चूंकि भारत अपने पड़ोस की पुनः कल्पना कर रहा है, इसलिए उप-क्षेत्रों के माध्यम से सीमा पार कनेक्टिविटी तेजी से महत्वपूर्ण होती जा रही है। विश्लेषण कीजिए। (250 शब्दों में उत्तर दीजिए)
भारतीय डायस्पोरा, जो विभिन्न देशों में फैला हुआ है, भारत के आर्थिक और विदेश नीति के हितों को साकार करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह डायस्पोरा भारत की छवि को वैश्विक स्तर पर मजबूत करने, विदेशी निवेश को आकर्षित करने और भारत के सांस्कृतिक कूटनीति को बढ़ावा देने में सहायक होता है। हालांकि, भाRead more
भारतीय डायस्पोरा, जो विभिन्न देशों में फैला हुआ है, भारत के आर्थिक और विदेश नीति के हितों को साकार करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह डायस्पोरा भारत की छवि को वैश्विक स्तर पर मजबूत करने, विदेशी निवेश को आकर्षित करने और भारत के सांस्कृतिक कूटनीति को बढ़ावा देने में सहायक होता है।
हालांकि, भारतीय डायस्पोरा को कुछ प्रमुख चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। इनमें सांस्कृतिक पहचान को बनाए रखना, स्थानीय समाज में समरसता स्थापित करना, और भारतीय मूल के नागरिकों की पहचान और अधिकारों को सुनिश्चित करना शामिल है। इसके अतिरिक्त, प्रवासियों को स्थानीय कानूनी और प्रशासनिक सिस्टम के साथ समन्वय में कठिनाइयाँ आ सकती हैं, और कभी-कभी सांस्कृतिक भिन्नताओं के कारण उन्हें भेदभाव का सामना भी करना पड़ सकता है।
इन चुनौतियों का समाधान करने के लिए भारत सरकार ने कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। भारतीय सरकार ने ‘प्रवासी भारतीय दिवस’ जैसे कार्यक्रमों का आयोजन किया है जो डायस्पोरा के साथ सांस्कृतिक और व्यावसायिक जुड़ाव को प्रोत्साहित करते हैं। इसके अतिरिक्त, NRI (नॉन-रेसिडेंट इंडियन) और PIO (पीआईओ) कार्डों के माध्यम से, प्रवासियों को भारत में विशेष सुविधाएँ और अधिकार प्रदान किए गए हैं। भारत सरकार ने विभिन्न देशों में भारतीय मिशनों को मजबूत किया है ताकि प्रवासियों को सहायता और मार्गदर्शन मिल सके।
इन प्रयासों के माध्यम से, भारतीय सरकार अपने डायस्पोरा के साथ बेहतर संवाद स्थापित करने और उनके हितों को संरक्षित करने में सक्षम रही है, जिससे भारतीय डायस्पोरा की वैश्विक भूमिका और प्रभाव को बढ़ावा मिला है।
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भारत का पड़ोसी क्षेत्र, विशेषकर दक्षिण एशिया, क्षेत्रीय कनेक्टिविटी और सहयोग में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। सीमा पार कनेक्टिविटी की प्रक्रिया को पुनः कल्पित करने के प्रयासों के तहत, भारत विभिन्न उप-क्षेत्रीय पहलुओं पर ध्यान केंद्रित कर रहा है जो आर्थिक विकास, क्षेत्रीय सुरक्षा, और सामाजिक समन्वय कRead more
भारत का पड़ोसी क्षेत्र, विशेषकर दक्षिण एशिया, क्षेत्रीय कनेक्टिविटी और सहयोग में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। सीमा पार कनेक्टिविटी की प्रक्रिया को पुनः कल्पित करने के प्रयासों के तहत, भारत विभिन्न उप-क्षेत्रीय पहलुओं पर ध्यान केंद्रित कर रहा है जो आर्थिक विकास, क्षेत्रीय सुरक्षा, और सामाजिक समन्वय को प्रोत्साहित करते हैं।
पहली चुनौती सीमा पार कनेक्टिविटी में बुनियादी ढांचे की कमी है। भारत ने इस दिशा में कई महत्वपूर्ण परियोजनाएं शुरू की हैं जैसे कि भारत-बांग्लादेश सीमा पर सड़क और रेल नेटवर्क का विस्तार। ये परियोजनाएं व्यापार और आर्थिक गतिविधियों को सरल बनाती हैं, जो न केवल भारत बल्कि पड़ोसी देशों के लिए भी लाभकारी हैं।
दूसरी चुनौती क्षेत्रीय सुरक्षा की है। सीमा पार कनेक्टिविटी को बढ़ावा देने के साथ-साथ, भारत सुरक्षा मामलों को भी संज्ञान में ले रहा है। इसके लिए, वह बांग्लादेश, नेपाल और भूटान जैसे देशों के साथ सुरक्षा सहयोग को मजबूत कर रहा है ताकि सीमा पार अपराध और आतंकवाद को रोका जा सके।
तीसरी चुनौती क्षेत्रीय एकता को बढ़ावा देना है। भारत ने दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संघ (SAARC) और अन्य उप-क्षेत्रीय समूहों के माध्यम से सहयोग को प्रोत्साहित किया है। इसके अलावा, भारत ने “साउथ एशिया गेटवे” जैसे प्रस्तावित कार्यक्रमों के माध्यम से समृद्धि और संपर्क को बढ़ाने की दिशा में कदम उठाए हैं।
इन पहलुओं के माध्यम से, भारत अपने पड़ोसी देशों के साथ संपर्क और सहयोग को मजबूत कर रहा है, जो न केवल क्षेत्रीय समृद्धि को बढ़ावा देता है बल्कि राजनीतिक और आर्थिक स्थिरता भी सुनिश्चित करता है।
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