Lost your password? Please enter your email address. You will receive a link and will create a new password via email.
Please briefly explain why you feel this question should be reported.
Please briefly explain why you feel this answer should be reported.
Please briefly explain why you feel this user should be reported.
विधि के शासन का क्या अभिप्राय है? इसे भारत के संविधान में किस प्रकार प्रतिबिंबित किया गया है, स्पष्ट कीजिए।(उत्तर 200 शब्दों में दें)
विधि के शासन का अभिप्राय विधि के शासन का मतलब है कि राज्य या सरकार का संचालन केवल कानूनों द्वारा होना चाहिए, न कि मनमानी या तानाशाही से। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि सभी नागरिकों को समान अधिकार और न्याय मिले, और किसी भी व्यक्ति या समूह को कानून से ऊपर नहीं रखा जाए। भारत के संविधान में विधिRead more
विधि के शासन का अभिप्राय
विधि के शासन का मतलब है कि राज्य या सरकार का संचालन केवल कानूनों द्वारा होना चाहिए, न कि मनमानी या तानाशाही से। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि सभी नागरिकों को समान अधिकार और न्याय मिले, और किसी भी व्यक्ति या समूह को कानून से ऊपर नहीं रखा जाए।
भारत के संविधान में विधि के शासन का प्रतिबिंब
भारत के संविधान में विधि के शासन का पालन निम्नलिखित तरीकों से किया गया है:
भारत की संसद राष्ट्रीय एकीकरण का एक प्रभावी मंच है। विवेचना कीजिए। [66वीं बीपीएससी मुख्य परीक्षा 2020]
भारत की संसद और राष्ट्रीय एकीकरण भारत की संसद न केवल देश की कानून बनाने वाली सर्वोच्च संस्था है, बल्कि यह राष्ट्रीय एकीकरण को सुनिश्चित करने के लिए भी एक महत्वपूर्ण मंच है। संसद के माध्यम से विभिन्न राज्य, भाषाएँ, जातियाँ, और धर्मों के लोग एक साथ आकर अपने मुद्दों पर चर्चा करते हैं, जो भारत की विविधतRead more
भारत की संसद और राष्ट्रीय एकीकरण
भारत की संसद न केवल देश की कानून बनाने वाली सर्वोच्च संस्था है, बल्कि यह राष्ट्रीय एकीकरण को सुनिश्चित करने के लिए भी एक महत्वपूर्ण मंच है। संसद के माध्यम से विभिन्न राज्य, भाषाएँ, जातियाँ, और धर्मों के लोग एक साथ आकर अपने मुद्दों पर चर्चा करते हैं, जो भारत की विविधता में एकता को प्रकट करता है।
1. संसद का समावेशी दृष्टिकोण
2. राष्ट्रीय मुद्दों पर एकता की प्रतीक
3. संविधान और संघीय संरचना का सम्मान
4. राजनीतिक बहस और संवाद
निष्कर्ष
भारत की संसद एक प्रभावी मंच के रूप में राष्ट्रीय एकीकरण को प्रोत्साहित करती है। यह विविधता में एकता के सिद्धांत को बनाए रखते हुए विभिन्न समूहों और समुदायों के प्रतिनिधित्व को सुनिश्चित करती है। संसद के माध्यम से संवाद, बहस और सहमति से राष्ट्रीय समस्याओं का समाधान करने का प्रयास किया जाता है, जो देश के एकीकरण को मजबूत करता है।
See less"भारतीय राज्यों के असमान विकास ने कई सामाजिक-आर्थिक एवं राजनीतिक समस्याओं को जन्म दिया है।" बिहार के विशेष संदर्भ में कथन का आलोचनात्मक विश्लेषण कीजिए। [66वीं बीपीएससी मुख्य परीक्षा 2020]
असमान विकास और बिहार: सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक समस्याएँ भारत में राज्यों के असमान विकास ने कई सामाजिक, आर्थिक, और राजनीतिक समस्याएँ उत्पन्न की हैं। बिहार इस असमान विकास का प्रमुख उदाहरण है, जहाँ कई सालों तक विकास की गति धीमी रही है। 1. आर्थिक विषमताएँ बिहार का आर्थिक विकास दर देश के अन्य राज्योंRead more
असमान विकास और बिहार: सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक समस्याएँ
भारत में राज्यों के असमान विकास ने कई सामाजिक, आर्थिक, और राजनीतिक समस्याएँ उत्पन्न की हैं। बिहार इस असमान विकास का प्रमुख उदाहरण है, जहाँ कई सालों तक विकास की गति धीमी रही है।
1. आर्थिक विषमताएँ
2. शिक्षा और स्वास्थ्य में अंतर
3. राजनीतिक अस्थिरता
4. सामाजिक असमानताएँ
बिहार में सुधार के प्रयास
निष्कर्ष
बिहार में असमान विकास के कारण सामाजिक, आर्थिक, और राजनीतिक समस्याएँ उत्पन्न हुई हैं। हालांकि, राज्य सरकार द्वारा विभिन्न योजनाओं और सुधारों के माध्यम से इन समस्याओं का समाधान करने की दिशा में कदम उठाए गए हैं। समय के साथ यदि ये योजनाएँ प्रभावी ढंग से लागू होती हैं, तो बिहार के विकास में सुधार संभव है।
See lessभारतीय संघीय ढाँचा संवैधानिक रूप से केन्द्र सरकार की ओर उन्मुख है। व्याख्या कीजिए। [66वीं बीपीएससी मुख्य परीक्षा 2020]
भारतीय संघीय ढाँचा और केन्द्र सरकार की प्रधानता भारत का संविधान संघीय ढाँचे को स्वीकार करता है, लेकिन यह संविधानिक रूप से केन्द्र सरकार के पक्ष में अधिक उन्मुख है। इस संघीय व्यवस्था में राज्य और केन्द्र के बीच अधिकारों का वितरण तो किया गया है, लेकिन केन्द्र सरकार को विशेष शक्तियाँ और नियंत्रण प्राप्Read more
भारतीय संघीय ढाँचा और केन्द्र सरकार की प्रधानता
भारत का संविधान संघीय ढाँचे को स्वीकार करता है, लेकिन यह संविधानिक रूप से केन्द्र सरकार के पक्ष में अधिक उन्मुख है। इस संघीय व्यवस्था में राज्य और केन्द्र के बीच अधिकारों का वितरण तो किया गया है, लेकिन केन्द्र सरकार को विशेष शक्तियाँ और नियंत्रण प्राप्त हैं।
केन्द्र सरकार की प्रधानता
उदाहरण:
निष्कर्ष:
भारत का संघीय ढाँचा संविधानिक रूप से केन्द्र सरकार के पक्ष में अधिक उन्मुख है। राज्य सरकारों के पास शक्तियाँ तो हैं, लेकिन उन पर केन्द्र सरकार का प्रभाव और नियंत्रण अधिक रहता है। यह केन्द्र की प्रमुख भूमिका और शक्तियों की पुष्टि करता है।
See less"भारत के राष्ट्रपति की भूमिका परिवार के उस बुजुर्ग के समान है जो सभी प्राधिकार रखता है किन्तु यदि घर के शैतान-युवा सदस्य उसकी न सुनें तो वह कुछ भी प्रभावी नहीं कर सकता है।" मूल्यांकन कीजिए। [66वीं बीपीएससी मुख्य परीक्षा 2020]
भारत के राष्ट्रपति की भूमिका: मूल्यांकन राष्ट्रपति की भूमिका भारत के राष्ट्रपति की भूमिका संविधान के अनुसार प्रमुख और सम्मानजनक होती है, लेकिन वह "सामान्य प्रशासन" में सक्रिय रूप से शामिल नहीं होते। राष्ट्रपति का कार्य निर्वाचित सरकार के तहत होता है, जो प्रधानमंत्री और केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा नियRead more
भारत के राष्ट्रपति की भूमिका: मूल्यांकन
राष्ट्रपति की भूमिका
भारत के राष्ट्रपति की भूमिका संविधान के अनुसार प्रमुख और सम्मानजनक होती है, लेकिन वह “सामान्य प्रशासन” में सक्रिय रूप से शामिल नहीं होते। राष्ट्रपति का कार्य निर्वाचित सरकार के तहत होता है, जो प्रधानमंत्री और केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा नियंत्रित होती है। संविधान में राष्ट्रपति को कुछ महत्वपूर्ण शक्तियाँ दी गई हैं, जैसे क़ानूनी दस्तावेज़ों पर हस्ताक्षर करना, आपातकाल घोषित करना, और मंत्रिमंडल की सलाह पर निर्णय लेना।
उद्धरण की व्याख्या
इस उद्धरण में राष्ट्रपति की भूमिका की तुलना एक बुजुर्ग व्यक्ति से की गई है, जो परिवार में सम्मानजनक होता है, परंतु यदि परिवार के अन्य सदस्य उसकी बात न सुनें, तो उसकी शक्ति प्रभावी नहीं हो सकती। इसका तात्पर्य है कि राष्ट्रपति की शक्तियाँ संविधान द्वारा निर्धारित हैं, लेकिन वास्तविक कार्यवाही सरकार के कामकाजी मंत्रियों के हाथ में होती है।
संविधान के अनुसार कार्यप्रणाली
निष्कर्ष
See lessराष्ट्रपति की भूमिका अधिकतर सांविधानिक और औपचारिक होती है, जिसमें वह सरकार के कार्यों को मंजूरी देते हैं, लेकिन असल निर्णय लेने की शक्ति उनके पास नहीं होती। जैसे परिवार के बुजुर्ग सदस्य की स्थिति होती है, वही स्थिति राष्ट्रपति की होती है, जहां उनके पास शक्ति तो होती है, लेकिन प्रभावी कार्यवाही के लिए उन्हें सरकार की सलाह और समर्थन की आवश्यकता होती है।
भारत-यूरोपीय संघ (EU) के मध्य व्यापक आधारभूत व्यापार और निवेश समझौता की विवेचना कीजिए। [66वीं बीपीएससी मुख्य परीक्षा 2020]
भारत-यूरोपीय संघ (EU) के मध्य व्यापक आधारभूत व्यापार और निवेश समझौता (BTIA) 1. समझौते का उद्देश्य यह समझौता भारत और यूरोपीय संघ (EU) के बीच व्यापार, निवेश और अन्य आर्थिक संबंधों को बढ़ावा देने के लिए है। इसका उद्देश्य व्यापार की बाधाओं को कम करना और दोनों पक्षों के लिए आर्थिक समृद्धि उत्पन्न करना हैRead more
भारत-यूरोपीय संघ (EU) के मध्य व्यापक आधारभूत व्यापार और निवेश समझौता (BTIA)
1. समझौते का उद्देश्य
2. मुख्य विशेषताएँ
3. अपेक्षित लाभ
निष्कर्ष यह समझौता भारत और यूरोपीय संघ के बीच रणनीतिक और आर्थिक संबंधों को मजबूती प्रदान करेगा, जिससे दोनों के लिए नए अवसर उत्पन्न होंगे।
See less