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महासागरीय लवणता को प्रभावित करने वाले कारकों को स्पष्ट करते हुए, इसके विश्वभर में स्थानिक वितरण पर चर्चा करें।”
महासागरीय लवणता और उसके कारक महासागरीय जल की औसत लवणता 35‰ होती है, जो वाष्पीकरण, वर्षा, नदियों का प्रवाह और महासागरीय धाराओं जैसे कारकों से प्रभावित होती है। लवणता को प्रभावित करने वाले कारक: वाष्पीकरण: उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में वाष्पीकरण अधिक होने से लवणता बढ़ती है, जैसे अटलांटिक महासागर के सारRead more
महासागरीय लवणता और उसके कारक
महासागरीय जल की औसत लवणता 35‰ होती है, जो वाष्पीकरण, वर्षा, नदियों का प्रवाह और महासागरीय धाराओं जैसे कारकों से प्रभावित होती है।
लवणता को प्रभावित करने वाले कारक:
उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में वाष्पीकरण अधिक होने से लवणता बढ़ती है, जैसे अटलांटिक महासागर के सारगासो सागर में लवणता 37‰ तक है।
भारी वर्षा और नदियों के प्रवाह से तटीय क्षेत्रों में लवणता घटती है। उदाहरण: अमेज़न और गंगा के मुहानों पर लवणता कम है।
बर्फ के पिघलने से ध्रुवीय क्षेत्रों में लवणता घटती है।
गर्म धाराएँ, जैसे गल्फ स्ट्रीम, लवणता बढ़ाती हैं, जबकि ठंडी धाराएँ इसे कम करती हैं।
स्थानिक वितरण:
निष्कर्ष:
See lessलवणता जलवायु, समुद्री पारिस्थितिकी और धाराओं को प्रभावित करती है, जो पृथ्वी की जलवायु प्रणाली का अहम हिस्सा हैं।
बायोम से आपका क्या अभिप्राय है? विश्व के प्रमुख बायोम और उनकी विशेषताओं का वर्णन करें। (उत्तर 200 शब्दों में दें)
बायोम का अर्थ बायोम पृथ्वी के ऐसे क्षेत्र हैं, जहाँ जलवायु, वनस्पति और जीव-जंतु में समानता पाई जाती है। यह पर्यावरण और जैव विविधता के लिए महत्वपूर्ण हैं। प्रमुख बायोम और उनकी विशेषताएँ टुंड्रा (Tundra) स्थान: आर्कटिक और अंटार्कटिक। विशेषताएँ: पेर्माफ्रॉस्ट, ठंडा वातावरण। ध्रुवीय भालू और कारिबू। 2023Read more
बायोम का अर्थ
बायोम पृथ्वी के ऐसे क्षेत्र हैं, जहाँ जलवायु, वनस्पति और जीव-जंतु में समानता पाई जाती है। यह पर्यावरण और जैव विविधता के लिए महत्वपूर्ण हैं।
प्रमुख बायोम और उनकी विशेषताएँ
निष्कर्ष
बायोम जलवायु और पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखने में अहम भूमिका निभाते हैं। इनका संरक्षण अनिवार्य है।
See lessभारत में जूट उद्योग की अवस्थिति पर प्रभाव डालने वाले कारकों की सूची बनाइए और इस उद्योग को जिन चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, उनका विवरण कीजिए।(उत्तर 200 शब्दों में दें)
भारत में जूट उद्योग की अवस्थिति पर प्रभाव डालने वाले कारक भौगोलिक कारक: जलोढ़ मिट्टी और उच्च वर्षा (150-250 सेमी) वाले क्षेत्र उपयुक्त। गंगा-ब्रह्मपुत्र डेल्टा (पश्चिम बंगाल, बिहार, असम) में 99% उत्पादन केंद्रित है। सामाजिक-आर्थिक कारक: 40 लाख किसान परिवार और 4 लाख श्रमिक इस उद्योग पर निर्भर हैं। कचRead more
भारत में जूट उद्योग की अवस्थिति पर प्रभाव डालने वाले कारक
चुनौतियाँ
सरकार ने इस उद्योग को बढ़ावा देने के लिए प्रौद्योगिकी मिशन और आधुनिकरण परियोजनाएँ शुरू की हैं, लेकिन इन चुनौतियों को दूर करना आवश्यक है। अधिक जानकारी के लिए देखें।
See lessक्या भारत सरकार में मंत्रालयों की संख्या को घटाकर उन्हें अधिक प्रभावी बनाने की आवश्यकता है? प्रासंगिक तर्कों के साथ विश्लेषण कीजिए।(उत्तर 200 शब्दों में दें)
प्रस्तावना भारत सरकार में मंत्रालयों की संख्या कम करने का विचार प्रशासनिक दक्षता बढ़ाने का साधन हो सकता है। प्रासंगिक तर्क प्रशासनिक दक्षता: मंत्रालयों की संख्या घटाने से कामकाज में समन्वय बढ़ता है। जैसे, श्रम और रोजगार मंत्रालय को अलग-अलग विभागों में विभाजित करने की बजाय समग्र योजना बनाना अधिक प्रभRead more
प्रस्तावना
भारत सरकार में मंत्रालयों की संख्या कम करने का विचार प्रशासनिक दक्षता बढ़ाने का साधन हो सकता है।
प्रासंगिक तर्क
चुनौतियाँ
निष्कर्ष
मंत्रालयों की संख्या घटाने से प्रभावशीलता बढ़ सकती है, लेकिन इसके लिए व्यापक विचार और क्रियान्वयन की आवश्यकता होगी।
See lessभारत विभिन्न कारणों से अपनी पवन ऊर्जा की पूरी क्षमता का उपयोग नहीं कर सका है। इस पर चर्चा करें और भविष्य में इसके समुचित विकास के लिए संभावित उपायों पर प्रकाश डालें। (150 शब्दों में उत्तर दीजिए)
भारत अपनी पवन ऊर्जा की पूरी क्षमता का उपयोग विभिन्न कारणों से नहीं कर पाया है। प्रमुख कारण: अवसंरचना की कमी: पवन ऊर्जा परियोजनाओं के लिए आवश्यक बुनियादी ढांचा जैसे पवन टर्बाइन स्थापित करने के लिए उपयुक्त स्थल और बिजली नेटवर्क की कमी है। अनियमित पवन: पवन ऊर्जा का उत्पादन मौसम पर निर्भर करता है, जिससेRead more
भारत अपनी पवन ऊर्जा की पूरी क्षमता का उपयोग विभिन्न कारणों से नहीं कर पाया है।
प्रमुख कारण:
भविष्य के उपाय:
इन उपायों को अपनाकर भारत पवन ऊर्जा के क्षेत्र में अपनी क्षमता का अधिकतम उपयोग कर सकता है।
See lessऔद्योगिक आपदाएं क्या होती हैं? इनके उदाहरणों के माध्यम से विस्तार से चर्चा कीजिए। साथ ही, औद्योगिक आपदाओं के जोखिम को कम करने के लिए आवश्यक संस्थागत ढांचे पर भी प्रकाश डालिए। (250 शब्दों में उत्तर दीजिए)
औद्योगिक आपदाएं ऐसी घटनाएं हैं जो उद्योगों से जुड़े खतरनाक रसायनों, गैसों, या तकनीकी उपकरणों की विफलता के कारण होती हैं। ये आपदाएं मानव जीवन, पर्यावरण और संपत्ति को गंभीर नुकसान पहुंचाती हैं। उदाहरण: भोपाल गैस त्रासदी (1984): यूनियन कार्बाइड संयंत्र से मिथाइल आइसोसाइनेट गैस का रिसाव, जिसमें 15,000 सRead more
औद्योगिक आपदाएं ऐसी घटनाएं हैं जो उद्योगों से जुड़े खतरनाक रसायनों, गैसों, या तकनीकी उपकरणों की विफलता के कारण होती हैं। ये आपदाएं मानव जीवन, पर्यावरण और संपत्ति को गंभीर नुकसान पहुंचाती हैं।
उदाहरण:
जोखिम कम करने के लिए संस्थागत ढांचा
उचित नियोजन और संस्थागत प्रबंधन से औद्योगिक आपदाओं के प्रभाव को कम किया जा सकता है।
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