझाव सबसे पहले राजीवRead more
लोकपाल की अवधारणा
लोकपाल एक स्वतंत्र और संवैधानिक संस्था है जिसका उद्देश्य भारत में सरकारी अधिकारियों और नेताओं के खिलाफ भ्रष्टाचार की शिकायतों की जांच और निर्णय करना है। इसका गठन भ्रष्टाचार के खिलाफ एक प्रभावी तंत्र के रूप में किया गया है।
प्रारंभिक सुझाव
लोकपाल की स्थापना का सुझाव सबसे पहले राजीव गांधी ने दिया था। 1960 के दशक में, भारतीय प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने सरकारी अधिकारियों और नेताओं के भ्रष्टाचार के खिलाफ एक स्वतंत्र और प्रभावी निगरानी तंत्र की आवश्यकता को महसूस किया। उनकी पहल ने इस विचार को बल प्रदान किया कि एक ऐसी संस्था की स्थापना की जाए जो सरकारी भ्रष्टाचार की जांच और उसे समाप्त करने के लिए कार्य करे।
महत्वपूर्ण घटनाक्रम
हाल के उदाहरण
निष्कर्ष
लोकपाल की स्थापना का सुझाव सबसे पहले राजीव गांधी ने दिया था, जिन्होंने सरकारी भ्रष्टाचार की निगरानी के लिए एक स्वतंत्र और प्रभावी तंत्र की आवश्यकता को महसूस किया। उनके प्रस्ताव के आधार पर, बाद में लोकपाल की स्थापना की गई, जो अब भ्रष्टाचार की रोकथाम और सरकारी पारदर्शिता सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। लोकपाल की वर्तमान कार्यशैली और सक्रियता ने इसे एक महत्वपूर्ण संवैधानिक संस्था बना दिया है, जो भ्रष्टाचार के खिलाफ निरंतर प्रयास करती है।
See lessकेन्द्रीय सतर्कता आयोग का गठन किस समिति की अनुशंसा पर किया गया था?
केन्द्रीय सतर्कता आयोग का गठन: ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और समिति की अनुशंसा केन्द्रीय सतर्कता आयोग का गठन केन्द्रीय सतर्कता आयोग (Central Vigilance Commission - CVC) भारत सरकार का एक प्रमुख संस्थान है, जिसका उद्देश्य सरकारी सेवाओं में भ्रष्टाचार की निगरानी और रोकथाम करना है। यह आयोग सरकारी कर्मचारियों औरRead more
केन्द्रीय सतर्कता आयोग का गठन: ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और समिति की अनुशंसा
केन्द्रीय सतर्कता आयोग का गठन
केन्द्रीय सतर्कता आयोग (Central Vigilance Commission – CVC) भारत सरकार का एक प्रमुख संस्थान है, जिसका उद्देश्य सरकारी सेवाओं में भ्रष्टाचार की निगरानी और रोकथाम करना है। यह आयोग सरकारी कर्मचारियों और अधिकारियों के कार्यों की पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करता है।
गठन की अनुशंसा
केन्द्रीय सतर्कता आयोग का गठन सत्य नारायण समिति की अनुशंसा पर किया गया था। सत्य नारायण समिति, जिसे 1963 में सत्य नारायण रेddy द्वारा अध्यक्षता में गठित किया गया था, ने भारत में भ्रष्टाचार की समस्या को गंभीरता से लिया और इसके समाधान के लिए ठोस उपाय सुझाए। समिति ने एक स्वतंत्र संस्था की आवश्यकता की बात की जो सरकारी क्षेत्र में भ्रष्टाचार पर निगरानी रख सके और भ्रष्टाचार को रोकने के लिए प्रभावी उपाय कर सके।
सत्य नारायण समिति की अनुशंसाएँ
वर्तमान स्थिति और उदाहरण
निष्कर्ष
केन्द्रीय सतर्कता आयोग का गठन सत्य नारायण समिति की अनुशंसा पर किया गया था, जिसने सरकारी भ्रष्टाचार के खिलाफ एक प्रभावी निगरानी तंत्र स्थापित करने की सिफारिश की थी। आयोग की स्थापना के बाद से, यह भ्रष्टाचार की रोकथाम और सरकारी सेवाओं में पारदर्शिता सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। सत्य नारायण समिति की अनुशंसाएँ आज भी भ्रष्टाचार विरोधी प्रयासों में महत्वपूर्ण मार्गदर्शक सिद्ध होती हैं।
See lessअपक्षय को परिभाषित करें तथा भौतिक अपक्षय के कारणों पर एक विस्तृत टिप्पणी लिखें।
अपक्षय की परिभाषा अपक्षय एक प्राकृतिक प्रक्रिया है जिसके तहत चट्टानों और खनिजों का टूटना और विघटन होता है। यह प्रक्रिया सतह पर या उसके करीब होती है और इसमें चट्टानों के भौतिक या रासायनिक परिवर्तन शामिल हो सकते हैं। अपक्षय का उद्देश्य चट्टानों को छोटे टुकड़ों में तोड़ना और मिट्टी की formation में योगRead more
अपक्षय की परिभाषा
अपक्षय एक प्राकृतिक प्रक्रिया है जिसके तहत चट्टानों और खनिजों का टूटना और विघटन होता है। यह प्रक्रिया सतह पर या उसके करीब होती है और इसमें चट्टानों के भौतिक या रासायनिक परिवर्तन शामिल हो सकते हैं। अपक्षय का उद्देश्य चट्टानों को छोटे टुकड़ों में तोड़ना और मिट्टी की formation में योगदान देना है। अपक्षय की प्रक्रिया के दो मुख्य प्रकार होते हैं: भौतिक अपक्षय और रासायनिक अपक्षय।
भौतिक अपक्षय के कारण
भौतिक अपक्षय (या यांत्रिक अपक्षय) में चट्टानों के टूटने और विघटन के दौरान उनकी रासायनिक संरचना में कोई बदलाव नहीं होता। इसमें निम्नलिखित प्रमुख कारण शामिल हैं:
हाल के उदाहरण और केस स्टडीज
निष्कर्ष
भौतिक अपक्षय चट्टानों के टूटने और विघटन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, जिससे मिट्टी की formation होती है और परिदृश्य में परिवर्तन आता है। तापमान में उतार-चढ़ाव, फ्रीज-थॉ साइकिल, जैविक गतिविधियाँ, एक्सफोलिएशन, नमक अपक्षय और खरादन जैसे कारण भौतिक अपक्षय को उत्पन्न करते हैं। हाल के उदाहरण और केस स्टडीज इन प्रक्रियाओं के वास्तविक प्रभावों को समझने में सहायक होते हैं और पर्यावरणीय परिवर्तन को बेहतर ढंग से समझने में मदद करते हैं।
See lessDefine weathering and write a detailed note on the causes of physical weathering.
Weathering: Definition and Causes of Physical Weathering Definition of Weathering Weathering refers to the natural process through which rocks and minerals are broken down into smaller particles due to various environmental factors. Unlike erosion, which involves the movement of weathered material,Read more
Weathering: Definition and Causes of Physical Weathering
Definition of Weathering
Weathering refers to the natural process through which rocks and minerals are broken down into smaller particles due to various environmental factors. Unlike erosion, which involves the movement of weathered material, weathering involves the in-situ breakdown of rocks and minerals at or near the Earth’s surface. Weathering plays a crucial role in soil formation, landscape development, and the cycling of minerals in the environment.
Causes of Physical Weathering
Physical weathering, also known as mechanical weathering, involves the breakdown of rocks into smaller pieces without changing their chemical composition. The causes of physical weathering include:
Recent Examples and Observations
Conclusion
Physical weathering is a key natural process that shapes the Earth’s surface by breaking down rocks into smaller fragments. Understanding the causes of physical weathering—such as temperature fluctuations, freeze-thaw cycles, biological activity, exfoliation, salt weathering, and abrasion—provides valuable insights into landscape formation and soil development. Recent examples from various geographic regions illustrate the diverse mechanisms through which physical weathering operates, highlighting its importance in environmental and geological studies.
See lessपर्यावरणीय प्रभाव आकलन (EIA) पर एक निबंध लिखिये।
परिचय पर्यावरणीय प्रभाव आकलन (EIA) एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है जो किसी प्रस्तावित परियोजना या विकास की संभावित पर्यावरणीय प्रभावों का मूल्यांकन करती है। यह प्रक्रिया यह सुनिश्चित करने में मदद करती है कि निर्णय-निर्माताओं के पास परियोजना की स्वीकृति से पहले पर्यावरणीय प्रभावों की जानकारी हो, ताकि संभाRead more
परिचय
पर्यावरणीय प्रभाव आकलन (EIA) एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है जो किसी प्रस्तावित परियोजना या विकास की संभावित पर्यावरणीय प्रभावों का मूल्यांकन करती है। यह प्रक्रिया यह सुनिश्चित करने में मदद करती है कि निर्णय-निर्माताओं के पास परियोजना की स्वीकृति से पहले पर्यावरणीय प्रभावों की जानकारी हो, ताकि संभावित नकारात्मक प्रभावों को कम किया जा सके और सतत विकास को बढ़ावा दिया जा सके।
EIA की प्रक्रिया
EIA के लाभ और महत्व
EIA के चुनौतीपूर्ण पहलू
हाल के उदाहरण और केस स्टडीज
निष्कर्ष
पर्यावरणीय प्रभाव आकलन (EIA) विकास परियोजनाओं को पर्यावरणीय स्थिरता और सामाजिक जिम्मेदारी के साथ जोड़ने के लिए एक महत्वपूर्ण उपकरण है। यह संभावित प्रभावों की पहचान और निवारण की प्रक्रिया प्रदान करता है, जो पर्यावरणीय क्षति को रोकने, सतत विकास को प्रोत्साहित करने, और जन स्वास्थ्य की रक्षा करने में सहायक है। हालाँकि इसके सामने चुनौतियाँ हैं, EIA की प्रभावशीलता को बढ़ाने और पिछले अनुभवों से सीखे गए पाठों को लागू करने से सतत प्रगति प्राप्त करना संभव होगा।
See lessWrite an essay on Environmental Impact Assessment (EIA).
Environmental Impact Assessment (EIA): An Essay Introduction Environmental Impact Assessment (EIA) is a critical tool used to evaluate the potential environmental effects of a proposed project or development before it is undertaken. The EIA process aims to ensure that decision-makers consider enviroRead more
Environmental Impact Assessment (EIA): An Essay
Introduction
Environmental Impact Assessment (EIA) is a critical tool used to evaluate the potential environmental effects of a proposed project or development before it is undertaken. The EIA process aims to ensure that decision-makers consider environmental impacts before making final decisions on project approvals. This assessment not only helps in identifying adverse effects but also provides a framework for mitigating those impacts, thereby contributing to sustainable development.
Purpose and Process of EIA
Significance and Benefits of EIA
Challenges in EIA
Recent Examples and Case Studies
Conclusion
Environmental Impact Assessment (EIA) is an essential process for ensuring that development projects are environmentally sustainable and socially responsible. By providing a systematic approach to evaluating potential impacts, EIA helps in preventing environmental degradation, promoting sustainable development, and protecting public health. Despite its challenges, the EIA process remains a crucial tool for balancing development needs with environmental conservation. As global environmental concerns continue to grow, enhancing the effectiveness of EIA processes and incorporating lessons learned from past experiences will be vital for achieving sustainable progress.
See lessऊर्जा ऑडिट क्या होता है? इसकी आवश्यकता क्यों है?
ऊर्जा ऑडिट क्या होता है? इसकी आवश्यकता क्यों है? ऊर्जा ऑडिट का परिचय ऊर्जा ऑडिट एक प्रणालीबद्ध प्रक्रिया है जिसमें किसी संगठन या सुविधा की ऊर्जा उपयोग और खपत का विस्तृत मूल्यांकन किया जाता है। इसका उद्देश्य ऊर्जा दक्षता में सुधार, लागत कम करना, और पर्यावरणीय प्रभाव को घटाना होता है। ऊर्जा ऑडिट से यहRead more
ऊर्जा ऑडिट क्या होता है? इसकी आवश्यकता क्यों है?
ऊर्जा ऑडिट का परिचय
ऊर्जा ऑडिट एक प्रणालीबद्ध प्रक्रिया है जिसमें किसी संगठन या सुविधा की ऊर्जा उपयोग और खपत का विस्तृत मूल्यांकन किया जाता है। इसका उद्देश्य ऊर्जा दक्षता में सुधार, लागत कम करना, और पर्यावरणीय प्रभाव को घटाना होता है। ऊर्जा ऑडिट से यह पता चलता है कि ऊर्जा का उपयोग किस प्रकार किया जा रहा है, कहाँ अपव्यय हो रहा है, और कौन से क्षेत्र में सुधार किया जा सकता है।
ऊर्जा ऑडिट की प्रक्रिया
ऊर्जा ऑडिट की आवश्यकता
हाल के उदाहरण और केस स्टडीज
निष्कर्ष
ऊर्जा ऑडिट ऊर्जा दक्षता में सुधार, लागत कम करने, और पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने के लिए एक महत्वपूर्ण उपकरण है। यह संगठनों को ऊर्जा उपयोग को अनुकूलित करने, विनियमों का पालन करने, और दीर्घकालिक बचत प्राप्त करने में मदद करता है। बढ़ती स्थिरता और ऊर्जा संरक्षण पर ध्यान देने के साथ, नियमित ऊर्जा ऑडिट संगठनों के संचालन की दक्षता और पर्यावरणीय प्रदर्शन को बढ़ाने के लिए अनिवार्य है।
See lessWhat is energy audit? Why is it needed?
Introduction An energy audit is a systematic examination of an organization’s energy use and consumption, aimed at identifying opportunities to improve energy efficiency, reduce costs, and minimize environmental impact. It involves the assessment of energy systems, processes, and practices to identiRead more
Introduction
An energy audit is a systematic examination of an organization’s energy use and consumption, aimed at identifying opportunities to improve energy efficiency, reduce costs, and minimize environmental impact. It involves the assessment of energy systems, processes, and practices to identify areas where energy can be saved and to recommend measures for optimizing energy use.
Definition and Process of Energy Audit
Why Energy Audits Are Needed
Recent Examples and Case Studies
Conclusion
An energy audit is a critical tool for identifying opportunities to improve energy efficiency, reduce costs, and minimize environmental impact. It provides valuable insights that help organizations optimize their energy use, comply with regulations, and achieve long-term savings. With increasing focus on sustainability and energy conservation, regular energy audits are essential for organizations aiming to enhance their operational efficiency and environmental performance.
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