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छठी शताब्दी ईसा पूर्व के आस-पास भारत में बौद्ध धर्म और जैन धर्म के उद्भव और प्रसार के लिए जिम्मेदार कारकों की सूची बनाइए।(200 words)
छठी शताब्दी ईसा पूर्व में बौद्ध धर्म और जैन धर्म के उद्भव के कारण भारत में छठी शताब्दी ईसा पूर्व में बौद्ध और जैन धर्म के उद्भव के कई महत्वपूर्ण कारण थे: सामाजिक असंतोष: जाति व्यवस्था और ब्राह्मणवादी अनुष्ठानों के कारण समाज में असमानता फैली हुई थी, जिससे लोग नए धर्मों की ओर आकर्षित हुए। आर्थिक बदलावRead more
छठी शताब्दी ईसा पूर्व में बौद्ध धर्म और जैन धर्म के उद्भव के कारण
भारत में छठी शताब्दी ईसा पूर्व में बौद्ध और जैन धर्म के उद्भव के कई महत्वपूर्ण कारण थे:
बौद्ध और जैन धर्म की लोकप्रियता इनकी साधारण और सार्वभौमिक शिक्षाओं से बढ़ी।
See lessगुटनिरपेक्ष आंदोलन का संक्षिप्त परिचय देते हुए, आज के संदर्भ में इसकी प्रासंगिकता का मूल्यांकन कीजिए। (200 words)
गुटनिरपेक्ष आंदोलन का संक्षिप्त परिचय गुटनिरपेक्ष आंदोलन (NAM) का गठन शीत युद्ध के समय हुआ था। इसका उद्देश्य उन देशों को एक मंच प्रदान करना था जो किसी भी महाशक्ति (अमेरिका या सोवियत संघ) के गुट में शामिल नहीं होना चाहते थे। भारत, यूगोस्लाविया और मिस्र जैसे देशों के नेताओं ने इसे नेतृत्व दिया, ताकि सRead more
गुटनिरपेक्ष आंदोलन का संक्षिप्त परिचय
गुटनिरपेक्ष आंदोलन (NAM) का गठन शीत युद्ध के समय हुआ था। इसका उद्देश्य उन देशों को एक मंच प्रदान करना था जो किसी भी महाशक्ति (अमेरिका या सोवियत संघ) के गुट में शामिल नहीं होना चाहते थे। भारत, यूगोस्लाविया और मिस्र जैसे देशों के नेताओं ने इसे नेतृत्व दिया, ताकि स्वतंत्रता, शांति, और संप्रभुता का समर्थन किया जा सके।
मुख्य सिद्धांत
आज के संदर्भ में प्रासंगिकता
आज NAM 120 देशों का समूह है, और यह निम्नलिखित क्षेत्रों में महत्वपूर्ण है:
निष्कर्ष
NAM आज भी विकासशील देशों के लिए एक महत्वपूर्ण मंच है, जो वैश्विक शांति और समानता के लिए कार्य करता है।
See lessभारत में उपलब्ध विभिन्न गैर-पारंपरिक ऊर्जा स्रोत क्या हैं? इनकी पर्यावरण-अनुकूल ऊर्जा प्रदान करने में महत्ता को उजागर करें। (200 words)
भारत में गैर-पारंपरिक ऊर्जा स्रोत प्रमुख ऊर्जा स्रोत सौर ऊर्जा सूर्य की रोशनी से प्राप्त होती है। सौर पैनल के माध्यम से बिजली उत्पादन में उपयोग होती है। उदाहरण: राजस्थान में सौर ऊर्जा परियोजनाएँ। वायु ऊर्जा पवन टरबाइनों के माध्यम से उत्पन्न होती है। प्रमुख क्षेत्र: गुजरात और तमिलनाडु। यह प्रदूषण कोRead more
भारत में गैर-पारंपरिक ऊर्जा स्रोत
प्रमुख ऊर्जा स्रोत
पर्यावरण-अनुकूल महत्ता
गैर-पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों का उपयोग जीवाश्म ईंधनों पर निर्भरता को कम करता है। ये स्रोत:
इन ऊर्जा स्रोतों का विकास भारत को पर्यावरण-अनुकूल ऊर्जा समाधान की दिशा में आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
See lessभारत में प्रमुख प्रकार की मृदाओं और उनकी विशेषताओं का उल्लेख करें। इसके साथ ही, भारत में मृदाओं के स्थानिक वितरण का विवरण भी प्रस्तुत करें। (200 words)
भारत में प्रमुख प्रकार की मृदाएं मुख्य मृदाओं और उनकी विशेषताएँ आलुवीय मृदा नदी के किनारे पाई जाती है। अत्यंत उपजाऊ, धान और गेहूं जैसे फसलों के लिए अनुकूल। काली मृदा चट्टानी और चिकनी होती है। कपास की खेती के लिए प्रसिद्ध, महाराष्ट्र और गुजरात में पाई जाती है। लाल मृदा लोहे के कारण लाल रंग की होती हैRead more
भारत में प्रमुख प्रकार की मृदाएं
मुख्य मृदाओं और उनकी विशेषताएँ
स्थानिक वितरण
भारत में विभिन्न प्रकार की मृदाएं कृषि की विविधता को बढ़ावा देती हैं और देश की आर्थिक स्थिति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
See lessकई देशों के संविधानों से लिए गए तत्वों के बावजूद, भारत का संविधान अपनी विशिष्टता में अद्वितीय है। इस पर चर्चा करें। (200 Words)
भारत के संविधान की विशिष्टता भारत का संविधान कई देशों के संविधानों से तत्व ग्रहण करने के बावजूद अपनी विशेषताओं में अद्वितीय है। 1. विस्तृत और विस्तृत ढांचा लंबा संविधान: भारत का संविधान विश्व का सबसे लंबा लिखित संविधान है, जिसमें 450 से अधिक अनुच्छेद और 12 अनुसूचियाँ हैं। यह विस्तार शासन के सभी पहलुRead more
भारत के संविधान की विशिष्टता
भारत का संविधान कई देशों के संविधानों से तत्व ग्रहण करने के बावजूद अपनी विशेषताओं में अद्वितीय है।
1. विस्तृत और विस्तृत ढांचा
2. कठोरता और लचीलापन
3. संघीय ढांचा
4. मौलिक अधिकार और कर्तव्य
निष्कर्ष
इस प्रकार, भारत का संविधान कई देशों से प्रेरित होते हुए भी अपनी विशिष्टता के कारण अद्वितीय है। यह विविधता में एकता के लिए महत्वपूर्ण है।
See lessकिताब-ए-नौरस
किताब-ए-नौरस परिचय किताब-ए-नौरस सुलतान इब्राहीम आदिल शाह II द्वारा लिखी गई एक काव्य रचना है। मुख्य विशेषताएँ संरचना: इसमें 59 गीत और 17 दोहे शामिल हैं। भाषा: यह दखनी उर्दू में लिखी गई है। संगीत: प्रत्येक गीत के लिए राग निर्धारित हैं। सांस्कृतिक महत्व इसमें सरस्वती, मुहम्मद और शिव की प्रशंसा की गई हैRead more
किताब-ए-नौरस
परिचय
किताब-ए-नौरस सुलतान इब्राहीम आदिल शाह II द्वारा लिखी गई एक काव्य रचना है।
मुख्य विशेषताएँ
सांस्कृतिक महत्व
यह किताब भारतीय साहित्य और संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
See lessअभिधम्मपिटक
अभिधम्मपिटक अभिधम्मपिटक क्या है? अभिधम्मपिटक थेरवाद बौद्ध धर्म का एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है। यह पाली canon का हिस्सा है और बुद्ध के गहरे शिक्षाओं पर केंद्रित है। मुख्य विशेषताएँ उच्च शिक्षाएँ: यह बौद्ध मनोविज्ञान की तरह गहरी अवधारणाएँ प्रस्तुत करता है। संरचना: इसमें सात मुख्य पुस्तकें शामिल हैं: धम्मसंRead more
अभिधम्मपिटक
अभिधम्मपिटक क्या है?
अभिधम्मपिटक थेरवाद बौद्ध धर्म का एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है। यह पाली canon का हिस्सा है और बुद्ध के गहरे शिक्षाओं पर केंद्रित है।
मुख्य विशेषताएँ
महत्व
यह ग्रंथ अभ्यासियों को मन और शिक्षाओं की जटिलताओं को समझने में मदद करता है।
See lessदौवारिक
दौवारिक परिचय दौवारिक एक प्राचीन भारतीय प्रणाली है, जिसमें विशेष रूप से व्यापार, कृषि, और सामाजिक संरचना का वर्णन किया गया है। विशेषताएँ व्यापार: दौवारिक में व्यापारिक गतिविधियों का महत्व है। उदाहरण: गाँवों के बीच वस्तुओं का आदान-प्रदान। कृषि: कृषि कार्य और फसलों की पैदावार का विवरण। उदाहरण: धान औरRead more
दौवारिक
परिचय
दौवारिक एक प्राचीन भारतीय प्रणाली है, जिसमें विशेष रूप से व्यापार, कृषि, और सामाजिक संरचना का वर्णन किया गया है।
विशेषताएँ
सामाजिक संरचना
निष्कर्ष
दौवारिक प्रणाली ने प्राचीन भारतीय समाज के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिससे आर्थिक और सामाजिक संबंध मजबूत हुए।
See lessऋग्वैदिक पंचवृष्णि
ऋग्वैदिक पंचवृष्णि परिचय ऋग्वेद का पंचवृष्णि एक महत्वपूर्ण विषय है, जिसमें सांस्कृतिक, धार्मिक और दार्शनिक पहलुओं का वर्णन किया गया है। पंचवृष्णि के तत्व पंचवृष्णि का अर्थ है "पांच प्रकार के वृष"। ये वृष विभिन्न कृषि और पशुपालन से संबंधित हैं, जैसे: गाय: दूध देने वाली, माता का प्रतीक। भैंस: मेहनती,Read more
ऋग्वैदिक पंचवृष्णि
परिचय
ऋग्वेद का पंचवृष्णि एक महत्वपूर्ण विषय है, जिसमें सांस्कृतिक, धार्मिक और दार्शनिक पहलुओं का वर्णन किया गया है।
पंचवृष्णि के तत्व
महत्व
निष्कर्ष
ऋग्वैदिक पंचवृष्णि न केवल कृषि और पशुपालन को दर्शाता है, बल्कि भारतीय संस्कृति और धर्म में भी गहराई से जुड़ा हुआ है।
See lessटैगोर के 'मानवतावाद' की अवधारणा बताइए ।
टैगोर के 'मानवतावाद' की अवधारणा रवींद्रनाथ टैगोर का मानवतावाद मानवता की एकता, सहिष्णुता, और सार्वभौमिक भाईचारे पर आधारित था। 1. विविधता में एकता टैगोर ने विभिन्न संस्कृतियों के सम्मान पर जोर दिया और मानव जाति की एकता की बात की। उदाहरण: शांतिनिकेतन में उनकी शिक्षा प्रणाली ने प्रेम, सह-अस्तित्व और समाRead more
टैगोर के ‘मानवतावाद’ की अवधारणा
रवींद्रनाथ टैगोर का मानवतावाद मानवता की एकता, सहिष्णुता, और सार्वभौमिक भाईचारे पर आधारित था।
1. विविधता में एकता
2. प्रकृति के साथ सामंजस्य
3. आध्यात्मिक और सांस्कृतिक विकास
टैगोर का मानवतावाद प्रेम, परस्पर सम्मान और जिम्मेदारी के आधार पर एक समृद्ध समाज की कल्पना करता है।
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