- जनसंख्या वृद्धि: भारत की जनसंख्या 2016 में 1.29 बिलियन से बढ़कर 2024 में 1.45 बिलियन हो गई।
- सिंचाई में भूजल का उपयोग: सिंचाई के लिए भूजल का उपयोग 38% से बढ़कर 52% हो गया।
भूजल उपयोग का वर्तमान परिदृश्य
- भूजल का निष्कर्षण: भारत विश्व के लगभग 25% भूजल का निष्कर्षण करता है, जो 241.34 BCM है।
- अतिदोहित इकाइयाँ: 11.23% (736 इकाइयाँ) पुनर्भरण से अधिक निष्कर्षण दिखाती हैं।
- निर्भरता: भूजल:
- सिंचाई की 62% आवश्यकताओं को पूरा करता है।
- ग्रामीण जल आपूर्ति का 85% और शहरी जल आपूर्ति का 50% भूजल पर निर्भर है।
प्रमुख कारक
जल-प्रधान कृषि पद्धतियाँ
- धान और गन्ना जैसी जल-गहन फसलों की कृषि, जिससे भूजल का अत्यधिक दोहन।
जनसंख्या वृद्धि और शहरीकरण
- बढ़ती जनसंख्या ने पेयजल और औद्योगिक उपयोग के लिए भूजल की मांग बढ़ाई।
जलवायु परिवर्तन
- अनियमित मानसून और बढ़ते वाष्पीकरण के कारण भूजल तनाव बढ़ता है।
औद्योगिक अपशिष्ट निर्वहन
- अनुपचारित जल से भूजल प्रदूषण, जैसे कानपुर में चमड़े के कारखानों से।
सरकारी पहल
प्रमुख योजनाएँ
- जल शक्ति अभियान (JSA): वर्षा जल संचयन और जल संरक्षण पर केंद्रित।
- अटल भूजल योजना: जल-तनावग्रस्त क्षेत्रों में भूजल प्रबंधन।
- प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (PMKSY): जल उपयोग दक्षता में सुधार।
सुधार के उपाय
- जल-कुशल कृषि: ड्रिप सिंचाई और सूक्ष्म सिंचाई को बढ़ावा देना।
- भूजल पुनर्भरण: वर्षा जल संचयन और जलभृत पुनर्भरण के लिए बायोचार का उपयोग।
- प्राइवेट सेक्टर की भागीदारी: CSR निवेश को प्रोत्साहित करना।
अन्य देशों से सीख
- कैलिफोर्निया: सतत् भूजल प्रबंधन अधिनियम के माध्यम से रियल टाइम मॉनिटरिंग।
- इज़रायल: ड्रिप सिंचाई और मृदा की नमी की निगरानी से जल की बचत।
यह लेख भारत के बढ़ते भूजल संकट और इसके समाधान के लिए आवश्यक पहलों पर प्रकाश डालता है।