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हालाँकि निष्पक्षता को लोक सेवा के प्रमुख नैतिक मूल्यों में से एक माना गया है, फिर भी इसे लोक सेवाओं में करुणा के प्रदर्शन में रुकावट के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए। इस पर चर्चा कीजिए। (150 शब्दों में उत्तर दीजिए)
निष्पक्षता और करुणा का संतुलन निष्पक्षता का महत्व परिभाषा: निष्पक्षता का मतलब है सभी के साथ समान व्यवहार करना, बिना किसी भेदभाव के। महत्त्व: यह सुनिश्चित करता है कि निर्णय तथ्यों और कानूनों पर आधारित हों। उदाहरण के लिए, हाल में निर्वाचन आयोग ने चुनावी प्रक्रिया में निष्पक्षता बनाए रखने के लिए कई सुधRead more
निष्पक्षता और करुणा का संतुलन
निष्पक्षता का महत्व
करुणा का योगदान
संतुलन की आवश्यकता
निष्कर्ष
इस प्रकार, निष्पक्षता और करुणा एक-दूसरे को मजबूत करते हैं। इन दोनों का संतुलन लोक सेवा की नैतिकता को बढ़ाता है और नागरिकों के विश्वास को मजबूत करता है।
See less“जलवायु परिवर्तन के संदर्भ में हरित अर्थव्यवस्था में परिवर्तन में भारत के सामने आने वाली चुनौतियों और अवसरों पर चर्चा करें। नवीन वित्तपोषण और नीतिगत उपाय इस परिवर्तन को कैसे सुविधाजनक बना सकते हैं?” (200 शब्द)
जलवायु परिवर्तन के संदर्भ में हरित अर्थव्यवस्था में परिवर्तन के लिए भारत के सामने कई चुनौतियाँ हैं। इनमें अपर्याप्त नवीकरणीय ऊर्जा अवसंरचना, जीवाश्म ईंधन पर अत्यधिक निर्भरता, और वित्तीय बाधाएँ शामिल हैं। उदाहरण के लिए, भारत का 77% बिजली उत्पादन कोयले से होता है, जिससे हरित ऊर्जा में संक्रमण कठिन होRead more
जलवायु परिवर्तन के संदर्भ में हरित अर्थव्यवस्था में परिवर्तन के लिए भारत के सामने कई चुनौतियाँ हैं। इनमें अपर्याप्त नवीकरणीय ऊर्जा अवसंरचना, जीवाश्म ईंधन पर अत्यधिक निर्भरता, और वित्तीय बाधाएँ शामिल हैं। उदाहरण के लिए, भारत का 77% बिजली उत्पादन कोयले से होता है, जिससे हरित ऊर्जा में संक्रमण कठिन हो जाता है। इसके साथ ही, जलवायु वित्त की कमी और नीतिगत अनिश्चितताएँ भी बाधाएं उत्पन्न करती हैं।
हालांकि, इस परिवर्तन के लिए कई अवसर भी मौजूद हैं। नवीकरणीय ऊर्जा, जैसे सौर और पवन ऊर्जा में निवेश बढ़ रहा है, और हरित हाइड्रोजन तथा संवहनीय कृषि के क्षेत्र में प्रगति हो रही है।
नवीन वित्तपोषण और नीतिगत उपाय इस परिवर्तन को सुविधाजनक बना सकते हैं। उदाहरण के लिए, हरित बॉंड और ग्रीन क्रेडिट गारंटी फंड जैसे तंत्रों के माध्यम से हरित परियोजनाओं में निवेश को प्रोत्साहित किया जा सकता है। इसके अलावा, नीतियों में स्थिरता और स्पष्टता लाने से निजी निवेशकों का विश्वास बढ़ेगा, जिससे हरित विकास की गति तेज होगी।
See lessभारत ने आर्थिक वृद्धि, महिला शिक्षा और प्रजनन दर जैसे कई विकासात्मक मानकों में महत्वपूर्ण प्रगति की है। इसके बावजूद, देश की महिला श्रम बल भागीदारी दर (FLFPR) वैश्विक स्तर पर सबसे कम है। इस पर चर्चा कीजिए और भारत में FLFPR को सुधारने के लिए सुझाव दीजिए। (250 शब्दों में उत्तर दें)
भारत ने आर्थिक वृद्धि और महिला शिक्षा में महत्वपूर्ण प्रगति की है, लेकिन महिला श्रम बल भागीदारी दर (FLFPR) 20.33% पर स्थिर है, जो 1993-94 में 40% थी। एक अध्ययन के अनुसार, प्रजनन बोझ, जैसे बच्चों की संख्या, FLFPR को नकारात्मक रूप से प्रभावित करता है। विशेष रूप से, जिन महिलाओं के पास तीन या अधिक बच्चेRead more
भारत ने आर्थिक वृद्धि और महिला शिक्षा में महत्वपूर्ण प्रगति की है, लेकिन महिला श्रम बल भागीदारी दर (FLFPR) 20.33% पर स्थिर है, जो 1993-94 में 40% थी। एक अध्ययन के अनुसार, प्रजनन बोझ, जैसे बच्चों की संख्या, FLFPR को नकारात्मक रूप से प्रभावित करता है। विशेष रूप से, जिन महिलाओं के पास तीन या अधिक बच्चे हैं, उनकी श्रम बाजार से बाहर निकलने की संभावना 3.5% अधिक है।
FLFPR को सुधारने के लिए, भारत को कई उपाय करने चाहिए। पहले, मातृत्व लाभ को बढ़ाना चाहिए, जिससे महिलाओं को काम पर लौटने में सहारा मिले। दूसरे, बेहतर बाल देखभाल सेवाएं, जैसे आंगनवाड़ी केंद्र, स्थापित किए जाने चाहिए। इसके अलावा, महिलाओं के लिए कौशल विकास कार्यक्रमों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए, ताकि वे औपचारिक रोजगार में भाग ले सकें।
अंत में, सामाजिक और सांस्कृतिक बाधाओं को दूर करने के लिए जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन आवश्यक है, ताकि महिलाओं को कार्यस्थल पर समानता का अनुभव हो। इन उपायों के माध्यम से, FLFPR को बढ़ाया जा सकता है, जिससे आर्थिक विकास में तेजी आएगी।
See lessभारत में प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्रों को उधारी के मुकाबले कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। इस संदर्भ में, एक नीतिगत उपाय के रूप में इसकी प्रभावशीलता पर चर्चा कीजिए। (150 शब्दों में उत्तर दें)
भारत में प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्रों को उधारी के लिए विभिन्न चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, जैसे कि ऋण-इतिहास की कमी और क्षेत्रीय असमानताएँ। हाल ही में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने स्टार्ट-अप क्षेत्र को प्राथमिक क्षेत्र उधारी (PSL) का दर्जा देकर इस समस्या को संबोधित किया है। इससे स्टार्ट-अप्स कोRead more
भारत में प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्रों को उधारी के लिए विभिन्न चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, जैसे कि ऋण-इतिहास की कमी और क्षेत्रीय असमानताएँ। हाल ही में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने स्टार्ट-अप क्षेत्र को प्राथमिक क्षेत्र उधारी (PSL) का दर्जा देकर इस समस्या को संबोधित किया है। इससे स्टार्ट-अप्स को बिना अपने स्वामित्त्व को खोए ऋण प्राप्त करने में आसानी होगी।
RBI के दिशा-निर्देशों के तहत, बैंकों के कुल शुद्ध ऋण का 40% प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्रों जैसे कृषि, शिक्षा, और सामाजिक अवसंरचना को वितरित करना अनिवार्य है। यह कदम न केवल वित्तीय समावेशिता को बढ़ावा देगा, बल्कि समावेशी विकास को भी प्रोत्साहित करेगा। उदाहरण के लिए, कृषि के लिए 18% ऋण का लक्ष्य निर्धारित किया गया है, जिससे लघु और सीमांत किसानों को सहायता मिलेगी।
इस नीति के तहत प्राथमिकता क्षेत्र ऋण प्रमाणपत्र (PSLC) का प्रावधान भी है, जो बैंकों को अपनी अतिरिक्त उपलब्धियों को बेचने और प्राथमिकता क्षेत्र में अधिक उधारी देने के लिए प्रोत्साहित करता है। यह तंत्र आर्थिक दृष्टि से कमजोर वर्गों के लिए अधिक वित्तीय सहायता उपलब्ध कराने में सहायक होगा।
इस प्रकार, RBI का यह नीतिगत उपाय प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्रों को उधारी के महत्व को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
See lessहालाँकि रुपये के अंतर्राष्ट्रीयकरण के कई लाभ हैं, फिर भी इसके साथ कुछ जोखिम जुड़े हुए हैं। इस पर चर्चा कीजिए। (150 शब्दों में उत्तर दीजिए)
रुपये के अंतर्राष्ट्रीयकरण के लाभों में विदेशी मुद्राओं पर निर्भरता कम करना, वैश्विक व्यापार में वृद्धि, और बेहतर मौद्रिक नीति प्रभावशीलता शामिल हैं। उदाहरण के लिए, रुपये के अंतर्राष्ट्रीयकरण से भारत को अमेरिकी डॉलर जैसी विदेशी मुद्राओं पर निर्भरता कम करने में मदद मिलेगी, जिससे आर्थिक संप्रभुता बढ़ेRead more
रुपये के अंतर्राष्ट्रीयकरण के लाभों में विदेशी मुद्राओं पर निर्भरता कम करना, वैश्विक व्यापार में वृद्धि, और बेहतर मौद्रिक नीति प्रभावशीलता शामिल हैं। उदाहरण के लिए, रुपये के अंतर्राष्ट्रीयकरण से भारत को अमेरिकी डॉलर जैसी विदेशी मुद्राओं पर निर्भरता कम करने में मदद मिलेगी, जिससे आर्थिक संप्रभुता बढ़ेगी।
हालांकि, इसके साथ कई जोखिम भी जुड़े हैं। सबसे बड़ा जोखिम विनिमय दर की अस्थिरता है। रुपये के मूल्य में उतार-चढ़ाव व्यापार प्रतिस्पर्धात्मकता को प्रभावित कर सकता है। इसके अलावा, पूंजी पलायन की संभावना भी है, जिसके कारण देश के विदेशी मुद्रा भंडार पर दबाव पड़ सकता है। उदाहरण के लिए, यदि निवेशक रुपये में भरोसा खो दें, तो इससे वित्तीय स्थिरता को खतरा हो सकता है।
भारत में अभी भी पूंजी नियंत्रण लागू हैं, जो रुपये के अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा के रूप में उपयोग को सीमित करते हैं। इसके अलावा, रुपये को अमेरिकी डॉलर और यूरो जैसी प्रतिस्पर्धी मुद्राओं से प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ सकता है। अंततः, रुपये के अंतर्राष्ट्रीयकरण की प्रक्रिया में आत्मविश्वास और धारणा भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
See lessउत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (PLI) योजना आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में सरकार की एक महत्वपूर्ण पहल है। इस पर चर्चा करें और साथ ही इसके उद्देश्यों को पूरा करने में आने वाली चुनौतियों का उल्लेख करें। (उत्तर 150 शब्दों में दीजिए)
उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (PLI) योजना आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में सरकार की एक महत्वपूर्ण पहल है। PLI योजना का उद्देश्य: विनिर्माण क्षमता में वृद्धि: 14 प्रमुख क्षेत्रों में निवेश आकर्षित करना, जैसे मोबाइल विनिर्माण, फार्मास्यूटिकल्स, ऑटोमोबाइल, विशेष इस्पात, दूरसंचार, इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद, व्हाइRead more
उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (PLI) योजना आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में सरकार की एक महत्वपूर्ण पहल है।
PLI योजना का उद्देश्य:
प्राप्त उपलब्धियां:
चुनौतियाँ:
इन चुनौतियों के बावजूद, PLI योजना ने भारत की विनिर्माण क्षमताओं और निर्यात में उल्लेखनीय प्रगति की है, जो आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
See lessभारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मनोरंजन बाजार है। इस संदर्भ में, भारत में एनीमेशन और VFX उद्योग के विकास और प्रगति के लिए जिम्मेदार कारणों का विश्लेषण कीजिए। (150 शब्दों में उत्तर दें)
भारत, दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मनोरंजन बाजार, एनीमेशन और VFX उद्योग में तेजी से प्रगति कर रहा है। इस विकास के पीछे कई प्रमुख कारण हैं: तकनीकी नवाचार और वैश्विक मान्यता भारतीय फिल्म उद्योग में 'RRR' और 'ब्रह्मास्त्र' जैसी फिल्मों ने VFX के माध्यम से वैश्विक स्तर पर पहचान बनाई है। सरकारी समर्थन और पहRead more
भारत, दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मनोरंजन बाजार, एनीमेशन और VFX उद्योग में तेजी से प्रगति कर रहा है। इस विकास के पीछे कई प्रमुख कारण हैं:
तकनीकी नवाचार और वैश्विक मान्यता
सरकारी समर्थन और पहल
रोजगार के बढ़ते अवसर
शैक्षिक संस्थानों की भागीदारी
इन सभी कारकों ने मिलकर भारत में एनीमेशन और VFX उद्योग के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जिससे यह क्षेत्र निरंतर प्रगति की ओर अग्रसर है।
See lessपूंजी खाता परिवर्तनीयता से आपकी क्या समझ है? भारत के लिए पूंजी खाते की पूर्ण परिवर्तनीयता के लाभ और हानियों का वर्णन कीजिए। (200 words)
पूंजी खाता परिवर्तनीयता (Capital Account Convertibility) परिभाषा पूंजी खाता परिवर्तनीयता का मतलब है कि एक देश में पूंजी प्रवाह (जैसे निवेश, उधारी, और ऋण) को बिना किसी प्रतिबंध के अंतरराष्ट्रीय बाजारों में स्थानांतरित किया जा सकता है। इसका उद्देश्य विदेशी निवेशकों और घरेलू निवेशकों के बीच पूंजी का स्Read more
पूंजी खाता परिवर्तनीयता (Capital Account Convertibility)
परिभाषा
पूंजी खाता परिवर्तनीयता का मतलब है कि एक देश में पूंजी प्रवाह (जैसे निवेश, उधारी, और ऋण) को बिना किसी प्रतिबंध के अंतरराष्ट्रीय बाजारों में स्थानांतरित किया जा सकता है। इसका उद्देश्य विदेशी निवेशकों और घरेलू निवेशकों के बीच पूंजी का स्वतंत्र रूप से आदान-प्रदान करना है।
भारत के लिए पूंजी खाता परिवर्तनीयता के लाभ
भारत के लिए पूंजी खाता परिवर्तनीयता के नुकसान
निष्कर्ष
See lessभारत के लिए पूंजी खाता परिवर्तनीयता के लाभ और नुकसान दोनों हैं। इससे पहले कुछ संरचनात्मक सुधारों की आवश्यकता है ताकि इसके लाभ को सही तरीके से इस्तेमाल किया जा सके और नुकसान को कम किया जा सके।
उन कारणों को सूचीबद्ध कीजिए, जिन्होंने स्थायी बंदोबस्त प्रणाली की स्थापना को प्रेरित किया। साथ ही, इसके परिणामों का विश्लेषण कीजिए। (200 words)
स्थायी बंदोबस्त प्रणाली के कारण और परिणाम स्थायी बंदोबस्त के कारण: आर्थिक लाभ: ब्रिटिश कंपनी चाहती थी कि उसकी आय स्थिर और सुनिश्चित हो। स्थानीय प्रशासन में सुधार: कर संग्रहण में सुधार के लिए ब्रिटिश सरकार ने ज़मींदारी व्यवस्था बनाई। किसानों पर नियंत्रण: ज़मींदारों के माध्यम से किसानों से कर वसूली आसRead more
स्थायी बंदोबस्त प्रणाली के कारण और परिणाम
स्थायी बंदोबस्त के कारण:
परिणाम:
प्रथम विश्व युद्ध के पीछे के मूल कारण साम्राज्यवादी देशों के बीच प्रतिस्पर्धा और संघर्ष थे। इस विषय पर विस्तार से चर्चा करें। (200 words)
प्रथम विश्व युद्ध के पीछे साम्राज्यवादी देशों की प्रतिस्पर्धा प्रथम विश्व युद्ध (1914-1918) के प्रमुख कारणों में से एक साम्राज्यवादी देशों के बीच प्रतिस्पर्धा और संघर्ष थे। प्रमुख यूरोपीय शक्तियाँ जैसे ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, और ऑस्ट्रो-हंगरी अपने-अपने साम्राज्य का विस्तार करना चाहती थीं, जिसके कारRead more
प्रथम विश्व युद्ध के पीछे साम्राज्यवादी देशों की प्रतिस्पर्धा
प्रथम विश्व युद्ध (1914-1918) के प्रमुख कारणों में से एक साम्राज्यवादी देशों के बीच प्रतिस्पर्धा और संघर्ष थे। प्रमुख यूरोपीय शक्तियाँ जैसे ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, और ऑस्ट्रो-हंगरी अपने-अपने साम्राज्य का विस्तार करना चाहती थीं, जिसके कारण टकराव बढ़ा।
साम्राज्यवादी संघर्ष:
सैन्य दौड़:
विवादित क्षेत्र:
इस प्रकार, साम्राज्यवादी प्रतिस्पर्धा, सैन्य दौड़, और संघर्ष ने प्रथम विश्व युद्ध को जन्म दिया।
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