भारत में समावेशी विकास और निर्धनता उन्मूलन के लिए भूमि तक पहुंच और उस पर प्रभावी नियंत्रण महत्वपूर्ण हैं। सविस्तार वर्णन कीजिए। साथ ही, समावेशी विकास सुनिश्चित करने के लिए हाल के दिनों में भारत में अपनाए गए भूमि सुधार ...
भारतीय ट्रेनों की धीमी गति के कारण: पुराना इंफ्रास्ट्रक्चर: भारतीय रेलवे का इन्फ्रास्ट्रक्चर, जिसमें पटरियाँ, सिग्नलिंग सिस्टम और ट्रेनों के कोच शामिल हैं, कई दशकों पुराना है। इसे आधुनिक मानकों के अनुरूप अपडेट करने में समय और धन की आवश्यकता होती है। सिग्नलिंग और ट्रैक की स्थिति: सिग्नलिंग सिस्टम पुरRead more
भारतीय ट्रेनों की धीमी गति के कारण:
पुराना इंफ्रास्ट्रक्चर: भारतीय रेलवे का इन्फ्रास्ट्रक्चर, जिसमें पटरियाँ, सिग्नलिंग सिस्टम और ट्रेनों के कोच शामिल हैं, कई दशकों पुराना है। इसे आधुनिक मानकों के अनुरूप अपडेट करने में समय और धन की आवश्यकता होती है।
सिग्नलिंग और ट्रैक की स्थिति: सिग्नलिंग सिस्टम पुराना और ट्रैक की स्थिति कई स्थानों पर असमर्थनीय है, जिससे ट्रेनों की गति को नियंत्रित करना पड़ता है। पुराने सिग्नलिंग सिस्टम और ट्रैक की मरम्मत की कमी ट्रेनों की गति को प्रभावित करती है।
रेलवे क्रॉसिंग: रेलवे क्रॉसिंग और अतिक्रमणों की समस्या ट्रेनों की गति में बाधक बनती है। ये समस्याएं सुरक्षा के लिहाज से भी चुनौतीपूर्ण होती हैं।
सुरक्षा और यातायात प्रबंधन: उच्च गति ट्रेनों के लिए सख्त सुरक्षा मानकों और सुव्यवस्थित यातायात प्रबंधन की आवश्यकता होती है, जिसे वर्तमान प्रणाली पूरी तरह से संभाल नहीं पाती।
सरकारी कदम:
डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर: भारत सरकार ने पूर्वी और पश्चिमी डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर का निर्माण शुरू किया है। ये कॉरिडोर विशेष रूप से माल ढुलाई के लिए डिज़ाइन किए गए हैं, जिससे यात्री ट्रेनों की गति बढ़ सके।
उच्च गति रेल परियोजनाएँ: ‘बुलेट ट्रेन’ परियोजना, जैसे कि मुंबई-अहमदाबाद हाई-स्पीड रेल कॉरिडोर, भारत में उच्च गति रेल नेटवर्क का निर्माण कर रही है। यह परियोजना भारतीय रेलवे को नई गति मानकों के साथ जोड़ने का प्रयास है।
सिग्नलिंग और ट्रैक उन्नयन: भारतीय रेलवे ने सिग्नलिंग सिस्टम को आधुनिक बनाने और ट्रैक को अपग्रेड करने के लिए कई योजनाएँ शुरू की हैं। इसमें इलेक्ट्रॉनिक सिग्नलिंग और उच्च गुणवत्ता वाले ट्रैक निर्माण शामिल है।
फास्ट ट्रैक मरम्मत और मेंटेनेंस: ट्रैक और इंफ्रास्ट्रक्चर की नियमित मरम्मत और रखरखाव के लिए फास्ट ट्रैक प्रक्रियाओं को लागू किया जा रहा है, जिससे दुर्घटनाओं और रुकावटों की संभावना कम हो सके।
ये उपाय भारतीय रेलवे की गति और दक्षता को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं, और विकसित देशों के मानकों के साथ सामंजस्य स्थापित करने में सहायक हो सकते हैं।
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भूमि तक पहुंच और प्रभावी नियंत्रण का महत्व: भारत में समावेशी विकास और निर्धनता उन्मूलन के लिए भूमि तक पहुंच और प्रभावी नियंत्रण अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। भूमि संसाधन न केवल कृषि के लिए आवश्यक हैं बल्कि आवास, उद्योग और अन्य विकासात्मक गतिविधियों के लिए भी जरूरी हैं। निर्धन परिवारों और वंचित समुदायों केRead more
भूमि तक पहुंच और प्रभावी नियंत्रण का महत्व:
भारत में समावेशी विकास और निर्धनता उन्मूलन के लिए भूमि तक पहुंच और प्रभावी नियंत्रण अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। भूमि संसाधन न केवल कृषि के लिए आवश्यक हैं बल्कि आवास, उद्योग और अन्य विकासात्मक गतिविधियों के लिए भी जरूरी हैं। निर्धन परिवारों और वंचित समुदायों के लिए भूमि की उपलब्धता और नियंत्रण न केवल उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार करता है बल्कि सामाजिक न्याय भी सुनिश्चित करता है। भूमि पर अधिकार से गरीबों को आत्मनिर्भरता मिलती है और वे अपनी आजीविका सुधार सकते हैं।
हाल के भूमि सुधार उपाय:
प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY): यह योजना गरीबों को किफायती आवास उपलब्ध कराने पर केंद्रित है। इसके तहत, भूमि और आवास दोनों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के प्रयास किए जा रहे हैं।
भूमि रिकॉर्ड डिजिटलाइजेशन: भूमि रिकॉर्ड को डिजिटल रूप में संजोने के लिए ‘स्वामित्व योजना’ और ‘भूमि अभिलेखों का डिजिटलीकरण’ जैसे उपाय अपनाए गए हैं। इससे भूमि स्वामित्व की पारदर्शिता बढ़ी है और भ्रष्टाचार की संभावना कम हुई है।
कृषि भूमि सुधार: कृषि भूमि की बंटवारा और भूमिहीन किसानों को भूमि का वितरण बढ़ाने के लिए कई राज्य सरकारों ने भूमि सुधार कानून लागू किए हैं। इन सुधारों के तहत, भूमि के बंटवारे और पुनर्वितरण की प्रक्रिया को सरल और पारदर्शी बनाया गया है।
न्यायसंगत भूमि वितरण: भूमिहीन किसान और आदिवासी समुदायों को भूमि का अधिकार देने के लिए विशेष कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं, जैसे कि ‘भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास और पुनर्स्थापन कानून’, जो न्यायसंगत और पारदर्शी तरीके से भूमि का पुनर्वितरण सुनिश्चित करता है।
ये उपाय समावेशी विकास के लिए आवश्यक हैं क्योंकि ये वंचित वर्गों को सशक्त बनाते हैं और उनकी जीवनस्तर में सुधार करते हैं। प्रभावी भूमि प्रबंधन और वितरण न केवल सामाजिक और आर्थिक सुधारों की दिशा में कदम बढ़ाते हैं बल्कि विकास की समावेशिता को भी बढ़ावा देते हैं।
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