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'हेरिटेज आर्क' क्या है? पर्यटन संभावनाओं की दृष्टि से उत्तर प्रदेश में इसके महत्त्व को रेखांकित कीजिये। (125 Words) [UPPSC 2019]
हेरिटेज आर्क: परिभाषा और उत्तर प्रदेश में महत्व हेरिटेज आर्क एक सांस्कृतिक और ऐतिहासिक मार्ग है जो प्राचीन और ऐतिहासिक स्थलों को जोड़ता है। यह भारतीय इतिहास और सांस्कृतिक धरोहर के समृद्ध उदाहरणों को प्रदर्शित करने वाले क्षेत्रीय मार्ग का प्रतिनिधित्व करता है। उत्तर प्रदेश में महत्व **1. प्रमुख ऐतिहाRead more
हेरिटेज आर्क: परिभाषा और उत्तर प्रदेश में महत्व
हेरिटेज आर्क एक सांस्कृतिक और ऐतिहासिक मार्ग है जो प्राचीन और ऐतिहासिक स्थलों को जोड़ता है। यह भारतीय इतिहास और सांस्कृतिक धरोहर के समृद्ध उदाहरणों को प्रदर्शित करने वाले क्षेत्रीय मार्ग का प्रतिनिधित्व करता है।
उत्तर प्रदेश में महत्व
**1. प्रमुख ऐतिहासिक स्थल
उत्तर प्रदेश में हेरिटेज आर्क में आगरा, लखनऊ, और इलाहाबाद जैसे शहर शामिल हैं। आगरा में ताज महल, लखनऊ में बादशाही मस्जिद, और इलाहाबाद में प्रयागराज कुम्भ मेला ऐतिहासिक महत्व रखते हैं।
**2. पर्यटन संभावनाएँ
इस मार्ग पर स्थित स्थल सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर के समृद्ध उदाहरण प्रदान करते हैं, जिससे सांस्कृतिक पर्यटन और आकर्षण को बढ़ावा मिलता है। उदाहरण के लिए, आगरा का ताज महल वैश्विक पर्यटन स्थल है, जो हर साल लाखों पर्यटकों को आकर्षित करता है।
**3. आर्थिक लाभ
हेरिटेज आर्क के माध्यम से पर्यटन को बढ़ावा देने से स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलती है और नौकरियों का सृजन होता है।
इस प्रकार, उत्तर प्रदेश में हेरिटेज आर्क की महत्वपूर्ण भूमिका है, जो सांस्कृतिक पर्यटन और आर्थिक विकास के लिए अत्यंत लाभकारी है।
See lessआप उसे कौन-सा रास्ता अपनाने की सलाह देंगे और क्यों देंगे ? (250 words) [UPSC 2016]
सुझाव: सबसे उपयुक्त मार्ग और कारण सुझाव: सख्त नियामक अनुपालन और पारदर्शिता **1. नियमों का पालन सुनिश्चित करना किसी भी संगठन को कानूनी और नियामक मानकों का पालन करना सबसे प्राथमिकता होनी चाहिए। हाल ही में, फेसबुक और गूगल जैसी कंपनियों ने डेटा सुरक्षा उल्लंघनों के कारण भारी जुर्माना भरा और उनके लिए नएRead more
सुझाव: सबसे उपयुक्त मार्ग और कारण
सुझाव: सख्त नियामक अनुपालन और पारदर्शिता
**1. नियमों का पालन सुनिश्चित करना
किसी भी संगठन को कानूनी और नियामक मानकों का पालन करना सबसे प्राथमिकता होनी चाहिए। हाल ही में, फेसबुक और गूगल जैसी कंपनियों ने डेटा सुरक्षा उल्लंघनों के कारण भारी जुर्माना भरा और उनके लिए नए अनुपालन नियमों को लागू किया। इसी प्रकार, खाद्य कंपनी को भी भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) के सभी नियमों का सख्ती से पालन करना चाहिए। इससे उत्पाद की गुणवत्ता सुनिश्चित होगी और भविष्य में किसी भी कानूनी विवाद से बचा जा सकेगा।
**2. पारदर्शिता और ग्राहकों के प्रति जिम्मेदारी
कंपनी को अपनी गलतियों को स्वीकार करते हुए पारदर्शिता दिखानी चाहिए। जैसे कि डोडो पिज्जा ने अपने एक खाद्य गुणवत्ता संकट के बाद ग्राहकों को स्पष्ट जानकारी और उत्पादों की गारंटी देने के लिए कदम उठाए। कंपनी को अपने ग्राहकों को स्थिति के बारे में स्पष्ट रूप से सूचित करना चाहिए और जिन उत्पादों में समस्या है, उन्हें तुरंत मार्केट से हटाना चाहिए। इससे ग्राहकों का विश्वास पुनः प्राप्त होगा।
**3. सुधारात्मक उपाय और ब्रांड पुनर्निर्माण
कंपनी को सुधारात्मक उपाय लागू करने चाहिए और एक ठोस ब्रांड पुनर्निर्माण रणनीति विकसित करनी चाहिए। मैगी नूडल्स संकट के दौरान, Nestlé ने ब्रांड छवि को पुनर्निर्मित करने के लिए सुरक्षा मानकों में सुधार किया और ग्राहकों के साथ सक्रिय संवाद किया। कंपनी को भी ऐसे ही कदम उठाने चाहिए जैसे कि गुणवत्ता नियंत्रण में सुधार और सार्वजनिक संबंध प्रबंधन।
**4. आंतरिक निगरानी और प्रशिक्षण
आंतरिक गुणवत्ता निगरानी को मजबूत करना और कर्मचारी प्रशिक्षण को बढ़ावा देना चाहिए। हाल ही में, Apple ने अपने आपूर्तिकर्ताओं के लिए सख्त गुणवत्ता और एथिक्स मानक लागू किए हैं। यह सुनिश्चित करता है कि सभी स्तरों पर नियमों का पालन हो।
सारांश
See lessकंपनी को नियामक अनुपालन, पारदर्शिता, और सुधारात्मक उपायों के माध्यम से अपनी स्थिति सुधारनी चाहिए। यह न केवल कानूनी और नैतिक दृष्टिकोण से उचित है, बल्कि दीर्घकालिक स्थिरता और ग्राहक विश्वास के लिए भी महत्वपूर्ण है।
नीतिशास्त्र केस स्टडी
प्रस्तावित कार्रवाई और समाधान a. खाद्य कंपनी के खिलाफ कार्रवाई **1. कानूनी और नियामक कार्रवाई खाद्य कंपनी द्वारा घरेलू मानकों का उल्लंघन और अस्वीकृत निर्यात उत्पादों की बिक्री के लिए सक्षम प्राधिकारी को कठोर कदम उठाने चाहिए। इसमें नोटिस जारी करना, जुर्माना लगाना, और उत्पाद की वापसी शामिल हो सकते हैंRead more
प्रस्तावित कार्रवाई और समाधान
a. खाद्य कंपनी के खिलाफ कार्रवाई
**1. कानूनी और नियामक कार्रवाई
खाद्य कंपनी द्वारा घरेलू मानकों का उल्लंघन और अस्वीकृत निर्यात उत्पादों की बिक्री के लिए सक्षम प्राधिकारी को कठोर कदम उठाने चाहिए। इसमें नोटिस जारी करना, जुर्माना लगाना, और उत्पाद की वापसी शामिल हो सकते हैं। उदाहरण के लिए, भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) द्वारा ऐसे मामलों में खाद्य उत्पाद को बाजार से हटाया जा सकता है और कंपनी को दंडित किया जा सकता है।
**2. सख्त निगरानी और निरीक्षण
आगे के उल्लंघनों को रोकने के लिए, सक्षम प्राधिकारी को खाद्य कंपनी के उत्पादन और बिक्री प्रक्रियाओं पर नियमित निगरानी और कठोर निरीक्षण करना चाहिए। इससे यह सुनिश्चित होगा कि भविष्य में मानकों का उल्लंघन न हो।
b. संकट समाधान और प्रतिष्ठा की पुनर्प्राप्ति
**1. पारदर्शिता और सुधारात्मक उपाय
कंपनी को अपनी गलती को स्वीकार करना और पारदर्शी तरीके से समस्या का समाधान प्रस्तुत करना चाहिए। इसमें ग्राहक सूचना, उत्पाद recalls, और सुधारात्मक उपायों की घोषणा शामिल हो सकती है। उदाहरण के लिए, Nestlé इंडिया ने अपने Maggi Noodles संकट के दौरान पारदर्शी तरीके से काम किया और नए सुरक्षा मानकों के साथ उत्पाद को वापस लाया।
**2. ब्रांड पुनर्निर्माण
कंपनी को ब्रांड पुनर्निर्माण की रणनीति अपनानी चाहिए, जिसमें सुधारात्मक विज्ञापन, ग्राहक संवाद, और सामाजिक जिम्मेदारी के कार्यक्रम शामिल हो सकते हैं। इसके माध्यम से, कंपनी अपनी खोई हुई प्रतिष्ठा को बहाल कर सकती है और उपभोक्ताओं के विश्वास को पुनः प्राप्त कर सकती है।
नैतिक दुविधा की जाँच
इस प्रकरण में नैतिक दुविधा यह है कि कंपनी ने मुनाफे के लिए स्वास्थ्य मानकों की अनदेखी की और उपभोक्ता की सुरक्षा को प्राथमिकता नहीं दी। इससे न केवल उपभोक्ताओं की स्वास्थ्य जोखिम में डाली गई बल्कि कंपनी की सामाजिक जिम्मेदारी की भी उल्लंघना की गई। नैतिक दृष्टिकोण से, व्यापारिक निर्णयों को पारदर्शिता, सुरक्षा, और उपभोक्ता के प्रति जिम्मेदारी के सिद्धांतों पर आधारित होना चाहिए।
इन उपायों और नैतिक चिंताओं के समाधान से खाद्य कंपनी को न केवल वर्तमान संकट को पार करने में मदद मिलेगी, बल्कि भविष्य में एक मजबूत और भरोसेमंद ब्रांड के रूप में स्थापित होने में भी सहायता मिलेगी।
See lessUse of Internet and social media by non-state actors for subversive activities is a major security concern. How have these been misused in the recent past? Suggest effective guidelines to curb the above threat. (200 words) [UPSC 2016]
Misuse of Internet and Social Media by Non-State Actors The misuse of the Internet and social media by non-state actors for subversive activities poses significant security concerns. Recent instances illustrate the extent of this misuse: **1. Spread of Extremist Ideologies Non-state actors, such asRead more
Misuse of Internet and Social Media by Non-State Actors
The misuse of the Internet and social media by non-state actors for subversive activities poses significant security concerns. Recent instances illustrate the extent of this misuse:
**1. Spread of Extremist Ideologies
Non-state actors, such as terrorist groups, use social media platforms to spread extremist ideologies and recruit followers. For example, ISIS has used platforms like Twitter and Facebook to propagate its propaganda and recruit global jihadists. The group’s sophisticated online presence enabled them to attract and radicalize individuals worldwide.
**2. Coordination of Terrorist Activities
Social media and encrypted messaging apps facilitate the coordination of terrorist activities. The 2019 Christchurch mosque shootings were partially planned and coordinated using online platforms, showcasing how attackers use digital channels to communicate and execute their plans.
**3. Disinformation Campaigns
Non-state actors engage in disinformation campaigns to undermine societal trust and spread chaos. Recent Russian disinformation campaigns during the 2016 U.S. presidential election exemplify how false information can be used to influence political outcomes and destabilize democracies.
Guidelines to Curb the Threat
**1. Enhanced Monitoring and Intelligence
Governments and tech companies should invest in advanced monitoring tools and artificial intelligence to detect and disrupt extremist content and illegal activities online. For example, collaboration between platforms like Facebook and law enforcement has led to the removal of thousands of terrorist-related accounts.
**2. Stronger Regulations and Policies
Implement and enforce stricter regulations on content moderation and reporting mechanisms. Countries like Germany have introduced laws requiring social media companies to remove hate speech and extremist content promptly.
**3. Public Awareness and Education
Promote digital literacy and public awareness programs to help users identify and report extremist content and misinformation. Educational initiatives can empower individuals to recognize and resist radicalization efforts online.
By implementing these guidelines, the threat posed by non-state actors using the Internet and social media for subversive activities can be significantly mitigated.
See lessक्या आप इस मत से सहमत हैं कि विकास हेतु दाता अभिकरणों पर बढ़ती निर्भरता विकास प्रक्रिया में सामुदायिक भागीदारी के महत्त्व को घटाती है? अपने उत्तर के औचित्य को सिद्ध कीजिए । (250 words) [UPSC 2022]
जर्मनी की जिम्मेदारी: दो विश्व युद्धों का कारण बनने में जर्मनी को दो विश्व युद्धों के कारणों में जिम्मेदार ठहराने का प्रश्न जटिल और बहु-आयामी है। **1. पहला विश्व युद्ध (1914-1918) पहले विश्व युद्ध में जर्मनी की भूमिका महत्वपूर्ण लेकिन एकमात्र नहीं थी। जर्मनी ने ऑस्ट्रिया-हंगरी को गारंटी दी, जो आर्कडRead more
जर्मनी की जिम्मेदारी: दो विश्व युद्धों का कारण बनने में
जर्मनी को दो विश्व युद्धों के कारणों में जिम्मेदार ठहराने का प्रश्न जटिल और बहु-आयामी है।
**1. पहला विश्व युद्ध (1914-1918)
पहले विश्व युद्ध में जर्मनी की भूमिका महत्वपूर्ण लेकिन एकमात्र नहीं थी। जर्मनी ने ऑस्ट्रिया-हंगरी को गारंटी दी, जो आर्कड्यूक फ्रांज फर्डिनेंड की हत्या के बाद युद्ध की ओर ले गई। जर्मनी का श्लीफेन योजना, जो फ्रांस पर त्वरित आक्रमण का प्रस्ताव था, युद्ध को बढ़ाने में एक प्रमुख कारण था। हालांकि, यह युद्ध कई देशों की गठबंधनों और जटिल कूटनीतिक संघर्षों का परिणाम था।
**2. दूसरा विश्व युद्ध (1939-1945)
दूसरे विश्व युद्ध में जर्मनी की भूमिका अधिक प्रत्यक्ष थी। एडॉल्फ हिटलर की नेतृत्व में, जर्मनी ने आक्रामक विस्तारवादी नीतियों को अपनाया, जिसमें पोलैंड पर आक्रमण प्रमुख था, जिसने युद्ध को शुरू किया। हिटलर की नाज़ी विचारधारा और अधिकारी शासन ने युद्ध के दौरान व्यापक उत्पीड़न और नरसंहार को जन्म दिया।
**3. वर्तमान संदर्भ और विश्लेषण
हाल के विश्लेषण और ऐतिहासिक पुनरावलोकन से पता चलता है कि जबकि जर्मनी की भूमिका महत्वपूर्ण थी, युद्धों के कारण बहुपरकारी थे। वर्साय संधि की कठोर शर्तें और अंतरराष्ट्रीय कूटनीति की विफलता ने जर्मनी में चरमपंथ और सैन्यवाद को बढ़ावा दिया।
अतः, जर्मनी को दोनों विश्व युद्धों के कारणों में प्रमुख माना जा सकता है, लेकिन इन युद्धों की जटिलता और अन्य वैश्विक शक्तियों की भूमिका भी महत्वपूर्ण है।
See lessकिस सीमा तक जर्मनी को दो विश्व युद्धों का कारण बनने का जिम्मेदार ठहराया जा सकता है ? समालोचनात्मक चर्चा कीजिये। (200 words) [UPSC 2015]
जर्मनी की जिम्मेदारी: दो विश्व युद्धों का कारण बनने में जर्मनी को दो विश्व युद्धों के कारणों में जिम्मेदार ठहराने का प्रश्न जटिल और बहु-आयामी है। **1. पहला विश्व युद्ध (1914-1918) पहले विश्व युद्ध में जर्मनी की भूमिका महत्वपूर्ण लेकिन एकमात्र नहीं थी। जर्मनी ने ऑस्ट्रिया-हंगरी को गारंटी दी, जो आर्कडRead more
जर्मनी की जिम्मेदारी: दो विश्व युद्धों का कारण बनने में
जर्मनी को दो विश्व युद्धों के कारणों में जिम्मेदार ठहराने का प्रश्न जटिल और बहु-आयामी है।
**1. पहला विश्व युद्ध (1914-1918)
पहले विश्व युद्ध में जर्मनी की भूमिका महत्वपूर्ण लेकिन एकमात्र नहीं थी। जर्मनी ने ऑस्ट्रिया-हंगरी को गारंटी दी, जो आर्कड्यूक फ्रांज फर्डिनेंड की हत्या के बाद युद्ध की ओर ले गई। जर्मनी का श्लीफेन योजना, जो फ्रांस पर त्वरित आक्रमण का प्रस्ताव था, युद्ध को बढ़ाने में एक प्रमुख कारण था। हालांकि, यह युद्ध कई देशों की गठबंधनों और जटिल कूटनीतिक संघर्षों का परिणाम था।
**2. दूसरा विश्व युद्ध (1939-1945)
दूसरे विश्व युद्ध में जर्मनी की भूमिका अधिक प्रत्यक्ष थी। एडॉल्फ हिटलर की नेतृत्व में, जर्मनी ने आक्रामक विस्तारवादी नीतियों को अपनाया, जिसमें पोलैंड पर आक्रमण प्रमुख था, जिसने युद्ध को शुरू किया। हिटलर की नाज़ी विचारधारा और अधिकारी शासन ने युद्ध के दौरान व्यापक उत्पीड़न और नरसंहार को जन्म दिया।
**3. वर्तमान संदर्भ और विश्लेषण
हाल के विश्लेषण और ऐतिहासिक पुनरावलोकन से पता चलता है कि जबकि जर्मनी की भूमिका महत्वपूर्ण थी, युद्धों के कारण बहुपरकारी थे। वर्साय संधि की कठोर शर्तें और अंतरराष्ट्रीय कूटनीति की विफलता ने जर्मनी में चरमपंथ और सैन्यवाद को बढ़ावा दिया।
अतः, जर्मनी को दोनों विश्व युद्धों के कारणों में प्रमुख माना जा सकता है, लेकिन इन युद्धों की जटिलता और अन्य वैश्विक शक्तियों की भूमिका भी महत्वपूर्ण है।
See lessTo what extent can Germany be held responsible for causing the two World Wars? Discuss critically. (200 words) [UPSC 2015]
Germany’s Responsibility for the Two World Wars Germany's role in instigating the two World Wars is a subject of significant historical debate. Here’s a critical analysis of its responsibility: **1. World War I (1914-1918) Germany's responsibility in World War I is evident but not absolute. The JulyRead more
Germany’s Responsibility for the Two World Wars
Germany’s role in instigating the two World Wars is a subject of significant historical debate. Here’s a critical analysis of its responsibility:
**1. World War I (1914-1918)
Germany’s responsibility in World War I is evident but not absolute. The July Crisis of 1914 escalated tensions across Europe, but Germany’s blank check assurance to Austria-Hungary, following the assassination of Archduke Franz Ferdinand, significantly contributed to the war’s outbreak. Germany’s aggressive stance, exemplified by the Schlieffen Plan which sought to quickly defeat France before turning to Russia, further exacerbated the conflict. However, the war involved multiple alliances and nationalistic fervor across Europe.
**2. World War II (1939-1945)
Germany’s role in World War II is more direct. Under Adolf Hitler’s leadership, Germany pursued an aggressive expansionist policy, including the invasion of Poland in 1939, which directly triggered the war. The Nazi ideology and totalitarian regime led to widespread atrocities, including the Holocaust. Germany’s actions, such as the reoccupation of the Rhineland and the Munich Agreement, demonstrated a clear intent to challenge and destabilize the existing international order.
**3. Recent Analysis and Context
Modern analyses, including historical reassessments and diplomatic studies, suggest that while Germany played a crucial role in both conflicts, the causes were multi-faceted involving other major powers’ actions, alliances, and failures in diplomacy. For example, the Versailles Treaty’s harsh terms on Germany contributed to the rise of extremism and militarism, indirectly fostering the conditions for World War II.
In conclusion, while Germany bears significant responsibility, the causes of both World Wars were complex and involved various international factors.
See lessपिछली शताब्दी के तीसरे दशक से भारतीय स्वतंत्रता की स्वप्न दृष्टि के साथ सम्बद्ध हो गए नए उद्देश्यों के महत्त्व को उजागर कीजिए। (250 words) [UPSC 2017]
पिछली शताब्दी के तीसरे दशक के नए उद्देश्यों की महत्ता पिछली शताब्दी के तीसरे दशक (1930-1940) में भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में एक नया मोड़ आया, जिसमें नए उद्देश्यों और दृष्टिकोणों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इन नए उद्देश्यों ने स्वतंत्रता संग्राम को न केवल एक नई दिशा दी, बल्कि इसे व्यापक और प्रभावशालRead more
पिछली शताब्दी के तीसरे दशक के नए उद्देश्यों की महत्ता
पिछली शताब्दी के तीसरे दशक (1930-1940) में भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में एक नया मोड़ आया, जिसमें नए उद्देश्यों और दृष्टिकोणों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इन नए उद्देश्यों ने स्वतंत्रता संग्राम को न केवल एक नई दिशा दी, बल्कि इसे व्यापक और प्रभावशाली बना दिया।
**1. नवीन दृष्टिकोण और आंदोलन
1930 में महात्मा गांधी ने नमक सत्याग्रह के माध्यम से अंग्रेजी सरकार के खिलाफ व्यापक जन आंदोलन शुरू किया। यह आंदोलन सविनय अवज्ञा आंदोलन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा था, जिसने जनसाधारण को सीधे संघर्ष में शामिल किया। इस प्रकार, गांधीजी ने स्वतंत्रता संग्राम को केवल एक राजनीतिक संघर्ष नहीं, बल्कि एक सामाजिक और आर्थिक आंदोलन भी बना दिया।
**2. आर्थिक स्वतंत्रता की दिशा
1930 के दशक में गांधीजी ने स्वदेशी वस्त्र और स्वदेशी उद्योगों को बढ़ावा देने पर जोर दिया। इससे भारतीय जनता की आर्थिक आत्मनिर्भरता के प्रति जागरूकता बढ़ी और औपनिवेशिक अर्थव्यवस्था के खिलाफ एक महत्वपूर्ण संघर्ष छेड़ा गया। हाल ही में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत अभियान का उद्देश्य भी इसी सोच को आगे बढ़ाता है, जिससे देश की आर्थिक स्वतंत्रता और आत्मनिर्भरता को बढ़ावा मिलता है।
**3. राजनीतिक गोलबंदी और समाज सुधार
1935 का भारत सरकार अधिनियम और असंतोष की प्रवृत्तियाँ ने भारतीय राजनीति में नए लक्ष्य और दृष्टिकोण पेश किए। विशेष रूप से, इस दशक में कांग्रेस और मुस्लिम लीग के बीच विभाजन और अलगाववादी आंदोलन ने भारतीय राजनीति को प्रभावित किया। यह समय भारतीय समाज में एक नए राजनीतिक चिह्न और दिशा की ओर संकेत करता है, जो आज भी विभिन्न सामाजिक और राजनीतिक आंदोलनों में देखा जा सकता है।
**4. नये नेतृत्व की उपस्थिति
इस समय ने नेहरूवादी विकास दृष्टिकोण और सामाजिक न्याय के महत्व को उजागर किया, जो स्वतंत्रता संग्राम के बाद स्वतंत्र भारत की नीतियों का आधार बने। जवाहरलाल नेहरू की समाजवादी दृष्टिकोण और औद्योगिकीकरण की योजनाओं ने भारतीय राजनीति में नये उद्देश्यों को स्थापित किया।
इन उद्देश्यों ने स्वतंत्रता संग्राम को एक नई दिशा और प्रासंगिकता दी, जो आज भी भारतीय राजनीति और समाज में गहराई से विद्यमान है।
See lessWhy did the ‘Moderates’ fail to carry conviction with the nation about their proclaimed ideology and political goals by the end of the nineteenth century? (150 words) [UPSC 2017]
Reasons for the Failure of the Moderates to Convince the Nation By the end of the nineteenth century, the 'Moderates' in Indian politics failed to gain widespread support for their ideology and goals due to several reasons: **1. Ineffectiveness of Reforms The Moderates, led by figures like DadabhaiRead more
Reasons for the Failure of the Moderates to Convince the Nation
By the end of the nineteenth century, the ‘Moderates’ in Indian politics failed to gain widespread support for their ideology and goals due to several reasons:
**1. Ineffectiveness of Reforms
The Moderates, led by figures like Dadabhai Naoroji and Gopal Krishna Gokhale, advocated for gradual reforms and constitutional methods. However, the limited reforms offered by the British, such as the Indian Councils Act of 1892, were insufficient in addressing the pressing needs of the Indian masses. For example, the 1892 Act only marginally increased Indian representation but failed to address core issues like self-governance and economic exploitation.
**2. Economic Exploitation
The economic policies of the British Raj, including heavy taxation and land revenue systems, led to widespread poverty and economic distress. The Moderate leaders’ focus on constitutional reforms was seen as inadequate in addressing the dire economic conditions, evident from the famines of the 1890s that devastated large parts of India.
**3. Political Apathy and Discontent
The general public’s growing discontent with British rule, driven by increasing political awareness and socio-economic hardships, made the Moderate approach seem overly conservative. The rise of extremist leaders, like Bal Gangadhar Tilak, who demanded more radical changes, reflected the shift in public sentiment towards more assertive forms of resistance.
**4. Lack of Mass Mobilization
The Moderates failed to connect with the broader masses and lacked a strong grassroots support base. Their emphasis on petitions and reforms did not resonate with the rising tide of nationalist sentiment that sought immediate and substantial changes.
These factors contributed to the decline in the Moderates’ influence and paved the way for more radical approaches in the early 20th century.
See lessआज विश्व ताजे जल के संसाधनों की उपलब्धता और पहुँच के संकट से क्यों जूझ रहा है? ( 150 Words) [UPSC 2023]
विश्व ताजे जल के संसाधनों की उपलब्धता और पहुँच के संकट आज विश्व ताजे जल के संसाधनों की उपलब्धता और पहुँच के संकट से जूझ रहा है, इसके मुख्य कारण निम्नलिखित हैं: 1. जनसंख्या वृद्धि और शहरीकरण जनसंख्या वृद्धि और तीव्र शहरीकरण के कारण जल की मांग बढ़ रही है। उदाहरण के लिए, भारत के बड़े शहरों जैसे दिल्लीRead more
विश्व ताजे जल के संसाधनों की उपलब्धता और पहुँच के संकट
आज विश्व ताजे जल के संसाधनों की उपलब्धता और पहुँच के संकट से जूझ रहा है, इसके मुख्य कारण निम्नलिखित हैं:
1. जनसंख्या वृद्धि और शहरीकरण
जनसंख्या वृद्धि और तीव्र शहरीकरण के कारण जल की मांग बढ़ रही है। उदाहरण के लिए, भारत के बड़े शहरों जैसे दिल्ली और मुंबई में जल संकट गहरा हो गया है क्योंकि इनका पानी की आवश्यकता और उपयोग अत्यधिक बढ़ गया है।
2. जलवायु परिवर्तन
जलवायु परिवर्तन के कारण वर्षा की धाराओं में अस्थिरता आ गई है। हाल ही में, दक्षिण पश्चिम अमेरिका और पूर्वी अफ्रीका में सूखा और पानी की कमी के संकट ने गंभीर प्रभाव डाले हैं।
3. जल प्रदूषण
जल प्रदूषण भी एक बड़ी चुनौती है। नदी प्रदूषण के उदाहरण में गंगा और यमुना नदियों का प्रदूषण शामिल है, जो न केवल पारिस्थितिकी तंत्र को प्रभावित करता है बल्कि ताजे जल की उपलब्धता को भी संकुचित करता है।
4. असमान वितरण
जल संसाधनों का असमान वितरण भी समस्या का एक बड़ा हिस्सा है। उदाहरण के लिए, मध्य पूर्व और उत्तरी अफ्रीका जैसे क्षेत्रों में पानी की अत्यधिक कमी है, जबकि अन्य हिस्सों में पानी की अधिकता है।
इन समस्याओं का समाधान जल प्रबंधन, नीति सुधार और सामुदायिक भागीदारी के माध्यम से किया जा सकता है।
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