- प्राकृतिक कृषि: रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के बिना कृषि पद्धति।
- राष्ट्रीय प्राकृतिक कृषि मिशन (NMNF): 7.5 लाख हेक्टेयर में 1 करोड़ किसानों को समर्थन देने का लक्ष्य।
प्राकृतिक कृषि के लाभ
- मृदा स्वास्थ्य में सुधार:
- रासायनिक उर्वरकों का उपयोग समाप्त करना।
- सूक्ष्मजीव गतिविधि को बढ़ावा देना।
- भूमि क्षरण को कम करना।
- जल की खपत में कमी:
- मल्चिंग और कवर क्रॉपिंग तकनीकों से जल प्रतिधारण बढ़ाना।
- भूजल के अत्यधिक दोहन की समस्या का समाधान।
- कृषि लागत में कमी:
- महंगे रासायनिक उर्वरकों की जगह जीवामृत और बीजामृत का उपयोग।
- लघु और सीमांत किसानों के लिए फायदेमंद।
- जलवायु अनुकूलन:
- मीथेन और नाइट्रस ऑक्साइड उत्सर्जन में कमी।
- प्राकृतिक कृषि फसलों की जलवायु परिवर्तन के प्रति सहिष्णुता में सुधार।
- खाद्य और पोषण सुरक्षा:
- बहु-फसल और कृषि वानिकी को बढ़ावा देना।
- 74.1% भारतीय स्वस्थ आहार का खर्च नहीं उठा सकते।
- ग्रामीण आजीविका और रोजगार:
- खाद बनाने और मल्चिंग जैसी तकनीकों के लिए रोजगार का सृजन।
प्रमुख मुद्दे
- वैज्ञानिक सत्यापन का अभाव:
- दीर्घकालिक वैज्ञानिक अध्ययनों की कमी।
- प्राकृतिक कृषि की व्यवहार्यता पर संदेह।
- उत्पादकता में अनिश्चितता:
- प्रारंभिक उपज में गिरावट।
- उच्च आदान वाली फसलों में कम लाभ।
- प्रमाणन मानकों की कमी:
- प्राकृतिक कृषि उत्पादों में अंतर करने का अभाव।
- उपभोक्ताओं का भरोसा कम होना।
- सीमित बाजार संपर्क:
- उचित मूल्य पर अपनी उपज बेचने में कठिनाई।
- जैविक उत्पादों की उच्च कीमतें।
- श्रम की उच्च आवश्यकताएँ:
- श्रम-प्रधान प्रकृति से किसानों का कार्यभार बढ़ना।
वैश्विक और भारतीय सर्वोत्तम प्रथाएँ
- वैश्विक प्रथाएँ: कृषि पारिस्थितिकी, पर्माकल्चर, SRI विधि।
- भारतीय प्रथाएँ: शून्य बजट प्राकृतिक कृषि (ZBNF), ऋषि कृषि, समुदाय-प्रेरित प्राकृतिक कृषि।
सुझाव
- अनुसंधान में निवेश: बहु-स्थान परीक्षणों के माध्यम से प्राकृतिक कृषि के प्रभावों को स्थापित करना।
- पॉलिसी सपोर्ट: प्राकृतिक उर्वरकों के लिए सब्सिडी में सुधार।
- बाजार संपर्क और प्रमाणन: राष्ट्रीय स्तर पर प्राकृतिक कृषि प्रमाणन प्रणाली की स्थापना।
- किसान प्रशिक्षण: प्राकृतिक कृषि तकनीकों पर व्यावहारिक शिक्षण केंद्रों की स्थापना।
आगे की राह
- प्राकृतिक कृषि रासायनिक कृषि का स्थायी विकल्प है।
- दीर्घकालिक सफलता के लिए अनुसंधान, नीति समर्थन और किसान प्रोत्साहन आवश्यक हैं।