परिचय
- बढ़ता खतरा: भारत में साइबर अपराध तेजी से बढ़ रहा है, जिसमें धोखाधड़ी, हैकिंग, ऑनलाइन उत्पीड़न और निवेश घोटालों का समावेश है।
- CCITR की पहल: कर्नाटक CID ने 2019 में साइबर अपराध जांच प्रशिक्षण और अनुसंधान केंद्र (CCITR) की स्थापना की, जो सार्वजनिक-निजी भागीदारी का उदाहरण है।
भारत के सामने प्रमुख साइबर खतरे
- साइबर जासूसी:
- विदेशी राज्य प्रायोजित समूहों का बढ़ता खतरा, खासकर चीन और पाकिस्तान से।
- संवेदनशील डेटा की चोरी और रणनीतिक परियोजनाओं में बाधा।
- रैनसमवेयर हमले:
- वित्तीय, स्वास्थ्य सेवा और IT क्षेत्रों में बढ़ते हमले।
- भारतीय उद्यमों में आवश्यक साइबर सुरक्षा की कमी।
- वित्तीय साइबर अपराध:
- डिजिटल बैंकिंग के विस्तार के कारण फिशिंग और UPI धोखाधड़ी में वृद्धि।
- RBI के अनुसार, UPI में वित्तीय धोखाधड़ी 166% बढ़ी।
- AI-संचालित गलत सूचना:
- चुनावी प्रक्रिया और सामाजिक सद्भाव को खतरा।
- डीपफेक तकनीक का दुरुपयोग।
- आपूर्ति श्रृंखला के हमले:
- तृतीय पक्ष विक्रेताओं को निशाना बनाकर बड़े निगमों में प्रवेश।
- साइबर आतंकवाद:
- डार्क वेब का उपयोग करके आतंकी समूहों का वित्तपोषण।
- IoT और स्मार्ट सिटी में कमज़ोरियाँ:
- स्मार्ट तकनीक की बढ़ती निर्भरता से नए जोखिम।
निजी क्षेत्र की भूमिका
- साइबर सुरक्षा अनुसंधान और विकास:
- स्वदेशी सुरक्षा समाधान विकसित करने में निजी क्षेत्र का योगदान।
- सरकारी सहयोग:
- खुफिया जानकारी साझा करने में निजी कंपनियों की भूमिका।
- वित्तीय क्षेत्र में सुरक्षा:
- धोखाधड़ी और साइबर अपराध को रोकने के लिए सुरक्षा कार्यप्रणाली को मजबूत करना।
- कौशल विकास:
- प्रशिक्षित साइबर सुरक्षा पेशेवरों की कमी को दूर करने के लिए शिक्षा में निवेश।
चुनौतियाँ
- विनियामक ढांचे का अभाव:
- स्पष्ट नीतियों और प्रोत्साहनों की कमी।
- उच्च लागत:
- मजबूत साइबर सुरक्षा के लिए आवश्यक वित्तीय निवेश।
- कमज़ोर खुफिया साझेदारी:
- सरकारी और निजी क्षेत्रों के बीच सहयोग की कमी।
- विदेशी उत्पादों पर निर्भरता:
- स्वदेशी साइबर सुरक्षा समाधानों की कमी।
उपाय
- राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा परिषद:
- एकीकृत निकाय की स्थापना।
- खतरा खुफिया साझाकरण मंच:
- समय पर स्वचालित खुफिया-साझाकरण के लिए NCTIX की स्थापना।
- कर प्रोत्साहन:
- MSME के लिए साइबर सुरक्षा में निवेश को बढ़ावा देना।
- साइबर सुरक्षा मानकों का पालन:
- न्यूनतम मानकों को पूरा करने के लिए निजी कंपनियों की अनिवार्यता।
भारत की साइबर सुरक्षा को मजबूत करने के लिए सरकार और निजी क्षेत्र के बीच सहयोग आवश्यक है। स्पष्ट नीतियों, स्वदेशी समाधानों और कार्यबल के विकास पर ध्यान केंद्रित करना महत्वपूर्ण है।