- हिंद महासागर का सामरिक महत्त्व, जिसका नाम भारत के प्राचीन सभ्यता से है, वैश्विक शक्ति संतुलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
- आठवें हिंद महासागर सम्मेलन में क्षेत्र की बढ़ती भू-राजनीतिक महत्ता और भारत की नई समुद्री आकांक्षाओं पर चर्चा की गई।
भारत के प्रमुख हित
आर्थिक जीवनरेखा और व्यापार प्रभुत्व
- हिंद महासागर, भारत का प्राथमिक व्यापार मार्ग है, जो 80% बाहरी व्यापार और 90% ऊर्जा आयात का संचालन करता है।
- FY22 में, भारत के प्रमुख बंदरगाहों ने 720.29 मिलियन टन कार्गो ट्रैफिक को संभाला।
- FY23 में भारत का निर्यात 451 बिलियन अमेरिकी डॉलर था।
भू-राजनीतिक और सामरिक प्रभाव
- भारत का उद्देश्य चीन की बढ़ती नौसैनिक उपस्थिति को संतुलित करना है।
- SAGAR और इंडो-पैसिफिक महासागर पहल के तहत भारत क्षेत्रीय नेतृत्व को मजबूत कर रहा है।
समुद्री सुरक्षा और आतंकवाद निरोध
- हिंद महासागर समुद्री डकैती, तस्करी और आतंकवाद का केंद्र है।
- भारतीय नौसेना ने मलक्का जलडमरूमध्य सहित प्रमुख अवरोध बिंदुओं पर मिशन-आधारित तैनाती (MBD) की है।
ऊर्जा सुरक्षा और ब्लू इकॉनमी
- भारत मध्य पूर्व से ऊर्जा आयात को सुरक्षित करने और ब्लू इकॉनमी का विस्तार कर रहा है।
- डीप ओशन मिशन (MATYSA 6000) का उद्देश्य मध्य हिंद महासागर में पॉलीमेटेलिक नोड्यूल्स का पता लगाना है।
अवसंरचना विकास और कनेक्टिविटी
- भारत चाबहार और सित्तवे बंदरगाह जैसी परियोजनाओं के माध्यम से क्षेत्रीय व्यापार को बढ़ावा दे रहा है।
- 2035 तक 82 बिलियन अमेरिकी डॉलर के निवेश की योजना है।
जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण नेतृत्व
- भारत जलवायु अनुकूलन के प्रयासों का नेतृत्व कर रहा है, जिसमें आपदा रोधी अवसंरचना गठबंधन (CDRI) शामिल है।
- 12 भारतीय समुद्र तटों को ब्लू फ्लैग प्रमाणन प्राप्त हुआ है।
सांस्कृतिक और ऐतिहासिक संबंध
- भारत के ऐतिहासिक समुद्री संबंध इसे IOR में एक प्रमुख शक्ति के रूप में स्थापित करते हैं।
- प्रोजेक्ट मौसम और नौसैनिक सद्भावना मिशनों के माध्यम से सांस्कृतिक कूटनीति को बढ़ावा दिया जा रहा है।
प्रमुख रणनीतिक चिंताएँ
चीन की बढ़ती नौसैनिक उपस्थिति
- चीन की स्ट्रिंग ऑफ पर्ल्स रणनीति भारत की समुद्री सुरक्षा के लिए खतरा है।
- भारत के महत्वपूर्ण समुद्री मार्गों के निकट चीनी प्रभाव बढ़ रहा है।
समुद्री सुरक्षा खतरे
- समुद्री डकैती, आतंकवाद और अवैध गतिविधियों में वृद्धि हो रही है।
- भारतीय नौसेना ने ऑपरेशन संकल्प के तहत 18 बचाव अभियान चलाए।
भू-राजनीतिक प्रतिस्पर्धा
- अमेरिका, चीन और अन्य शक्तियों की बढ़ती सैन्य उपस्थिति भारत की क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए चुनौती है।
- AUKUS संधि के कारण शक्ति संतुलन में बदलाव आ रहा है।
जलवायु परिवर्तन के प्रभाव
- समुद्र का बढ़ता स्तर और चक्रवात भारतीय तटीय सुरक्षा के लिए खतरा हैं।
- भारतीय उपमहाद्वीप में जलवायु परिवर्तन के गंभीर परिणाम हो रहे हैं।
कमजोर नौसैनिक अवसंरचना
- भारत का शिपबिल्डिंग उद्योग वैश्विक मानकों से पीछे है।
- भारतीय शिपयार्डों का वार्षिक उत्पादन केवल 0.072 मिलियन GT है।
साइबर सुरक्षा खतरे
- समुद्री बुनियादी ढांचे पर बढ़ते साइबर हमले सुरक्षा की आवश्यकता को बढ़ाते हैं।
भारत के लिए उपाय
नौसेना और समुद्री क्षमताओं का विस्तार
- अधिक विमान वाहक और बहु-भूमिका वाले युद्धपोतों को शामिल करना।
- एंटी-एक्सेस/एरिया डिनायल (A2/AD) क्षमताओं का विकास।
बुनियादी ढांचे का विकास
- चाबहार और सबांग जैसे बंदरगाहों को मजबूत करना।
- भारतीय बंदरगाहों को ट्रांसशिपमेंट हब बनाना।
क्षेत्रीय सुरक्षा सहयोग
- रक्षा सहयोग ढांचे को संस्थागत बनाना।
- साझेदार देशों में तटीय राडार नेटवर्क स्थापित करना।
आर्थिक और व्यापार कूटनीति
- नए व्यापार गलियारों का विकास।
- मेक इन इंडिया कार्यक्रम के तहत समुद्री उद्योग को बढ़ावा देना।
साइबर और डिजिटल रणनीति
- सुरक्षित अंडर-सी डेटा केबल और 5G विस्तार में निवेश।
- साइबर सुरक्षा ढांचे को मजबूत करना।
जलवायु और सतत विकास नेतृत्व
- ग्रीन शिपिंग और समुद्री व्यापार में डीकार्बोनाइज़ेशन को बढ़ावा देना।
- समुद्री जैव विविधता को संरक्षित करने के लिए पहल करना।
सॉफ्ट पावर और सांस्कृतिक कूटनीति
- ऐतिहासिक संबंधों को गहरा करना।
- क्षेत्रीय भाषा में प्रसारण और डिजिटल पहुंच को बढ़ाना।
आगे की राह
- भारत की समुद्री नीति और रणनीतिक हित हिंद महासागर क्षेत्र में स्थिरता, संवहनीयता और साझा विकास की ओर अग्रसर हैं।