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मुख्यधारा के ज्ञान और सांस्कृतिक प्रणालियों की तुलना में आदिवासी ज्ञान प्रणाली की विशिष्टता की जाँच कीजिए । (150 words)[UPSC 2021]
मुख्यधारा के ज्ञान और आदिवासी ज्ञान प्रणाली की विशिष्टता की जाँच मुख्यधारा के ज्ञान प्रणाली: वैज्ञानिक और विधिवादी दृष्टिकोण: मुख्यधारा की ज्ञान प्रणाली में वैज्ञानिक पद्धतियाँ, विश्लेषणात्मक और तर्कसंगत विधियाँ प्रमुख होती हैं। उदाहरण के लिए, पश्चिमी शिक्षा प्रणाली में प्रयोगात्मक अनुसंधान और पद्धतRead more
मुख्यधारा के ज्ञान और आदिवासी ज्ञान प्रणाली की विशिष्टता की जाँच
मुख्यधारा के ज्ञान प्रणाली:
आदिवासी ज्ञान प्रणाली:
विशिष्टता:
इन भिन्नताओं के माध्यम से, आदिवासी ज्ञान प्रणाली की विशिष्टता और महत्व को समझा जा सकता है, जो पारंपरिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से समृद्ध है।
See lessभारत को एक उपमहाद्वीप क्यों माना जाता है ? विस्तारपूर्वक उत्तर दीजिए । (150 words)[UPSC 2021]
भारत को उपमहाद्वीप क्यों माना जाता है? भौगोलिक विशेषताएँ: भौगोलिक अलगाव: भारत एशिया के महाद्वीप से हिमालय पर्वत श्रृंखला और वेस्टर्न घाटों के माध्यम से भौगोलिक रूप से अलग है। ये पर्वत श्रृंखलाएँ इसे अन्य एशियाई क्षेत्रों से पृथक करती हैं, जिससे यह एक स्पष्ट उपमहाद्वीप बनता है। भूमि क्षेत्र और आकार:Read more
भारत को उपमहाद्वीप क्यों माना जाता है?
भौगोलिक विशेषताएँ:
जलवायु और पारिस्थितिकी:
संस्कृतिक और ऐतिहासिक विशेषताएँ:
इन विशेषताओं के कारण भारत एक उपमहाद्वीप के रूप में मान्यता प्राप्त करता है, जो उसे अन्य महाद्वीपों से भिन्न और विशिष्ट बनाता है।
See lessशहरी भूमि उपयोग के लिए जल निकायों से भूमि-उद्धार के पर्यावरणीय प्रभाव क्या हैं ? उदाहरणों सहित समझाइए । (150 words)[UPSC 2021]
शहरी भूमि उपयोग के लिए जल निकायों से भूमि-उद्धार के पर्यावरणीय प्रभाव पारिस्थितिकीय प्रभाव: पर्यावरणीय असंतुलन: जल निकायों से भूमि-उद्धार के कारण पारिस्थितिकी तंत्र में असंतुलन पैदा होता है। जल निकायों की कमी से जलवायु में बदलाव और स्थानीय जलवायु प्रणाली प्रभावित होती है। उदाहरण के लिए, सूरत में भूमRead more
शहरी भूमि उपयोग के लिए जल निकायों से भूमि-उद्धार के पर्यावरणीय प्रभाव
पारिस्थितिकीय प्रभाव:
सामाजिक और आर्थिक प्रभाव:
इन पर्यावरणीय प्रभावों से बचने के लिए, जल निकायों के संरक्षण और सतत भूमि उपयोग की नीतियाँ अपनाना आवश्यक है।
See lessगोंडवानालैंड के देशों में से एक होने के बावजूद भारत के खनन उद्योग अपने सकल घरेलू उत्पाद (जी.डी.पी.) में बहुत कम प्रतिशत का योगदान देते हैं। विवेचना कीजिए । (150 words)[UPSC 2021]
गोंडवानालैंड के देशों में भारत के खनन उद्योग का जी.डी.पी. में कम योगदान खनन संसाधनों की प्रचुरता: भौगोलिक विशेषता: भारत गोंडवानालैंड के प्राचीन भाग में स्थित है, जहाँ खनिज संसाधनों की प्रचुरता है। इसके बावजूद, खनिज जैसे कोयला, लौह अयस्क, और बauxite का जी.डी.पी. में योगदान अपेक्षाकृत कम है। संघर्ष औरRead more
गोंडवानालैंड के देशों में भारत के खनन उद्योग का जी.डी.पी. में कम योगदान
खनन संसाधनों की प्रचुरता:
संघर्ष और अवसंरचना:
आर्थिक और पर्यावरणीय कारण:
इन कारणों से, भारत के खनन उद्योग का जी.डी.पी. में योगदान अपेक्षाकृत कम है, जबकि गोंडवानालैंड में खनिज संसाधनों की प्रचुरता मौजूद है।
See lessहिमालय क्षेत्र तथा पश्चिमी घाटों में भू-स्खलनों के विभिन्न कारणों का अंतर स्पष्ट कीजिए । (150 words)[UPSC 2021]
हिमालय क्षेत्र तथा पश्चिमी घाटों में भू-स्खलनों के विभिन्न कारणों का अंतर हिमालय क्षेत्र में भू-स्खलनों के कारण: भौगोलिक विशेषताएँ: हिमालय क्षेत्र में तीव्र ढलान और युवा पर्वत निर्माण के कारण भूमि अस्थिर रहती है। उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में कई भूस्खलन हाल ही में देखे गए हैं, जो इन विशेषताओं का परRead more
हिमालय क्षेत्र तथा पश्चिमी घाटों में भू-स्खलनों के विभिन्न कारणों का अंतर
हिमालय क्षेत्र में भू-स्खलनों के कारण:
पश्चिमी घाटों में भू-स्खलनों के कारण:
इन दोनों क्षेत्रों में भू-स्खलनों के कारण भौगोलिक, जलवायु, और मानवजनित कारकों में स्पष्ट अंतर हैं, जो उनकी भूस्खलन की प्रकृति को प्रभावित करते हैं।
See lessभारतीय रियासतों के एकीकरण की प्रक्रिया में मुख्य प्रशासनिक मुद्दों एवं सामाजिक-सांस्कृतिक समस्याओं का आकलन कीजिए । (150 words)[UPSC 2021]
भारतीय रियासतों के एकीकरण की प्रक्रिया में मुख्य प्रशासनिक मुद्दे और सामाजिक-सांस्कृतिक समस्याएँ प्रशासनिक मुद्दे: विभिन्न प्रशासनिक व्यवस्थाएँ: विभिन्न रियासतों में भिन्न-भिन्न प्रशासनिक तंत्र और कानून थे। इन्हें एकीकृत भारतीय संविधान और प्रशासनिक प्रणाली में समाहित करना एक चुनौतीपूर्ण कार्य था। उदRead more
भारतीय रियासतों के एकीकरण की प्रक्रिया में मुख्य प्रशासनिक मुद्दे और सामाजिक-सांस्कृतिक समस्याएँ
प्रशासनिक मुद्दे:
सामाजिक-सांस्कृतिक समस्याएँ:
इन मुद्दों का समाधान संवाद, संवैधानिक उपायों और संवेदनशीलता के साथ किया गया, जिससे भारतीय संघ की एकता और अखंडता को बनाए रखा जा सका।
See lessयंग बंगाल एवं ब्रह्मो समाज के विशेष संदर्भ में सामाजिक-धार्मिक सुधार आन्दोलनों के उत्थान तथा विकास को रेखांकित कीजिए। (150 words)[UPSC 2021]
यंग बंगाल और ब्रह्मो समाज के संदर्भ में सामाजिक-धार्मिक सुधार आंदोलन यंग बंगाल आंदोलन: सामाजिक सुधार: यंग बंगाल आंदोलन ने ब्रिटिश शासन के तहत सामाजिक सुधार के लिए कार्य किया। द्वारकानाथ ठाकुर और हेनरी डब्लू जैसे नेता, इस आंदोलन में शामिल थे। इसने अछूतों के अधिकार, स्त्री शिक्षा, और सामाजिक न्याय केRead more
यंग बंगाल और ब्रह्मो समाज के संदर्भ में सामाजिक-धार्मिक सुधार आंदोलन
यंग बंगाल आंदोलन:
ब्रह्मो समाज:
निष्कर्ष:
यंग बंगाल और ब्रह्मो समाज ने भारतीय समाज में सामाजिक और धार्मिक सुधारों को प्रोत्साहित किया। इनके प्रयासों ने शिक्षा, सामाजिक न्याय, और धार्मिक सहिष्णुता को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जो आधुनिक भारत की नींव रखे।
See lessभक्ति साहित्य की प्रकृति का मूल्यांकन करते हुए भारतीय संस्कृति में इसके योगदान का निर्धारण कीजिए ।(150 words)[UPSC 2021]
भक्ति साहित्य की प्रकृति और भारतीय संस्कृति में योगदान भक्ति साहित्य की प्रकृति: आध्यात्मिक और व्यक्तिगत अभिव्यक्ति: भक्ति साहित्य का मुख्य उद्देश्य ईश्वर के प्रति व्यक्तिगत भक्ति और आध्यात्मिक संबंध को प्रकट करना है। यह साहित्य व्यक्तिगत अनुभव और भावनाओं को प्रमुखता देता है, जैसे संत कबीर और तुलसीदRead more
भक्ति साहित्य की प्रकृति और भारतीय संस्कृति में योगदान
भक्ति साहित्य की प्रकृति:
भारतीय संस्कृति में योगदान:
निष्कर्ष:
भक्ति साहित्य ने भारतीय संस्कृति में आध्यात्मिक और सामाजिक सुधारों को प्रेरित किया। इसके द्वारा व्यक्त की गई व्यक्तिगत भक्ति और सामाजिक समरसता ने भारतीय समाज के मूल्य और विचारधारा को समृद्ध किया है।
See lessक्या सहिष्णुता, सम्मिलन एवं बहुलता मुख्य तत्त्व हैं जो धर्मनिरपेक्षता के भारतीय रूप का निर्माण करते हैं ? तर्कसंगत उत्तर दें। (250 words) [UPSC 2022]
धर्मनिरपेक्षता के भारतीय रूप में सहिष्णुता, सम्मिलन, और बहुलता के तत्त्व धर्मनिरपेक्षता का भारतीय रूप: धर्मनिरपेक्षता का भारतीय दृष्टिकोण सहिष्णुता, सम्मिलन, और बहुलता के मूल तत्वों पर आधारित है, जो भारत की विविधता को स्वीकार करने और सभी धार्मिक मान्यताओं को समान मान्यता देने के सिद्धांतों पर जोर देRead more
धर्मनिरपेक्षता के भारतीय रूप में सहिष्णुता, सम्मिलन, और बहुलता के तत्त्व
धर्मनिरपेक्षता का भारतीय रूप:
धर्मनिरपेक्षता का भारतीय दृष्टिकोण सहिष्णुता, सम्मिलन, और बहुलता के मूल तत्वों पर आधारित है, जो भारत की विविधता को स्वीकार करने और सभी धार्मिक मान्यताओं को समान मान्यता देने के सिद्धांतों पर जोर देते हैं।
सहिष्णुता:
सम्मिलन:
बहुलता:
निष्कर्ष:
धर्मनिरपेक्षता का भारतीय रूप सहिष्णुता, सम्मिलन, और बहुलता के सिद्धांतों पर आधारित है। ये तत्त्व भारतीय समाज की विविधता और एकता को बनाए रखने में सहायक हैं और धर्मनिरपेक्षता की अवधारणा को गहराई प्रदान करते हैं।
See lessरबर उत्पादक देशों के वितरण का वर्णन करते हुए उनके द्वारा सामना किए जाने वाले प्रमुख पर्यावरणीय मुद्दों को इंगित कीजिए। (250 words) [UPSC 2022]
रबर उत्पादक देशों का वितरण और पर्यावरणीय मुद्दे रबर उत्पादक देशों का वितरण: मुख्य उत्पादक क्षेत्र: दक्षिण-पूर्व एशिया रबर उत्पादन में अग्रणी है, जिसमें थाईलैंड, इंडोनेशिया, और मलेशिया प्रमुख उत्पादक देश हैं। ये देश विश्व के कुल रबर उत्पादन का अधिकांश हिस्सा आपूर्ति करते हैं। थाईलैंड अकेला विश्व का सRead more
रबर उत्पादक देशों का वितरण और पर्यावरणीय मुद्दे
रबर उत्पादक देशों का वितरण:
पर्यावरणीय मुद्दे:
निष्कर्ष: रबर उत्पादक देशों में रबर के व्यापक उत्पादन से पर्यावरणीय चुनौतियाँ उत्पन्न हुई हैं, जिनमें वन कटाई, मृदा और जल प्रदूषण, और वायु प्रदूषण शामिल हैं। सतत विकास और पर्यावरण संरक्षण के उपायों को अपनाकर इन मुद्दों का समाधान किया जा सकता है।
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