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भूमिजा
भूमिजा का अर्थ अर्थ: भूमिजा नाम का अर्थ है "पृथ्वी" या "देवी सीता का एक अन्य नाम।" राशि: धनु राशि के अंतर्गत आता है। विशेषताएँ: भूमिजा नाम की महिलाएं धार्मिक, महत्वाकांक्षी और अनुशासन प्रिय होती हैं। वे अपनी इच्छाओं के अनुसार जीवन जीना पसंद करती हैं। भूमिजा नाम रखने से व्यक्ति के जीवन में सकारात्मकRead more
भूमिजा का अर्थ
भूमिजा नाम रखने से व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और संतुलन आता है।
See lessनवदाटोली
नवदाटोली: एक ऐतिहासिक स्थल स्थान: नवदाटोली मध्य प्रदेश के महेश्वर के पास स्थित है। महत्व: यह स्थल प्राचीन काल के समाज और जीवन को दर्शाता है। यहाँ से मिले वस्त्र, बर्तन और औजार समय की जानकारी देते हैं। मुख्य खोजें: नवदाटोली में मृद्भांड, चाकू, और अन्य पुरातात्विक अवशेष मिले हैं। यह स्थल चालन युग के मRead more
नवदाटोली: एक ऐतिहासिक स्थल
स्थान:
महत्व:
मुख्य खोजें:
जेपी आन्दोलन
जेपी आंदोलन (JP Movement) परिचय: जेपी आंदोलन, जिसे जयप्रकाश नारायण ने 1974 में शुरू किया, बिहार सरकार में भ्रष्टाचार के खिलाफ था। मुख्य घटनाएँ: यह आंदोलन छात्रों द्वारा शुरू हुआ, जिसने राजनीतिक सुधारों की मांग की। आंदोलन ने बिहार से बाहर फैलकर पूरे देश में समर्थन प्राप्त किया। परिणाम: इस आंदोलन ने रRead more
जेपी आंदोलन (JP Movement)
परिचय:
जेपी आंदोलन, जिसे जयप्रकाश नारायण ने 1974 में शुरू किया, बिहार सरकार में भ्रष्टाचार के खिलाफ था।
मुख्य घटनाएँ:
परिणाम:
See lessइस आंदोलन ने राजनीतिक बदलाव को प्रेरित किया और 1975 में आपातकाल की स्थिति पैदा की।
ऊषा मेहता
ऊषा मेहता: स्वतंत्रता संग्राम की नायक परिचय: ऊषा मेहता एक प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी थीं, जिन्होंने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने कांग्रेस रेडियो की स्थापना की, जो ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ संदेश प्रसारित करता था। योगदान: Quit India आंदोलन के दौरान ऊषा मेहता ने गुप्Read more
ऊषा मेहता: स्वतंत्रता संग्राम की नायक
परिचय:
योगदान:
धरोहर:
सतीश चन्द्र बसु
सतीश चन्द्र बसु: Anushilan Samiti के संस्थापक परिचय: सतीश चन्द्र बसु भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख क्रांतिकारी नेता थे। इन्होंने 1902 में अनुशीलन समिति की स्थापना की, जो बंगाल में ब्रिटिश शासन के खिलाफ एक महत्वपूर्ण क्रांतिकारी संगठन था। महत्व: इस समिति का उद्देश्य युवाओं को शारीरिक और मानसिकRead more
सतीश चन्द्र बसु: Anushilan Samiti के संस्थापक
परिचय:
महत्व:
उधारण:
विरासत:
पुनः प्रतिष्ठा विद्रोह
पुनः प्रतिष्ठा विद्रोह (Restorative Rebellions) परिभाषा: पुनः प्रतिष्ठा विद्रोह वे आंदोलन होते हैं जो समाज के पुराने और पारंपरिक मान्यताओं या ढांचों को फिर से स्थापित करने के उद्देश्य से होते हैं, खासकर जब बाहरी शक्ति (जैसे ब्रिटिश शासन) ने इनकी धारा को बाधित किया हो। उदाहरण: 1857 का विद्रोह: भारतीयRead more
पुनः प्रतिष्ठा विद्रोह (Restorative Rebellions)
परिभाषा:
पुनः प्रतिष्ठा विद्रोह वे आंदोलन होते हैं जो समाज के पुराने और पारंपरिक मान्यताओं या ढांचों को फिर से स्थापित करने के उद्देश्य से होते हैं, खासकर जब बाहरी शक्ति (जैसे ब्रिटिश शासन) ने इनकी धारा को बाधित किया हो।
उदाहरण:
इन विद्रोहों का उद्देश्य समाज को अपने पारंपरिक और धार्मिक सिद्धांतों के अनुसार पुनः स्थापित करना था।
See lessप्राच्यवाद
प्राच्यवाद (Orientalism) परिभाषा: प्राच्यवाद एक विचारधारा है, जिसमें पश्चिमी दुनिया ने पूर्वी देशों (जैसे भारत, चीन, अरब) की संस्कृतियों को नकारात्मक दृष्टिकोण से देखा। यह अवधारणा, जिसे एडवर्ड सईद ने प्रमुख रूप से विकसित किया, यह बताती है कि पश्चिम ने पूर्वी सभ्यताओं को पिछड़ा, असंगत और अविकसित दिखाRead more
प्राच्यवाद (Orientalism)
परिभाषा:
प्राच्यवाद एक विचारधारा है, जिसमें पश्चिमी दुनिया ने पूर्वी देशों (जैसे भारत, चीन, अरब) की संस्कृतियों को नकारात्मक दृष्टिकोण से देखा। यह अवधारणा, जिसे एडवर्ड सईद ने प्रमुख रूप से विकसित किया, यह बताती है कि पश्चिम ने पूर्वी सभ्यताओं को पिछड़ा, असंगत और अविकसित दिखाया।
मुख्य बिंदु:
उदाहरण:
पश्चिमी साहित्य में अक्सर एशियाई देशों को रहस्यमयी और अविकसित दिखाया जाता था, जैसे कि “1001 रातों की कहानी” में अरबी और भारतीय समाजों का चित्रण।
यह विचारधारा आज भी आलोचना का विषय है, क्योंकि यह उपनिवेशवाद और नस्लवाद के आधार पर विकसित हुई थी
See lessअबवाब
अबवाब (Abwab) मुघल प्रशासन में वह अधिकारी थे जो विभिन्न प्रदेशों में विभिन्न कार्यों का संचालन करते थे। उनके पास कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारियाँ थीं। अबवाब का कार्य सार्वजनिक व्यवस्था: अबवाब का प्रमुख कार्य प्रशासनिक कार्यों में मदद करना था। वे राज्य के कर्मचारियों और अन्य अधिकारियों के साथ समन्वय करतेRead more
अबवाब (Abwab) मुघल प्रशासन में वह अधिकारी थे जो विभिन्न प्रदेशों में विभिन्न कार्यों का संचालन करते थे। उनके पास कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारियाँ थीं।
अबवाब का कार्य
इस प्रणाली में अबवाब ने प्रशासनिक व्यवस्था को मजबूत किया और सुनिश्चित किया कि मुघल साम्राज्य में हर स्तर पर कार्य अच्छे से चलें।
See lessभारत में 19वीं शताब्दी में प्रचलित सामाजिक कुरीतियों के उन्मूलन में समाज सुधारकों के योगदान का संक्षिप्त वर्णन करें। (200 words)
19वीं शताब्दी में भारत में समाज सुधारकों का योगदान भारत में 19वीं शताब्दी के समाज सुधारकों ने समाज में फैली कुरीतियों के उन्मूलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। राजा राम मोहन राय: उन्होंने सती प्रथा के खिलाफ संघर्ष किया और इसके उन्मूलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। ईश्वरचंद्र विद्यासागर: विधवा पुनर्विवाRead more
19वीं शताब्दी में भारत में समाज सुधारकों का योगदान
भारत में 19वीं शताब्दी के समाज सुधारकों ने समाज में फैली कुरीतियों के उन्मूलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
प्रभाव
इन सुधारकों ने समाज में शिक्षा, समानता और मानवाधिकारों को बढ़ावा दिया, जिससे आधुनिक भारत की नींव मजबूत हुई।
See lessभारत में 19वीं शताब्दी में प्रचलित सामाजिक कुरीतियों के उन्मूलन में समाज सुधारकों के योगदान का संक्षिप्त वर्णन करें। (200 words)
भारत में 19वीं शताब्दी में समाज सुधारकों का योगदान 19वीं शताब्दी में भारतीय समाज में सामाजिक कुरीतियों जैसे जातिवाद, सती प्रथा, बाल विवाह और स्त्री शिक्षा की कमी के खिलाफ समाज सुधारकों ने महत्वपूर्ण योगदान दिया। मुख्य सुधारक और उनके प्रयास राजा राम मोहन राय: सती प्रथा के विरोध में संघर्ष किया और इसकRead more
भारत में 19वीं शताब्दी में समाज सुधारकों का योगदान
19वीं शताब्दी में भारतीय समाज में सामाजिक कुरीतियों जैसे जातिवाद, सती प्रथा, बाल विवाह और स्त्री शिक्षा की कमी के खिलाफ समाज सुधारकों ने महत्वपूर्ण योगदान दिया।
मुख्य सुधारक और उनके प्रयास
समाज पर प्रभाव
इन समाज सुधारकों ने समानता, शिक्षा और महिला अधिकारों का प्रचार किया, जिससे आधुनिक भारत के लिए समतामूलक समाज का आधार तैयार हुआ।
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